[सूत्र] निग्गंथस्स तप्पढमयाए संपव्वयमाणस्स कप्पइ रयहरण गोच्छग पडिग्गहमायाए तिहिं कसिणेहिं वत्थेहिं आयाए संपव्वइत्तए।
से य पुव्वोवट्ठविए सिया, एवं से नो कप्पइ रयहरण गोच्छग पडिग्गहमायाए तिहिं कसिणेहिं वत्थेहिं आयाए संपव्वइत्तए, कप्पइ से अहापरिग्गहियाइं वत्थाइं गहाय आयाए संपव्वइत्तए।
Sutra Meaning :
पहली बार प्रव्रजित होनेवाले साधु को रजोहरण गुच्छा, पात्र और तीन अखंड़ वस्त्र, (साध्वी को चार अखंड़ वस्त्र) अपने साथ ले जाकर प्रव्रजित होना कल्पे, यदि पहले प्रव्रजित हुए हो तो न कल्पे लेकिन यथा परिगृहित वस्त्र लेकर आत्मभाव से प्रव्रजित होना कल्पे। (यहाँ दीक्षा – बड़ी दीक्षा के अनुसंधान में समझना।)
सूत्र – ९२, ९३
Mool Sutra Transliteration :
[sutra] niggamthassa tappadhamayae sampavvayamanassa kappai rayaharana gochchhaga padiggahamayae tihim kasinehim vatthehim ayae sampavvaittae.
Se ya puvvovatthavie siya, evam se no kappai rayaharana gochchhaga padiggahamayae tihim kasinehim vatthehim ayae sampavvaittae, kappai se ahapariggahiyaim vatthaim gahaya ayae sampavvaittae.
Sutra Meaning Transliteration :
Pahali bara pravrajita honevale sadhu ko rajoharana guchchha, patra aura tina akhamra vastra, (sadhvi ko chara akhamra vastra) apane satha le jakara pravrajita hona kalpe, yadi pahale pravrajita hue ho to na kalpe lekina yatha parigrihita vastra lekara atmabhava se pravrajita hona kalpe. (yaham diksha – bari diksha ke anusamdhana mem samajhana.)
Sutra – 92, 93