Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1000409 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ चूलिका-१ अध्ययन-२ शय्यैषणा |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ चूलिका-१ अध्ययन-२ शय्यैषणा |
Section : | उद्देशक-२ | Translated Section : | उद्देशक-२ |
Sutra Number : | 409 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से भिक्खू वा भिक्खुणी वा उच्चार-पासवणेणं उव्वाहिज्जमाणे राओ वा विआले वा गाहावइ-कुलस्स दुवारवाहं अवंगुणेज्जा, तेणे य तस्संधिचारी अणुपविसेज्जा। तस्स भिक्खुस्स णोकप्पइ एवं वदत्तिए–अयं तेण पविसइ वा णोवा पविसइ, उवल्लियइ वा नो वा उवल्लियइ, अइपतति वा नो वा अइपतति, वदति वा नो वा वदति, तेण हडं अन्नेण हडं, तस्स हडं अन्नस्स हडं, अयं तेणे अयं उवचरए, अयं हंता अयं एत्थमकासी तं तवस्सिं भिक्खुं अतेणं तेणं ति संकति। अह भिक्खूणं पुव्वोवदिट्ठा एस पइण्णा, एस हेऊ, एस कारणं, एस उवएसो, जं तहप्पगारे उवस्सए नो ठाणं वा, सेज्जं वा, निसीहियं वा चेतेज्जा। | ||
Sutra Meaning : | वह भिक्षु या भिक्षुणी रात में या विकाल में मल – मूत्रादि की बाधा होने पर गृहस्थ के घर का द्वारभाग खोलेगा, उस समय कोई चोर या उसका सहचर घर में प्रविष्ट हो जाएगा, तो उस समय साधु को मौन रखना होगा। ऐसी स्थिति में साधु के लिए ऐसा कहना कल्पनीय नहीं है कि यह चोर प्रवेश कर रहा है, या प्रवेश नहीं कर रहा है, यह छिप रहा है या नहीं छिप रहा है, नीचे कूद रहा है या नहीं कूदता है, बोल रहा है या नहीं बोल रहा है, इसने चूराया है, या किसी दूसरे ने चूराया है, उसका धन चूराया है अथवा दूसरे का धन चूराया हैद यही चोर है, या यह उसका उपचारक है, यह घातक है, इसी ने यहाँ यह कार्य किया है। और कुछ भी न कहने पर जो वास्तव में चोर नहीं है, उस तपस्वी साधु पर चोर होने की शंका हो जाएगी। इसीलिए तीर्थंकर भगवान ने पहले से ही साधु के लिए यह प्रतिज्ञा बताई है यावत् वहाँ कायोत्सर्गादि क्रिया करे। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se bhikkhu va bhikkhuni va uchchara-pasavanenam uvvahijjamane rao va viale va gahavai-kulassa duvaravaham avamgunejja, tene ya tassamdhichari anupavisejja. Tassa bhikkhussa nokappai evam vadattie–ayam tena pavisai va nova pavisai, uvalliyai va no va uvalliyai, aipatati va no va aipatati, vadati va no va vadati, tena hadam annena hadam, tassa hadam annassa hadam, ayam tene ayam uvacharae, ayam hamta ayam etthamakasi tam tavassim bhikkhum atenam tenam ti samkati. Aha bhikkhunam puvvovadittha esa painna, esa heu, esa karanam, esa uvaeso, jam tahappagare uvassae no thanam va, sejjam va, nisihiyam va chetejja. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Vaha bhikshu ya bhikshuni rata mem ya vikala mem mala – mutradi ki badha hone para grihastha ke ghara ka dvarabhaga kholega, usa samaya koi chora ya usaka sahachara ghara mem pravishta ho jaega, to usa samaya sadhu ko mauna rakhana hoga. Aisi sthiti mem sadhu ke lie aisa kahana kalpaniya nahim hai ki yaha chora pravesha kara raha hai, ya pravesha nahim kara raha hai, yaha chhipa raha hai ya nahim chhipa raha hai, niche kuda raha hai ya nahim kudata hai, bola raha hai ya nahim bola raha hai, isane churaya hai, ya kisi dusare ne churaya hai, usaka dhana churaya hai athava dusare ka dhana churaya haida yahi chora hai, ya yaha usaka upacharaka hai, yaha ghataka hai, isi ne yaham yaha karya kiya hai. Aura kuchha bhi na kahane para jo vastava mem chora nahim hai, usa tapasvi sadhu para chora hone ki shamka ho jaegi. Isilie tirthamkara bhagavana ne pahale se hi sadhu ke lie yaha pratijnya batai hai yavat vaham kayotsargadi kriya kare. |