Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011378 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
15. अनेकान्त-अधिकार - (द्वैताद्वैत) |
Translated Chapter : |
15. अनेकान्त-अधिकार - (द्वैताद्वैत) |
Section : | 5. अनेकान्त की सार्वभौमिकता | Translated Section : | 5. अनेकान्त की सार्वभौमिकता |
Sutra Number : | 375 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | दुर्गा सप्तशती ।; देव्यथर्वशीर्षम् । | ||
Mool Sutra : | अहं ब्रह्मस्वरूपिणी। मत्तः प्रकृतिपुरुषात्मकं जगत्। शून्यं चाशून्यं च। अहमानन्दानानन्दौ। अहं विज्ञानाविज्ञाने। | ||
Sutra Meaning : | मैं ब्रह्मस्वरूपिणी हूँ। मुझसे ही प्रकृति पुरुषात्मक यह सद्रूप और असद्रूप जगत् उत्पन्न हुआ है। मैं आनन्दरूपा हूँ और अनानन्दरूपा भी। मैं विज्ञानरूपा हूँ और अविज्ञानरूपा भी। मैं जानने योग्य ब्रह्मस्वरूपा हूँ और अब्रह्मस्वरूपा भी। पंच महाभूत भी मैं हूँ और अपंच महाभूत भी। यह सारा दृश्य जगत् मैं ही हूँ। वेद और अवेद मैं हूँ। विद्या और अविद्या भी मैं हूँ। अजा और अनजा भी मैं हूँ। नीचे भी मैं हूँ तथा ऊपर तथा अगल-बगल भी मैं ही हूँ। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Aham brahmasvarupini. Mattah prakritipurushatmakam jagat. Shunyam chashunyam cha. Ahamanandananandau. Aham vijnyanavijnyane. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Maim brahmasvarupini hum. Mujhase hi prakriti purushatmaka yaha sadrupa aura asadrupa jagat utpanna hua hai. Maim anandarupa hum aura ananandarupa bhi. Maim vijnyanarupa hum aura avijnyanarupa bhi. Maim janane yogya brahmasvarupa hum aura abrahmasvarupa bhi. Pamcha mahabhuta bhi maim hum aura apamcha mahabhuta bhi. Yaha sara drishya jagat maim hi hum. Veda aura aveda maim hum. Vidya aura avidya bhi maim hum. Aja aura anaja bhi maim hum. Niche bhi maim hum tatha upara tatha agala-bagala bhi maim hi hum. |