Sutra Navigation: Vyavaharsutra ( व्यवहारसूत्र )

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Sr No : 1013907
Scripture Name( English ): Vyavaharsutra Translated Scripture Name : व्यवहारसूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

Translated Chapter :

Section : उद्देशक-४ Translated Section : उद्देशक-४
Sutra Number : 107 Category : Chheda-03
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] आयरिय-उवज्झाए गिलायमाणे अन्नयरं वएज्जा–अज्जो! ममंसि णं कालगयंसि समाणंसि अयं समुक्कसियव्वे। से य समुक्कसणारिहे समुक्कसियव्वे, से य नो समुक्कसणारिहे नो समुक्कसियव्वे। अत्थियाइं त्थ अन्ने केइ समुक्कसणारिहे से समुक्क-सियव्वे, नत्थियाइं त्थ अन्ने केइ समुक्कसणारिहे से चेव समुक्कसियव्वे। तंसि च णं समुक्किट्ठंसि परो वएज्जा–दुस्समुक्किट्ठं ते अज्जो! निक्खिवाहि। तस्स णं निक्खिवमाणस्स नत्थि केइ छेए वा परिहारे वा। जे तं साहम्मिया अहाकप्पेणं नो उट्ठाए विहरंति सव्वेसिं तेसिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा।
Sutra Meaning : आचार्य – उपाध्याय बीमारी उत्पन्न हो तब या वेश छोड़कर जाए तब दूसरों को ऐसा कहे कि हे आर्य ! मैं काल करु तब इसे आचार्य की पदवी देना। वे यदि आचार्य पदवी देने के योग्य हो तो उसे पदवी देना। योग्य न हो तो न देना। यदि कोई दूसरे वो पदवी देने के लिए योग्य हो तो उसे देना, यदि कोई वो पदवी के लिए योग्य न हो तो पहले कहा उसे ही पदवी देना। पदवी देने के बाद कोई साधु ऐसा कहे कि हे आर्य ! तेरी यह पदवी दोषयुक्त है इसलिए छोड़ दो। ऐसा कहने से वो साधु पद छोड़ दे तो उसे दीक्षा का छेद या तप का प्रायश्चित्त नहीं होता। यदि पद छोड़ने योग्य हो और पदवी न छोड़े तो उन सबको और पदवीधर को दीक्षा का छेद या परिहारतप प्रायश्चित्त आता है। सूत्र – १०७, १०८
Mool Sutra Transliteration : [sutra] ayariya-uvajjhae gilayamane annayaram vaejja–ajjo! Mamamsi nam kalagayamsi samanamsi ayam samukkasiyavve. Se ya samukkasanarihe samukkasiyavve, se ya no samukkasanarihe no samukkasiyavve. Atthiyaim ttha anne kei samukkasanarihe se samukka-siyavve, natthiyaim ttha anne kei samukkasanarihe se cheva samukkasiyavve. Tamsi cha nam samukkitthamsi paro vaejja–dussamukkittham te ajjo! Nikkhivahi. Tassa nam nikkhivamanassa natthi kei chhee va parihare va. Je tam sahammiya ahakappenam no utthae viharamti savvesim tesim tappattiyam chhee va parihare va.
Sutra Meaning Transliteration : Acharya – upadhyaya bimari utpanna ho taba ya vesha chhorakara jae taba dusarom ko aisa kahe ki he arya ! Maim kala karu taba ise acharya ki padavi dena. Ve yadi acharya padavi dene ke yogya ho to use padavi dena. Yogya na ho to na dena. Yadi koi dusare vo padavi dene ke lie yogya ho to use dena, yadi koi vo padavi ke lie yogya na ho to pahale kaha use hi padavi dena. Padavi dene ke bada koi sadhu aisa kahe ki he arya ! Teri yaha padavi doshayukta hai isalie chhora do. Aisa kahane se vo sadhu pada chhora de to use diksha ka chheda ya tapa ka prayashchitta nahim hota. Yadi pada chhorane yogya ho aura padavi na chhore to una sabako aura padavidhara ko diksha ka chheda ya pariharatapa prayashchitta ata hai. Sutra – 107, 108