Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1000406 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ चूलिका-१ अध्ययन-२ शय्यैषणा |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ चूलिका-१ अध्ययन-२ शय्यैषणा |
Section : | उद्देशक-२ | Translated Section : | उद्देशक-२ |
Sutra Number : | 406 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] गाहावई नामेगे सुइ-समायारा भवंति, भिक्खू य असिनाणए मोयसमायारे, ‘से तग्गंधे’ दुग्गंधे पडिकूले पडिलोमे यावि भवइ। जं पुव्वकम्मं तं पच्छाकम्मं, जं पच्छाकम्मं तं पुव्वकम्मं। तं भिक्खु-पडियाए वट्टमाणे करेज्जा वा, नो ‘वा करेज्जा’। अह भिक्खूणं पुव्वोवदिट्ठा एस पइण्णा, एस हेऊ, एस कारणं, एस उवएसो, जं तहप्पगारे उवस्सए नो ठाणं वा, सेज्जं वा, निसीहियं वा चेतेज्जा। | ||
Sutra Meaning : | कोई गृहस्थ शौचाचार – परायण होते हैं और भिक्षुओं के स्नान न करने के कारण तथा मोकाचारी होने के कारण उनके मोकलिप्त शरीर और वस्त्रों से आने वाली वह दुर्गन्ध उस गृहस्थ के लिए प्रतिकूल और अप्रिय भी हो सकती है। इसके अतिरिक्त वे गृहस्थ जो कार्य पहले करते थे, अब भिक्षुओं की अपेक्षा से बाद में करेंगे और जो कार्य बाद में करते थे, वे पहले करने लगेंगे अथवा भिक्षुओं के कारण वे असमय में भोजनादि क्रियाएं करेंगे या नहीं भी करेंगे। अथवा वे साधु उक्त गृहस्थ के लिहाज से प्रतिलेखनादि क्रियाएं समय पर नहीं करेंगे, बाद में करेंगे, या नहीं भी करेंगे। इसलिए तीर्थंकरादि ने भिक्षुओं के लिए पहले से ही यह प्रतिज्ञा बताई है, यह हेतु, कारण और उपदेश दिया है कि वह गृहस्थ – संसक्त उपाश्रय में कायोत्सर्ग, ध्यान आदि क्रियाएं न करें। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] gahavai namege sui-samayara bhavamti, bhikkhu ya asinanae moyasamayare, ‘se taggamdhe’ duggamdhe padikule padilome yavi bhavai. Jam puvvakammam tam pachchhakammam, jam pachchhakammam tam puvvakammam. Tam bhikkhu-padiyae vattamane karejja va, no ‘va karejja’. Aha bhikkhunam puvvovadittha esa painna, esa heu, esa karanam, esa uvaeso, jam tahappagare uvassae no thanam va, sejjam va, nisihiyam va chetejja. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Koi grihastha shauchachara – parayana hote haim aura bhikshuom ke snana na karane ke karana tatha mokachari hone ke karana unake mokalipta sharira aura vastrom se ane vali vaha durgandha usa grihastha ke lie pratikula aura apriya bhi ho sakati hai. Isake atirikta ve grihastha jo karya pahale karate the, aba bhikshuom ki apeksha se bada mem karemge aura jo karya bada mem karate the, ve pahale karane lagemge athava bhikshuom ke karana ve asamaya mem bhojanadi kriyaem karemge ya nahim bhi karemge. Athava ve sadhu ukta grihastha ke lihaja se pratilekhanadi kriyaem samaya para nahim karemge, bada mem karemge, ya nahim bhi karemge. Isalie tirthamkaradi ne bhikshuom ke lie pahale se hi yaha pratijnya batai hai, yaha hetu, karana aura upadesha diya hai ki vaha grihastha – samsakta upashraya mem kayotsarga, dhyana adi kriyaem na karem. |