Sutra Navigation: Tandulvaicharika ( तंदुल वैचारिक )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1009264 | ||
Scripture Name( English ): | Tandulvaicharika | Translated Scripture Name : | तंदुल वैचारिक |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
धर्मोपदेश एवं फलं |
Translated Chapter : |
धर्मोपदेश एवं फलं |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 64 | Category : | Painna-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] आसी य खलु आउसो! पुव्विं मनुया ववगयरोगाऽऽयंका बहुवाससयसहस्सजीविणो। तं जहा–जुयलधम्मिया अरिहंता वा चक्कवट्टी वा बलदेवा वा वासुदेवा वा चारणा विज्जाहरा। ते णं मनुया अनतिवरसोमचारुरूवा भोगुत्तमा भोगलक्खणधरा सुजायसव्वंगसुंदरंगा रत्तु-प्पल-पउमकर-चरण-कोमलंगुलितला नग नगर मगर सागर चक्कंक-धरंक-लक्खणंकियतला सुपइट्ठियकुम्मचारुचलणा अनुपुव्विसुजाय पीवरं गुलिया उन्नय तनु तंब निद्धनहा संठिय सुसिलिट्ठ गूढगोप्फा एणी कुरुविंदवित्तवट्टाणुपुव्विजंघा सामुग्गनिमग्गगूढजाणू गयससणसुजायसन्निभोरू वरवारणमत्ततुल्लविक्कम-विलासियगई सुजायवरतुरयगुज्झदेसा आइन्नहउ व्व निरुवलेवा पमुइय-वरतुरग-सीहअइरेगवट्टियकडी साह-यसोणंद-मुसलदप्पण-निगरियवरकण गच्छरुसरिस वरवइर-वलियमज्झा गंगावत्तपयाहिणावत्ततरंगभंगुररविकिरणतरुणबोहियउक्को-सायंतपउमगंभीर वियड-नाभी उज्जुय समसहिय सुजाय जच्च तणु कसिण निद्ध आएज्ज लडह सुकुमाल मउय रमणिज्जरोमराई झस विहगसुजाय पीणकुच्छी झसोयरा पम्हवियडनाभा... ... संगयपासा सन्नयपासा सुंदरपासा सुजायपासा मियमाइय पीण रइयपासा अकरंडुय-कनगरुयग निम्मल सुजाय निरुवहयदेहधारी पसत्थबत्तीसलक्खणधरा कनगसिलायलुज्जलपसत्थ समतल उवचिय वित्थिन्नपिहुलवच्छा सिरिवच्छंकियवच्छा पुरवरफलिहवट्टियभुया भुयगीसर-विउलभोगआयाणफलिह-उच्छूढदीहबाहू जुगसन्निभपीण रइय पीवरपउट्ठसंठिय उवचिय घन थिर सुबद्ध सुवट्ट सुसिलिट्ठ लट्ठपव्वसंधी रत्ततलोवचिय मउय मंसल सुजाय लक्खणपसत्थ अच्छिद्द जालपाणी पीवर वट्टिय सुजाय कोमलवरंगुलिया तंब तलिण सुइ रुइर निद्धनक्खा चंदपाणिलेहा सूरपाणिलेहा संखपाणिलेहा चक्क-पाणिलेहा सोत्थियपाणिलेहा ससि रवि संख चक्क सोत्थिय-विभत्त सुविरइयपाणिलेहा वरमहिस वराह सीह सद्दूल उसभ नागवरविउल पडिपुन्न उन्नय मउदक्खंधा चउरंगुलसुपमाण कंबुवरसरिसगीवा अवट्ठिय सुविभत्त चित्तमंसू मंसल संठिय पसत्थ सद्दूलविउल-हनुया ओयवियसिलप्पवाल-बिंबफलसन्निभाधरुट्ठा पंडुरससिसगलविमल निम्मलसंख गोखीर कुंद दगरय मुणालियाधवलदंतसेढी अखंडदंता अफुडियदंता अविरलदंता सुनिद्धदंता सुजायदंता एगदंतसेढी विव अनेगदंता हुयवहनिद्धंत धोय तत्ततवणिज्जरत्ततल तालुजीहा... ... सारसनवथणियमहुरगंभीर कुंचनिग्घोस दुंदुहिसरा गरुलायय उज्जु तुंगनासा अवदारिअ-पुंडरीयवयणा कोकासियधवलपुंडरीयपत्तलच्छा आनामियचावरुइल किण्ह चिहुरराइसुसंठिय संगय आयय सुजायभुमया अल्लीण पमाणजुत्तसवणा सुसवणापीणमंसलकवोलदेसभागा अइरुग्गय समग्ग सुनिद्धचंदद्धसंठियनिडाला उडुवइपडिपुन्नसोमवयणा छत्तागारुत्तमंगदेसा घन निचिय सुबद्ध लक्खणुन्नय कूडागार [निभ-] निरुवमपिंडियऽग्गसिरा हुयवहनिद्धंत धोय तत्ततवणिज्जकेसंत-केसभूमी सामलीबोंडघणनिचियच्छोडिय मिउ विसय सुहुम लक्खणपसत्थ सुगंधि सुंदर भुयमोयग मिंग नील कज्जल पहट्ठभमरगणनिद्ध निउरंबनिचिय कुंचिय पयाहिणावत्तमुद्धसिरया लक्खण वंजणगुणोववेया मानुम्मानपमाणपडिपुन्नसुजायसव्वंगसुंदरंगा ससिसोमागारा कंता पियदंसणा सब्भावसिंगा-रचारुरूवा पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। ते णं मनुया ओहस्सरा मेहस्सरा हंसस्सरा कोंचस्सरा नंदिस्सरा नंदिघोसा सीहस्सरा सीहघोसा मंजुस्सरा मंजुघोसा सुस्सरा सुस्सरघोसा अनुलोमवाउवेगा कंकग्गहणी कवोयपरिणामा सउणिप्फोस-पिट्ठंतरोरुपरिणया पउमुप्पल गंधसरिसनीसासा सुरभिवयणा छवी निरायंका उत्तमपसत्थाऽइसेस निरुवमत जल्लमल कलंक सेय रय दोसवज्जियसरीरा निरुवलेवा छाया-उज्जोवियंगमंगा वज्जरिसहनारायसंघयणा समचउरंससंठाणसंठिया छधनुसहस्साइं उड्ढं उच्चत्तेणं पन्नत्ता। ते णं मनुया दो छप्पन्नपिट्ठकरंडगसया पन्नत्ता समणाउसो! ते णं मनुया पगइभद्दया पगइविनीया पगइउवसंता पगइपयणुकोह-मान-माया-लोभा मिउ-मद्दवसंपन्ना अल्लीणा भद्दया विनीया अप्पिच्छा असन्निहिसंचया अचंडा असि मसि किसी वाणिज्जविवज्जिया विडिमंतरनिवासिणो इच्छियकामकामिणो गेहागाररुक्खकयनिलया पुढवि पुप्फ फलाहारा, ते णं मनुयगणा पन्नत्ता। | ||
Sutra Meaning : | हे आयुष्मान् ! पूर्वकाल में युगलिक, अरिहंत चक्रवर्ती, बलदेव, वासुदेव चारण और विद्याधर आदि मानव रोग रहित होने से लाखों साल तक जीवन जीते थे। वो काफी सौम्य, सुन्दर रूपवाले, उत्तम भोग – भुगतनेवाला, उत्तम लक्षणवाले, सर्वांग सुन्दर शरीरवाले थे। उन के हाथ और पाँव के तालवे लाल कमल पत्र जैसे और कोमल थे। अंगुलीयाँ भी कोमल थी। पर्वत, नगर, मगरमच्छ, सागर एवम् चक्र आदि उत्तम और मंगल चिन्हों से युक्त थे। पाँव कछुए की तरह – सुप्रतिष्ठित और सुस्थित, जाँघ हीरनी और कुरुविन्द नाम के तृण की तरह वृत्ताकार गोढ़ण डिब्बे और उसके ढक्कन की सन्धि जैसे, साँथल हाथी की सोंढ़ की जैसी, गति उत्तम मदोन्मत्त हाथी जैसी विक्रम और विलास युक्त, गुह्य प्रदेश उत्तम जात के श्रेष्ठ घोड़े जैसा, कमर शेर की कमर से भी ज्यादा गोल, शरीर का मध्य हिस्सा समेटी हुई तीन – पाई, मूसल, दर्पण और शुद्ध किए गए उत्तम सोने के बने हुए खड्ग की मूढ़ और वज्र जैसे वलयाकार, नाभि गंगा के आवर्त्त और प्रदक्षिणावर्त्त, तरंग समूह जैसी, सूरज की किरणों से फैली हुई कमल जैसी गम्भीर और गूढ़, रोमराजी रमणीय, सुन्दर स्वाभाविक पतली, काली, स्निग्ध, प्रशस्त, लावण्ययुक्त अति कोमल, मृदु, कुक्षि, मत्स्य और पंछी की तरह उन्नत, उदर कमल समान विस्तीर्ण स्निग्ध और झुके हुए पीठवाला, अल्परोम युक्त ऐसे देह को पहले के मानव धारण करते हैं। जिसकी हड्डियाँ माँसयुक्त नजर नहीं आती, वह सोने जैसी निर्मल, सुन्दर रचनावाले, रोग आदि उपसर्ग रहित और प्रशस्त बत्तीस लक्षण से युक्त होते हैं। वक्षस्थल सोने की शिला जैसे उज्ज्वल, प्रशस्त, समतल, पुष्ट, विशाल और श्रीवत्स चिह्नवाले, भूजा नगर के दरवाजे की अर्गला के समान गोल, बाहु भुजंगेश्वर के विपुल शरीर और अपनी स्थान से नीकलनेवाले अर्गले की जैसी लटकी हुई, सन्धि मुग जोड जैसे, माँस – गूढ़, हृष्ट – पुष्ट – संस्थित – सुगठित – सुबद्ध – नाड़ी से कसे हुए – ठोस, सीधे, गोल, सुश्लिष्ट, सुन्दर और दृढ, हाथ हथेलीवाले, पुष्ट कोमल – मांसल सुन्दर बने हुए – प्रशस्त लक्षणवाले, अंगुली पुष्ट – छिद्ररहित – कोमल और उत्तम, नाखून – ताम्र जैसे रंग के पतले – स्वच्छ – कान्तिवाले सुन्दर और स्निग्ध, हाथ की रेखाएं चन्द्रमा सूर्य – शंख – चक्र और स्वस्तिक आदि शुभ लक्षणवाली और सुविरचित, खंभे उत्तम भेंस, सुवर, शेर, वाघ, साँल, हाथी के खंभे जैसे विपुल – परिपूर्ण – उन्नत और मृदु, गला चार आंगल सुपरिमित और शंख जैसी उत्तम, दाढ़ी – मूँछ अवस्थित और साफ, डोढ़ी पुष्ट, मांसल, सुन्दर और वाघ जैसी विस्तीर्ण, होठ संशुद्ध, मृगा और बिम्ब के फल जैसे लाल रंग के, दन्त पंक्ति चन्द्रमा जैसी निर्मल – शंख – गाय के दूध के फीण, कुन्दपुष्प, जलकण और मृणालनाल की तरह श्वेत, दाँत अखंड़ सुडोल, अविरल अति स्निग्ध और सुन्दर, एक समान, तलवे और जिह्वा का तल अग्नि में तपे हुए स्वच्छ सोने जैसा, स्वर सारस पंछी जैसा मधुर, नवीन मेघ की दहाड़ जैसा गम्भीर और क्रोंच पंछी के आवाज जैसी – दुन्दुभि युक्त, नाक गरुड़ की चोंच जैसा लम्बा, सीधा और उन्नत, मुख विकसित कमल जैसा आँख पद्म कमल जैसी विकसित धवल – कमलपत्र जैसी स्वच्छ, भँवर थोड़े से झुके हुए धनुष जैसी, सुन्दर पंक्ति युक्त काले मेघ जैसी – उचित मात्रा में लम्बी और सुन्दर – कान कुछ हद तक शरीर को चिपककर प्रमाण युक्त गोल और आसपास का हिस्सा माँसल युक्त और पुष्ट, ललाट अर्ध चन्द्रमा जैसा संस्थित, मुख परिपूर्ण चन्द्रमा जैसा, सौम्य, मस्तक छत्र जैसा उभरता, सिर का अग्रभाग मुद्गर जैसा, सुदृढ नाडी से बद्ध – उन्नत लक्षण से युक्त और उन्नत शिखर युक्त, सिर की चमड़ी अग्नि में तपे हुए स्वच्छ सोने जैसी लाल, सिर के बाल शाल्मली पेड़ के फल जैसे घने, प्रमाणोपेत, बारीक, कोमल, सुन्दर, निर्मल, स्निग्ध, प्रशस्त लक्षणवाले, खुशबूदार, भुज – भोजक रत्न, नीलमणी और काजल जैसे काले हर्षित भ्रमर के झुंड के समूह की तरह, घुंघराले दक्षिणावर्त्त होते हैं। वो उत्तम लक्षण, व्यंजन, गण से परिपूर्ण – प्रमाणोपेत मान – उन्मान, सर्वांग सुन्दर, चन्द्रमा समान सौम्य आकृतिवाले, प्रियदर्शी स्वाभाविक शृंगार से सुन्दरतायुक्त, देखने के लायक, दर्शनीय, अभिरूप और प्रतिरूप होते हैं। यह मानव का स्वर अक्षरित, मेघ समान, हंस समान, क्रोंच पंछी, नंदी – नंदीघोष, सिंह – सिंहघोष, दिशा – कुमार देव का घंट – उदधि कुमार देव का घंट, इन सबके समान स्वर होते हैं। शरीर में वायु के अनुकूल वेगवाले कबूतर जैसे स्वभाववाले, शकुनि पंछी जैसे निर्लेप मल द्वारवाले, पीठ और पेट के नीचे सुगठित दोनों पार्श्वभाग एवं परिणामोपेत जंघावाले पद्मकमल या नीलकमल जैसे सुगंधित मुखवाले, तेजयुक्त, निरोगी, उत्तम प्रशस्त, अति श्वेत, अनुपम जल – मल – दाग, पसीना और रजरहित शरीरवाले अति स्वच्छ और उद्योतियुक्त शरीरवाले, व्रजऋषभ – नाराच – संघयणवाले, समचतुरस्र संस्थान से संस्थित और छ हजार धनुष ऊंचाईवाले बताए गए हैं। हे आयुष्मान् श्रमण ! वो मानव २५६ पृष्ठ हड्डियाँ वाले बताए हैं। यह मानव स्वभाव से सरल प्रकृति से विनीत, विकार रहित, अल्प क्रोध – मान, माया – लोभवाले, मृदु और मार्दवता युक्त, तल्लीन, सरल, विनित, अल्प ईच्छावाले, अल्प संग्रही, शान्त स्वभावी। असिमसि – कृषि व्यापाररहित, गृहाकार पेड़ की शाखा पे निवास करनेवाले, ईच्छित विषयाभिलासी, कल्पवृक्ष के पृथ्वी फल और पुष्प का आहार करते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] asi ya khalu auso! Puvvim manuya vavagayarogayamka bahuvasasayasahassajivino. Tam jaha–juyaladhammiya arihamta va chakkavatti va baladeva va vasudeva va charana vijjahara. Te nam manuya anativarasomacharuruva bhoguttama bhogalakkhanadhara sujayasavvamgasumdaramga rattu-ppala-paumakara-charana-komalamgulitala naga nagara magara sagara chakkamka-dharamka-lakkhanamkiyatala supaitthiyakummacharuchalana anupuvvisujaya pivaram guliya unnaya tanu tamba niddhanaha samthiya susilittha gudhagoppha eni kuruvimdavittavattanupuvvijamgha samugganimaggagudhajanu gayasasanasujayasannibhoru varavaranamattatullavikkama-vilasiyagai sujayavaraturayagujjhadesa ainnahau vva niruvaleva pamuiya-varaturaga-sihaairegavattiyakadi saha-yasonamda-musaladappana-nigariyavarakana gachchharusarisa varavaira-valiyamajjha gamgavattapayahinavattataramgabhamguraravikiranatarunabohiyaukko-sayamtapaumagambhira viyada-nabhi ujjuya samasahiya sujaya jachcha tanu kasina niddha aejja ladaha sukumala mauya ramanijjaromarai jhasa vihagasujaya pinakuchchhi jhasoyara pamhaviyadanabha.. .. Samgayapasa sannayapasa sumdarapasa sujayapasa miyamaiya pina raiyapasa akaramduya-kanagaruyaga nimmala sujaya niruvahayadehadhari pasatthabattisalakkhanadhara kanagasilayalujjalapasattha samatala uvachiya vitthinnapihulavachchha sirivachchhamkiyavachchha puravaraphalihavattiyabhuya bhuyagisara-viulabhogaayanaphaliha-uchchhudhadihabahu jugasannibhapina raiya pivarapautthasamthiya uvachiya ghana thira subaddha suvatta susilittha latthapavvasamdhi rattatalovachiya mauya mamsala sujaya lakkhanapasattha achchhidda jalapani pivara vattiya sujaya komalavaramguliya tamba talina sui ruira niddhanakkha chamdapanileha surapanileha samkhapanileha chakka-panileha sotthiyapanileha sasi ravi samkha chakka sotthiya-vibhatta suviraiyapanileha varamahisa varaha siha saddula usabha nagavaraviula padipunna unnaya maudakkhamdha chauramgulasupamana kambuvarasarisagiva avatthiya suvibhatta chittamamsu mamsala samthiya pasattha saddulaviula-hanuya oyaviyasilappavala-bimbaphalasannibhadharuttha pamdurasasisagalavimala nimmalasamkha gokhira kumda dagaraya munaliyadhavaladamtasedhi akhamdadamta aphudiyadamta aviraladamta suniddhadamta sujayadamta egadamtasedhi viva anegadamta huyavahaniddhamta dhoya tattatavanijjarattatala talujiha.. .. Sarasanavathaniyamahuragambhira kumchanigghosa dumduhisara garulayaya ujju tumganasa avadaria-pumdariyavayana kokasiyadhavalapumdariyapattalachchha anamiyachavaruila kinha chihuraraisusamthiya samgaya ayaya sujayabhumaya allina pamanajuttasavana susavanapinamamsalakavoladesabhaga airuggaya samagga suniddhachamdaddhasamthiyanidala uduvaipadipunnasomavayana chhattagaruttamamgadesa ghana nichiya subaddha lakkhanunnaya kudagara [nibha-] niruvamapimdiyaggasira huyavahaniddhamta dhoya tattatavanijjakesamta-kesabhumi samalibomdaghananichiyachchhodiya miu visaya suhuma lakkhanapasattha sugamdhi sumdara bhuyamoyaga mimga nila kajjala pahatthabhamaragananiddha niurambanichiya kumchiya payahinavattamuddhasiraya lakkhana vamjanagunovaveya manummanapamanapadipunnasujayasavvamgasumdaramga sasisomagara kamta piyadamsana sabbhavasimga-racharuruva pasaiya darisanijja abhiruva padiruva. Te nam manuya ohassara mehassara hamsassara komchassara namdissara namdighosa sihassara sihaghosa mamjussara mamjughosa sussara sussaraghosa anulomavauvega kamkaggahani kavoyaparinama saunipphosa-pitthamtaroruparinaya paumuppala gamdhasarisanisasa surabhivayana chhavi nirayamka uttamapasatthaisesa niruvamata jallamala kalamka seya raya dosavajjiyasarira niruvaleva chhaya-ujjoviyamgamamga vajjarisahanarayasamghayana samachauramsasamthanasamthiya chhadhanusahassaim uddham uchchattenam pannatta. Te nam manuya do chhappannapitthakaramdagasaya pannatta samanauso! Te nam manuya pagaibhaddaya pagaiviniya pagaiuvasamta pagaipayanukoha-mana-maya-lobha miu-maddavasampanna allina bhaddaya viniya appichchha asannihisamchaya achamda asi masi kisi vanijjavivajjiya vidimamtaranivasino ichchhiyakamakamino gehagararukkhakayanilaya pudhavi puppha phalahara, te nam manuyagana pannatta. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He ayushman ! Purvakala mem yugalika, arihamta chakravarti, baladeva, vasudeva charana aura vidyadhara adi manava roga rahita hone se lakhom sala taka jivana jite the. Vo kaphi saumya, sundara rupavale, uttama bhoga – bhugatanevala, uttama lakshanavale, sarvamga sundara shariravale the. Una ke hatha aura pamva ke talave lala kamala patra jaise aura komala the. Amguliyam bhi komala thi. Parvata, nagara, magaramachchha, sagara evam chakra adi uttama aura mamgala chinhom se yukta the. Pamva kachhue ki taraha – supratishthita aura susthita, jamgha hirani aura kuruvinda nama ke trina ki taraha vrittakara gorhana dibbe aura usake dhakkana ki sandhi jaise, samthala hathi ki somrha ki jaisi, gati uttama madonmatta hathi jaisi vikrama aura vilasa yukta, guhya pradesha uttama jata ke shreshtha ghore jaisa, kamara shera ki kamara se bhi jyada gola, sharira ka madhya hissa sameti hui tina – pai, musala, darpana aura shuddha kie gae uttama sone ke bane hue khadga ki murha aura vajra jaise valayakara, nabhi gamga ke avartta aura pradakshinavartta, taramga samuha jaisi, suraja ki kiranom se phaili hui kamala jaisi gambhira aura gurha, romaraji ramaniya, sundara svabhavika patali, kali, snigdha, prashasta, lavanyayukta ati komala, mridu, kukshi, matsya aura pamchhi ki taraha unnata, udara kamala samana vistirna snigdha aura jhuke hue pithavala, alparoma yukta aise deha ko pahale ke manava dharana karate haim. Jisaki haddiyam mamsayukta najara nahim ati, vaha sone jaisi nirmala, sundara rachanavale, roga adi upasarga rahita aura prashasta battisa lakshana se yukta hote haim. Vakshasthala sone ki shila jaise ujjvala, prashasta, samatala, pushta, vishala aura shrivatsa chihnavale, bhuja nagara ke daravaje ki argala ke samana gola, bahu bhujamgeshvara ke vipula sharira aura apani sthana se nikalanevale argale ki jaisi lataki hui, sandhi muga joda jaise, mamsa – gurha, hrishta – pushta – samsthita – sugathita – subaddha – nari se kase hue – thosa, sidhe, gola, sushlishta, sundara aura dridha, hatha hathelivale, pushta komala – mamsala sundara bane hue – prashasta lakshanavale, amguli pushta – chhidrarahita – komala aura uttama, nakhuna – tamra jaise ramga ke patale – svachchha – kantivale sundara aura snigdha, hatha ki rekhaem chandrama surya – shamkha – chakra aura svastika adi shubha lakshanavali aura suvirachita, khambhe uttama bhemsa, suvara, shera, vagha, samla, hathi ke khambhe jaise vipula – paripurna – unnata aura mridu, gala chara amgala suparimita aura shamkha jaisi uttama, darhi – mumchha avasthita aura sapha, dorhi pushta, mamsala, sundara aura vagha jaisi vistirna, hotha samshuddha, mriga aura bimba ke phala jaise lala ramga ke, danta pamkti chandrama jaisi nirmala – shamkha – gaya ke dudha ke phina, kundapushpa, jalakana aura mrinalanala ki taraha shveta, damta akhamra sudola, avirala ati snigdha aura sundara, eka samana, talave aura jihva ka tala agni mem tape hue svachchha sone jaisa, svara sarasa pamchhi jaisa madhura, navina megha ki dahara jaisa gambhira aura kromcha pamchhi ke avaja jaisi – dundubhi yukta, naka garura ki chomcha jaisa lamba, sidha aura unnata, mukha vikasita kamala jaisa Amkha padma kamala jaisi vikasita dhavala – kamalapatra jaisi svachchha, bhamvara thore se jhuke hue dhanusha jaisi, sundara pamkti yukta kale megha jaisi – uchita matra mem lambi aura sundara – kana kuchha hada taka sharira ko chipakakara pramana yukta gola aura asapasa ka hissa mamsala yukta aura pushta, lalata ardha chandrama jaisa samsthita, mukha paripurna chandrama jaisa, saumya, mastaka chhatra jaisa ubharata, sira ka agrabhaga mudgara jaisa, sudridha nadi se baddha – unnata lakshana se yukta aura unnata shikhara yukta, sira ki chamari agni mem tape hue svachchha sone jaisi lala, sira ke bala shalmali pera ke phala jaise ghane, pramanopeta, barika, komala, sundara, nirmala, snigdha, prashasta lakshanavale, khushabudara, bhuja – bhojaka ratna, nilamani aura kajala jaise kale harshita bhramara ke jhumda ke samuha ki taraha, ghumgharale dakshinavartta hote haim. Vo uttama lakshana, vyamjana, gana se paripurna – pramanopeta mana – unmana, sarvamga sundara, chandrama samana saumya akritivale, priyadarshi svabhavika shrimgara se sundaratayukta, dekhane ke layaka, darshaniya, abhirupa aura pratirupa hote haim. Yaha manava ka svara aksharita, megha samana, hamsa samana, kromcha pamchhi, namdi – namdighosha, simha – simhaghosha, disha – kumara deva ka ghamta – udadhi kumara deva ka ghamta, ina sabake samana svara hote haim. Sharira mem vayu ke anukula vegavale kabutara jaise svabhavavale, shakuni pamchhi jaise nirlepa mala dvaravale, pitha aura peta ke niche sugathita donom parshvabhaga evam parinamopeta jamghavale padmakamala ya nilakamala jaise sugamdhita mukhavale, tejayukta, nirogi, uttama prashasta, ati shveta, anupama jala – mala – daga, pasina aura rajarahita shariravale ati svachchha aura udyotiyukta shariravale, vrajarishabha – naracha – samghayanavale, samachaturasra samsthana se samsthita aura chha hajara dhanusha umchaivale batae gae haim. He ayushman shramana ! Vo manava 256 prishtha haddiyam vale batae haim. Yaha manava svabhava se sarala prakriti se vinita, vikara rahita, alpa krodha – mana, maya – lobhavale, mridu aura mardavata yukta, tallina, sarala, vinita, alpa ichchhavale, alpa samgrahi, shanta svabhavi. Asimasi – krishi vyapararahita, grihakara pera ki shakha pe nivasa karanevale, ichchhita vishayabhilasi, kalpavriksha ke prithvi phala aura pushpa ka ahara karate haim. |