Sutra Navigation: Mahanishith ( महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1017148 | ||
Scripture Name( English ): | Mahanishith | Translated Scripture Name : | महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-२ कर्मविपाक प्रतिपादन |
Translated Chapter : |
अध्ययन-२ कर्मविपाक प्रतिपादन |
Section : | उद्देशक-३ | Translated Section : | उद्देशक-३ |
Sutra Number : | 448 | Category : | Chheda-06 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] मेहुणं चायुकायं च तेउकायं तहेव य। हवइ तम्हा तितयं ति जत्तेणं वज्जेज्जा सव्वहा मुनी॥ | ||
Sutra Meaning : | मैथुन, अप्काय और तेऊकाय इन तीन के सेवन से अबोधिक लाभ होता है। इसलिए मुनि को कोशीश करके सर्वथा इन तीनों का त्याग करना चाहिए। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] mehunam chayukayam cha teukayam taheva ya. Havai tamha titayam ti jattenam vajjejja savvaha muni. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Maithuna, apkaya aura teukaya ina tina ke sevana se abodhika labha hota hai. Isalie muni ko koshisha karake sarvatha ina tinom ka tyaga karana chahie. |