Sutra Navigation: Mahanishith ( महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1018096 | ||
Scripture Name( English ): | Mahanishith | Translated Scripture Name : | महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-७ प्रायश्चित् सूत्रं चूलिका-१ एकांत निर्जरा |
Translated Chapter : |
अध्ययन-७ प्रायश्चित् सूत्रं चूलिका-१ एकांत निर्जरा |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 1396 | Category : | Chheda-06 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] प् अ अ ए ह इ म्, ज् अ ण् अ म् द् अ ण् उ ज् अ म् घ् अ ण् इ उ म् म् ए ह् इ म् त् इ व् इ क् क् अ म् उ, ण् आ ह् ई ह् इ म् प् अ व् व् अ ण् आ भ् उ, ह् इ अ ए ह् अ र् उ, भ् उ ए ह् इ म् म् अ ह् उ स् उ उ अ ण् उ, म् अ त्थ, अ इ द् ए उ अ ण् अ म् त् उ, ए ह इ म् अ त् थ् अ (ट् ठ् अ) स् इ क् ख् अ ण् अ म् घ् ए म् प् प् इ स् स् अ म्। [पाएहिं जणदणु, जंघ णिउम्मेहिं तिविक्कमु। नाहिहिं पव्वनाभु हियए हरु भुएहिं महुसुदणु। मत्थइ देउ अनंतु, एहिं अत्थ (ट्ठ) सिक्खणं घेप्पिस्सं।] य् अ स् एई, जण् आम् दे ण् उ ज् अ न् न ह्रा न इ उ म् म् ए इ इ म् त इ व इ क म उ ण् आ ह इ ए हु इ म् पव्वाण् आ ग ओ इ ह अ ए ह र् उ ह इ म् म ह सु उ उ अ ण् उ म् व इ द ए ओ आ ण् अ म् च उ ए ह म् इ म् इ म् व ट्ट इ सु ख् क् अ ल् अ म् घ् ए प् इ स् स् अ म् च उ। तओ एयाए पवर-विज्जाए विहीए अत्ताणगं समहिमंतिऊण इमे य सत्तक्खरे उत्तमंगोभय खंध कुच्छी चलणतलेसु णसेज्जा, तं जहा–अ उ म् [ओं] उत्तमंगे, क् उ [कु] वाम खंध गीवाए, र् उ [रु] वाम कुच्छीए, क् उ [कु] वाम चलणयले ल् ए [ले] दाहिण चलणयले, स् व् अ आ [स्वा] दाहिण कुच्छीए, ह् अ अ [हा] दाहिण खंध गीवाए। | ||
Sutra Meaning : | इस श्रेष्ठ विद्या से विधिवत् अपनी आत्मा को अच्छी तरह से अभिमंत्रित करके यह कहेंगे तो सात अक्षर से एक मस्तक, दो बाहू, कुक्षी, पाँव के तलवे – ऐसे सात स्थान में स्थापन करना वो इस प्रकार – ‘ऊं’ मस्तके, ‘कु’ – दाए खंभे की ग्रीवा पर, ‘रु’ दाईं कुक्षी के लिए, ‘कु’ – दाँए पाँव के तलवे के लिए, ‘ले’ – बाँये पाँव के तलवे के लिए, ‘स्वा’ बाँई कुक्षी के लिए, ‘हा’ बाँये खंभे की ग्रीवा के लिए स्थापित करना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] p a a e ha i m, j a n a m d a n u J a m gh a n i u m m e h i m T i v i k k a m u, N a h i h i m p a v v a n a bh u, H i a e h a r u, bh u e h i m m a h u s u u A n u, m a ttha, a i d e u a n a m t u, E ha i m a t th a (t th a) s i k kh a n a m gh e m p p i s s a m. [paehim janadanu, jamgha niummehim tivikkamu. Nahihim pavvanabhu hiyae haru bhuehim mahusudanu. Matthai deu anamtu, ehim attha (ttha) sikkhanam gheppissam.] Y a s ei, jan am de n u j a n na hra na i u m m e i i m ta i va i ka ma u n a ha i e hu i m pavvan a ga o i ha a e ha r u ha i m ma ha su u u a n u m va i da e o a n a m cha u e ha m i m i m va tta i su kh k a l a m gh e p i s s a m cha u. Tao eyae pavara-vijjae vihie attanagam samahimamtiuna ime ya sattakkhare uttamamgobhaya khamdha kuchchhi chalanatalesu nasejja, tam jaha–a u m [om] uttamamge, k u [ku] vama khamdha givae, r u [ru] vama kuchchhie, k u [ku] vama chalanayale l e [le] dahina chalanayale, s v a a [sva] dahina kuchchhie, h a a [ha] dahina khamdha givae. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Isa shreshtha vidya se vidhivat apani atma ko achchhi taraha se abhimamtrita karake yaha kahemge to sata akshara se eka mastaka, do bahu, kukshi, pamva ke talave – aise sata sthana mem sthapana karana vo isa prakara – ‘um’ mastake, ‘ku’ – dae khambhe ki griva para, ‘ru’ daim kukshi ke lie, ‘ku’ – dame pamva ke talave ke lie, ‘le’ – bamye pamva ke talave ke lie, ‘sva’ bami kukshi ke lie, ‘ha’ bamye khambhe ki griva ke lie sthapita karana. |