Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006811 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-२१ अवगाहना संस्थान |
Translated Chapter : |
पद-२१ अवगाहना संस्थान |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 511 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] ओरालियसरीरे णं भंते! किंसंठिए पन्नत्ते? गोयमा! नानासंठाणसंठिए पन्नत्ते। एगिंदियओरालियसरीरे णं भंते! किंसंठिए पन्नत्ते? गोयमा! नानासंठाणसंठिए पन्नत्ते। पुढविक्काइयएगिंदियओरालियसरीरे णं भंते! किंसंठाणसंठिए पन्नत्ते? गोयमा! मसूर-चंदसंठाणसंठिए पन्नत्ते। एवं सुहुमपुढविक्काइयाण वि। बायराण वि एवं चेव। पज्जत्तापज्जत्ताण वि एवं चेव। आउक्काइयएगिंदियओरालियसरीरे णं भंते! किंसंठाणसंठिए पन्नत्ते? गोयमा! थिबुगबिंदु-संठाणसंठिए पन्नत्ते। एवं सुहुम बायर पज्जत्तापज्जत्ताण वि। तेउक्काइयएगिंदियओरालियसरीरे णं भंते! किंसंठाणसंठिए पन्नत्ते? गोयमा! सूईकलाव-संठाणसंठिए पन्नत्ते। एवं सुहुम बादर पज्जत्तापज्जत्ताण वि। वाउक्काइयाणं पडागासंठाणसंठिए पन्नत्ते। एवं सुहुम बायर पज्जत्तापज्जत्ताण वि। वणप्फइकाइयाणं णाणासंठाणसंठिए पन्नत्ते। एवं सुहुम बायर पज्जत्तापज्जत्ताण वि। बेइंदियओरालियसरीरे णं भंते! किंसंठाणसंठिए पन्नत्ते? गोयमा! हुंडसंठाणसंठिए पन्नत्ते। एवं पज्जत्तापज्जत्ताण वि। एवं तेइंदिय चउरिंदियाण वि। तिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते! किंसंठाणसंठिए पन्नत्ते? गोयमा! छव्विहसंठाणसंठिए पन्नत्ते, तं जहा–समचउरंससंठाणसंठिए जाव हुंडसंठाणसंठिए। एवं पज्जत्तापज्जत्ताण वि। सम्मुच्छिमतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते! किंसंठाणसंठिए पन्नत्ते? गोयमा! हुंडसंठाणसंठिए पन्नत्ते। एवं पज्जत्तापज्जत्ताण वि। गब्भवक्कंतियतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते! किंसंठाणसंठिए पन्नत्ते? गोयमा! छव्विहसंठाणसंठिए पन्नत्ते, तं जहा–समचउरंसे जाव हुंडसंठाणसंठिए। एवं पज्जत्ता-पज्जत्ताण वि। एवमेते तिरिक्खजोणियाणं ओहियाणं नव आलावगा। जलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते! किंसंठाणसंठिए पन्नत्ते? गोयमा! छव्विहसंठाणसंठिए पन्नत्ते, तं जहा–समचउरंसे जाव हुंडे। एवं पज्जत्तापज्जत्ताण वि। सम्मुच्छिमजलयरा हुंडसंठाणसंठिया। एतेसिं चेव पज्जत्तापज्जत्तगा वि एवं चेव। गब्भवक्कंतियजलयरा छव्विहसंठाणसंठिया। एवं पज्जत्तापज्जत्तगा वि। एवं थलयराण वि णव सुत्ताणि। एवं चउप्पयथलयराण वि उरपरिसप्पथलयराण वि भुयपरिसप्पथलयराण वि। एवं खहयराण वि नव सुत्ताणि, नवरं–सव्वत्थ सम्मुच्छिमा हुंडसंठाण-संठिया भाणियव्वा, इयरे छसु वि। मनूसपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते! किंसंठाणसंठिए पन्नत्ते? गोयमा! छव्विहसंठाणसंठिए पन्नत्ते, तं जहा–समचउरंसे जाव हुंडे। पज्जत्तापज्जत्ताण वि एवं चेव। गब्भवक्कंतियाण वि एवं चेव। पज्जत्तापज्जत्तगाण वि एवं चेव। सम्मुच्छिमाणं पुच्छा। गोयमा! हुंडसंठाणसंठिया पन्नत्ता। | ||
Sutra Meaning : | औदारिकशरीर का संस्थान किस प्रकार का है ? गौतम ! नाना संस्थान वाला। एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर किस संस्थान का है ? गौतम ! नाना संस्थान वाला। पृथ्वीकायिक – एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर मसूर – चन्द्र जैसे संस्थान वाला है। इसी प्रकार सूक्ष्म और बादर पृथ्वीकायिकों भी समझना। पर्याप्तक और अपर्याप्तक भी इसी प्रकार जानना। अप्कायिक – एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर का संस्थान स्तिबुकबिन्दु जैसा है। इसी प्रकार का अप्कायिकों के सूक्ष्म, बादर, पर्याप्तक और अपर्याप्तकों को समझना। तेजस्कायिक – एकेन्द्रिय – औदारिकशरीर का संस्थान सूइयों के ढेर जैसा है। इसी प्रकार सूक्ष्म, बादर, पर्याप्त और अपर्याप्तों के शरीरों को समझना। वायु – कायिक का संस्थान पताका समान है। इसी प्रकार सूक्ष्म, बादर, पर्याप्तक और अपर्याप्तकों को भी समझना। वनस्पतिकायिकों के शरीर का संस्थान नाना प्रकार का है। इसी प्रकार सूक्ष्म, बादर, पर्याप्तक, अपर्याप्तकों का जानना। द्वीन्द्रिय – औदारिकशरीर का संस्थान किस प्रकार का है ? गौतम ! हुंडकसंस्थान वाला। इसी प्रकार पर्याप्तक और अपर्याप्तक भी समझना। इसी प्रकार त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय को भी समझना। तिर्यंचयोनिक – पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर किस संस्थान वाला है ? गौतम ! छहों प्रकार का, समचतुरस्र संस्थान से हुंडकसंस्थान पर्यन्त। इसी प्रकार पर्याप्तक, अपर्याप्तक में भी समझ लेना। सम्मूर्च्छिम – तिर्यंचयोनिक – पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर किस संस्थानवाला है? गौतम ! हुंडक संस्थानवाला। इसी प्रकार पर्याप्तक, अपर्याप्तक भी समझना। गर्भज – तिर्यंचयोनिक – पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर किस संस्थानवाला है ? गौतम ! छहों प्रकार का। समचतुरस्रसंस्थान से हुंडकसंस्थान तक। इस प्रकार पर्याप्तक, अपर्याप्तक भी समझना। इस प्रकार औघिक तिर्यंचयोनिकों के ये नौ आलापक हैं। जलचर – तिर्यंचयोनिक – पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर किस संस्थान वाला है ? गौतम ! छहों प्रकार का। समचतुरस्र यावत् हुण्डक संस्थान। इसी प्रकार पर्याप्त, अपर्याप्तक भी जानना। सम्मूर्च्छिम – जलचरों के औदारि – कशरीर हुण्डकसंस्थान वाले हैं। उनके पर्याप्तक, अपर्याप्तकों के भी इसी प्रकार हैं। गर्भज – जलचर छहों प्रकार के संस्थान वाले हैं। इसी प्रकार पर्याप्तक, अपर्याप्तक भी जानना। इसी प्रकार स्थलचर० के नौ सूत्र होते हैं। इसी प्रकार चतुष्पद – स्थलचरों, उरःपरिसर्प – स्थलचरों एवं भुजपरिसर्प – स्थलचरों के औदारिकशरीर संस्थानों के भी नव सूत्र होते हैं। इसी प्रकार खेचरों के भी नौ सूत्र हैं। विशेष यह कि सम्मूर्च्छिम० सर्वत्र हुण्डकसंस्थान वाले कहना। गर्भज० के छहों संस्थान होते हैं। मनुष्य – पंचेन्द्रिय – औदारिकशरीर किस संस्थान वाला है ? गौतम ! छहों प्रकार का। समचतुरस्र यावत् हुण्डकसंस्थान। पर्याप्तक और अपर्याप्तक भी इसी प्रकार हैं। गर्भज० भी इसी प्रकार हैं। पर्याप्तक अपर्याप्तक को भी ऐसे ही जानना। सम्मूर्च्छिम मनुष्यों हुण्डकसंस्थान वाले हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] oraliyasarire nam bhamte! Kimsamthie pannatte? Goyama! Nanasamthanasamthie pannatte. Egimdiyaoraliyasarire nam bhamte! Kimsamthie pannatte? Goyama! Nanasamthanasamthie pannatte. Pudhavikkaiyaegimdiyaoraliyasarire nam bhamte! Kimsamthanasamthie pannatte? Goyama! Masura-chamdasamthanasamthie pannatte. Evam suhumapudhavikkaiyana vi. Bayarana vi evam cheva. Pajjattapajjattana vi evam cheva. Aukkaiyaegimdiyaoraliyasarire nam bhamte! Kimsamthanasamthie pannatte? Goyama! Thibugabimdu-samthanasamthie pannatte. Evam suhuma bayara pajjattapajjattana vi. Teukkaiyaegimdiyaoraliyasarire nam bhamte! Kimsamthanasamthie pannatte? Goyama! Suikalava-samthanasamthie pannatte. Evam suhuma badara pajjattapajjattana vi. Vaukkaiyanam padagasamthanasamthie pannatte. Evam suhuma bayara pajjattapajjattana vi. Vanapphaikaiyanam nanasamthanasamthie pannatte. Evam suhuma bayara pajjattapajjattana vi. Beimdiyaoraliyasarire nam bhamte! Kimsamthanasamthie pannatte? Goyama! Humdasamthanasamthie pannatte. Evam pajjattapajjattana vi. Evam teimdiya chaurimdiyana vi. Tirikkhajoniyapamchemdiyaoraliyasarire nam bhamte! Kimsamthanasamthie pannatte? Goyama! Chhavvihasamthanasamthie pannatte, tam jaha–samachauramsasamthanasamthie java humdasamthanasamthie. Evam pajjattapajjattana vi. Sammuchchhimatirikkhajoniyapamchemdiyaoraliyasarire nam bhamte! Kimsamthanasamthie pannatte? Goyama! Humdasamthanasamthie pannatte. Evam pajjattapajjattana vi. Gabbhavakkamtiyatirikkhajoniyapamchemdiyaoraliyasarire nam bhamte! Kimsamthanasamthie pannatte? Goyama! Chhavvihasamthanasamthie pannatte, tam jaha–samachauramse java humdasamthanasamthie. Evam pajjatta-pajjattana vi. Evamete tirikkhajoniyanam ohiyanam nava alavaga. Jalayaratirikkhajoniyapamchemdiyaoraliyasarire nam bhamte! Kimsamthanasamthie pannatte? Goyama! Chhavvihasamthanasamthie pannatte, tam jaha–samachauramse java humde. Evam pajjattapajjattana vi. Sammuchchhimajalayara humdasamthanasamthiya. Etesim cheva pajjattapajjattaga vi evam cheva. Gabbhavakkamtiyajalayara chhavvihasamthanasamthiya. Evam pajjattapajjattaga vi. Evam thalayarana vi nava suttani. Evam chauppayathalayarana vi uraparisappathalayarana vi bhuyaparisappathalayarana vi. Evam khahayarana vi nava suttani, navaram–savvattha sammuchchhima humdasamthana-samthiya bhaniyavva, iyare chhasu vi. Manusapamchemdiyaoraliyasarire nam bhamte! Kimsamthanasamthie pannatte? Goyama! Chhavvihasamthanasamthie pannatte, tam jaha–samachauramse java humde. Pajjattapajjattana vi evam cheva. Gabbhavakkamtiyana vi evam cheva. Pajjattapajjattagana vi evam cheva. Sammuchchhimanam puchchha. Goyama! Humdasamthanasamthiya pannatta. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Audarikasharira ka samsthana kisa prakara ka hai\? Gautama ! Nana samsthana vala. Ekendriya – audarikasharira kisa samsthana ka hai\? Gautama ! Nana samsthana vala. Prithvikayika – ekendriya – audarikasharira masura – chandra jaise samsthana vala hai. Isi prakara sukshma aura badara prithvikayikom bhi samajhana. Paryaptaka aura aparyaptaka bhi isi prakara janana. Apkayika – ekendriya – audarikasharira ka samsthana stibukabindu jaisa hai. Isi prakara ka apkayikom ke sukshma, badara, paryaptaka aura aparyaptakom ko samajhana. Tejaskayika – ekendriya – audarikasharira ka samsthana suiyom ke dhera jaisa hai. Isi prakara sukshma, badara, paryapta aura aparyaptom ke sharirom ko samajhana. Vayu – kayika ka samsthana pataka samana hai. Isi prakara sukshma, badara, paryaptaka aura aparyaptakom ko bhi samajhana. Vanaspatikayikom ke sharira ka samsthana nana prakara ka hai. Isi prakara sukshma, badara, paryaptaka, aparyaptakom ka janana. Dvindriya – audarikasharira ka samsthana kisa prakara ka hai\? Gautama ! Humdakasamsthana vala. Isi prakara paryaptaka aura aparyaptaka bhi samajhana. Isi prakara trindriya aura chaturindriya ko bhi samajhana. Tiryamchayonika – pamchendriya – audarikasharira kisa samsthana vala hai\? Gautama ! Chhahom prakara ka, samachaturasra samsthana se humdakasamsthana paryanta. Isi prakara paryaptaka, aparyaptaka mem bhi samajha lena. Sammurchchhima – tiryamchayonika – pamchendriya – audarikasharira kisa samsthanavala hai? Gautama ! Humdaka samsthanavala. Isi prakara paryaptaka, aparyaptaka bhi samajhana. Garbhaja – tiryamchayonika – pamchendriya – audarikasharira kisa samsthanavala hai\? Gautama ! Chhahom prakara ka. Samachaturasrasamsthana se humdakasamsthana taka. Isa prakara paryaptaka, aparyaptaka bhi samajhana. Isa prakara aughika tiryamchayonikom ke ye nau alapaka haim. Jalachara – tiryamchayonika – pamchendriya – audarikasharira kisa samsthana vala hai\? Gautama ! Chhahom prakara ka. Samachaturasra yavat hundaka samsthana. Isi prakara paryapta, aparyaptaka bhi janana. Sammurchchhima – jalacharom ke audari – kasharira hundakasamsthana vale haim. Unake paryaptaka, aparyaptakom ke bhi isi prakara haim. Garbhaja – jalachara chhahom prakara ke samsthana vale haim. Isi prakara paryaptaka, aparyaptaka bhi janana. Isi prakara sthalachara0 ke nau sutra hote haim. Isi prakara chatushpada – sthalacharom, urahparisarpa – sthalacharom evam bhujaparisarpa – sthalacharom ke audarikasharira samsthanom ke bhi nava sutra hote haim. Isi prakara khecharom ke bhi nau sutra haim. Vishesha yaha ki sammurchchhima0 sarvatra hundakasamsthana vale kahana. Garbhaja0 ke chhahom samsthana hote haim. Manushya – pamchendriya – audarikasharira kisa samsthana vala hai\? Gautama ! Chhahom prakara ka. Samachaturasra yavat hundakasamsthana. Paryaptaka aura aparyaptaka bhi isi prakara haim. Garbhaja0 bhi isi prakara haim. Paryaptaka aparyaptaka ko bhi aise hi janana. Sammurchchhima manushyom hundakasamsthana vale haim. |