Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1000492 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ चूलिका-१ अध्ययन-७ अवग्रह प्रतिमा |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ चूलिका-१ अध्ययन-७ अवग्रह प्रतिमा |
Section : | उद्देशक-१ | Translated Section : | उद्देशक-१ |
Sutra Number : | 492 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | से भिक्खू वा भिक्खुणी वा सेज्जं पुण ओग्गहं जाणिज्जा–अनंतरहियाए पुढवीए, ससणिद्धाए पुढवीए, ससरक्खाए पुढवीए, चित्तमंताए सिलाए, चित्तमंताए लेलुए, कोलावासंसि वा दारुए जीवपइट्ठिए सअंडे सपाणे सबीए सहरिए सउसे सउदए सउत्तिंग-पणग-दग-मट्टिय-मक्कडा संताणए, तहप्पगारं ओग्गहं नो ओगिण्हेज्ज वा, पगिण्हेज्ज वा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा सेज्जं पुण ओग्गहं जाणिज्जा–थूणंसि वा, गिहेलुगंसि वा, उसुयालंसि वा, कामजलंसि वा, अन्नयरे वा तहप्पगारे अंतलिक्खजाए दुब्बद्धे दुन्निक्खित्ते अनिकंपे चलाचले नो ओग्गहं ओगिण्हेज्ज वा, पगिण्हेज्ज वा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा सेज्जं पुण ओग्गहं जाणेज्जा– कुलियंसि वा, भित्तिंसि वा, सिलंसि वा, लेलुंसि वा, अन्नयरे वा तहप्पगारे अंतलिक्खजाए दुब्बद्धे दुन्निक्खित्ते अनिकंपे चलाचले नो ओग्गहं ओगिण्हेज्ज वा, पगिण्हेज्ज वा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा सेज्जं पण ओग्गहं जाणेज्जा–खंधंसि वा, मंचंसि वा, मालंसि वा, पासायंसि वा, हम्मियतलंसि वा, अन्नयरे वा तहप्पगारे अंतलिक्खजाए दुब्बद्धे दुन्निक्खित्ते अनिकंपे चलाचले नो ओग्गहं ओगिण्हेज्ज वा, पगिण्हेज्ज वा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा सेज्जं पुण ओग्गहं जाणेज्जा–ससागारियं सागणियं सउदयं सइत्थिं सखुड्डं सपसुं सभ-त्तपाणं, नो पण्णस्स निक्खमण-पवेसाए नो पण्णस्स वायण-पुच्छण-परियट्टणाणुपेह–धम्माणुओगचिंताए। सेवं नच्चा तहप्पगारे उवस्सए ससागारिए जाव सखुड्ड-पसु-भत्तपाणे नो ओग्गहं ओगिण्हेज्ज वा, पगिण्हेज्ज वा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा सेज्जं पुण ओग्गहं जाणेज्जा–गाहावइ-कुलस्स मज्झंमज्झेणं गंतुं पंथे पडिबद्धं वा नो पण्णस्स निक्खमण-पवेसाए नो पण्णस्स वायण-पुच्छण-परिट्टणाणुपेह-धम्माणुओग चिंताए। सेवं नच्चा तहप्पगारे उवस्सए नो ओग्गहं ओगिण्हेज्ज वा, पगिण्हेज्ज वा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा सेज्जं पुण ओग्गहं जाणेज्जा–इह खलु गाहावई वा, गाहावइणीओ वा, गाहावइ-पुत्ता वा, गाहावइ-धूयाओ वा, गाहावइ-सुण्हाओ वा, धाईओ वा, दासा वा, दासीओ वा, कम्मकरा वा, कम्मकरीओ वा अन्नमन्नं अक्कोसंति वा, बंधंति वा, रुंभंति वा, उद्दवेंति वा, नो पण्णस्स निक्खमण-पवेसाए नो पण्णस्स वायण-पुच्छण-परियट्टणाणुपेह-धम्माणुओग-चिंताए। सेवं नच्चा तहप्पगारे उवस्सए नो ओग्गहं ओगिण्हेज्ज वा, पगिण्हेज्ज वा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा सेज्जं पुण ओग्गहं जाणेज्जा–इह खलु गाहावई वा जाव कम्मकरीओ वा अन्नमन्नस्स गायं तेल्लेण वा, घएण वा, नवनीएण वा, वसाए वा अब्भंगेंति वा, मक्खेंति वा, नो पण्णस्स निक्खमण-पवेसाए नो पण्णस्स वायण-पुच्छण-परियट्टणाणुपेह-धम्माणुओगचिंताए। सेवं नच्चा तहप्पगारे उवस्सए नो ओग्गहं ओगिण्हेज्ज वा, पगिण्हेज्ज वा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा सेज्जं पुण ओग्गहं जाणेज्जा–इह खलु गाहावई वा जाव कम्मकरीओ वा अन्नमन्नस्स वा अन्नमन्नस्स गायं सिनाणेण वा, कक्केण वा, लोद्धेण वा, वण्णेण वा, चुण्णेण वा पउमेण वा आघंसंति वा, पघंसंति वा, उव्वलेंति वा, उव्वट्टेति वा, नो पण्णस्स निक्खमण-पवेसाए नो पण्णस्स वायण-पुच्छण-परियट्टणाणुपेह-धम्माणुओग-चिंताए। सेवं नच्चा तहप्पगारे उवस्सए नो ओग्गहं ओगिण्हेज्ज वा, पगिण्हेज्ज वा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा सेज्जं पुण ओग्गहं जाणेज्जा–इह खलु गाहावई वा जाव कम्मकरीओ वा अन्नमन्नस्स गायं सीओदग-वियडेण वा, उसिणोदग-वियडेण वा उच्छोलेंति वा, पधोवेंति वा, सिंचंति वा, सिणावेंति वा, नो पण्णस्स निक्खमण-पवेसाए नो पण्णस्स वायण-पुच्छण-परियट्टणाणुपेहधम्माणु- ओगचिंताए। सेवं नच्चा तहप्पगारे उवस्सए नो ओग्गहं ओगिण्हेज्ज वा, पगिण्हेज्ज वा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा सेज्जं पुण ओग्गहं जाणेज्जा– इह खलु गाहावई वा जाव कम्मकरीओ वा निगिणा ठिओ णिगिणा उवल्लीणा मेहुणधम्मं विन्नवेंति रहस्सियं वा मंतं मंतेति, नो पण्णस्स निक्खमण-पवेसाए नो पण्णस्स वायण-पुच्छण-परियट्टणाणुपेह-धम्माणुओग-चिंताए। सेवं नच्चा तहप्पगारे उवस्सए नो ओग्गहं ओगिण्हेज्ज वा, पगिण्हेज्ज वा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा सेज्जं पुण ओग्गहं जाणेज्जा–आइण्णसंलेक्खं, नो पण्णस्स निक्खमण-पवेसाए नो पण्णस्स वायण-पुच्छण-परियट्टणाणुपेह-धम्माणुओगचिंताए। [सेवं नच्चा?] तहप्पगारे उवस्सए नो ओग्गहं ओगिण्हेज्ज वा, पगिण्हेज्ज वा। एयं खलु तस्स भिक्खुस्स वा भिक्खुणीए वा सामग्गियं जं सव्वट्ठेहिं समिए सहिए सया जएज्जासि। | ||
Sutra Meaning : | साधु या साध्वी यदि ऐसे अवग्रह को जाने, जो सचित्त, स्निग्ध पृथ्वी यावत्, जीव – जन्तु आदि से युक्त हो, तो इस प्रकार के स्थान की अवग्रह – अनुज्ञा एक बार या अनेक बार ग्रहण न करे। साधु या साध्वी यदि ऐसे अवग्रह को जाने, जो भूमि से बहुत ऊंचा हो, ठूँठ, देहली, खूँटी, ऊखल, मूसल आदि पर टिकाया हुआ एवं ठीक तरह से बंधा हुआ या गड़ा या रखा हुआ न हो, अस्थिर और चल – विचल हो, तो ऐसे स्थान की भी अवग्रह – अनुज्ञा एक या अनेक बार ग्रहण न करे। ऐसे अवग्रह को जाने, जो घर की कच्ची पतली दीवार पर या नदी के तट या बाहर की भींत, शिला या पथ्थर के टुकड़ों पर या अन्य किसी ऊंचे व विषम स्थान पर निर्मित हो, तथा दुर्बद्ध, दुर्निक्षिप्त, अस्थिर और चल – विचल हो तो ऐसे स्थान की भी अवग्रह – अनुज्ञा ग्रहण न करे। ऐसे अवग्रह को जाने जो, स्तम्भ, मचान, ऊपर की मंजिल, प्रासाद या तलघर में स्थित हो या उस प्रकार के किसी उच्च स्थान पर हो तो ऐसे दुर्बद्ध यावत् चल – विचल स्थान की अवग्रह – अनुज्ञा ग्रहण न करे। यदि ऐसे अवग्रह को जाने, जो गृहस्थों से संसक्त हो, अग्नि और जल से युक्त हो, जिसमें स्त्रियाँ, छोटे बच्चे अथवा क्षुद्र रहते हों, जो पशुओं और उनके योग्य खाद्य – सामग्री से भरा हो, प्रज्ञावान साधु के लिए ऐसा आवास स्थान निर्गमन – प्रवेश, वाचना यावत् धर्मानुयोग – चिन्तन के योग्य नहीं है। ऐसा जानकर उस प्रकार के उपाश्रय की अवग्रह – अनुज्ञा ग्रहण नहीं करनी चाहिए। जिस अवग्रह को जाने कि उसमें जाने का मार्ग गृहस्थ के घर के बीचोंबीच से है या गृहस्थ के घर से बिलकुल सटा हुआ है तो प्रज्ञावान साधु को ऐसे स्थान में नीकलना और प्रवेश करना तथा वाचन यावत् धर्मानुयोग – चिन्तन करना उचित नहीं है, ऐसा जानकर उस प्रकार के उपाश्रय की अवग्रह – अनुज्ञा ग्रहण नहीं करनी चाहिए। ऐसे अवग्रह को जाने, जिसमें गृहस्वामी यावत् उसकी नौकरानियाँ परस्पर एक दूसरे पर आक्रोश करती हों, लड़ती – झगड़ती हों तथा परस्पर एक दूसरे के शरीर पर तेल, घी आदि लगाते हों, इसी प्रकार स्नानादि, जल से गात्रसिंचन आदि करते हों या नग्नस्थित हों इत्यादि वर्णन शय्याऽध्ययन के आलापकों की तरह यहाँ समझ लेना चाहिए। इतना ही विशेष है कि वहाँ यह वर्णन शय्या के विषय में है, यहाँ अवग्रह के विषय में है। साधु या साध्वी ऐसे अवग्रह – स्थान को जाने, जिसमें अश्लील चित्र आदि अंकित या आकीर्ण हों, ऐसा उपाश्रय प्रज्ञावान साधु के निर्गमन – प्रवेश तथा वाचना से धर्मानुयोग चिन्तन के योग्य नहीं है। ऐसे उपाश्रय की अवग्रह – अनुज्ञा एक या अधिक बार ग्रहण नहीं करनी चाहिए। यही वास्तव में साधु या साध्वी का समग्र सर्वस्व है, जिसे सभी प्रयोजनो एवं ज्ञानादि से युक्त, एवं समितियों से समित होकर पालन करने के लिए वह सदा प्रयत्नशील ह। – ऐसा मैं कहता हूँ। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Se bhikkhu va bhikkhuni va sejjam puna oggaham janijja–anamtarahiyae pudhavie, sasaniddhae pudhavie, sasarakkhae pudhavie, chittamamtae silae, chittamamtae lelue, kolavasamsi va darue jivapaitthie saamde sapane sabie saharie sause saudae sauttimga-panaga-daga-mattiya-makkada samtanae, tahappagaram oggaham no oginhejja va, paginhejja va. Se bhikkhu va bhikkhuni va sejjam puna oggaham janijja–thunamsi va, gihelugamsi va, usuyalamsi va, kamajalamsi va, annayare va tahappagare amtalikkhajae dubbaddhe dunnikkhitte anikampe chalachale no oggaham oginhejja va, paginhejja va. Se bhikkhu va bhikkhuni va sejjam puna oggaham janejja– kuliyamsi va, bhittimsi va, silamsi va, lelumsi va, annayare va tahappagare amtalikkhajae dubbaddhe dunnikkhitte anikampe chalachale no oggaham oginhejja va, paginhejja va. Se bhikkhu va bhikkhuni va sejjam pana oggaham janejja–khamdhamsi va, mamchamsi va, malamsi va, pasayamsi va, hammiyatalamsi va, annayare va tahappagare amtalikkhajae dubbaddhe dunnikkhitte anikampe chalachale no oggaham oginhejja va, paginhejja va. Se bhikkhu va bhikkhuni va sejjam puna oggaham janejja–sasagariyam saganiyam saudayam saitthim sakhuddam sapasum sabha-ttapanam, no pannassa nikkhamana-pavesae no pannassa vayana-puchchhana-pariyattananupeha–dhammanuogachimtae. Sevam nachcha tahappagare uvassae sasagarie java sakhudda-pasu-bhattapane no oggaham oginhejja va, paginhejja va. Se bhikkhu va bhikkhuni va sejjam puna oggaham janejja–gahavai-kulassa majjhammajjhenam gamtum pamthe padibaddham va no pannassa nikkhamana-pavesae no pannassa vayana-puchchhana-parittananupeha-dhammanuoga chimtae. Sevam nachcha tahappagare uvassae no oggaham oginhejja va, paginhejja va. Se bhikkhu va bhikkhuni va sejjam puna oggaham janejja–iha khalu gahavai va, gahavainio va, gahavai-putta va, gahavai-dhuyao va, gahavai-sunhao va, dhaio va, dasa va, dasio va, kammakara va, kammakario va annamannam akkosamti va, bamdhamti va, rumbhamti va, uddavemti va, no pannassa nikkhamana-pavesae no pannassa vayana-puchchhana-pariyattananupeha-dhammanuoga-chimtae. Sevam nachcha tahappagare uvassae no oggaham oginhejja va, paginhejja va. Se bhikkhu va bhikkhuni va sejjam puna oggaham janejja–iha khalu gahavai va java kammakario va annamannassa gayam tellena va, ghaena va, navaniena va, vasae va abbhamgemti va, makkhemti va, no pannassa nikkhamana-pavesae no pannassa vayana-puchchhana-pariyattananupeha-dhammanuogachimtae. Sevam nachcha tahappagare uvassae no oggaham oginhejja va, paginhejja va. Se bhikkhu va bhikkhuni va sejjam puna oggaham janejja–iha khalu gahavai va java kammakario va annamannassa va annamannassa gayam sinanena va, kakkena va, loddhena va, vannena va, chunnena va paumena va aghamsamti va, paghamsamti va, uvvalemti va, uvvatteti va, no pannassa nikkhamana-pavesae no pannassa vayana-puchchhana-pariyattananupeha-dhammanuoga-chimtae. Sevam nachcha tahappagare uvassae no oggaham oginhejja va, paginhejja va. Se bhikkhu va bhikkhuni va sejjam puna oggaham janejja–iha khalu gahavai va java kammakario va annamannassa gayam siodaga-viyadena va, usinodaga-viyadena va uchchholemti va, padhovemti va, simchamti va, sinavemti va, no pannassa nikkhamana-pavesae no pannassa vayana-puchchhana-pariyattananupehadhammanu- ogachimtae. Sevam nachcha tahappagare uvassae no oggaham oginhejja va, paginhejja va. Se bhikkhu va bhikkhuni va sejjam puna oggaham janejja– iha khalu gahavai va java kammakario va nigina thio nigina uvallina mehunadhammam vinnavemti rahassiyam va mamtam mamteti, no pannassa nikkhamana-pavesae no pannassa vayana-puchchhana-pariyattananupeha-dhammanuoga-chimtae. Sevam nachcha tahappagare uvassae no oggaham oginhejja va, paginhejja va. Se bhikkhu va bhikkhuni va sejjam puna oggaham janejja–ainnasamlekkham, no pannassa nikkhamana-pavesae no pannassa vayana-puchchhana-pariyattananupeha-dhammanuogachimtae. [sevam nachcha?] tahappagare uvassae no oggaham oginhejja va, paginhejja va. Eyam khalu tassa bhikkhussa va bhikkhunie va samaggiyam jam savvatthehim samie sahie saya jaejjasi. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Sadhu ya sadhvi yadi aise avagraha ko jane, jo sachitta, snigdha prithvi yavat, jiva – jantu adi se yukta ho, to isa prakara ke sthana ki avagraha – anujnya eka bara ya aneka bara grahana na kare. Sadhu ya sadhvi yadi aise avagraha ko jane, jo bhumi se bahuta umcha ho, thumtha, dehali, khumti, ukhala, musala adi para tikaya hua evam thika taraha se bamdha hua ya gara ya rakha hua na ho, asthira aura chala – vichala ho, to aise sthana ki bhi avagraha – anujnya eka ya aneka bara grahana na kare. Aise avagraha ko jane, jo ghara ki kachchi patali divara para ya nadi ke tata ya bahara ki bhimta, shila ya paththara ke tukarom para ya anya kisi umche va vishama sthana para nirmita ho, tatha durbaddha, durnikshipta, asthira aura chala – vichala ho to aise sthana ki bhi avagraha – anujnya grahana na kare. Aise avagraha ko jane jo, stambha, machana, upara ki mamjila, prasada ya talaghara mem sthita ho ya usa prakara ke kisi uchcha sthana para ho to aise durbaddha yavat chala – vichala sthana ki avagraha – anujnya grahana na kare. Yadi aise avagraha ko jane, jo grihasthom se samsakta ho, agni aura jala se yukta ho, jisamem striyam, chhote bachche athava kshudra rahate hom, jo pashuom aura unake yogya khadya – samagri se bhara ho, prajnyavana sadhu ke lie aisa avasa sthana nirgamana – pravesha, vachana yavat dharmanuyoga – chintana ke yogya nahim hai. Aisa janakara usa prakara ke upashraya ki avagraha – anujnya grahana nahim karani chahie. Jisa avagraha ko jane ki usamem jane ka marga grihastha ke ghara ke bichombicha se hai ya grihastha ke ghara se bilakula sata hua hai to prajnyavana sadhu ko aise sthana mem nikalana aura pravesha karana tatha vachana yavat dharmanuyoga – chintana karana uchita nahim hai, aisa janakara usa prakara ke upashraya ki avagraha – anujnya grahana nahim karani chahie. Aise avagraha ko jane, jisamem grihasvami yavat usaki naukaraniyam paraspara eka dusare para akrosha karati hom, larati – jhagarati hom tatha paraspara eka dusare ke sharira para tela, ghi adi lagate hom, isi prakara snanadi, jala se gatrasimchana adi karate hom ya nagnasthita hom ityadi varnana shayyadhyayana ke alapakom ki taraha yaham samajha lena chahie. Itana hi vishesha hai ki vaham yaha varnana shayya ke vishaya mem hai, yaham avagraha ke vishaya mem hai. Sadhu ya sadhvi aise avagraha – sthana ko jane, jisamem ashlila chitra adi amkita ya akirna hom, aisa upashraya prajnyavana sadhu ke nirgamana – pravesha tatha vachana se dharmanuyoga chintana ke yogya nahim hai. Aise upashraya ki avagraha – anujnya eka ya adhika bara grahana nahim karani chahie. Yahi vastava mem sadhu ya sadhvi ka samagra sarvasva hai, jise sabhi prayojano evam jnyanadi se yukta, evam samitiyom se samita hokara palana karane ke lie vaha sada prayatnashila ha. – aisa maim kahata hum. |