Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000732 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्थ खण्ड – स्याद्वाद |
Translated Chapter : |
चतुर्थ खण्ड – स्याद्वाद |
Section : | ४१. समन्वयसूत्र | Translated Section : | ४१. समन्वयसूत्र |
Sutra Number : | 732 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | विशेषावश्यकभाष्य 2270 (2741) | ||
Mool Sutra : | जं पुण समत्तपज्जाय-वत्थुगमग त्ति समुदिया तेणं। सम्मत्तं चक्खुमओ, सव्वगयावयगहणे व्व।।११।। | ||
Sutra Meaning : | तथा जैसे हाथी के समस्त अवयवों के समुदाय को हाथी जाननेवाले चक्षुष्मान् (दृष्टिसम्पन्न) का ज्ञान सम्यक् होता है, वैसे ही समस्त नयों के समुदाय द्वारा वस्तु की समस्त पर्यायों को या उसके धर्मों को जाननेवाले का ज्ञान सम्यक् होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Jam puna samattapajjaya-vatthugamaga tti samudiya tenam. Sammattam chakkhumao, savvagayavayagahane vva..11.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Tatha jaise hathi ke samasta avayavom ke samudaya ko hathi jananevale chakshushman (drishtisampanna) ka jnyana samyak hota hai, vaise hi samasta nayom ke samudaya dvara vastu ki samasta paryayom ko ya usake dharmom ko jananevale ka jnyana samyak hota hai. |