Sutra Navigation: Sthanang ( स्थानांग सूत्र )

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Sr No : 1002148
Scripture Name( English ): Sthanang Translated Scripture Name : स्थानांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

स्थान-३

Translated Chapter :

स्थान-३

Section : उद्देशक-१ Translated Section : उद्देशक-१
Sutra Number : 148 Category : Ang-03
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तिविहा जोणी पन्नत्ता, तं जहा–सीता, उसिणा, सीओसिणा। एवं– एगिंदियाणं विगलिंदियाणं तेउकाइयवज्जाणं संमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं संमुच्छिममनुस्साण य। तिविहा जोणी पन्नत्ता, तं जहा–सचित्ता, अचित्ता, मीसिया। एवं– एगिंदियाणं विगलिंदियाणं संमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं संमुच्छिममनुस्साण य। तिविहा जोणी पन्नत्ता, तं जहा–संवुडा, वियडा, संवुडवियडा। तिविहा जोणी पन्नत्ता, तं जहा–कुम्मुन्नया, संखावत्ता, वंसीवत्तिया। १. कुम्मुण्णया णं जोणी उत्तमपुरिसमाऊणं। कुम्मुन्नयाते णं जोणिए तिविहा उत्तमपुरिसा गब्भं वक्कमंति, तं जहा–अरहंता, चक्कवट्टी, बलदेववासुदेवा। २. संखावत्ता णं जोणी इत्थीरयणस्स संखावत्ताए णं जोणीए बहवे जीवा य पोग्गला य वक्कमंति, विउक्कमंति, चयंति, उवव-ज्जंति, नो चेव णं निप्फज्जंति। ३. वंसीवत्तिता णं जोणी पिहज्जणस्स। वंसीवत्तिताए णं जोणिए बहवे पिहज्जणा गब्भं वक्कमंति।
Sutra Meaning : योनि तीन प्रकार की कही गई है, यथा – शीत, उष्ण और शीतोष्ण। यह तेजस्काय को छोड़कर शेष एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रिय, सम्मूर्छिम तिर्यंचयोनिक पंचेन्द्रिय और सम्मूर्छिम मनुष्यों को होती है। योनि तीन प्रकार की कही गई है, यथा – सचित्त, अचित्त और मिश्र। यह एकेन्द्रियों, विकलेन्द्रियों, सम्मूर्छिम तिर्यंचयोनिक पंचेन्द्रियों और सम्मूर्छिम मनुष्यों को होती है। योनि तीन प्रकार की कही गई है, यथा – संवृता, विवृता और संवृत – विवृता। योनि तीन प्रकार की कही गई है, यथा – कूर्मोन्नता, शंखावर्ता और वंशीपत्रिका। उत्तम पुरुषों की माताओं की कूर्मोन्नता योनि होती है। कूर्मोन्नता योनि में तीन प्रकार के उत्तम पुरुष गर्भ रूप में उत्पन्न होते हैं, यथा – अर्हन्त, चक्रवर्ती और बलदेव – वासुदेव। चक्रवर्ती के स्त्रीरत्न की योनि शंखावर्त्त होती है। शंखावर्त्त योनि में बहुत से जीव और पुद्‌गल पैदा होते हैं एवं नष्ट होते हैं किन्तु जन्म धारण नहीं करते हैं। वंशीपत्रिकायोनि सामान्य मनुष्यों की योनि है। वंशीपत्रिकायोनि में बहुत से सामान्य मनुष्य गर्भरूप में उत्पन्न होते हैं।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tiviha joni pannatta, tam jaha–sita, usina, siosina. Evam– egimdiyanam vigalimdiyanam teukaiyavajjanam sammuchchhimapamchimdiyatirikkhajoniyanam sammuchchhimamanussana ya. Tiviha joni pannatta, tam jaha–sachitta, achitta, misiya. Evam– egimdiyanam vigalimdiyanam sammuchchhimapamchimdiyatirikkhajoniyanam sammuchchhimamanussana ya. Tiviha joni pannatta, tam jaha–samvuda, viyada, samvudaviyada. Tiviha joni pannatta, tam jaha–kummunnaya, samkhavatta, vamsivattiya. 1. Kummunnaya nam joni uttamapurisamaunam. Kummunnayate nam jonie tiviha uttamapurisa gabbham vakkamamti, tam jaha–arahamta, chakkavatti, baladevavasudeva. 2. Samkhavatta nam joni itthirayanassa samkhavattae nam jonie bahave jiva ya poggala ya vakkamamti, viukkamamti, chayamti, uvava-jjamti, no cheva nam nipphajjamti. 3. Vamsivattita nam joni pihajjanassa. Vamsivattitae nam jonie bahave pihajjana gabbham vakkamamti.
Sutra Meaning Transliteration : Yoni tina prakara ki kahi gai hai, yatha – shita, ushna aura shitoshna. Yaha tejaskaya ko chhorakara shesha ekendriya, vikalendriya, sammurchhima tiryamchayonika pamchendriya aura sammurchhima manushyom ko hoti hai. Yoni tina prakara ki kahi gai hai, yatha – sachitta, achitta aura mishra. Yaha ekendriyom, vikalendriyom, sammurchhima tiryamchayonika pamchendriyom aura sammurchhima manushyom ko hoti hai. Yoni tina prakara ki kahi gai hai, yatha – samvrita, vivrita aura samvrita – vivrita. Yoni tina prakara ki kahi gai hai, yatha – kurmonnata, shamkhavarta aura vamshipatrika. Uttama purushom ki mataom ki kurmonnata yoni hoti hai. Kurmonnata yoni mem tina prakara ke uttama purusha garbha rupa mem utpanna hote haim, yatha – arhanta, chakravarti aura baladeva – vasudeva. Chakravarti ke striratna ki yoni shamkhavartta hoti hai. Shamkhavartta yoni mem bahuta se jiva aura pudgala paida hote haim evam nashta hote haim kintu janma dharana nahim karate haim. Vamshipatrikayoni samanya manushyom ki yoni hai. Vamshipatrikayoni mem bahuta se samanya manushya garbharupa mem utpanna hote haim.