Sutra Navigation: Nirayavalika ( निरयावलिकादि सूत्र )

Search Details

Mool File Details

Anuvad File Details

Sr No : 1008007
Scripture Name( English ): Nirayavalika Translated Scripture Name : निरयावलिकादि सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

अध्ययन-१ काल

Translated Chapter :

अध्ययन-१ काल

Section : Translated Section :
Sutra Number : 7 Category : Upang-08
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तए णं तीसे कालीए देवीए अन्नया कयाइ कुडुंबजागरियं जागरमाणीए अयमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मनोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था– एवं खलु ममं पुत्ते काले कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहिं तिहिं आससहस्सेहिं तिहिं रहसहस्सेहिं तिहिं मनुयकोडीहिं गरुलव्वूहे एक्कारसमेणं खंडेणं कूणिएणं रन्ना सद्धिं रहमुसलं संगामं ओयाए– से मन्ने किं जइस्सइ? नो जइस्सइ? जीविस्सइ? पराजिणिस्सइ? नो पराजिणिस्सइ? कालं णं कुमारं अहं जीवमाणं पासिज्जा? ओहयमन संकप्पा करयलपल्हत्थ- मुही अट्टज्झाणोवगया ओमंथियवयणनयनकमला दीनविवन्नवयणा झियाइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसरिए। परिसा निग्गया। तए णं तीसे कालीए देवीए इमीसे कहाए लद्धट्ठाए समाणीए अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था–एवं खलु समणे भगवं महावीरे पुव्वानुपुव्विं चरमाणे गामानुगामं दूइज्जमाणे इहमागते जाव विहरइ, तं महाफलं खलु तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमन-वंदन-नमंसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए? एगस्स वि आरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए? तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वंदामि नमंसामि सक्कारेमि सम्मानेमि कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामि। इमं च णं एयारूवं वागरणं पुच्छिस्सामित्तिकट्टु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी– खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! धम्मियं जानप्पवरं जुत्तमेव उवट्ठवेह, उवट्ठवेत्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह। तए णं ते कोडुंबियपुरिसा तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति। तए णं सा काली देवी ण्हाया कयबलिकम्मा कयकोउय मंगल पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाइं मंगलाइं वत्थाइं पवर परिहिया अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा बहूहिं खुज्जाहिं जाव महत्तरगवंद-परिक्खित्ता अंतेउराओ निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जानप्पवरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धम्मियं जानप्पवरं दुरुहइ, दुरुहित्ता नियगपरि-यालसंपरिवुडा चंपं नयरिं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ, ... ...निग्गच्छित्ता जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता छत्तादीए तित्थयरा-तिसए पासइ, पासित्ता धम्मियं जानप्पवरं ठवेइ, ठवेत्ता धम्मियाओ जानप्पवराओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता बहूहिं खुज्जाहिं जाव महत्तरगवंदपरिक्खित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता ठिया चेव सपरिवारा सुस्सूसमाणी नमंसमाणी अभिमुहा विनएणं पंजलिउडा पज्जुवासइ। तए णं समणे भगवं महावीरे कालीए देवीए तीसे य महइमहालियाए इसिपरिसाए धम्मं परिकहेइ जाव एयस्स धम्मस्स सिक्खाए उवट्ठिए समणोवासए वा समणोवासिया वा विहरमाणे आणाए आराहए भवइ। तए णं सा काली देवी समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठ-चित्तमानंदिया पीइमणा परमसोमनस्सिया हरिसवस विसप्पमाणहियया समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेति, करेत्ता वंदति नमंसति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी– एवं खलु भंते! मम पुत्ते काले कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहिं तिहिं आससहस्सेहिं तिहिं रहस-हस्सेहिं तिहिं मनुयकोडीहिं गरुलव्वूहे एक्कारसमेणं खंडेणं कूणिएणं रन्ना सद्धिं रहमुसलं संगामं ओयाए– से णं भंते! किं जइस्सइ? नो जइस्सइ? जीविस्सइ? नो जीविस्सइ? पराजिणिस्सइ? नो पराजिणिस्सइ? कालं णं कुमारं अहं जीवमाणं पासेज्जा? कालीइ! समणे भगवं महावीरे कालिं देविं एवं वयासी– एवं खलु काली! तव पुत्ते काले कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहिं जाव कूणिएणं रन्ना सद्धिं रहमुसलं संगामं संगामेमाणे हयमहिय-पवर-वीरघाइय-निवडियचिंधज्झयपडागे निरालोयाओ दिसाओ करेमाणे चेडगस्स रन्नो सपक्खं सपडि-दिसिं रहेणं पडिरहं हव्वमागए। तए णं से चेडए राया कालं कुमारं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता आसुरुत्ते रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिउडिं निलाडे साहट्टु धनुं परामुसइ, परामुसित्ता उसुं परामुसइ, परामुसित्ता वइसाहं ठाणं ठाइ, ठिच्चा आयय-कण्णाययं उसुं करेइ, करेत्ता कालं कुमारं एगाहच्चं कूडाहच्चं जीवियाओ ववरोवेइ। तं कालगए णं काली! काले कुमारे, नो चेव णं तुमं कालं कुमारं जीवमाणं पासिहिसि। तए णं सा काली देवी समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं एयमट्ठं सोच्चा निसम्म महया पुत्तसोएण अप्फुण्णा समाणी परसुनियत्ता विव चंपगलया धसत्ति धरणीयलंसि सव्वंगेहिं संनिवडिया। तए णं सा काली देवी मुहुत्तंतरेणं आसत्था समाणी उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी– एवमेयं भंते! तहमेयं भंते! अवितहमेयं भंते! असंदिद्ध-मेयं भंते! सच्चे णं! एसमट्ठे से जहेयं तुब्भे वदहत्ति कट्टु समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता तमेव धम्मियं जानप्पवरं दुरुहइ, दुरुहित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया।
Sutra Meaning : तब एक बार अपने कुटुम्ब – परिवार की स्थिति पर विचार करते हुए काली देवी के मन में इस प्रकार का संकल्प उत्पन्न हुआ – ‘मेरा पुत्रकुमार काल ३००० हाथियों आदि को लेकर यावत्‌ रथमूसल संग्राम में प्रवृत्त हुआ है। तो क्या वह विजय प्राप्त करेगा अथवा नहीं ? वह जीवित रहेगा अथवा नहीं ? शत्रु को पराजित करेगा या नहीं ? क्या मैं काल कुमार को जीवित देख सकूँगी ?’ इत्यादि विचारों से वह उदास हो गई। निरुत्साहित – सी होती हुई यावत्‌ आर्तध्यान में डूब गई। उसी समय में श्रमण भगवान्‌ महावीर का चम्पा नगरी में पदार्पण हुआ। वन्दना – नमस्कार करने एवं धर्मोपदेश सूनने के लिए जन – परिषद्‌ निकली। तब वह काली देवी भी इस संवाद को जान कर हर्षित हुई और उसे इस प्रकार का आन्तरिक यावत्‌ संकल्प – विचार उत्पन्न हुआ। तथारूप श्रमण भगवंतों का नामश्रवण ही महान्‌ फलप्रद है तो उन के समीप पहुँच कर वन्दन – नमस्कार करने के फल के विषय में तो कहना ही क्या है ? यावत्‌ मैं श्रमण भगवान्‌ के समीप जाऊं, यावत्‌ उनकी पर्युपासना करूँ और उनसे पूर्वोल्लिखित प्रश्न पूछूँ। काली रानी ने कौटुम्बिक पुरुषों – को बुलाया। आज्ञा दी – ‘देवानुप्रियों ! शीघ्र ही धार्मिक कार्यों में प्रयोग किये जाने वाले श्रेष्ठ रथ को जोत कर लाओ।’ तत्पश्चात्‌ स्नान कर एवं बलिकर्म कर काली देवी यावत्‌ महामूल्यवान्‌ किन्तु अल्प आभूषणों से विभूषित हो अनेक कुब्जा दासियों यावत्‌ महत्तरकवृन्द को साथ लेकर अन्तःपुर से निकली। अपने परिजनों एवं परिवार से परिवेष्टित होकर जहाँ पूर्णभद्र चैत्य था, वहाँ पहुँची। तीर्थंकरों के छत्रादि अतिशयों – प्रातिहार्यों के दृष्टिगत होते ही धार्मिक श्रेष्ठ रथ को रोका। धार्मिक श्रेष्ठ रथ से नीचे उतरी और श्रमण भगवान्‌ महावीर बिराजमान थे, वहाँ पहुँची। तीन बार आदक्षिण प्रदक्षिणा करके वन्दना – नमस्कार किया और वहीं बैठ कर सपरिवार भगवान्‌ की देशना सूनने के लिए उत्सुक होकर विनयपूर्वक पर्युपासना करने लगी। तत्पश्चात्‌ श्रमण भगवान्‌ ने यावत्‌ उस काली देवी और विशाल जनपरिषद्‌ को धर्मदेशना सुनाई इस के बाद श्रमण भगवान्‌ महावीर से धर्मश्रवण कर और उसे हृदय में अवधारित कर काली रानी ने हर्षित, संतुष्ट यावत्‌ विकसित हृदय होकर श्रमण भगवान्‌ को तीन बार वंदन – नमस्कार करके कहा – भदन्त ! मेरा पुत्र काल कुमार रथमूसल संग्राम में प्रवृत्त हुआ है, तो क्या वह विजयी होगा अथवा नहीं ? यावत्‌ क्या मैं काल कुमार को जीवित देख सकूँगी ? श्रमण भगवान्‌ ने काली देवी से कहा – काली ! तुम्हारा पुत्र कालकुमार, जो यावत्‌ कूणिक राजा के साथ रथमूसल संग्राम में जूझते हुए वीरवरों को आहत, मर्दित, घातित करते हुए और उनकी संकेतसूचक ध्वजा – पताकाओं को भूमिसात्‌ करते हुए – दिशा विदिशाओं को आलोकशून्य करते हुए रथ से रथ को अड़ाते हुए चेटक राजा के सामने आया। तब चेटक राजा क्रोधाभिभूत हो यावत्‌ मिस – मिसाते हुए धनुष को उठाया। बाण को हाथ में लिया, धनुष पर बाण चढ़ाया, उसे कान तक खींचा और एक ही बार में आहत करके, रक्तरंजित करके निष्प्राण कर दिया। अतएव है काली वह कालकुमार मरण को प्राप्त हो गया है। अब तुम कालकुमार को जीवित नहीं देख सकती हो। श्रमण भगवान्‌ महावीर के इस कथन को सूनकर और हृदय में धारण करके काली रानी घोर पुत्र – शोक से अभिभूत, चम्पकलता के समान पछाड़ खाकर धड़ाम – से सर्वांगों से पृथ्वी पर गिर पड़ी। कुछ समय के पश्चात्‌ जब काली देवी कुछ आश्वस्त – हुई तब खड़ी हुई और भगवान्‌ को वंदन – नमस्कार कर के इस प्रकार कहा – ‘भगवन्‌ ! यह इसी प्रकार है, भगवन्‌ ! ऐसा ही है, भगवन्‌ ! यह अवितथ है। असंदिग्ध है। यह सत्य है। यह बात ऐसी ही है, जैसी आपने बतलाई है। उसने श्रमण भगवान्‌ को पुनः वंदन – नमस्कार किया। उसी धार्मिक यान पर आरूढ होकर, वापिस लौट गई।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tae nam tise kalie devie annaya kayai kudumbajagariyam jagaramanie ayameyaruve ajjhatthie chimtie patthie manogae samkappe samuppajjittha– evam khalu mamam putte kale kumare tihim damtisahassehim tihim asasahassehim tihim rahasahassehim tihim manuyakodihim garulavvuhe ekkarasamenam khamdenam kunienam ranna saddhim rahamusalam samgamam oyae– se manne kim jaissai? No jaissai? Jivissai? Parajinissai? No parajinissai? Kalam nam kumaram aham jivamanam pasijja? Ohayamana samkappa karayalapalhattha- muhi attajjhanovagaya omamthiyavayananayanakamala dinavivannavayana jhiyai. Tenam kalenam tenam samaenam samane bhagavam mahavire samosarie. Parisa niggaya. Tae nam tise kalie devie imise kahae laddhatthae samanie ayameyaruve ajjhatthie java samuppajjittha–evam khalu samane bhagavam mahavire puvvanupuvvim charamane gamanugamam duijjamane ihamagate java viharai, tam mahaphalam khalu taharuvanam arahamtanam bhagavamtanam namagoyassa vi savanayae, kimamga puna abhigamana-vamdana-namamsana-padipuchchhana-pajjuvasanayae? Egassa vi ariyassa dhammiyassa suvayanassa savanayae, kimamga puna viulassa atthassa gahanayae? Tam gachchhami nam samanam bhagavam mahaviram vamdami namamsami sakkaremi sammanemi kallanam mamgalam devayam cheiyam pajjuvasami. Imam cha nam eyaruvam vagaranam puchchhissamittikattu evam sampehei, sampehetta kodumbiyapurise saddavei, saddavetta evam vayasi– khippameva bho devanuppiya! Dhammiyam janappavaram juttameva uvatthaveha, uvatthavetta eyamanattiyam pachchappinaha. Tae nam te kodumbiyapurisa tamanattiyam pachchappinamti. Tae nam sa kali devi nhaya kayabalikamma kayakouya mamgala payachchhitta suddhappavesaim mamgalaim vatthaim pavara parihiya appamahagghabharanalamkiyasarira bahuhim khujjahim java mahattaragavamda-parikkhitta amteurao niggachchhai, niggachchhitta jeneva bahiriya uvatthanasala jeneva dhammie janappavare teneva uvagachchhai, uvagachchhitta dhammiyam janappavaram duruhai, duruhitta niyagapari-yalasamparivuda champam nayarim majjhammajjhenam niggachchhai,.. ..Niggachchhitta jeneva punnabhadde cheie teneva uvagachchhai, uvagachchhitta chhattadie titthayara-tisae pasai, pasitta dhammiyam janappavaram thavei, thavetta dhammiyao janappavarao pachchoruhai, pachchoruhitta bahuhim khujjahim java mahattaragavamdaparikkhitta jeneva samane bhagavam mahavire teneva uvagachchhai, uvagachchhitta samanam bhagavam mahaviram tikkhutto ayahina-payahinam karei, karetta vamdai namamsai, vamditta namamsitta thiya cheva saparivara sussusamani namamsamani abhimuha vinaenam pamjaliuda pajjuvasai. Tae nam samane bhagavam mahavire kalie devie tise ya mahaimahaliyae isiparisae dhammam parikahei java eyassa dhammassa sikkhae uvatthie samanovasae va samanovasiya va viharamane anae arahae bhavai. Tae nam sa kali devi samanassa bhagavao mahavirassa amtiyam dhammam sochcha nisamma hatthatuttha-chittamanamdiya piimana paramasomanassiya harisavasa visappamanahiyaya samanam bhagavam mahaviram tikkhutto ayahinapayahinam kareti, karetta vamdati namamsati, vamditta namamsitta evam vayasi– Evam khalu bhamte! Mama putte kale kumare tihim damtisahassehim tihim asasahassehim tihim rahasa-hassehim tihim manuyakodihim garulavvuhe ekkarasamenam khamdenam kunienam ranna saddhim rahamusalam samgamam oyae– se nam bhamte! Kim jaissai? No jaissai? Jivissai? No jivissai? Parajinissai? No parajinissai? Kalam nam kumaram aham jivamanam pasejja? Kalii! Samane bhagavam mahavire kalim devim evam vayasi– evam khalu kali! Tava putte kale kumare tihim damtisahassehim java kunienam ranna saddhim rahamusalam samgamam samgamemane hayamahiya-pavara-viraghaiya-nivadiyachimdhajjhayapadage niraloyao disao karemane chedagassa ranno sapakkham sapadi-disim rahenam padiraham havvamagae. Tae nam se chedae raya kalam kumaram ejjamanam pasai, pasitta asurutte rutthe kuvie chamdikkie misimisemane tivaliyam bhiudim nilade sahattu dhanum paramusai, paramusitta usum paramusai, paramusitta vaisaham thanam thai, thichcha ayaya-kannayayam usum karei, karetta kalam kumaram egahachcham kudahachcham jiviyao vavarovei. Tam kalagae nam kali! Kale kumare, no cheva nam tumam kalam kumaram jivamanam pasihisi. Tae nam sa kali devi samanassa bhagavao mahavirassa amtiyam eyamattham sochcha nisamma mahaya puttasoena apphunna samani parasuniyatta viva champagalaya dhasatti dharaniyalamsi savvamgehim samnivadiya. Tae nam sa kali devi muhuttamtarenam asattha samani utthae utthei, utthetta samanam bhagavam mahaviram vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi– evameyam bhamte! Tahameyam bhamte! Avitahameyam bhamte! Asamdiddha-meyam bhamte! Sachche nam! Esamatthe se jaheyam tubbhe vadahatti kattu samanam bhagavam mahaviram vamdai namamsai, vamditta namamsitta tameva dhammiyam janappavaram duruhai, duruhitta jameva disim paubbhuya tameva disim padigaya.
Sutra Meaning Transliteration : Taba eka bara apane kutumba – parivara ki sthiti para vichara karate hue kali devi ke mana mem isa prakara ka samkalpa utpanna hua – ‘mera putrakumara kala 3000 hathiyom adi ko lekara yavat rathamusala samgrama mem pravritta hua hai. To kya vaha vijaya prapta karega athava nahim\? Vaha jivita rahega athava nahim\? Shatru ko parajita karega ya nahim\? Kya maim kala kumara ko jivita dekha sakumgi\?’ ityadi vicharom se vaha udasa ho gai. Nirutsahita – si hoti hui yavat artadhyana mem duba gai. Usi samaya mem shramana bhagavan mahavira ka champa nagari mem padarpana hua. Vandana – namaskara karane evam dharmopadesha sunane ke lie jana – parishad nikali. Taba vaha kali devi bhi isa samvada ko jana kara harshita hui aura use isa prakara ka antarika yavat samkalpa – vichara utpanna hua. Tatharupa shramana bhagavamtom ka namashravana hi mahan phalaprada hai to una ke samipa pahumcha kara vandana – namaskara karane ke phala ke vishaya mem to kahana hi kya hai\? Yavat maim shramana bhagavan ke samipa jaum, yavat unaki paryupasana karum aura unase purvollikhita prashna puchhum. Kali rani ne kautumbika purushom – ko bulaya. Ajnya di – ‘devanupriyom ! Shighra hi dharmika karyom mem prayoga kiye jane vale shreshtha ratha ko jota kara lao.’ Tatpashchat snana kara evam balikarma kara kali devi yavat mahamulyavan kintu alpa abhushanom se vibhushita ho aneka kubja dasiyom yavat mahattarakavrinda ko satha lekara antahpura se nikali. Apane parijanom evam parivara se pariveshtita hokara jaham purnabhadra chaitya tha, vaham pahumchi. Tirthamkarom ke chhatradi atishayom – pratiharyom ke drishtigata hote hi dharmika shreshtha ratha ko roka. Dharmika shreshtha ratha se niche utari aura shramana bhagavan mahavira birajamana the, vaham pahumchi. Tina bara adakshina pradakshina karake vandana – namaskara kiya aura vahim baitha kara saparivara bhagavan ki deshana sunane ke lie utsuka hokara vinayapurvaka paryupasana karane lagi. Tatpashchat shramana bhagavan ne yavat usa kali devi aura vishala janaparishad ko dharmadeshana sunai isa ke bada shramana bhagavan mahavira se dharmashravana kara aura use hridaya mem avadharita kara kali rani ne harshita, samtushta yavat vikasita hridaya hokara shramana bhagavan ko tina bara vamdana – namaskara karake kaha – bhadanta ! Mera putra kala kumara rathamusala samgrama mem pravritta hua hai, to kya vaha vijayi hoga athava nahim\? Yavat kya maim kala kumara ko jivita dekha sakumgi\? Shramana bhagavan ne kali devi se kaha – kali ! Tumhara putra kalakumara, jo yavat kunika raja ke satha rathamusala samgrama mem jujhate hue viravarom ko ahata, mardita, ghatita karate hue aura unaki samketasuchaka dhvaja – patakaom ko bhumisat karate hue – disha vidishaom ko alokashunya karate hue ratha se ratha ko arate hue chetaka raja ke samane aya. Taba chetaka raja krodhabhibhuta ho yavat misa – misate hue dhanusha ko uthaya. Bana ko hatha mem liya, dhanusha para bana charhaya, use kana taka khimcha aura eka hi bara mem ahata karake, raktaramjita karake nishprana kara diya. Ataeva hai kali vaha kalakumara marana ko prapta ho gaya hai. Aba tuma kalakumara ko jivita nahim dekha sakati ho. Shramana bhagavan mahavira ke isa kathana ko sunakara aura hridaya mem dharana karake kali rani ghora putra – shoka se abhibhuta, champakalata ke samana pachhara khakara dharama – se sarvamgom se prithvi para gira pari. Kuchha samaya ke pashchat jaba kali devi kuchha ashvasta – hui taba khari hui aura bhagavan ko vamdana – namaskara kara ke isa prakara kaha – ‘bhagavan ! Yaha isi prakara hai, bhagavan ! Aisa hi hai, bhagavan ! Yaha avitatha hai. Asamdigdha hai. Yaha satya hai. Yaha bata aisi hi hai, jaisi apane batalai hai. Usane shramana bhagavan ko punah vamdana – namaskara kiya. Usi dharmika yana para arudha hokara, vapisa lauta gai.