[सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सागारियपिंडं बहिया अनीहडं असंसट्ठं वा संसट्ठं वा पडिग्गाहित्तए।
Sutra Meaning :
साधु – साध्वी को सागारिक पिंड़ यानि वसति दाता के घर का आहार, जो घर के बाहर न ले गए हो और शायद दूसरों के वहाँ बने आहार के साथ मिश्र हुआ हो या न हुआ हो – उसे लेना न कल्पे, यदि घर के बाहर वो पिंड़ ले गए हो लेकिन दूसरों के वहाँ बने आहार के साथ मिश्र न हुआ हो तो भी लेना न कल्पे, लेकिन यदि मिश्र आहार हो तो लेना कल्पे, यदि वो पिंड़ बाहर के आहार के साथ मिश्रित न हो तो वो उसे मिश्र करना न कल्पे, यदि उसे मिश्रित करे, करवाए, करनेवाले की अनुमोदना करे तो वो लौकिक और लोकोत्तर मर्यादा का अतिक्रमण करते हुए अनुद्घातिक चातुर्मासिक परिहार तप समान प्रायश्चित्त के भागी होते हैं।
सूत्र – ६४–६८
Mool Sutra Transliteration :
[sutra] no kappai niggamthana va niggamthina va sagariyapimdam bahiya anihadam asamsattham va samsattham va padiggahittae.
Sutra Meaning Transliteration :
Sadhu – sadhvi ko sagarika pimra yani vasati data ke ghara ka ahara, jo ghara ke bahara na le gae ho aura shayada dusarom ke vaham bane ahara ke satha mishra hua ho ya na hua ho – use lena na kalpe, yadi ghara ke bahara vo pimra le gae ho lekina dusarom ke vaham bane ahara ke satha mishra na hua ho to bhi lena na kalpe, lekina yadi mishra ahara ho to lena kalpe, yadi vo pimra bahara ke ahara ke satha mishrita na ho to vo use mishra karana na kalpe, yadi use mishrita kare, karavae, karanevale ki anumodana kare to vo laukika aura lokottara maryada ka atikramana karate hue anudghatika chaturmasika parihara tapa samana prayashchitta ke bhagi hote haim.
Sutra – 64–68