[सूत्र] जे भिक्खू अंगादानं कक्केण वा लोद्देण वा पउमचुण्णेण वा न्हाणेण वा सिणाणेण वा वण्णेण वा चुण्णेण वा उव्वट्टेज्ज वा परिवट्टेज्ज वा, उव्वट्टेंतं वा परिवट्टेंतं वा सातिज्जति।
Sutra Meaning :
जो साधु – साध्वी जननांग को चन्दन आदि मिश्रित गन्धदार द्रव्य, लोघ्र नाम के सुगंधित द्रव्य या कमलपुष्प के चूर्ण आदि उद्वर्तन द्रव्य से सामान्य या विशेष तरह से स्नान करे, पीष्टी या विशेष तरह के चूर्ण द्वारा सामान्य या विशेष मर्दन करे, करवाए या मर्दन करनेवाले की अनुमोदना करे तो प्रायश्चित्त। जिस तरह धारवाले शस्त्र के पुरुषन से हाथ का छेद हो ऐसे गुप्त इन्द्रिय के मर्दन से संयम का छेद हो।
Mool Sutra Transliteration :
[sutra] je bhikkhu amgadanam kakkena va loddena va paumachunnena va nhanena va sinanena va vannena va chunnena va uvvattejja va parivattejja va, uvvattemtam va parivattemtam va satijjati.
Sutra Meaning Transliteration :
Jo sadhu – sadhvi jananamga ko chandana adi mishrita gandhadara dravya, loghra nama ke sugamdhita dravya ya kamalapushpa ke churna adi udvartana dravya se samanya ya vishesha taraha se snana kare, pishti ya vishesha taraha ke churna dvara samanya ya vishesha mardana kare, karavae ya mardana karanevale ki anumodana kare to prayashchitta. Jisa taraha dharavale shastra ke purushana se hatha ka chheda ho aise gupta indriya ke mardana se samyama ka chheda ho.