Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006659 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-९ योनी |
Translated Chapter : |
पद-९ योनी |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 359 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कतिविहा णं भंते! जोणी पन्नत्ता? गोयमा! तिविहा जोणी पन्नत्ता, तं जहा–संवुडा जोणी, वियडा जोणी, संवुडवियडा जोणी। नेरइयाणं भंते! किं संवुडा जोणी? वियडा जोणी? संवुडवियडा जोणी? गोयमा! संवुडा जोणी, नो वियडा जोणी, नो संवुडवियडा जोणी। एवं जाव वणस्सइकाइयाणं। बेइंदियाणं पुच्छा। गोयमा! नो संवुडा जोणी, वियडा जोणी, नो संवुडवियडा जोणी। एवं जाव चउरिंदियाणं। सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं सम्मुच्छिममनुस्साण य एवं चेव। गब्भवक्कंतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं गब्भवक्कंतियमनुस्साण य नो संवुडा जोणी, नो वियडा जोणी, संवुडवियडा जोणी। वाणमंतर-जोइसिय-वेमानियाणं जहा नेरइयाणं। एतेसि णं भंते! जीवाणं संवुडजोणियाणं वियडजोणियाणं संवुडवियडजोणियाणं अजोणि-याण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा जीवा संवुडवियडजोणिया, वियडजोणिया असंखेज्जगुणा, अजोणिया अनंतगुणा, संवुडजोणिया अनंतगुणा | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! योनि कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की। संवृत योनि, विवृत योनि और संवृत – विवृतयोनि। भगवन् ! नैरयिकों की योनि क्या संवृत होती है, विवृत होती है अथवा संवृत – विवृत है ? गौतम ! नैरयिकों की योनि केवल संवृत होती है। इसी प्रकार वनस्पतिकायिक जीवों तक कहना। द्वीन्द्रिय जीवों की योनि विवृत होती है। इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय जीवों तक जानना। सम्मूर्च्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक एवं सम्मूर्च्छिम मनुष्यों में ऐसा ही है। गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक और गर्भज मनुष्यों की योनि संवृत – विवृत होती है। वाण – व्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों की योनि संवृत होती है। भगवन् ! इन संवृतयोनिक, विवृतयोनिक, संवृत – विवृतयोनिक तथा अयोनिक जीवों में से कौन किनसे अल्प, बहुल, तुल्य अथवा विशेषाधिक होते हैं ? गौतम ! सबसे कम संवृत – विवृतयोनिक जीव हैं, (उनसे) विवृत – योनिक जीव असंख्यातगुणे, (उनसे) अयोनिक जीव अनन्तगुणे, उनसे संवृतयोनिक जीव अनन्तगुणे हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kativiha nam bhamte! Joni pannatta? Goyama! Tiviha joni pannatta, tam jaha–samvuda joni, viyada joni, samvudaviyada joni. Neraiyanam bhamte! Kim samvuda joni? Viyada joni? Samvudaviyada joni? Goyama! Samvuda joni, no viyada joni, no samvudaviyada joni. Evam java vanassaikaiyanam. Beimdiyanam puchchha. Goyama! No samvuda joni, viyada joni, no samvudaviyada joni. Evam java chaurimdiyanam. Sammuchchhimapamchemdiyatirikkhajoniyanam sammuchchhimamanussana ya evam cheva. Gabbhavakkamtiyapamchemdiyatirikkhajoniyanam gabbhavakkamtiyamanussana ya no samvuda joni, no viyada joni, samvudaviyada joni. Vanamamtara-joisiya-vemaniyanam jaha neraiyanam. Etesi nam bhamte! Jivanam samvudajoniyanam viyadajoniyanam samvudaviyadajoniyanam ajoni-yana ya katare katarehimto appa va bahuya va tulla va visesahiya va? Goyama! Savvatthova jiva samvudaviyadajoniya, viyadajoniya asamkhejjaguna, ajoniya anamtaguna, samvudajoniya anamtaguna | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Yoni kitane prakara ki hai\? Gautama ! Tina prakara ki. Samvrita yoni, vivrita yoni aura samvrita – vivritayoni. Bhagavan ! Nairayikom ki yoni kya samvrita hoti hai, vivrita hoti hai athava samvrita – vivrita hai\? Gautama ! Nairayikom ki yoni kevala samvrita hoti hai. Isi prakara vanaspatikayika jivom taka kahana. Dvindriya jivom ki yoni vivrita hoti hai. Isi prakara chaturindriya jivom taka janana. Sammurchchhima pamchendriya tiryamchayonika evam sammurchchhima manushyom mem aisa hi hai. Garbhaja pamchendriya tiryamchayonika aura garbhaja manushyom ki yoni samvrita – vivrita hoti hai. Vana – vyantara, jyotishka aura vaimanika devom ki yoni samvrita hoti hai. Bhagavan ! Ina samvritayonika, vivritayonika, samvrita – vivritayonika tatha ayonika jivom mem se kauna kinase alpa, bahula, tulya athava visheshadhika hote haim\? Gautama ! Sabase kama samvrita – vivritayonika jiva haim, (unase) vivrita – yonika jiva asamkhyatagune, (unase) ayonika jiva anantagune, unase samvritayonika jiva anantagune haim. |