यदि साधु – साध्वी दो, तीन, चार या पाँच मास का प्रायश्चित्त स्थानक सेवन करके कपट रहित आलोवे तो उतने ही मास का प्रायश्चित्त दे, यदि कपट सहित आलोवे तो हर एक में एक – एक मास का ज्यादा प्रायश्चित्त यानि तीन, चार, पाँच, छ मास का प्रायश्चित्त। पाँच मास से ज्यादा प्रायश्चित्त स्थानक सेवन करनेवाले को माया रहित या माया सहित सेवन करे तो भी छ मास का ही प्रायश्चित्त, क्योंकि छ मास के ऊपर प्रायश्चित्त नहीं है।
सूत्र – २–५
Yadi sadhu – sadhvi do, tina, chara ya pamcha masa ka prayashchitta sthanaka sevana karake kapata rahita alove to utane hi masa ka prayashchitta de, yadi kapata sahita alove to hara eka mem eka – eka masa ka jyada prayashchitta yani tina, chara, pamcha, chha masa ka prayashchitta. Pamcha masa se jyada prayashchitta sthanaka sevana karanevale ko maya rahita ya maya sahita sevana kare to bhi chha masa ka hi prayashchitta, kyomki chha masa ke upara prayashchitta nahim hai.
Sutra – 2–5