Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011665 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
8. आत्मसंयम अधिकार - (विकर्म योग) |
Translated Chapter : |
8. आत्मसंयम अधिकार - (विकर्म योग) |
Section : | 2. अनगार (साधु) व्रत-सूत्र | Translated Section : | 2. अनगार (साधु) व्रत-सूत्र |
Sutra Number : | 163 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | मूलाचार । गाथा । ४. (१.६); तुलना: आतुर. प्रत्या.। २-३ | ||
Mool Sutra : | हिंसाविरतिः सत्यं अदत्तपरिवर्जनं च ब्रह्म च। संगविमुक्तिश्च तथा महाव्रतानि पंच प्रज्ञप्तानि ।। | ||
Sutra Meaning : | हिंसा का त्याग, सत्य बोलना, चोरी का त्याग, ब्रह्मचर्य और परिग्रह त्याग, ये पाँच महाव्रत कहे गये हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Himsaviratih satyam adattaparivarjanam cha brahma cha. Samgavimuktishcha tatha mahavratani pamcha prajnyaptani\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Himsa ka tyaga, satya bolana, chori ka tyaga, brahmacharya aura parigraha tyaga, ye pamcha mahavrata kahe gaye haim. |