Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1006691 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-११ भाषा |
Translated Chapter : |
पद-११ भाषा |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 391 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] जीवे णं भंते! जाइं दव्वाइं भासत्ताए गेण्हति ताइं किं ठियाइं गेण्हति? अठियाइं गेण्हति? गोयमा! ठियाइं गेण्हति, नो अठियाइं गेण्हति। जाइं भंते! ठियाइं गेण्हति ताइं किं दव्वओ गेण्हति? खेत्तओ गेण्हति? कालओ गेण्हति? भावओ गेण्हति? गोयमा! दव्वओ वि गेण्हति, खेत्तओ वि गेण्हति, कालओ वि गेण्हति, भावओ वि गेण्हति। जाइं दव्वओ गेण्हति ताइं किं एगपएसियाइं गेण्हति दुपएसियाइं गेण्हति जाव अनंतपएसियाइं गेण्हति? गोयमा! नो एगपएसियाइं गेण्हति जाव नो असंखेज्जपएसियाइं गेण्हति, अनंतपएसियाइं गेण्हति। जाइं खेत्तओ गेण्हति ताइं किं एगपएसोगाढाइं गेण्हति दुपएसोगाढाइं गेण्हति जाव असंखेज्जपएसोगाढाइं गेण्हति? गोयमा! नो एगपएसोगाढाइं गेण्हति जाव नो संखेज्जपएसोगाढाइं गेण्हति, असंखेज्जपएसोगाढाइं गेण्हति। जाइं कालओ गेण्हति ताइं किं एगसमयट्ठितीयाइं गेण्हति दुसमयट्ठितीयाइं गेण्हति जाव असंखेज्जसमयट्ठितीयाइं गेण्हति? गोयमा! एगसमयट्ठितीयाइं पि गेण्हति, दुसमयट्ठितीयाइं पि गेण्हति जाव असंखेज्जसमयट्ठितीयाइं पि गेण्हति। जाइं भावओ गेण्हति ताइं किं वण्णमंताइं गेण्हति गंधमंताइं गेण्हति रसमंताइं गेण्हति फासमंताइं गेण्हति? गोयमा! वण्णमंताइं पि गेण्हति जाव फासमंताइं पि गेण्हति। जाइं भावओ वण्णमंताइं गेण्हति ताइं किं एगवण्णाइं गेण्हति जाव पंचवण्णाइं गेण्हति? गोयमा! गहणदव्वाइं पडुच्च एगवण्णाइं पि गेण्हति जाव पंचवण्णाइं पि गेण्हति, सव्वग्गहणं पडुच्च नियमा पंचवण्णाइं गेण्हति, तं जहा–कालाइं नीलाइं लोहियाइं हालिद्दाइं सुक्किलाइं। जाइं वण्णओ कालाइं गेण्हति ताइं किं एगगुणकालाइं गेण्हति जाव अनंतगुणकालाइं गेण्हति? गोयमा! एगगुणकालाइं पि गेण्हति जाव अनंतगुणकालाइं पि गेण्हति। एवं जाव सुक्किलाइं पि। जाइं भावओ गंधमंताइं गेण्हति ताइं किं एगगंधाइं गेण्हति दुगंधाइं गेण्हति? गोयमा! गहणदव्वाइं पडुच्च एगगंधाइं पि गेण्हति दुगंधाइं पि गेण्हति, सव्वग्गहणं पडुच्च नियमा दुगंधाइं गेण्हति। जाइं गंधओ सुब्भिगंधाइं गेण्हति ताइं किं एगगुणसुब्भिगंधाइं गेण्हति जाव अनंतगुण-सुब्भिगंधाइं गेण्हति? गोयमा! एगगुणसुब्भिगंधाइं पि गेण्हति जाव अनंतगुणसुब्भिगंधाइं पि गेण्हति। एवं दुब्भिगंधाइं पि गेण्हति। जाइं भावतो रसमंताइं गेण्हति ताइं किं एगरसाइं गेण्हति जाव पंचरसाइं गेण्हति? गोयमा! गहणदव्वाइं पडुच्च एगरसाइं पि गेण्हति जाव पंचरसाइं पि गेण्हति, सव्वगहणं पडुच्च नियमा पंचरसाइं गेण्हति। जाइं रसतो तित्तरसाइं गेण्हति ताइं किं एगगुणतित्तरसाइं गेण्हति जाव अनंतगुणतित्तरसाइं गेण्हति? गोयमा! एगगुणतित्तरसाइं पि गेण्हति जाव अनंतगुणतित्तरसाइं पि गेण्हति। एवं जाव महुरो रसो। जाइं भावतो फासमंताइं गेण्हति ताइं किं एगफासाइं गेण्हति जाव अट्ठफासाइं गेण्हति? गोयमा! गहणदव्वाइं पडुच्च नो एगफासाइं गेण्हति, दुफासाइं गेण्हति जाव चउफासाइं पि गेण्हति, नो पंचफासाइं गेण्हति जाव नो अट्ठफासाइं पि गेण्हति। सव्वग्गहणं पडुच्च नियमा चउसाफाइं गेण्हति, तं जहा–सीयफासाइं गेण्हति, उसिणफासाइं गेण्हति, निद्धफासाइं गेण्हति, लुक्खफासाइं गेण्हति। जाइं फासओ सीयाइं गेण्हति ताइं किं एगगुणसीयाइं गेण्हति जाव अनंतगुणसीयाइं गेण्हति? गोयमा! एगगुणसीयाइं पि गेण्हति जाव अनंतगुणसीयाइं पि गेण्हति। एवं उसिणनिद्धलुक्खाइं जाव अनंतगुणाइं पि गेण्हति। जाइं भंते! जाव अनंतगुणलुक्खाइं गेण्हति ताइं किं पुट्ठाइं गेण्हति? अपुट्ठाइं गेण्हति? गोयमा! पुट्ठाइं गेण्हति, नो अपुट्ठाइं गेण्हति। जाइं भंते! पुट्ठाइं गेण्हति ताइं किं ओगाढाइं गेण्हति? अनोगाढाइं गेण्हति? गोयमा! ओगाढाइं गेण्हति, नो अनोगाढाइं गेण्हति। जाइं भंते! ओगाढाइं गेण्हति ताइं किं अनंतरोगाढाइं गेण्हति? परंपरोगाढाइं गेण्हति? गोयमा! अनंतरोगाढाइं गेण्हति, नो परंपरोगाढाइं गेण्हति। जाइं भंते! अनंतरोगाढाइं गेण्हति ताइं किं अणूइं गेण्हति? बादराइं गेण्हति? गोयमा! अणूइं पि गेण्हति, बादराइं पि गेण्हति। जाइं भंते! अणूइं पि गेण्हति बायराइं पि गेण्हति ताइं किं उड्ढं गेण्हति? अहे गेण्हति? तिरियं गेण्हति? गोयमा! उड्डं पि गेण्हति, अहे वि गेण्हति, तिरियं पि गेण्हति। जाइं भंते! उड्ढं पि गेण्हति अहे वि गेण्हति तिरियं पि गेण्हति ताइं किं आदिं गेण्हति? मज्झे गेण्हति? पज्जवसाणे गेण्हति? गोयमा! आदिं पि गेण्हति, मज्झे वि गेण्हति, पज्जवसाने वि गेण्हति। जाइं भंते! आदिं पि गेण्हति मज्झे वि गेण्हति पज्जवसाणे वि गेण्हति ताइं किं सविसए गेण्हति? अविसए गेण्हति? गोयमा! सविसए गेण्हति, नो अविसए गेण्हति। जाइं भंते! सविसए गेण्हति ताइं किं आनुपुव्विं गेण्हति? अनानुपुव्विं गेण्हति? गोयमा! आनुपुव्विं गेण्हति, नो अनानुपुव्विं गेण्हति। जाइं भंते! आनुपुव्विं गेण्हति ताइं किं तिदिसिं गेण्हति जाव छद्दिसिं गेण्हति? गोयमा! नियमा छद्दिसिं गेण्हति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! जीव जिन द्रव्यों को भाषा के रूप में ग्रहण करता है, सो स्थित द्रव्यों को ग्रहण करता है या अस्थित द्रव्यों को ? गौतम ! (वह) स्थित द्रव्यों को ही ग्रहण करता है। भगवन् ! (जीव) जिन स्थित द्रव्यों को ग्रहण करता है, उन्हें क्या द्रव्य से, क्षेत्र से, काल से अथवा भाव से ग्रहण करता है ? गौतम ! वह द्रव्य से भी यावत् भाव से भी ग्रहण करता है। भगवन् ! जिन द्रव्यों को द्रव्यतः ग्रहण करता है, क्या वह उन एकप्रदेशी (द्रव्यों) को ग्रहण करता है, यावत् अनन्तप्रदेशी द्रव्यों को ? गौतम ! (जीव) सिर्फ अनन्तप्रदेशी द्रव्यों को ग्रहण करता है। जिन द्रव्यों को क्षेत्रतः ग्रहण करता है, क्या वह एकप्रदेशावगाढ़ द्रव्यों को ग्रहण करता है, यावत् असंख्येयप्रदेशावगाढ़ द्रव्यों को ? गौतम! (वह) असंख्यातप्रदेशावगाढ़ द्रव्यों को ग्रहण करता है। (जीव) जिन द्रव्यों को कालतः ग्रहण करता है, क्या (वह) एक समय की स्थिति वाले द्रव्यों को ग्रहण करता है, यावत् असंख्यात समय की स्थिति वाले द्रव्यों को ? गौतम ! (वह) एक समय की स्थिति वाले द्रव्यों को भी ग्रहण करता है, यावत् असंख्यात समय की स्थिति वाले द्रव्यों को भी। (जीव) जिन द्रव्यों को भावतः ग्रहण करता है, क्या वह वर्णवाले, गन्धवाले, रसवाले अथवा स्पर्श वाले द्रव्यों को ग्रहण करता है ? गौतम ! वह चारों को ग्रहण करता है। भावतः जिन वर्णवान् द्रव्यों को ग्रहण करता है क्या (वह) एक वर्ण वाले द्रव्यों को ग्रहण करता है, यावत् पाँच वर्ण वाले द्रव्यों को ? गौतम ! ग्रहण द्रव्यों की अपेक्षा से एक वर्ण वाले द्रव्यों को भी ग्रहण करता है, यावत् पाँच वर्ण वाले द्रव्यों को भी। (किन्तु) सर्वग्रहण की अपेक्षा से नियमतः पाँच वर्णों वाले द्रव्यों को ग्रहण करता है। जैसे कि – काले, नीले, लाल, पीले और शुक्ल। भगवन् ! वर्ण से जिन काल द्रव्यों को ग्रहण करता है, क्या (वह) एकगुण काले द्रव्यों को ग्रहण करता है ? अथवा यावत् अनन्तगुण काले द्रव्यों को ? गौतम ! (वह) एकगुणकृष्ण यावत् अनन्तगुणकृष्ण को भी ग्रहण करता है। इसी प्रकार शुक्ल वर्ण तक कहना। भावतः जिन गन्धवान् भाषा – द्रव्यों को ग्रहण करता है, क्या (वह) एक गन्ध वाले द्रव्यों को ग्रहण करता है ? या दो गन्ध वाले को ? गौतम ! द्रव्यों की अपेक्षा से (वह) एक गन्धवाले भी ग्रहण करता है, तथा दो गन्धवाले भी, (किन्तु) सर्वग्रहण की अपेक्षा से नियमतः दो गन्ध वाले द्रव्यों को ग्रहण करता है। गन्ध से सुगन्ध वाले जिन द्रव्यों को ग्रहण करता है, क्या (वह) एकगुण सुगन्ध वाले ग्रहण करता है, यावत् अनन्तगुण सुगन्ध वाले ? गौतम ! (वह) एकगुण सुगन्ध वाले भी ग्रहण करता है, यावत् अनन्तगुण सुगन्ध वाले भी। इसी तरह दुर्गन्ध के विषय में जानना। भावतः रसवाले जिन भाषा – द्रव्यों को जीव ग्रहण करता है, क्या वह एक रस वाले ग्रहण करता है, यावत् पाँच रस वाले ? गौतम ! ग्रहणद्रव्यों की अपेक्षा से एक रस वाले, यावत् पाँच रसवाले द्रव्यों को भी ग्रहण करता है; किन्तु सर्वग्रहण की अपेक्षा से नियमतः पाँच रस वाले को ग्रहण करता है। रस से तिक्त रस वाले जिन भाषाद्रव्यों को ग्रहण करता है, क्या उन एकगुण तिक्तरसवाले को ग्रहण करता है, यावत् अनन्तगुण तिक्तरसवाले ? गौतम ! एकगुण तिक्तरसवाले भी ग्रहण करता है, यावत् अनन्तगुण तिक्तरसवाले भी। इसी प्रकार यावत् मधुर रस वाले भाषाद्रव्यों में कहना। भावतः जिन स्पर्श वाले भाषाद्रव्यों को ग्रहण करता है, (तो) क्या (वह) एक स्पर्शवाले भाषाद्रव्यों को ग्रहण करता है, यावत् आठ स्पर्शवाले ? गौतम ! ग्रहणद्रव्यों की अपेक्षा से एक स्पर्शवाले द्रव्यों को ग्रहण नहीं करता, दो यावत् चार स्पर्शवाले द्रव्यों को ग्रहण करता है, किन्तु पाँच यावत् आठ स्पर्शवाले को ग्रहण नहीं करता। सर्वग्रहण की अपेक्षा से नियमतः चार स्पर्श वाले भाषाद्रव्यों को ग्रहण करता है; शीत, उष्ण, स्निग्ध और रूक्ष। स्पर्श से जिन शीतस्पर्श वाले भाषाद्रव्यों को ग्रहण करता है, क्या (वह) एकगुण शीतस्पर्श वाले ग्रहण करता है, यावत् अनन्त – गुण ? गौतम ! (वह) एकगुण शीतद्रव्यों को भी ग्रहण करता है, यावत् अनन्तगुण भी। इसी प्रकार उष्ण, स्निग्ध और रूक्ष स्पर्शवाले में जानना। भगवन् ! जिन एकगुण कृष्णवर्ण से लेकर अनन्तगुण रूक्षस्पर्श तक के द्रव्यों को ग्रहण करता है, क्या (वह) उन स्पृष्ट द्रव्यों को ग्रहण करता है, अथवा अस्पृष्ट द्रव्यों को ? गौतम ! (वह) स्पृष्ट भाषाद्रव्यों को ही ग्रहण करता है। भगवन् ! जिन स्पृष्ट द्रव्यों को जीव ग्रहण करता है, क्या वह अवगाढ़ द्रव्यों को ग्रहण करता है, अथवा अनवगाढ़ द्रव्यों को ? गौतम ! वह अवगाढ़ द्रव्यों को ही ग्रहण करता है। भगवन् ! जिन अवगाढ़ द्रव्यों को ग्रहण करता है, क्या (वह) अनन्तरावगाढ़ द्रव्यों को ग्रहण करता है, अथवा परम्परावगाढ़ द्रव्यों को ? गौतम ! (वह) अनन्तरावगाढ़ द्रव्यों को ही ग्रहण करता है। भगवन् ! जिन अनन्तरावगाढ़ द्रव्यों को ग्रहण करता है, क्या (वह) अणुरूप द्रव्यों को ग्रहण करता है, अथवा बादर द्रव्यों को ? गौतम ! दोनों को। भगवन् ! जिन अणुद्रव्यों को (जीव) ग्रहण करता है, क्या उन्हें ऊर्ध्व (दिशा में) स्थित द्रव्यों को ग्रहण करता है, अधः दिशा में अथवा तिर्यक् दिशा में स्थित द्रव्यों को ? गौतम ! तीनों दिशा में से ग्रहण करता है। भगवन् ! (जीव) जिन (अणुद्रव्यों) को तीनों दिशा में से ग्रहण करता है, क्या वह उन्हें आदि में ग्रहण करता है, मध्य में अथवा अन्त में ? गौतम ! वह उन को तीनों में से ग्रहण करता है। जिन (भाषा) को जीव आदि, मध्य और अन्त में ग्रहण करता हे, क्या वह उन स्व – विषयक द्रव्यों को ग्रहण करता है अथवा अविषयक द्रव्यों को ? गौतम ! वह स्वविषयक द्रव्यों को ही ग्रहण करता है। भगवन् ! जिन स्वविषयक द्रव्यों को जीव ग्रहण करता है, क्या वह उन्हें आनुपूर्वी से ग्रहण करता है, अथवा अनानुपूर्वी से ? गौतम ! उनको आनुपूर्वी से ही ग्रहण करता है। भगवन् ! जिन द्रव्यों को जीव आनुपूर्वी से ग्रहण करता है, क्या उन्हें तीन दिशाओं से ग्रहण करता है, यावत् छह दिशाओं से ? गौतम ! नियमतः छह दिशाओं से ग्रहण करता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] jive nam bhamte! Jaim davvaim bhasattae genhati taim kim thiyaim genhati? Athiyaim genhati? Goyama! Thiyaim genhati, no athiyaim genhati. Jaim bhamte! Thiyaim genhati taim kim davvao genhati? Khettao genhati? Kalao genhati? Bhavao genhati? Goyama! Davvao vi genhati, khettao vi genhati, kalao vi genhati, bhavao vi genhati. Jaim davvao genhati taim kim egapaesiyaim genhati dupaesiyaim genhati java anamtapaesiyaim genhati? Goyama! No egapaesiyaim genhati java no asamkhejjapaesiyaim genhati, anamtapaesiyaim genhati. Jaim khettao genhati taim kim egapaesogadhaim genhati dupaesogadhaim genhati java asamkhejjapaesogadhaim genhati? Goyama! No egapaesogadhaim genhati java no samkhejjapaesogadhaim genhati, asamkhejjapaesogadhaim genhati. Jaim kalao genhati taim kim egasamayatthitiyaim genhati dusamayatthitiyaim genhati java asamkhejjasamayatthitiyaim genhati? Goyama! Egasamayatthitiyaim pi genhati, dusamayatthitiyaim pi genhati java asamkhejjasamayatthitiyaim pi genhati. Jaim bhavao genhati taim kim vannamamtaim genhati gamdhamamtaim genhati rasamamtaim genhati phasamamtaim genhati? Goyama! Vannamamtaim pi genhati java phasamamtaim pi genhati. Jaim bhavao vannamamtaim genhati taim kim egavannaim genhati java pamchavannaim genhati? Goyama! Gahanadavvaim paduchcha egavannaim pi genhati java pamchavannaim pi genhati, savvaggahanam paduchcha niyama pamchavannaim genhati, tam jaha–kalaim nilaim lohiyaim haliddaim sukkilaim. Jaim vannao kalaim genhati taim kim egagunakalaim genhati java anamtagunakalaim genhati? Goyama! Egagunakalaim pi genhati java anamtagunakalaim pi genhati. Evam java sukkilaim pi. Jaim bhavao gamdhamamtaim genhati taim kim egagamdhaim genhati dugamdhaim genhati? Goyama! Gahanadavvaim paduchcha egagamdhaim pi genhati dugamdhaim pi genhati, savvaggahanam paduchcha niyama dugamdhaim genhati. Jaim gamdhao subbhigamdhaim genhati taim kim egagunasubbhigamdhaim genhati java anamtaguna-subbhigamdhaim genhati? Goyama! Egagunasubbhigamdhaim pi genhati java anamtagunasubbhigamdhaim pi genhati. Evam dubbhigamdhaim pi genhati. Jaim bhavato rasamamtaim genhati taim kim egarasaim genhati java pamcharasaim genhati? Goyama! Gahanadavvaim paduchcha egarasaim pi genhati java pamcharasaim pi genhati, savvagahanam paduchcha niyama pamcharasaim genhati. Jaim rasato tittarasaim genhati taim kim egagunatittarasaim genhati java anamtagunatittarasaim genhati? Goyama! Egagunatittarasaim pi genhati java anamtagunatittarasaim pi genhati. Evam java mahuro raso. Jaim bhavato phasamamtaim genhati taim kim egaphasaim genhati java atthaphasaim genhati? Goyama! Gahanadavvaim paduchcha no egaphasaim genhati, duphasaim genhati java chauphasaim pi genhati, no pamchaphasaim genhati java no atthaphasaim pi genhati. Savvaggahanam paduchcha niyama chausaphaim genhati, tam jaha–siyaphasaim genhati, usinaphasaim genhati, niddhaphasaim genhati, lukkhaphasaim genhati. Jaim phasao siyaim genhati taim kim egagunasiyaim genhati java anamtagunasiyaim genhati? Goyama! Egagunasiyaim pi genhati java anamtagunasiyaim pi genhati. Evam usinaniddhalukkhaim java anamtagunaim pi genhati. Jaim bhamte! Java anamtagunalukkhaim genhati taim kim putthaim genhati? Aputthaim genhati? Goyama! Putthaim genhati, no aputthaim genhati. Jaim bhamte! Putthaim genhati taim kim ogadhaim genhati? Anogadhaim genhati? Goyama! Ogadhaim genhati, no anogadhaim genhati. Jaim bhamte! Ogadhaim genhati taim kim anamtarogadhaim genhati? Paramparogadhaim genhati? Goyama! Anamtarogadhaim genhati, no paramparogadhaim genhati. Jaim bhamte! Anamtarogadhaim genhati taim kim anuim genhati? Badaraim genhati? Goyama! Anuim pi genhati, badaraim pi genhati. Jaim bhamte! Anuim pi genhati bayaraim pi genhati taim kim uddham genhati? Ahe genhati? Tiriyam genhati? Goyama! Uddam pi genhati, ahe vi genhati, tiriyam pi genhati. Jaim bhamte! Uddham pi genhati ahe vi genhati tiriyam pi genhati taim kim adim genhati? Majjhe genhati? Pajjavasane genhati? Goyama! Adim pi genhati, majjhe vi genhati, pajjavasane vi genhati. Jaim bhamte! Adim pi genhati majjhe vi genhati pajjavasane vi genhati taim kim savisae genhati? Avisae genhati? Goyama! Savisae genhati, no avisae genhati. Jaim bhamte! Savisae genhati taim kim anupuvvim genhati? Ananupuvvim genhati? Goyama! Anupuvvim genhati, no ananupuvvim genhati. Jaim bhamte! Anupuvvim genhati taim kim tidisim genhati java chhaddisim genhati? Goyama! Niyama chhaddisim genhati. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Jiva jina dravyom ko bhasha ke rupa mem grahana karata hai, so sthita dravyom ko grahana karata hai ya asthita dravyom ko\? Gautama ! (vaha) sthita dravyom ko hi grahana karata hai. Bhagavan ! (jiva) jina sthita dravyom ko grahana karata hai, unhem kya dravya se, kshetra se, kala se athava bhava se grahana karata hai\? Gautama ! Vaha dravya se bhi yavat bhava se bhi grahana karata hai. Bhagavan ! Jina dravyom ko dravyatah grahana karata hai, kya vaha una ekapradeshi (dravyom) ko grahana karata hai, yavat anantapradeshi dravyom ko\? Gautama ! (jiva) sirpha anantapradeshi dravyom ko grahana karata hai. Jina dravyom ko kshetratah grahana karata hai, kya vaha ekapradeshavagarha dravyom ko grahana karata hai, yavat asamkhyeyapradeshavagarha dravyom ko\? Gautama! (vaha) asamkhyatapradeshavagarha dravyom ko grahana karata hai. (jiva) jina dravyom ko kalatah grahana karata hai, kya (vaha) eka samaya ki sthiti vale dravyom ko grahana karata hai, yavat asamkhyata samaya ki sthiti vale dravyom ko\? Gautama ! (vaha) eka samaya ki sthiti vale dravyom ko bhi grahana karata hai, yavat asamkhyata samaya ki sthiti vale dravyom ko bhi. (jiva) jina dravyom ko bhavatah grahana karata hai, kya vaha varnavale, gandhavale, rasavale athava sparsha vale dravyom ko grahana karata hai\? Gautama ! Vaha charom ko grahana karata hai. Bhavatah jina varnavan dravyom ko grahana karata hai kya (vaha) eka varna vale dravyom ko grahana karata hai, yavat pamcha varna vale dravyom ko\? Gautama ! Grahana dravyom ki apeksha se eka varna vale dravyom ko bhi grahana karata hai, yavat pamcha varna vale dravyom ko bhi. (kintu) sarvagrahana ki apeksha se niyamatah pamcha varnom vale dravyom ko grahana karata hai. Jaise ki – kale, nile, lala, pile aura shukla. Bhagavan ! Varna se jina kala dravyom ko grahana karata hai, kya (vaha) ekaguna kale dravyom ko grahana karata hai\? Athava yavat anantaguna kale dravyom ko\? Gautama ! (vaha) ekagunakrishna yavat anantagunakrishna ko bhi grahana karata hai. Isi prakara shukla varna taka kahana. Bhavatah jina gandhavan bhasha – dravyom ko grahana karata hai, kya (vaha) eka gandha vale dravyom ko grahana karata hai\? Ya do gandha vale ko\? Gautama ! Dravyom ki apeksha se (vaha) eka gandhavale bhi grahana karata hai, tatha do gandhavale bhi, (kintu) sarvagrahana ki apeksha se niyamatah do gandha vale dravyom ko grahana karata hai. Gandha se sugandha vale jina dravyom ko grahana karata hai, kya (vaha) ekaguna sugandha vale grahana karata hai, yavat anantaguna sugandha vale\? Gautama ! (vaha) ekaguna sugandha vale bhi grahana karata hai, yavat anantaguna sugandha vale bhi. Isi taraha durgandha ke vishaya mem janana. Bhavatah rasavale jina bhasha – dravyom ko jiva grahana karata hai, kya vaha eka rasa vale grahana karata hai, yavat pamcha rasa vale\? Gautama ! Grahanadravyom ki apeksha se eka rasa vale, yavat pamcha rasavale dravyom ko bhi grahana karata hai; kintu sarvagrahana ki apeksha se niyamatah pamcha rasa vale ko grahana karata hai. Rasa se tikta rasa vale jina bhashadravyom ko grahana karata hai, kya una ekaguna tiktarasavale ko grahana karata hai, yavat anantaguna tiktarasavale\? Gautama ! Ekaguna tiktarasavale bhi grahana karata hai, yavat anantaguna tiktarasavale bhi. Isi prakara yavat madhura rasa vale bhashadravyom mem kahana. Bhavatah jina sparsha vale bhashadravyom ko grahana karata hai, (to) kya (vaha) eka sparshavale bhashadravyom ko grahana karata hai, yavat atha sparshavale\? Gautama ! Grahanadravyom ki apeksha se eka sparshavale dravyom ko grahana nahim karata, do yavat chara sparshavale dravyom ko grahana karata hai, kintu pamcha yavat atha sparshavale ko grahana nahim karata. Sarvagrahana ki apeksha se niyamatah chara sparsha vale bhashadravyom ko grahana karata hai; shita, ushna, snigdha aura ruksha. Sparsha se jina shitasparsha vale bhashadravyom ko grahana karata hai, kya (vaha) ekaguna shitasparsha vale grahana karata hai, yavat ananta – guna\? Gautama ! (vaha) ekaguna shitadravyom ko bhi grahana karata hai, yavat anantaguna bhi. Isi prakara ushna, snigdha aura ruksha sparshavale mem janana. Bhagavan ! Jina ekaguna krishnavarna se lekara anantaguna rukshasparsha taka ke dravyom ko grahana karata hai, kya (vaha) una sprishta dravyom ko grahana karata hai, athava asprishta dravyom ko\? Gautama ! (vaha) sprishta bhashadravyom ko hi grahana karata hai. Bhagavan ! Jina sprishta dravyom ko jiva grahana karata hai, kya vaha avagarha dravyom ko grahana karata hai, athava anavagarha dravyom ko\? Gautama ! Vaha avagarha dravyom ko hi grahana karata hai. Bhagavan ! Jina avagarha dravyom ko grahana karata hai, kya (vaha) anantaravagarha dravyom ko grahana karata hai, athava paramparavagarha dravyom ko\? Gautama ! (vaha) anantaravagarha dravyom ko hi grahana karata hai. Bhagavan ! Jina anantaravagarha dravyom ko grahana karata hai, kya (vaha) anurupa dravyom ko grahana karata hai, athava badara dravyom ko\? Gautama ! Donom ko. Bhagavan ! Jina anudravyom ko (jiva) grahana karata hai, kya unhem urdhva (disha mem) sthita dravyom ko grahana karata hai, adhah disha mem athava tiryak disha mem sthita dravyom ko\? Gautama ! Tinom disha mem se grahana karata hai. Bhagavan ! (jiva) jina (anudravyom) ko tinom disha mem se grahana karata hai, kya vaha unhem adi mem grahana karata hai, madhya mem athava anta mem\? Gautama ! Vaha una ko tinom mem se grahana karata hai. Jina (bhasha) ko jiva adi, madhya aura anta mem grahana karata he, kya vaha una sva – vishayaka dravyom ko grahana karata hai athava avishayaka dravyom ko\? Gautama ! Vaha svavishayaka dravyom ko hi grahana karata hai. Bhagavan ! Jina svavishayaka dravyom ko jiva grahana karata hai, kya vaha unhem anupurvi se grahana karata hai, athava ananupurvi se\? Gautama ! Unako anupurvi se hi grahana karata hai. Bhagavan ! Jina dravyom ko jiva anupurvi se grahana karata hai, kya unhem tina dishaom se grahana karata hai, yavat chhaha dishaom se\? Gautama ! Niyamatah chhaha dishaom se grahana karata hai. |