Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006528 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-२ स्थान |
Translated Chapter : |
पद-२ स्थान |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 228 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कहि णं भंते! ईसानगदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता? कहि णं भंते! ईसानगदेवा परिवसंति? गोयमा! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वतस्स उत्तरेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ उड्ढं चंदिम-सूरिय-गह-नक्खत्त-तारारूवाणं बहूइं जोयणसताइं बहूइं जोयणसहस्साइं जाव उप्पइत्ता, एत्थ णं ईसाने नामं कप्पे पन्नत्ते–पाईण पडीणायते उदीण-दाहिणविच्छिण्णे एवं जहा सोहम्मे जाव पडिरूवे। तत्थ णं ईसाणदेवगाणं अट्ठावीसं विमानावाससतसहस्सा हवंतीति मक्खातं। ते णं विमाना सव्वरयणामया जाव पडिरूवा। तेसि णं बहुमज्झदेसभाए पंच वडेंसगा पन्नत्ता, तं जहा–अंकवडेंसए फलिहवडेंसए रतणवडेंसए जातरूववडेंसए मज्झे यत्थ ईसाणवडेंसए। ते णं वडेंसया सव्वरयणामया जाव पडिरूव, एत्थ णं ईसानाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता। तिसु वि लोगस्स असंखेज्जतिभागे। सेसं जहा सोहम्मगदेवाणं जाव विहरंति। ईसाने यत्थ देविंदे देवराया परिवसति–सूलपाणी वसभवाहणे उत्तरड्ढलोगाधिवती अट्ठावीस-विमानावाससतसहस्साधिवती अरयंबरवत्थधरे सेसं जहा सक्कस्स जाव पभासेमाणे। से णं तत्थ अट्ठावीसाए विमानावाससतसहस्साणं असीतीए सामानियसाहस्सीणं तायत्तीसाए तावत्तीसगाणं चउण्हं लोगपालाणं अट्ठण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं तिण्हं परिसाणं सत्तण्हं अनियाणं सत्तण्हं अनियाधिवतीणं चउण्हं असीतीणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं ईसानकप्पवासीणं वेमानियाणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं कुव्वमाणे जाव विहरति। कहि णं भंते! सणंकुमारदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता? कहि णं भंते! सणंकुमारदेवा परिवसंति? गोयमा! सोहम्मस्स कप्पस्स उप्पिं सपक्खिं सपडिदिसिं बहूइं जोयणाइं बहूइं जोयणसताइं बहूइं जोयणसहस्साइं बहूइं जोयणसतसहस्साइं बहुगीओ जोयणकोडीओ बहुगीओ जोयणकोडाकोडीओ उड्ढं दूरं उप्पइत्ता, एत्थ णं सणंकुमारे नामं कप्पे पाईण-पडीणायते उदीण-दाहिणविच्छिन्ने जहा सोहम्मे जाव पडिरूवे, एत्थ णं सणंकुमाराणं देवाणं बारस विमाना-वाससतसहस्सा भवंतीति मक्खातं। ते णं विमाना सव्वरयणामया जाव पडिरूवा। तेसि णं विमानाणं बहुमज्झदेसभागे पंच वडेंसगा पन्नत्ता, तं जहा–असोगवडेंसए सत्तिवण्णवडेंसए चंपगवडेंसए चूयवडेंसए मज्झे यत्थ सणंकुमारवडेंसए। ते णं वडेंसया सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, एत्थ णं सणंकुमारदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता। तिसु वि लोगस्स असंखेज्जइभागे। तत्थ णं बहवे सणंकुमारा देवा परिवसंति–महिड्ढिया जाव पभासेमाणा विहरंति, नवरं–अग्गमहिसीओ नत्थि। सणंकुमारे यत्थ देविंदे देवराया परिवसति–अरयंबरवत्थधरे सेसं जहा सक्कस्स। से णं तत्थ बारसण्हं विमानावाससतसहस्साणं बावत्तरीए सामानियसाहस्सीणं सेसं जहा सक्कस्स अग्ग-महिसीवज्जं, नवरं–चउण्हं बावत्तरीणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं जाव विहरइ। कहि णं भंते! माहिंदाणं देवाणुं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता? कहि णं भंते! माहिंदगदेवा परिवसंति? गोयमा! ईसाणस्स कप्पस्स उप्पिं सपक्खि सपडिदिसिं बहूइं जोयणाइं जाव बहुगीओ जोयणकोडाकोडीओ उड्ढं दूरं उप्पइत्ता, एत्थ णं माहिंदे नामं कप्पे पायीण-पडीणायए एवं जहेव सणंकुमारे, नवरं–अट्ठ विमानावाससतसहस्सा। वडेंसया जहा ईसाने, नवरं–मज्झे यत्थ माहिद-वडेंसए। एवं सेसं जहा सणंकुमारदेवाणं जाव विहरति। माहिंदे यत्थ देविंदे देवराया परिवसति–अरयंबरवत्थधरे, एवं जहा सणंकुमारे जाव नवरं–अट्ठण्हं विमानावाससतसहस्साणं सत्तरीए सामानियसाहस्सीणं चउण्हं सत्तरीणं आयरक्खदेव-साहस्सीणं जाव विहरइ। कहि णं भंते! बंभलोगदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता? कहि णं भंते! बंभलोगदेवा परिवसंति? गोयमा! सणंकुमार-माहिंदाणं कप्पाणं उप्पिं सपक्खिं सपडिदिसिं बहूइं जोयणाइं जाव उप्पइत्ता, एत्थ णं बंभलोए नामं कप्पे पाईण-पडीणायए उदीणदाहिणविच्छिन्ने पडिपुण्ण-चंदसंठाणसंठिते अच्चिमालीभासरासिप्पभे अवसेसं जहा सणंकुमाराणं, नवरं–चत्तारि विमानावास-सतसहस्सा। वडिंसगा जहा सोहम्मवडेंसया, नवरं–मज्झे यत्थ बंभलोयवडिंसए, एत्थ णं बंभलोगाणं देवाणं ठाणा पन्नत्ता। सेसं तहेव जाव विहरंति। बंभे यत्थ देविंदे देवराया परिवसति–अरयंबरवत्थधरे, एवं जहा सणंकुमारे जाव विहरति, नवरं–चउण्हं विमानावाससतसहस्साणं सड्ढीए सामानियसाहस्सीणं चउण्हं य सट्ठीणं आयरक्ख-देवसाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं जाव विहरति। कहि णं भंते! लंतगदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता? कहि णं भंते! लंतगदेवा परिवसंति? गोयमा! बंभलोगस्स कप्पस्स उप्पिं सपक्खिं सपडिदिसिं बहूइं जोयणसयाइं जाव बहुणीओ जोयणकोडाकोडीओ उड्ढं दूरं उप्पइत्ता, एत्थ णं लंतए नाम कप्पे पन्नत्ते–पाईण-पडीणायए जहा बंभलोए, नवरं–पन्नासं विमानावाससहस्सा भवंतीति मक्खातं। वडेंसगा जहा ईसानवडेंसगा, नवरं–मज्झे यत्थ लंतगवडेंसए। देवा तहेव जाव विहरंति। लंतए यत्थ देविंदे देवराया परिवसति जहा सणंकुमारे, नवरं–पन्नासाए विमानावाससहस्साणं पन्नासाए सामानियसाहस्सीणं चउण्ह य पन्नासाणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं जाव विहरति। कहि णं भंते! महासुक्काणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता? कहि णं भंते! महासुक्का देवा परिवसंति? गोयमा! लंतयस्स कप्पस्स उप्पिं सपक्खिं सपडिदिसिं जाव उप्पइत्ता, एत्थ णं महासुक्के कप्पे पन्नत्ते–पाईणपडीयाणए उदीणदाहिणवित्थिण्णे जहा बंभलोए, नवरं–चत्तालीसं विमानावाससहस्सा भवंतीति मक्खातं। वडेंसगा जहा सोहम्मवडेंसगा, नवरं–मज्झे यत्थ महासुक्कवडेंसए जाव विहरति। महासुक्के यत्थ देविंदे देवराया जहा सणंकुमारे, नवरं–चत्तालीसाए विमानावाससहस्साणं चत्तालीसाए सामानियसाहस्सीणं चउण्ह य चत्तालीसाणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं जाव विहरति। कहि णं भंते! सहस्सारदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता? कहि णं भंते! सहस्सारदेवा परिवसंति? गोयमा! महासुक्कस्स कप्पस्स उप्पिं सपक्खिं सपडिदिसिं जाव उप्पइत्ता, एत्थ णं सहस्सारे नामं कप्पे पन्नत्ते– पाईण-पडीणायते जहा बंभलोए, नवरं–छव्विमाणावाससहस्सा भवंतीति मक्खातं। देवा तहेव जाव वडेंसगा जहा ईसाणवडेंसगा, नवरं– मज्झे यत्थ सहस्सारवडेंसए जाव विहरंति। सहस्सारे यत्थ देविंदे देवराया परिवसंति जहा सणंकुमारे, नवरं–छण्हं विमानावाससहस्साणं तीसाए सामानियसाहस्सीणं चउण्ह य तीसाए आयरक्खदेवसाहस्सीणं जाव आहेवच्चं कारेमाणे विहरति। कहि णं भंते! आणय-पाणयाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता? कहि णं भंते! आणय-पाणया देवा परिवसंति? गोयमा! सहस्सारस्स कप्पस्स उप्पिं सपक्खिं सपडिदिसिं जाव उप्पइत्ता, एत्थ णं आणयपाणयनामेणं दुवे कप्पा पन्नत्ता–पाईणपडीणायता उदीणदाहिणवित्थिन्ना अद्धचंदसंठाणसंठिता अच्चिमालीभासरासिप्पभा, सेसं जहा सणंकुमारे जाव पडिरूवा। तत्थ णं आणयपाणयदेवाणं चत्तारि विमानावाससता भवंतीति मक्खायं जाव पडिरूवा। वडिंसगा जहा सोहम्मे, नवरं –मज्झे पाणयवडेंसए। ते णं वडेंसगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, एत्थ णं आणयपाणयदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता। तिसु वि लोगस्स असंखेज्जइभागे। तत्थ णं बहवे आणय-पाणयदेवा परिवसंति–महिड्ढीया जाव पभासेमाणा। ते णं तत्थ साणं-साणं विमानावाससयाणं जाव विहरंति। पाणए यत्थ देविंदे देवराया परिवसति जहा सणंकुमारे, नवरं–चउण्हं विमानावाससयाणं वीसाए सामानियसाहस्सीणं असीतीए आयरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं जाव विहरति। कहि णं भंते! आरणच्चुत्ताणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता? कहि णं भंते! आरणच्चुता देवा परिवसंति? गोयमा! आणय-पाणयाणं कप्पाणं उप्पिं सपक्खिं सपडिदिसिं जाव उप्पइत्ता, एत्थ णं आरणच्चुया नामं दुवे कप्पा पन्नत्ता–पाईणपडीणायया उदीणदाहिणविच्छिन्ना अद्धचंदसंठाणसंठिता अच्चिमालीभासरासिवण्णाभा असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ आयाम-विक्खंभेणं असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ परिक्खेवेणं सव्वरयणामया अच्छा सण्हा लण्हा धट्ठा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पभा सस्सिरीया सउज्जोया पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा, एत्थ णं आरणच्चुताणं देवाणं तिन्नि विमानावाससता हवंतीति मक्खायं। ते णं विमाना सव्वरयणामया अच्छा सण्हा लण्हा धट्ठा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पभा सस्सिरीया सउज्जोत्ता पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। तेसि णं विमानाणं बहुमज्झदेसभाए पंच वडेंसगा पन्नत्ता, तं जहा–अंकवडेंसए फलिहवडेंसए रयणवडेंसए जायरूववडेंसए मज्झे यत्थ अच्चुतवडेंसए ते णं वडेंसया सव्वरयणामया जाव पडिरूवा, एत्थ णं आरणच्चुयाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता। तिसु वि लोगस्स असंखेज्जइभागे। तत्थ णं बहवे आरणच्चुता देवा जाव विहरंति। अच्चुते यत्थ देविंदे देवराया परिवसति जहा पाणए जाव विहरति, नवरं–तिण्हं विमानावाससताणं दसण्हं सामानियसाह-स्सीणं चत्तालीसाए आयरक्खदेवसाहस्सीणं आहेवच्चं कुव्वमाणे जाव विहरति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! पर्याप्त और अपर्याप्त ईशानक देवों के स्थान कहाँ हैं ? गौतम ! जम्बूद्वीप में सुमेरुपर्वत के उत्तर में, इस रत्नप्रभापृथ्वी के अत्यधिक सम और रमणीय भूभाग से ऊपर, यावत् दूर जाकर ईशान नामक कल्प कहा गया है, शेष वर्णन सौधर्म के समान समझना। उस में ईशान देवों के २८ लाख विमानावास हैं। वे विमान सर्वरत्न – मय यावत् प्रतिरूप हैं। उन विमानावासों के ठीक मध्यदेशभाग में पाँच अवतंसक कहे गए हैं। अंकावतंसक, स्फटिकावतंसक, रत्नावतंसक, जातरूपावतंसक और इनके मध्य में ईशानावतंसक। वे अवतंसक पूर्णरूप से रत्नमय यावत् प्रतिरूप हैं, इन्हीं में पर्याप्तक और अपर्याप्तक ईशान देवों के स्थान हैं। शेष सब वर्णन पूर्ववत्। इस ईशानकल्प में देवेन्द्र देवराज ईशान निवास करता है, शूलपाणि, वृषभवाहन, उत्तरार्द्धलोकाधिपति, २८ लाख विमानावासों का अधिपति, रजरहित स्वच्छ वस्त्रों का धारक है, शेष वर्णन पूर्ववत्। वह वहाँ २८ लाख विमाना – वासों का, ८०,००० सामानिक देवों का, तैंतीस त्रायस्त्रिंशक देवों का, चार लोकपालों का, आठ सपरिवार अग्रमहि – षियों का, तीन परिषदों का, सात सेनाओं का, सात सेनाधिपति देवों का, ३,२०,००० आत्मरक्षक देवों का तथा अन्य बहुत – से ईशानकल्पवासी देवों और देवियों का आधिपत्य, यावत् ‘विचरण करता है’। भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक सनत्कुमार देवों के स्थान कहाँ कहे गए हैं ? गौतम ! सौधर्म – कल्प के ऊपर समान पक्ष और समान प्रतिदिशा में बहुत योजन, यावत् ऊपर दूर जाने पर सनत्कुमार कल्प है, इत्यादि सब वर्णन पूर्ववत्। इसी में सनत्कुमार देवों के बारह लाख विमान हैं। वे विमान पूर्णरूप से रत्नमय हैं, यावत् ‘प्रतिरूप हैं’ उन विमानों के बीचोंबीच में पाँच अवतंसक हैं। अशोकावतंसक, सप्तपर्णावतंसक, चंपकावतंसक, चूताव – तंसक और इनके मध्य में सनत्कुमारावतंसक है। वर्णन पूर्ववत्। इन में पर्याप्तक और अपर्याप्तक सनत्कुमार देवों के स्थान हैं। उनमें बहुत – से सनत्कुमार देव निवास करते हैं, जो महर्द्धिक हैं, (इत्यादि) विशेष यह है कि यहाँ अग्रमहिषियाँ नहीं हैं। यहीं देवेन्द्र देवराज सनत्कुमार निवास करता है, शेष वर्णन पूर्ववत्। वह बारह लाख विमानावासों का, ७२,००० सामानिक देवों का, (इत्यादि) वर्णन पूर्ववत् ‘अग्रमहिषियों को छोड़कर’ (करना)। विशेषता यह कि २,२८,००० आत्मरक्षक देवों का आधिपत्य करते हुए…यावत् ’विचरण करता है’। भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक माहेन्द्र देवों के स्थान कहाँ कहे गए हैं ? गौतम ! ईशानकल्प के ऊपर समान पक्ष और समान विदिशा में बहुत योजन, यावत् ऊपर दूर जाने पर वहाँ माहेन्द्र कल्प है, इत्यादि पूर्ववत्। विशेष यह है कि इस कल्प में विमान आठ लाख हैं। इनके बीच में माहेन्द्रअवतंसक है। यहीं देवेन्द्र देवराज माहेन्द्र निवास करता है; शेष पूर्ववत्। विशेष यह है कि माहेन्द्र आठ लाख विमानावासों का, ७०,००० सामानिक देवो का, २,८०,००० आत्मरक्षक देवों का यावत् ‘विचरण करता है’। भगवन् ! पर्याप्त और अपर्याप्त ब्रह्मलोक देवों के स्थान कहाँ कहे गए हैं ? गौतम ! सनत्कुमार और माहेन्द्र कल्पों के ऊपर समान पक्ष और समान विदिशा में बहुत योजन यावत् ऊपर दूर जाने पर, वहाँ ब्रह्मलोक कल्प है, जो पूर्व – पश्चिम में लम्बा और उत्तर – दक्षिण में विस्तीर्ण, परिपूर्ण चन्द्रमा के आकार का, ज्योतिमाला तथा दीप्तिराशि की प्रभावाला है। विशेष यह कि चार लाख विमानावास हैं। इनके मध्य में ब्रह्मलोक अवतंसक है; जहाँ कि ब्रह्मलोक देवों के स्थान हैं। शेष वर्णन पूर्ववत् ! ब्रह्मलोकावतंसक में देवेन्द्र देवराज ब्रह्म निवास करता है; (इत्यादि पूर्ववत्)। विशेष यह कि चार लाख विमानावासों का, ६०,००० सामानिकों का, २,४०,००० आत्मरक्षक देवों का तथा अन्य बहुत से ब्रह्मलोककल्प के देवों का आधिपत्य करता हुआ यावत् ‘विचरण करता है’। भगवन् ! पर्याप्त और अपर्याप्त लान्तक देवों के स्थान कहाँ हैं ? गौतम ! ब्रह्मलोक कल्प के ऊपर समान दिशा और समान विदिशा में यावत् बहुत कोटाकोटी योजन ऊपर दूर जाने पर, लान्तक कल्प है, इत्यादि सब वर्णन पूर्ववत्, विशेष यह कि (इस कल्प में) ५०,००० विमानावास हैं, पाँचवा लान्तक अवतंसक है। शेष पूर्ववत्। इस लान्तक अवतंसक में देवेन्द्र देवराज लान्तक निवास करता है, शेष पूर्ववत्। विशेष यह है कि (लान्तकेन्द्र) ५०,००० विमानावासों का, ५०,००० सामानिकों का, दो लाख आत्मरक्षक देवों का, तथा अन्य बहुत – से लान्तक देवों का आधिपत्य करता हुआ यावत् ‘विचरण करता है’। भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक महाशुक्र देवों के स्थान कहाँ हैं ? गौतम ! लान्तककल्प के ऊपर समान दिशा में यावत् ऊपर जाने पर, महाशुक्र कल्प है, शेष वर्णन पूर्ववत्। विशेष इतना कि ४०,००० विमाना – वास हैं। (पाँचवा) महाशुक्रावतंसक है, यावत् ‘विचरण करते हैं’। इस महाशुक्रावतंसक में देवेन्द्र देवराज महाशुक्र रहता है, वर्णन पूर्ववत्। विशेष यह कि (वह महाशुक्रेन्द्र) ४०,००० विमानावासों का, ४०,००० सामानिकों का, और १,६०,००० आत्मरक्षक देवों का आधिपतित्व करता हुआ…यावत् ‘विचरण करता है’। भगवन् ! पर्याप्त – अपर्याप्त सहस्रार देवों का स्थान कहाँ है ? गौतम ! महाशुक्र कल्प के ऊपर समान दिशा और समान विदिशा से यावत् ऊपर दूर जाने पर, वहाँ सहस्रार कल्प है, समस्त वर्णन पूर्ववत्। विशेष यह कि (इस सहस्रार कल्प में) ६००० विमानावास (पाँचवा) ‘सहस्रारावतंसक’ समझना। यावत् ‘विचरण करते हैं’। इसी स्थान पर देवेन्द्र देवराज सहस्रार निवास करता है। (वर्णन पूर्ववत्) विशेष यह है कि (सहस्रारेन्द्र) ६००० विमाना – वासों का, ३०,००० सामानिक देवों का और १,२०,००० आत्मरक्षक देवों का यावत् आधिपत्य करता हुआ विचरण करता है। भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक आनत एवं प्राणत देवों के स्थान कहाँ हैं ? गौतम ! सहस्रार कल्प के ऊपर समान दिशा और विदिशा में, यावत् ऊपर दूर जा कर, यहाँ आनत एवं प्राणत नाम के दो कल्प हैं; जो पूर्व – पश्चिम में लम्बे और उत्तर – दक्षिण में विस्तीर्ण, अर्द्धचन्द्र के आकार में संस्थित, ज्योतिमाला और दीप्तिराशि की प्रभा के समान हैं, शेष सब वर्णन पूर्ववत्। उन कल्पों में आनत और प्राणत देवों के ४०० विमानावास हैं; पूर्ववत्। विशेष यह कि इनमें (पाँचवा) प्राणतावतंसक है। वे अवतंसक पूर्णरूप से रत्नमय है, स्वच्छ हैं, यावत् ‘प्रतिरूप हैं’। इन (अवतंसकों) में पर्याप्त – अपर्याप्त आनत – प्राणत देवों के स्थान हैं। ये स्थान तीनों अपेक्षाओं से, लोक के असंख्यातवें भाग में हैं; जहाँ बहुत – से आनत – प्राणत देव निवास करते हैं, जो महर्द्धिक हैं, यावत् वे (आनत – प्राणत देव) वहाँ अपने – अपने सैकड़ों विमानों का यावत् आधिपत्य करते हुए विचरते हैं। यहीं देवेन्द्र देवराज प्राणत निवास करता है, वर्णन पूर्ववत्। विशेष यह कि (यह प्राणतेन्द्र) चार सौ विमानावासों का, २०,००० सामानिक देवों का तथा ८०,००० आत्मरक्षक देवों का एवं अन्य बहुत – से देवों का अधिपतित्व करता हुआ यावत् ‘विचरण करता है’। भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक आरण और अच्युत देवों के स्थान कहाँ हैं ? गौतम ! आनत – प्राणत कल्पों के ऊपर समान दिशा और समान विदिशा में, यहाँ आरण और अच्युत नाम के दो कल्प हैं, जो पूर्व – पश्चिम में लम्बे और उत्तर – दक्षिण में विस्तीर्ण हैं, अर्द्धचन्द्र के आकार में संस्थित और अर्चिमाली की तेजोराशि के समान प्रभा वाले हैं। उनकी लम्बाई – चौड़ाई तथा परिधि भी असंख्यात कोटा – कोटी योजन की है। वे विमान पूर्णतः रत्नमय, स्वच्छ यावत् प्रतिरूप हैं। उन विमानों के ठीक मध्यप्रदेशभाग में पाँच अवतंसक कहे गए हैं। वे इस प्रकार हैं – १. अंकावतंसक, २. स्फटिकावतंसक, ३. रत्नावतंसक, ४. जातरूपावतंसक और इन चारों के मध्य में, ५. अच्युतावतंसक है। ये अवतंसक सर्वरत्नमय हैं, यावत् प्रतिरूप हैं। इनमें आरण और अच्युत देवों के पर्याप्तकों एवं अपर्याप्तकों के स्थान हैं। (ये स्थान) तीनों अपेक्षाओं से लोक के असंख्यातवें भाग में हैं। इनमें बहुत – से आरण और अच्युत देव यावत् विचरण करते हैं। यहीं अच्युतावतंसक में देवेन्द्र देवराज अच्युत निवास करता है। वर्णन पूर्ववत्। विशेष यह कि अच्युतेन्द्र तीन सौ विमानावासों का, १०,००० सामानिक देवों का तथा ४०,००० आत्मरक्षक देवों का आधिपत्य करता हुआ यावत् विचरण करता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kahi nam bhamte! Isanagadevanam pajjattapajjattanam thana pannatta? Kahi nam bhamte! Isanagadeva parivasamti? Goyama! Jambuddive dive mamdarassa pavvatassa uttarenam imise rayanappabhae pudhavie bahusamaramanijjao bhumibhagao uddham chamdima-suriya-gaha-nakkhatta-tararuvanam bahuim joyanasataim bahuim joyanasahassaim java uppaitta, ettha nam isane namam kappe pannatte–paina padinayate udina-dahinavichchhinne evam jaha sohamme java padiruve. Tattha nam isanadevaganam atthavisam vimanavasasatasahassa havamtiti makkhatam. Te nam vimana savvarayanamaya java padiruva. Tesi nam bahumajjhadesabhae pamcha vademsaga pannatta, tam jaha–amkavademsae phalihavademsae ratanavademsae jataruvavademsae majjhe yattha isanavademsae. Te nam vademsaya savvarayanamaya java padiruva, ettha nam isananam devanam pajjattapajjattanam thana pannatta. Tisu vi logassa asamkhejjatibhage. Sesam jaha sohammagadevanam java viharamti. Isane yattha devimde devaraya parivasati–sulapani vasabhavahane uttaraddhalogadhivati atthavisa-vimanavasasatasahassadhivati arayambaravatthadhare sesam jaha sakkassa java pabhasemane. Se nam tattha atthavisae vimanavasasatasahassanam asitie samaniyasahassinam tayattisae tavattisaganam chaunham logapalanam atthanham aggamahisinam saparivaranam tinham parisanam sattanham aniyanam sattanham aniyadhivatinam chaunham asitinam ayarakkhadevasahassinam annesim cha bahunam isanakappavasinam vemaniyanam devana ya devina ya ahevachcham porevachcham kuvvamane java viharati. Kahi nam bhamte! Sanamkumaradevanam pajjattapajjattanam thana pannatta? Kahi nam bhamte! Sanamkumaradeva parivasamti? Goyama! Sohammassa kappassa uppim sapakkhim sapadidisim bahuim joyanaim bahuim joyanasataim bahuim joyanasahassaim bahuim joyanasatasahassaim bahugio joyanakodio bahugio joyanakodakodio uddham duram uppaitta, ettha nam sanamkumare namam kappe paina-padinayate udina-dahinavichchhinne jaha sohamme java padiruve, ettha nam sanamkumaranam devanam barasa vimana-vasasatasahassa bhavamtiti makkhatam. Te nam vimana savvarayanamaya java padiruva. Tesi nam vimananam bahumajjhadesabhage pamcha vademsaga pannatta, tam jaha–asogavademsae sattivannavademsae champagavademsae chuyavademsae majjhe yattha sanamkumaravademsae. Te nam vademsaya savvarayanamaya achchha java padiruva, ettha nam sanamkumaradevanam pajjattapajjattanam thana pannatta. Tisu vi logassa asamkhejjaibhage. Tattha nam bahave sanamkumara deva parivasamti–mahiddhiya java pabhasemana viharamti, navaram–aggamahisio natthi. Sanamkumare yattha devimde devaraya parivasati–arayambaravatthadhare sesam jaha sakkassa. Se nam tattha barasanham vimanavasasatasahassanam bavattarie samaniyasahassinam sesam jaha sakkassa agga-mahisivajjam, navaram–chaunham bavattarinam ayarakkhadevasahassinam java viharai. Kahi nam bhamte! Mahimdanam devanum pajjattapajjattanam thana pannatta? Kahi nam bhamte! Mahimdagadeva parivasamti? Goyama! Isanassa kappassa uppim sapakkhi sapadidisim bahuim joyanaim java bahugio joyanakodakodio uddham duram uppaitta, ettha nam mahimde namam kappe payina-padinayae evam jaheva sanamkumare, navaram–attha vimanavasasatasahassa. Vademsaya jaha isane, navaram–majjhe yattha mahida-vademsae. Evam sesam jaha sanamkumaradevanam java viharati. Mahimde yattha devimde devaraya parivasati–arayambaravatthadhare, evam jaha sanamkumare java navaram–atthanham vimanavasasatasahassanam sattarie samaniyasahassinam chaunham sattarinam ayarakkhadeva-sahassinam java viharai. Kahi nam bhamte! Bambhalogadevanam pajjattapajjattanam thana pannatta? Kahi nam bhamte! Bambhalogadeva parivasamti? Goyama! Sanamkumara-mahimdanam kappanam uppim sapakkhim sapadidisim bahuim joyanaim java uppaitta, ettha nam bambhaloe namam kappe paina-padinayae udinadahinavichchhinne padipunna-chamdasamthanasamthite achchimalibhasarasippabhe avasesam jaha sanamkumaranam, navaram–chattari vimanavasa-satasahassa. Vadimsaga jaha sohammavademsaya, navaram–majjhe yattha bambhaloyavadimsae, ettha nam bambhaloganam devanam thana pannatta. Sesam taheva java viharamti. Bambhe yattha devimde devaraya parivasati–arayambaravatthadhare, evam jaha sanamkumare java viharati, navaram–chaunham vimanavasasatasahassanam saddhie samaniyasahassinam chaunham ya satthinam ayarakkha-devasahassinam annesim cha bahunam java viharati. Kahi nam bhamte! Lamtagadevanam pajjattapajjattanam thana pannatta? Kahi nam bhamte! Lamtagadeva parivasamti? Goyama! Bambhalogassa kappassa uppim sapakkhim sapadidisim bahuim joyanasayaim java bahunio joyanakodakodio uddham duram uppaitta, ettha nam lamtae nama kappe pannatte–paina-padinayae jaha bambhaloe, navaram–pannasam vimanavasasahassa bhavamtiti makkhatam. Vademsaga jaha isanavademsaga, navaram–majjhe yattha lamtagavademsae. Deva taheva java viharamti. Lamtae yattha devimde devaraya parivasati jaha sanamkumare, navaram–pannasae vimanavasasahassanam pannasae samaniyasahassinam chaunha ya pannasanam ayarakkhadevasahassinam annesim cha bahunam java viharati. Kahi nam bhamte! Mahasukkanam devanam pajjattapajjattanam thana pannatta? Kahi nam bhamte! Mahasukka deva parivasamti? Goyama! Lamtayassa kappassa uppim sapakkhim sapadidisim java uppaitta, ettha nam mahasukke kappe pannatte–painapadiyanae udinadahinavitthinne jaha bambhaloe, navaram–chattalisam vimanavasasahassa bhavamtiti makkhatam. Vademsaga jaha sohammavademsaga, navaram–majjhe yattha mahasukkavademsae java viharati. Mahasukke yattha devimde devaraya jaha sanamkumare, navaram–chattalisae vimanavasasahassanam chattalisae samaniyasahassinam chaunha ya chattalisanam ayarakkhadevasahassinam java viharati. Kahi nam bhamte! Sahassaradevanam pajjattapajjattanam thana pannatta? Kahi nam bhamte! Sahassaradeva parivasamti? Goyama! Mahasukkassa kappassa uppim sapakkhim sapadidisim java uppaitta, ettha nam sahassare namam kappe pannatte– paina-padinayate jaha bambhaloe, navaram–chhavvimanavasasahassa bhavamtiti makkhatam. Deva taheva java vademsaga jaha isanavademsaga, navaram– majjhe yattha sahassaravademsae java viharamti. Sahassare yattha devimde devaraya parivasamti jaha sanamkumare, navaram–chhanham vimanavasasahassanam tisae samaniyasahassinam chaunha ya tisae ayarakkhadevasahassinam java ahevachcham karemane viharati. Kahi nam bhamte! Anaya-panayanam devanam pajjattapajjattanam thana pannatta? Kahi nam bhamte! Anaya-panaya deva parivasamti? Goyama! Sahassarassa kappassa uppim sapakkhim sapadidisim java uppaitta, ettha nam anayapanayanamenam duve kappa pannatta–painapadinayata udinadahinavitthinna addhachamdasamthanasamthita achchimalibhasarasippabha, sesam jaha sanamkumare java padiruva. Tattha nam anayapanayadevanam chattari vimanavasasata bhavamtiti makkhayam java padiruva. Vadimsaga jaha sohamme, navaram –majjhe panayavademsae. Te nam vademsaga savvarayanamaya achchha java padiruva, ettha nam anayapanayadevanam pajjattapajjattanam thana pannatta. Tisu vi logassa asamkhejjaibhage. Tattha nam bahave anaya-panayadeva parivasamti–mahiddhiya java pabhasemana. Te nam tattha sanam-sanam vimanavasasayanam java viharamti. Panae yattha devimde devaraya parivasati jaha sanamkumare, navaram–chaunham vimanavasasayanam visae samaniyasahassinam asitie ayarakkhadevasahassinam annesim cha bahunam java viharati. Kahi nam bhamte! Aranachchuttanam devanam pajjattapajjattanam thana pannatta? Kahi nam bhamte! Aranachchuta deva parivasamti? Goyama! Anaya-panayanam kappanam uppim sapakkhim sapadidisim java uppaitta, ettha nam aranachchuya namam duve kappa pannatta–painapadinayaya udinadahinavichchhinna addhachamdasamthanasamthita achchimalibhasarasivannabha asamkhejjao joyanakodakodio ayama-vikkhambhenam asamkhejjao joyanakodakodio parikkhevenam savvarayanamaya achchha sanha lanha dhattha mattha niraya nimmala nippamka nikkamkadachchhaya sappabha sassiriya saujjoya pasaiya darisanijja abhiruva padiruva, ettha nam aranachchutanam devanam tinni vimanavasasata havamtiti makkhayam. Te nam vimana savvarayanamaya achchha sanha lanha dhattha mattha niraya nimmala nippamka nikkamkadachchhaya sappabha sassiriya saujjotta pasaiya darisanijja abhiruva padiruva. Tesi nam vimananam bahumajjhadesabhae pamcha vademsaga pannatta, tam jaha–amkavademsae phalihavademsae rayanavademsae jayaruvavademsae majjhe yattha achchutavademsae te nam vademsaya savvarayanamaya java padiruva, ettha nam aranachchuyanam devanam pajjattapajjattanam thana pannatta. Tisu vi logassa asamkhejjaibhage. Tattha nam bahave aranachchuta deva java viharamti. Achchute yattha devimde devaraya parivasati jaha panae java viharati, navaram–tinham vimanavasasatanam dasanham samaniyasaha-ssinam chattalisae ayarakkhadevasahassinam ahevachcham kuvvamane java viharati. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Paryapta aura aparyapta ishanaka devom ke sthana kaham haim\? Gautama ! Jambudvipa mem sumeruparvata ke uttara mem, isa ratnaprabhaprithvi ke atyadhika sama aura ramaniya bhubhaga se upara, yavat dura jakara ishana namaka kalpa kaha gaya hai, shesha varnana saudharma ke samana samajhana. Usa mem ishana devom ke 28 lakha vimanavasa haim. Ve vimana sarvaratna – maya yavat pratirupa haim. Una vimanavasom ke thika madhyadeshabhaga mem pamcha avatamsaka kahe gae haim. Amkavatamsaka, sphatikavatamsaka, ratnavatamsaka, jatarupavatamsaka aura inake madhya mem ishanavatamsaka. Ve avatamsaka purnarupa se ratnamaya yavat pratirupa haim, inhim mem paryaptaka aura aparyaptaka ishana devom ke sthana haim. Shesha saba varnana purvavat. Isa ishanakalpa mem devendra devaraja ishana nivasa karata hai, shulapani, vrishabhavahana, uttararddhalokadhipati, 28 lakha vimanavasom ka adhipati, rajarahita svachchha vastrom ka dharaka hai, shesha varnana purvavat. Vaha vaham 28 lakha vimana – vasom ka, 80,000 samanika devom ka, taimtisa trayastrimshaka devom ka, chara lokapalom ka, atha saparivara agramahi – shiyom ka, tina parishadom ka, sata senaom ka, sata senadhipati devom ka, 3,20,000 atmarakshaka devom ka tatha anya bahuta – se ishanakalpavasi devom aura deviyom ka adhipatya, yavat ‘vicharana karata hai’. Bhagavan ! Paryaptaka aura aparyaptaka sanatkumara devom ke sthana kaham kahe gae haim\? Gautama ! Saudharma – kalpa ke upara samana paksha aura samana pratidisha mem bahuta yojana, yavat upara dura jane para sanatkumara kalpa hai, ityadi saba varnana purvavat. Isi mem sanatkumara devom ke baraha lakha vimana haim. Ve vimana purnarupa se ratnamaya haim, yavat ‘pratirupa haim’ una vimanom ke bichombicha mem pamcha avatamsaka haim. Ashokavatamsaka, saptaparnavatamsaka, champakavatamsaka, chutava – tamsaka aura inake madhya mem sanatkumaravatamsaka hai. Varnana purvavat. Ina mem paryaptaka aura aparyaptaka sanatkumara devom ke sthana haim. Unamem bahuta – se sanatkumara deva nivasa karate haim, jo maharddhika haim, (ityadi) vishesha yaha hai ki yaham agramahishiyam nahim haim. Yahim devendra devaraja sanatkumara nivasa karata hai, shesha varnana purvavat. Vaha baraha lakha vimanavasom ka, 72,000 samanika devom ka, (ityadi) varnana purvavat ‘agramahishiyom ko chhorakara’ (karana). Visheshata yaha ki 2,28,000 atmarakshaka devom ka adhipatya karate hue…yavat ’vicharana karata hai’. Bhagavan ! Paryaptaka aura aparyaptaka mahendra devom ke sthana kaham kahe gae haim\? Gautama ! Ishanakalpa ke upara samana paksha aura samana vidisha mem bahuta yojana, yavat upara dura jane para vaham mahendra kalpa hai, ityadi purvavat. Vishesha yaha hai ki isa kalpa mem vimana atha lakha haim. Inake bicha mem mahendraavatamsaka hai. Yahim devendra devaraja mahendra nivasa karata hai; shesha purvavat. Vishesha yaha hai ki mahendra atha lakha vimanavasom ka, 70,000 samanika devo ka, 2,80,000 atmarakshaka devom ka yavat ‘vicharana karata hai’. Bhagavan ! Paryapta aura aparyapta brahmaloka devom ke sthana kaham kahe gae haim\? Gautama ! Sanatkumara aura mahendra kalpom ke upara samana paksha aura samana vidisha mem bahuta yojana yavat upara dura jane para, vaham brahmaloka kalpa hai, jo purva – pashchima mem lamba aura uttara – dakshina mem vistirna, paripurna chandrama ke akara ka, jyotimala tatha diptirashi ki prabhavala hai. Vishesha yaha ki chara lakha vimanavasa haim. Inake madhya mem brahmaloka avatamsaka hai; jaham ki brahmaloka devom ke sthana haim. Shesha varnana purvavat ! Brahmalokavatamsaka mem devendra devaraja brahma nivasa karata hai; (ityadi purvavat). Vishesha yaha ki chara lakha vimanavasom ka, 60,000 samanikom ka, 2,40,000 atmarakshaka devom ka tatha anya bahuta se brahmalokakalpa ke devom ka adhipatya karata hua yavat ‘vicharana karata hai’. Bhagavan ! Paryapta aura aparyapta lantaka devom ke sthana kaham haim\? Gautama ! Brahmaloka kalpa ke upara samana disha aura samana vidisha mem yavat bahuta kotakoti yojana upara dura jane para, lantaka kalpa hai, ityadi saba varnana purvavat, vishesha yaha ki (isa kalpa mem) 50,000 vimanavasa haim, pamchava lantaka avatamsaka hai. Shesha purvavat. Isa lantaka avatamsaka mem devendra devaraja lantaka nivasa karata hai, shesha purvavat. Vishesha yaha hai ki (lantakendra) 50,000 vimanavasom ka, 50,000 samanikom ka, do lakha atmarakshaka devom ka, tatha anya bahuta – se lantaka devom ka adhipatya karata hua yavat ‘vicharana karata hai’. Bhagavan ! Paryaptaka aura aparyaptaka mahashukra devom ke sthana kaham haim\? Gautama ! Lantakakalpa ke upara samana disha mem yavat upara jane para, mahashukra kalpa hai, shesha varnana purvavat. Vishesha itana ki 40,000 vimana – vasa haim. (pamchava) mahashukravatamsaka hai, yavat ‘vicharana karate haim’. Isa mahashukravatamsaka mem devendra devaraja mahashukra rahata hai, varnana purvavat. Vishesha yaha ki (vaha mahashukrendra) 40,000 vimanavasom ka, 40,000 samanikom ka, aura 1,60,000 atmarakshaka devom ka adhipatitva karata hua…yavat ‘vicharana karata hai’. Bhagavan ! Paryapta – aparyapta sahasrara devom ka sthana kaham hai\? Gautama ! Mahashukra kalpa ke upara samana disha aura samana vidisha se yavat upara dura jane para, vaham sahasrara kalpa hai, samasta varnana purvavat. Vishesha yaha ki (isa sahasrara kalpa mem) 6000 vimanavasa (pamchava) ‘sahasraravatamsaka’ samajhana. Yavat ‘vicharana karate haim’. Isi sthana para devendra devaraja sahasrara nivasa karata hai. (varnana purvavat) vishesha yaha hai ki (sahasrarendra) 6000 vimana – vasom ka, 30,000 samanika devom ka aura 1,20,000 atmarakshaka devom ka yavat adhipatya karata hua vicharana karata hai. Bhagavan ! Paryaptaka aura aparyaptaka anata evam pranata devom ke sthana kaham haim\? Gautama ! Sahasrara kalpa ke upara samana disha aura vidisha mem, yavat upara dura ja kara, yaham anata evam pranata nama ke do kalpa haim; jo purva – pashchima mem lambe aura uttara – dakshina mem vistirna, arddhachandra ke akara mem samsthita, jyotimala aura diptirashi ki prabha ke samana haim, shesha saba varnana purvavat. Una kalpom mem anata aura pranata devom ke 400 vimanavasa haim; purvavat. Vishesha yaha ki inamem (pamchava) pranatavatamsaka hai. Ve avatamsaka purnarupa se ratnamaya hai, svachchha haim, yavat ‘pratirupa haim’. Ina (avatamsakom) mem paryapta – aparyapta anata – pranata devom ke sthana haim. Ye sthana tinom apekshaom se, loka ke asamkhyatavem bhaga mem haim; jaham bahuta – se anata – pranata deva nivasa karate haim, jo maharddhika haim, yavat ve (anata – pranata deva) vaham apane – apane saikarom vimanom ka yavat adhipatya karate hue vicharate haim. Yahim devendra devaraja pranata nivasa karata hai, varnana purvavat. Vishesha yaha ki (yaha pranatendra) chara sau vimanavasom ka, 20,000 samanika devom ka tatha 80,000 atmarakshaka devom ka evam anya bahuta – se devom ka adhipatitva karata hua yavat ‘vicharana karata hai’. Bhagavan ! Paryaptaka aura aparyaptaka arana aura achyuta devom ke sthana kaham haim\? Gautama ! Anata – pranata kalpom ke upara samana disha aura samana vidisha mem, yaham arana aura achyuta nama ke do kalpa haim, jo purva – pashchima mem lambe aura uttara – dakshina mem vistirna haim, arddhachandra ke akara mem samsthita aura archimali ki tejorashi ke samana prabha vale haim. Unaki lambai – chaurai tatha paridhi bhi asamkhyata kota – koti yojana ki hai. Ve vimana purnatah ratnamaya, svachchha yavat pratirupa haim. Una vimanom ke thika madhyapradeshabhaga mem pamcha avatamsaka kahe gae haim. Ve isa prakara haim – 1. Amkavatamsaka, 2. Sphatikavatamsaka, 3. Ratnavatamsaka, 4. Jatarupavatamsaka aura ina charom ke madhya mem, 5. Achyutavatamsaka hai. Ye avatamsaka sarvaratnamaya haim, yavat pratirupa haim. Inamem arana aura achyuta devom ke paryaptakom evam aparyaptakom ke sthana haim. (ye sthana) tinom apekshaom se loka ke asamkhyatavem bhaga mem haim. Inamem bahuta – se arana aura achyuta deva yavat vicharana karate haim. Yahim achyutavatamsaka mem devendra devaraja achyuta nivasa karata hai. Varnana purvavat. Vishesha yaha ki achyutendra tina sau vimanavasom ka, 10,000 samanika devom ka tatha 40,000 atmarakshaka devom ka adhipatya karata hua yavat vicharana karata hai. |