Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006877 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-३२ संयत |
Translated Chapter : |
पद-३२ संयत |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 577 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] जीवा णं भंते! किं संजया? अंजया? संजतासंजता? नोसंजत-नोअसंजत-नोसंजयासंजया? गोयमा! जीवा संजया वि असंजया वि संजयासंजया वि नोसंजय-नोअसंजय-नोसंजतासंजया वि। नेरइया णं भंते! किं संजया? असंजया? संजयासंजया? नोसंजत-नोअसंजत-नोसंजयासंजया? गोयमा! नेरइया नो संजया, असंजया, नो संजयासंजया नो नोसंजय-नोअसंजय-नोसंजतासंजया। एवं जाव चउरिंदिया। पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा! पंचेंदियतिरिक्खजोणिया नो संजया, असंजया वि संजतासंजता वि, नो नोसंजय-नोअसंजय-नोसंजयासंजया। मनूसा णं भंते! पुच्छा। गोयमा! मनूसा संजया वि असंजया वि संजतासंजया वि, नो नोसंजत-नोअसंजय-नोसंजतासंजया। वाणमंतर-जोतिसिय-वेमानिया जहा नेरइया। सिद्धाणं पुच्छा। गोयमा! सिद्धा नो संजया नो असंजया नो संजयासंजया, नोसंजय-नोअसंजय-नोसंजयासंजया। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! जीव क्या संयत होते है, असंयत होते हैं, संयतासंयत होते हैं, अथवा नोसंयत – नोअसंयत – नोसंय – तासंयत होते हैं ? गौतम ! चारों ही होते हैं। भगवन् ! नैरयिक संयत होते हैं, असंयत होते हैं, संयतासंयत होते हैं या नोसंयत – नोअसंयत – नोसंयतासंय होते हैं ? गौतम ! नैरयिक असंयत होते हैं। इसी प्रकार चतुरिन्द्रियों तक जानना। पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिक क्या संयत होते हैं ? इत्यादि प्रश्न है। गौतम ! पंचेन्द्रियतिर्यंच असंयत या संयता – संयत होते हैं। मनुष्य संयत होते हैं ? इत्यादि प्रश्न। गौतम ! मनुष्य संयत भी होते हैं, असंयत भी होते हैं, संयता – संयत भी होते हैं। वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिकों का कथन नैरयिकों के समान समझना। सिद्धों के विषय में पूर्ववत् प्रश्न। गौतम ! सिद्ध नोसंयत – नोअसंयत – नोसंयतासंयत होते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] jiva nam bhamte! Kim samjaya? Amjaya? Samjatasamjata? Nosamjata-noasamjata-nosamjayasamjaya? Goyama! Jiva samjaya vi asamjaya vi samjayasamjaya vi nosamjaya-noasamjaya-nosamjatasamjaya vi. Neraiya nam bhamte! Kim samjaya? Asamjaya? Samjayasamjaya? Nosamjata-noasamjata-nosamjayasamjaya? Goyama! Neraiya no samjaya, asamjaya, no samjayasamjaya no nosamjaya-noasamjaya-nosamjatasamjaya. Evam java chaurimdiya. Pamchemdiyatirikkhajoniyanam puchchha. Goyama! Pamchemdiyatirikkhajoniya no samjaya, asamjaya vi samjatasamjata vi, no nosamjaya-noasamjaya-nosamjayasamjaya. Manusa nam bhamte! Puchchha. Goyama! Manusa samjaya vi asamjaya vi samjatasamjaya vi, no nosamjata-noasamjaya-nosamjatasamjaya. Vanamamtara-jotisiya-vemaniya jaha neraiya. Siddhanam puchchha. Goyama! Siddha no samjaya no asamjaya no samjayasamjaya, nosamjaya-noasamjaya-nosamjayasamjaya. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Jiva kya samyata hote hai, asamyata hote haim, samyatasamyata hote haim, athava nosamyata – noasamyata – nosamya – tasamyata hote haim\? Gautama ! Charom hi hote haim. Bhagavan ! Nairayika samyata hote haim, asamyata hote haim, samyatasamyata hote haim ya nosamyata – noasamyata – nosamyatasamya hote haim\? Gautama ! Nairayika asamyata hote haim. Isi prakara chaturindriyom taka janana. Pamchendriyatiryagyonika kya samyata hote haim\? Ityadi prashna hai. Gautama ! Pamchendriyatiryamcha asamyata ya samyata – samyata hote haim. Manushya samyata hote haim\? Ityadi prashna. Gautama ! Manushya samyata bhi hote haim, asamyata bhi hote haim, samyata – samyata bhi hote haim. Vanavyantara, jyotishka aura vaimanikom ka kathana nairayikom ke samana samajhana. Siddhom ke vishaya mem purvavat prashna. Gautama ! Siddha nosamyata – noasamyata – nosamyatasamyata hote haim. |