पाँच साल के पर्यायवाले श्रमण – निर्ग्रन्थ यदि आचार – संयम, प्रवचन – गच्छ की सर्व फिक्र की प्रज्ञा – उपधि आदि के उपग्रह में कुशल हो, जिसका आचार छेदन – भेदन न हो, क्रोधादिक से जिसका चारित्र मलिन नहीं और फिर जो बहुसूत्री आगमज्ञाता है और जघन्य से दसा – कप्प – व्यवहार सूत्र के धारक हैं उन्हें यह पद देना न कल्पे।
सूत्र – ७०, ७१
Pamcha sala ke paryayavale shramana – nirgrantha yadi achara – samyama, pravachana – gachchha ki sarva phikra ki prajnya – upadhi adi ke upagraha mem kushala ho, jisaka achara chhedana – bhedana na ho, krodhadika se jisaka charitra malina nahim aura phira jo bahusutri agamajnyata hai aura jaghanya se dasa – kappa – vyavahara sutra ke dharaka haim unhem yaha pada dena na kalpe.
Sutra – 70, 71