Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007746 | ||
Scripture Name( English ): | Jambudwippragnapati | Translated Scripture Name : | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Translated Chapter : |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 146 | Category : | Upang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कहि णं भंते! उत्तरकुराए कुराए निलवंतद्दहे नामं दहे पन्नत्ते? गोयमा! जमगाणं दक्खिणिल्लाओ चरिमंताओ अट्ठसए चोत्तीसे चत्तारि य सत्तभाए जोयणस्स अबाहाए सीयाए महानईए बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं निलवंतद्दहे नामं दहे पन्नत्ते– दाहिणउत्तरायए पाईणपडीणविच्छिन्नेजहेव पउमद्दहे तहेव वण्णओ नेयव्वो, नाणत्तं–दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहि य वनसंडेहि संपरिक्खित्ते, नीलवंते णामं नागकुमारे देवे, सेसं तं चेव नेयव्वं। निलवंतद्दहस्स पुव्वावरे पासे दस दस जोयणाइं अबाहाए, एत्थ णं वीसं कंचनगपव्वया पन्नत्ता–एगं जोयणसयं उड्ढं उच्चत्तेणं– | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! उत्तरकुरु में नीलवान् द्रह कहाँ है ? गौतम ! यमक पर्वतों के दक्षिणी छोर से ८३४ – ४/७ योजन के अन्तराल पर शीता महानदी के ठीक बीच में नीलवान् नामक द्रह है। वह दक्षिण – उत्तर लम्बा एवं पूर्व – पश्चिम चौड़ा है। शेष वर्णन पद्मद्रह समान है। केवल इतना अन्तर है – नीलवान् द्रह दो पद्मवरवेदिकाओं तथा दो वनखण्डों द्वारा परिवेष्टित है। वहाँ नीलवान् नामक नागकुमार देव निवास करता है। नीलवान् द्रह के पूर्वी पश्चिमी पार्श्व में दश – दश योजन के अन्तराल पर बीस काञ्चनक पर्वत हैं। वे सौ योजन ऊंचे हैं। काञ्चनकपर्वतों का विस्तार मूल में सौ योजन, मध्यमें ७५ योजन तथा ऊपर ५० योजन है। उनकी परिधि मूल में ३१६ योजन, मध्य में २३७ योजन तथा ऊपर १५८ योजन है। पहला नीलवान्, दूसरा उत्तरकुरु, तीसरा चन्द्र, चौथा ऐरावत तथा पाँचवां माल्यवान् – ये पाँच द्रह हैं। अन्य द्रहों का प्रमाण, वर्णन नीलवान् द्रह के सदृश है। उनमें एक पल्योपम आयुष्यवाले देव निवास करते हैं। प्रथम नीलवान् द्रह में नागेन्द्र देव तथा अन्य चार में व्यन्तरेन्द्र देव निवास करते हैं। सूत्र – १४६–१५० | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kahi nam bhamte! Uttarakurae kurae nilavamtaddahe namam dahe pannatte? Goyama! Jamaganam dakkhinillao charimamtao atthasae chottise chattari ya sattabhae joyanassa abahae siyae mahanaie bahumajjhadesabhae, ettha nam nilavamtaddahe namam dahe pannatte– dahinauttarayae painapadinavichchhinnejaheva paumaddahe taheva vannao neyavvo, nanattam–dohim paumavaraveiyahim dohi ya vanasamdehi samparikkhitte, nilavamte namam nagakumare deve, sesam tam cheva neyavvam. Nilavamtaddahassa puvvavare pase dasa dasa joyanaim abahae, ettha nam visam kamchanagapavvaya pannatta–egam joyanasayam uddham uchchattenam– | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Uttarakuru mem nilavan draha kaham hai\? Gautama ! Yamaka parvatom ke dakshini chhora se 834 – 4/7 yojana ke antarala para shita mahanadi ke thika bicha mem nilavan namaka draha hai. Vaha dakshina – uttara lamba evam purva – pashchima chaura hai. Shesha varnana padmadraha samana hai. Kevala itana antara hai – nilavan draha do padmavaravedikaom tatha do vanakhandom dvara pariveshtita hai. Vaham nilavan namaka nagakumara deva nivasa karata hai. Nilavan draha ke purvi pashchimi parshva mem dasha – dasha yojana ke antarala para bisa kanchanaka parvata haim. Ve sau yojana umche haim. Kanchanakaparvatom ka vistara mula mem sau yojana, madhyamem 75 yojana tatha upara 50 yojana hai. Unaki paridhi mula mem 316 yojana, madhya mem 237 yojana tatha upara 158 yojana hai. Pahala nilavan, dusara uttarakuru, tisara chandra, chautha airavata tatha pamchavam malyavan – ye pamcha draha haim. Anya drahom ka pramana, varnana nilavan draha ke sadrisha hai. Unamem eka palyopama ayushyavale deva nivasa karate haim. Prathama nilavan draha mem nagendra deva tatha anya chara mem vyantarendra deva nivasa karate haim. Sutra – 146–150 |