Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011385 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
16. एकान्त व नय अधिकार - (पक्षपात-निरसन) |
Translated Chapter : |
16. एकान्त व नय अधिकार - (पक्षपात-निरसन) |
Section : | 2. पक्षपात-निरसन | Translated Section : | 2. पक्षपात-निरसन |
Sutra Number : | 382 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | विशेषावश्यक भाष्य । २२६६; तुलना: ध. ९। पृ. १८२ | ||
Mool Sutra : | न समेन्ति न च समेया, सम्मत्तं णेव वत्थुणो गमगा। वत्थुविघाताय नया, विरोहओ वेरिणो चेव ।। | ||
Sutra Meaning : | परस्पर विरोधी होने के कारण ये नय या पक्ष क्योंकि एक-दूसरे के साथ मैत्रीभाव से मेल नहीं करते हैं और पृथक्-पृथक् अपने-अपने पक्ष का ही राग अलापते रहते हैं, इसलिए न तो सम्यक्भाव को प्राप्त हो पाते हैं, और न अनेकान्तस्वरूप वस्तु के ज्ञापक ही हो पाते हैं, बल्कि वैरियों की भाँति एक-दूसरे के साथ विवाद करते रहने के कारण वस्तु के विघातक बन बैठते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Na samenti na cha sameya, sammattam neva vatthuno gamaga. Vatthuvighataya naya, virohao verino cheva\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Paraspara virodhi hone ke karana ye naya ya paksha kyomki eka-dusare ke satha maitribhava se mela nahim karate haim aura prithak-prithak apane-apane paksha ka hi raga alapate rahate haim, isalie na to samyakbhava ko prapta ho pate haim, aura na anekantasvarupa vastu ke jnyapaka hi ho pate haim, balki vairiyom ki bhamti eka-dusare ke satha vivada karate rahane ke karana vastu ke vighataka bana baithate haim. |