[सूत्र] उवस्सयस्स अंतो वगडाए सुरावियडकुंभे वा सोवीरयवियडकुंभे वा उवनिक्खित्ते सिया, नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अहालंदमवि वत्थए। हुरत्था य उवस्सयं पडिलेहमाणे नो लभेज्जा, एवं से कप्पइ एगरायं वा दुरायं वा वत्थए, जे तत्थ एगरायाओ वा दुरायाओ वा परं वसति, से संतरा छेए वा परिहारे वा।
Sutra Meaning :
उपाश्रय के आँगन में मदिरा या मद्य के भरे घड़े रखे गए हो, अचित्त ऐसे ठंड़े या गर्म पानी के घड़े वहाँ भरे हो, वहाँ पूरी रात अग्नि सुलगता हो, जलता हो तो गीले हाथ की रेखा सूख जाए उतना काल रहना न कल्पे शायद गवेषणा करने के बावजूद भी दूसरा स्थान न मिले तो एक या दो रात्रि रहना कल्पे लेकिन यदि ज्यादा रहे तो जितने रात – दिन ज्यादा रहे उतना छेद या परिहार प्रायश्चित्त आए।
सूत्र – ५४–५७
Mool Sutra Transliteration :
[sutra] uvassayassa amto vagadae suraviyadakumbhe va sovirayaviyadakumbhe va uvanikkhitte siya, no kappai niggamthana va niggamthina va ahalamdamavi vatthae. Hurattha ya uvassayam padilehamane no labhejja, evam se kappai egarayam va durayam va vatthae, je tattha egarayao va durayao va param vasati, se samtara chhee va parihare va.
Sutra Meaning Transliteration :
Upashraya ke amgana mem madira ya madya ke bhare ghare rakhe gae ho, achitta aise thamre ya garma pani ke ghare vaham bhare ho, vaham puri rata agni sulagata ho, jalata ho to gile hatha ki rekha sukha jae utana kala rahana na kalpe shayada gaveshana karane ke bavajuda bhi dusara sthana na mile to eka ya do ratri rahana kalpe lekina yadi jyada rahe to jitane rata – dina jyada rahe utana chheda ya parihara prayashchitta ae.
Sutra – 54–57