Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007798 | ||
Scripture Name( English ): | Jambudwippragnapati | Translated Scripture Name : | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Translated Chapter : |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 198 | Category : | Upang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कहि णं भंते! मंदरए पव्वए सोमनसवणे नामं वने पन्नत्ते? गोयमा! नंदनवणस्स बहुसमरमणिज्जाओ भूमि भागाओ अद्धतेवट्ठिं जोयणसहस्साइं उड्ढं उप्पइत्ता, एत्थ णं मंदरे पव्वए सोमनसवणे नामं वने पन्नत्ते– पंचजोयणसयाइं चक्कवालविक्खंभेणं, वट्टे वलयाकारसंठाणसंठिए, जे णं मंदरं पव्वयं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ताणं चिट्ठइ– चत्तारि जोयणसहस्साइं दुन्नि य बावत्तरे जोयणसए अट्ठ य इक्कारसभाए जोयणस्स बाहिं गिरिविक्खंभेणं, तेरस जोयणसहस्साइं पंच य एक्कारे जोयणसए छच्च इक्कारसभाए जोयणस्स बाहिं गिरिपरिरएणं, तिन्नि जोयणसहस्साइं दुन्नि य बावत्तरे जोयणसए अट्ठ य एक्कारसभाए जोयणस्स अंतो गिरिविक्खंभेणं, दस जोयणसहस्साइं तिन्नि य अउनापन्ने जोयणसए तिन्नि य इक्कारसभाए जोयणस्स अंतो गिरिपरिरएणं से णं एगाए पउमवर-वेइयाए एगेण य वनसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, वण्णओ किण्हे किण्होभासे जाव आसयंति। एवं कूडवज्जा सच्चेव नंदनवनवत्तव्वया भाणियव्वा, तं चेव ओगाहिऊणं जाव पासायवडेंसगा सक्कीसाणाणं। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! सौमनसवन कहाँ है ? गौतम ! नन्दनवन के बहुत समतल एवं रमणीय भूमिभाग से ६२५०० योजन ऊपर जाने पर है। वह चक्रवाल – विष्कम्भ से पाँच सौ योजन विस्तीर्ण है, गोल है, वलय के आकार का है। वह मन्दर पर्वत को चारों ओर से परिवेष्टित किये हुए हे। वह पर्वत से बाहर ४२७२ – ८/१९ योजन विस्तीर्ण है। बाहर उसकी परिधि १३५११ – ६/१९ योजन है। भीतरी भाग में ३२७२ – ८/१९ योजन विस्तीर्ण है। पर्वत के भीतरी भाग से संलग्न उसकी परिधि १०३४९ – ३/१९ योजन है। वह एक पद्मवरवेदिका तथा एक वनखण्ड द्वारा चारों ओर से घिरा हुआ है। वह वन काले, नीले आदि पत्तों से, लताओं से आपूर्ण है। उनकी कृष्ण, नील आभा द्योतित है। वहाँ देव – देवियाँ आश्रय लेते हैं। उसमें आगे शक्रेन्द्र तथा ईशानेन्द्र के उत्तम प्रासाद हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kahi nam bhamte! Mamdarae pavvae somanasavane namam vane pannatte? Goyama! Namdanavanassa bahusamaramanijjao bhumi bhagao addhatevatthim joyanasahassaim uddham uppaitta, ettha nam mamdare pavvae somanasavane namam vane pannatte– pamchajoyanasayaim chakkavalavikkhambhenam, vatte valayakarasamthanasamthie, je nam mamdaram pavvayam savvao samamta samparikkhittanam chitthai– chattari joyanasahassaim dunni ya bavattare joyanasae attha ya ikkarasabhae joyanassa bahim girivikkhambhenam, terasa joyanasahassaim pamcha ya ekkare joyanasae chhachcha ikkarasabhae joyanassa bahim giripariraenam, tinni joyanasahassaim dunni ya bavattare joyanasae attha ya ekkarasabhae joyanassa amto girivikkhambhenam, dasa joyanasahassaim tinni ya aunapanne joyanasae tinni ya ikkarasabhae joyanassa amto giripariraenam se nam egae paumavara-veiyae egena ya vanasamdenam savvao samamta samparikkhitte, vannao kinhe kinhobhase java asayamti. Evam kudavajja sachcheva namdanavanavattavvaya bhaniyavva, tam cheva ogahiunam java pasayavademsaga sakkisananam. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Saumanasavana kaham hai\? Gautama ! Nandanavana ke bahuta samatala evam ramaniya bhumibhaga se 62500 yojana upara jane para hai. Vaha chakravala – vishkambha se pamcha sau yojana vistirna hai, gola hai, valaya ke akara ka hai. Vaha mandara parvata ko charom ora se pariveshtita kiye hue he. Vaha parvata se bahara 4272 – 8/19 yojana vistirna hai. Bahara usaki paridhi 13511 – 6/19 yojana hai. Bhitari bhaga mem 3272 – 8/19 yojana vistirna hai. Parvata ke bhitari bhaga se samlagna usaki paridhi 10349 – 3/19 yojana hai. Vaha eka padmavaravedika tatha eka vanakhanda dvara charom ora se ghira hua hai. Vaha vana kale, nile adi pattom se, lataom se apurna hai. Unaki krishna, nila abha dyotita hai. Vaham deva – deviyam ashraya lete haim. Usamem age shakrendra tatha ishanendra ke uttama prasada haim. |