Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1000403 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ चूलिका-१ अध्ययन-२ शय्यैषणा |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ चूलिका-१ अध्ययन-२ शय्यैषणा |
Section : | उद्देशक-१ | Translated Section : | उद्देशक-१ |
Sutra Number : | 403 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] आयाणमेयं भिक्खुस्स गाहावईहिं सद्धिं संवसमाणस्स–इह खलु गाहावई अप्पनो सअट्ठाए अगणिकायं उज्जालेज्ज वा, पज्जालेज्ज वा, विज्झावेज्ज वा। अह भिक्खू उच्चावयं मणं णियच्छेज्जा–एते खलु अगणिकायं उज्जालंतु वा मा वा उज्जालेंतु, पज्जालेंतु वा मा वा पज्जालेंतु, विज्झावेंतु वा मा वा विज्झावेंतु। अह भिक्खूणं पुव्वोवदिट्ठा एस पइण्णा, एस हेऊ, एस कारणं, एस उवएसो, जं तहप्पगारे [सागारिए?] उवस्सए नो ठाणं वा, सेज्जं वा, निसीहियं वा चेतेज्जा। | ||
Sutra Meaning : | गृहस्थों के साथ एक मकान में साधु का निवास करना इसलिए भी कर्मबन्ध का कारण है कि उसमें गृह – स्वामी अपने प्रयोजन के लिए अग्निकाय को उज्जवलित – प्रज्वलित करेगा, प्रज्वलित अग्नि को बुझाएगा। वहाँ रहते हुए भिक्षु के मन में कदाचित् ऊंचे – नीचे परिणाम आ सकते हैं कि ये गृहस्थ अग्नि को उज्ज्वलित करे अथवा उज्जवलित न करे, तथा ये अग्नि को प्रज्वलित करे अथवा प्रज्वलित न करे, अग्नि को बुझा दे या न बुझाए। इसीलिए तीर्थंकरों ने पहले से ही साधु के लिए ऐसी प्रतिज्ञा बताई है, यह हेतु, कारण और उपदेश दिया है कि वह उस उपाश्रय में न ठहरे, न कायोत्सर्गादि क्रिया करे। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] ayanameyam bhikkhussa gahavaihim saddhim samvasamanassa–iha khalu gahavai appano saatthae aganikayam ujjalejja va, pajjalejja va, vijjhavejja va. Aha bhikkhu uchchavayam manam niyachchhejja–ete khalu aganikayam ujjalamtu va ma va ujjalemtu, pajjalemtu va ma va pajjalemtu, vijjhavemtu va ma va vijjhavemtu. Aha bhikkhunam puvvovadittha esa painna, esa heu, esa karanam, esa uvaeso, jam tahappagare [sagarie?] uvassae no thanam va, sejjam va, nisihiyam va chetejja. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Grihasthom ke satha eka makana mem sadhu ka nivasa karana isalie bhi karmabandha ka karana hai ki usamem griha – svami apane prayojana ke lie agnikaya ko ujjavalita – prajvalita karega, prajvalita agni ko bujhaega. Vaham rahate hue bhikshu ke mana mem kadachit umche – niche parinama a sakate haim ki ye grihastha agni ko ujjvalita kare athava ujjavalita na kare, tatha ye agni ko prajvalita kare athava prajvalita na kare, agni ko bujha de ya na bujhae. Isilie tirthamkarom ne pahale se hi sadhu ke lie aisi pratijnya batai hai, yaha hetu, karana aura upadesha diya hai ki vaha usa upashraya mem na thahare, na kayotsargadi kriya kare. |