Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006774 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-१८ कायस्थिति |
Translated Chapter : |
पद-१८ कायस्थिति |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 474 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] सइंदिए णं भंते! सइंदिए त्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! सइंदिए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–अनाईए वा अपज्जवसिए, अनाईए वा सपज्जवसिए। एगिंदिए णं भंते! एगिंदिए त्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अनंतं कालं वणप्फइकालो। बेइंदिए णं भंते! बेइंदिए त्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जं कालं। एवं तेइंदियचउरिंदिए वि। पंचेंदिए णं भंते! पंचेंदिए त्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सागरोवमसहस्सं सातिरेगं। अनिंदिए णं भंते! अणिंदिए त्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! सादीए अपज्जवसिए। सइंदियअपज्जत्तए णं भंते! सइंदियअपज्जत्तए त्ति कालतो केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं। एवं जाव पंचेंदियअपज्जत्तए। सइंदियपज्जत्तए णं भंते! सइंदियपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सागरोवमसतपुहुत्तं सातिरेगं। एगिंदियपज्जत्तए णं भंते! एगिंदियपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जाइं वाससहस्साइं। बेइंदियपज्जत्तए णं भंते! बेइंदियपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जाइं वासाइं। तेइंदियपज्जत्तए णं भंते! तेइंदियपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जाइं रातिंदियाइं। चउरिंदियपज्जत्तए णं भंते! चउरिंदियपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जा मासा। पंचेंदियपज्जत्तए णं भंते! पंचेंदियपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सागरोवमसतपुहत्तं। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! सेन्द्रिय जीव सेन्द्रिय रूप में कितने काल रहता है ? गौतम ! सेन्द्रिय जीव दो प्रकार के हैं – अनादि – अनन्त और अनादि – सान्त। भगवन् ! एकेन्द्रिय जीव एकेन्द्रियरूप में कितने काल तक रहता है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट अनन्तकाल – वनस्पतिकालपर्यन्त। द्वीन्द्रिय जीव द्वीन्द्रियरूप में जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट संख्यातकाल तक रहता है। इसी प्रकार त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय में समझना। पंचेन्द्रिय, पंचेन्द्रिय के रूप में जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्टतः सहस्रसागरोपम से कुछ अधिक पंचेन्द्रिय रूप में रहता है। सिद्ध जीव कितने काल तक अनिन्द्रिय बना रहता है ? गौतम ! सादि – अनन्त। भगवन् ! सेन्द्रिय – अपर्याप्तक कितने काल तक सेन्द्रिय – अपर्याप्तरूप में रहता है ? गौतम ! जघन्यतः और उत्कृष्टतः भी अन्तर्मुहूर्त्त तक। इसी प्रकार पंचेन्द्रिय – अपर्याप्तक तक में समझना। भगवन् ! सेन्द्रिय – पर्याप्तक, सेन्द्रिय – पर्याप्तरूप में कितने काल तक रहता है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त तथा उत्कृष्ट शतपृथक्त्वसागरोपम से कुछ अधिक। एकेन्द्रिय – पर्याप्तक जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट संख्यात हजार वर्षों तक एकेन्द्रिय – पर्याप्तक रूप में, द्वीन्द्रिय – पर्याप्तक, द्वीन्द्रिय – पर्याप्तक रूप में जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट संख्यात वर्षों तक, त्रीन्द्रिय – पर्याप्तक, त्रीन्द्रिय – पर्याप्तकरूप में जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट संख्यात रात्रि – दिन, चतुरिन्द्रिय – पर्याप्तक, चतु – रिन्द्रिय – पर्याप्तकरूप में जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट संख्यात मास तक और पंचेन्द्रिय – पर्याप्तक, पंचेन्द्रिय – पर्याप्तकरूप में जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट सौ पृथक्त्व सागरोपमों काल तक रहता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] saimdie nam bhamte! Saimdie tti kalao kevachiram hoi? Goyama! Saimdie duvihe pannatte, tam jaha–anaie va apajjavasie, anaie va sapajjavasie. Egimdie nam bhamte! Egimdie tti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam anamtam kalam vanapphaikalo. Beimdie nam bhamte! Beimdie tti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam samkhejjam kalam. Evam teimdiyachaurimdie vi. Pamchemdie nam bhamte! Pamchemdie tti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam sagarovamasahassam satiregam. Animdie nam bhamte! Animdie tti kalao kevachiram hoi? Goyama! Sadie apajjavasie. Saimdiyaapajjattae nam bhamte! Saimdiyaapajjattae tti kalato kevachiram hoi? Goyama! Jahannena vi ukkosena vi amtomuhuttam. Evam java pamchemdiyaapajjattae. Saimdiyapajjattae nam bhamte! Saimdiyapajjattae tti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam sagarovamasatapuhuttam satiregam. Egimdiyapajjattae nam bhamte! Egimdiyapajjattae tti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam samkhejjaim vasasahassaim. Beimdiyapajjattae nam bhamte! Beimdiyapajjattae tti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam samkhejjaim vasaim. Teimdiyapajjattae nam bhamte! Teimdiyapajjattae tti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam samkhejjaim ratimdiyaim. Chaurimdiyapajjattae nam bhamte! Chaurimdiyapajjattae tti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam samkhejja masa. Pamchemdiyapajjattae nam bhamte! Pamchemdiyapajjattae tti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam sagarovamasatapuhattam. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Sendriya jiva sendriya rupa mem kitane kala rahata hai\? Gautama ! Sendriya jiva do prakara ke haim – anadi – ananta aura anadi – santa. Bhagavan ! Ekendriya jiva ekendriyarupa mem kitane kala taka rahata hai\? Gautama ! Jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta anantakala – vanaspatikalaparyanta. Dvindriya jiva dvindriyarupa mem jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta samkhyatakala taka rahata hai. Isi prakara trindriya aura chaturindriya mem samajhana. Pamchendriya, pamchendriya ke rupa mem jaghanyatah antarmuhurtta aura utkrishtatah sahasrasagaropama se kuchha adhika pamchendriya rupa mem rahata hai. Siddha jiva kitane kala taka anindriya bana rahata hai\? Gautama ! Sadi – ananta. Bhagavan ! Sendriya – aparyaptaka kitane kala taka sendriya – aparyaptarupa mem rahata hai\? Gautama ! Jaghanyatah aura utkrishtatah bhi antarmuhurtta taka. Isi prakara pamchendriya – aparyaptaka taka mem samajhana. Bhagavan ! Sendriya – paryaptaka, sendriya – paryaptarupa mem kitane kala taka rahata hai\? Gautama ! Jaghanya antarmuhurtta tatha utkrishta shataprithaktvasagaropama se kuchha adhika. Ekendriya – paryaptaka jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta samkhyata hajara varshom taka ekendriya – paryaptaka rupa mem, dvindriya – paryaptaka, dvindriya – paryaptaka rupa mem jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta samkhyata varshom taka, trindriya – paryaptaka, trindriya – paryaptakarupa mem jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta samkhyata ratri – dina, chaturindriya – paryaptaka, chatu – rindriya – paryaptakarupa mem jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta samkhyata masa taka aura pamchendriya – paryaptaka, pamchendriya – paryaptakarupa mem jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta sau prithaktva sagaropamom kala taka rahata hai. |