Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006525 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-२ स्थान |
Translated Chapter : |
पद-२ स्थान |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 225 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कहि णं भंते! जोइसियाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता? कहि णं भंते! जोइसिया देवा परिवसंति? गोयमा! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ सत्तानउते जोयणसते उड्ढं उप्पइत्ता दसुत्तरे जोयणसतबाहल्ले तिरियमसंखेज्जे जोतिसविसये, एत्थ णं जोइसियाणं देवाणं तिरियमसंखेज्जा जोइसियविमानावाससतसहस्सा भवंतीति मक्खातं। ते णं विमाना अद्धकविट्ठगसंठाणसंठिता सव्वफालियामया अब्भुग्गयमूसियपहसिया इव विविहमणि कनग रतणभत्तिचित्ता वाउद्धुतविजयवेजयंतीपडागछत्ताइछत्तकलिया तुंगा गगन-तलमणुलिहमाणसिहरा जालंतररत्तणपंजरुम्मिलिय व्व मणि-कनगभूमियागा वियसियसयवत्त-पुंडरीय तिलय रयणद्धचंदचित्ता नानामणिमयदामालंकिया अंतो बहिं च सण्हा तवणिज्ज-रुइलवालुया-पत्थडा सुहफासा सस्सिरीया सुरूवा फासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा, एत्थ णं जोइसियाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता। तिसु वि लोगस्स असंखिज्जतिभागे। तत्थ णं बहवे जोइसिया देवा परिवसंति, तं जहा–बहस्सती चंदा सूरा सुक्का सनिच्छरा राहू धूमकेऊ बुहा अंगारया तत्ततवणिज्जकनगवण्णा, जे य गहा जोइसम्मि चारं चरंति केतू य गइरइया अट्ठावीसतिविहा य नक्खत्तदेवयगणा, णाणासंठाणसंठियाओ य पंचवण्णाओ तारयाओ, ठितलेस्सा चारिणो अविस्साममंडलगई पत्तेयणामंकपागडियचिंधमउडा महिड्ढीया जाव पभासेमाणा। ते णं तत्थ साणं-साणं विमानावाससतसहस्साणं साणं-साणं सामानियसाहस्सीणं साणं-साणं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं साणं-साणं परिसाणं साणं-साणं अनियाणं साणं-साणं अनियाधिवतीणं साणं-साणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं जोइसियाणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं जाव विहरंति। चंदिमसूरिया यत्थ दुवे जोइसिंदा जोइसियरायाणो परिवसंति–महिड्ढिया जाव पभासेमाणा। ते णं तत्थ साणं-साणं जोइसिय-विमानावाससतसहस्साणं चउण्हं सामानियसाहस्सीणं चउण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं तिण्हं परिसाणं सत्तण्हं अनियाणं सत्तण्हं अनियाधिवतीणं सोलसण्हं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं जोइसियाणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं जाव विहरंति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक ज्योतिष्क देवों के स्थान कहाँ हैं ? गौतम ! इस रत्नप्रभापृथ्वी के अत्यन्त सम एवं रमणीय भूभाग से ७९० योजन की ऊंचाई पर ११० योजन विस्तृत एवं तीरछे असंख्यात योजन में ज्योतिष्क क्षेत्र हैं, जहाँ ज्योतिष्क देवों के तीरछे असंख्यात लाख ज्योतिष्क विमानावास हैं। वे विमान आधा कवीठ के आकार के हैं और पूर्णरूप से स्फटिकमय हैं। वे सामने से चारों ओर ऊपर उठे हुए, सभी दिशाओं में फैले हुए तथा प्रभा से श्वेत हैं। विविध मणियों, स्वर्ण और रत्नों की छटा से वे चित्र – विचित्र हैं; हवा से उड़ी हुई विजय – वैजयन्ती, पताका, छत्र पर छत्र से युक्त हैं; वे बहुत ऊंचे, गगनतलचुम्बी शिखरों वाले हैं। (उनकी) जालियों के बीच में लगे हुए रत्न ऐसे लगते हैं, मानो पींजरे से बाहर नीकाले गए हों। वे मणियों और रत्नों की स्तूपिकाओं से युक्त हैं। उनमें शतपत्र और पुण्डरीक कमल खिले हुए हैं। तिलकों तथा रत्नमय अर्धचन्द्रों से वे चित्र – विचित्र हैं तथा नानामणिमय मालाओं से सुशोभित हैं। वे अंदर और बाहर से चीकने हैं। उनके प्रस्तट सोने की रुचिर वालू वाले हैं। वे सुखद स्पर्श वाले, श्री से सम्पन्न, सुरूप, प्रासादीय, दर्शनीय, अभिरूप एवं प्रतिरूप हैं। इन में पर्याप्त और अपर्याप्त ज्योतिष्क देवों के स्थान हैं। (ये स्थान) तीनों अपेक्षाओं से – लोक के असंख्यातवें भाग में हैं। वहाँ बहुत – से ज्योतिष्क देव निवास करते हैं। वे इस प्रकार हैं – बृहस्पति, चन्द्र, सूर्य, शुक्र, शनैश्चर, राहु, धूमकेतु, बुध एवं अंगारक, ये तपे हुए तपनीय स्वर्ण के समान वर्ण वाले हैं और जो ग्रह ज्योतिष्कक्षेत्र में गति करते हैं तथा गति में रत रहने वाला केतु, २८ प्रकार के नक्षत्रदेवगण, नाना आकारों वाले, पाँच वर्णों के तारे तथा स्थितलेश्या वाले, संचार करनेवाले, अविश्रान्त मंडलमें गति करनेवाले, (ये सभी ज्योतिष्क देव हैं) (इन सबमें से) प्रत्येक के मुकुट में अपने – अपने नाम का चिह्न व्यक्त होता है। ‘ये महर्द्धिक होते हैं,’ इत्यादि सब वर्णन पूर्ववत् समझना। वे वहाँ अपने – अपने लाखों विमानावासों का, हजारों सामानिक देवों का, सपरिवार अग्रमहिषियों का, परिषदों का, सेनाओं का, सेनाधिपति देवों का, हजारों आत्मरक्षक देवों का तथा और भी बहुत – से ज्योतिष्क देवों और देवियों का आधिपत्य, पुरोवर्त्तित्व करते हुए यावत् विचरण करते हैं। इन्हीं में दो ज्योतिष्केन्द्र ज्योतिष्कराज – चन्द्रमा और सूर्य – निवास करते हैं’(इत्यादि) वे वहाँ अपने – अपने लाखों ज्योतिष्क विमानावासों का, ४००० सामानिक देवों का, सपरिवार ४ अग्रमहिषियों का, ३ परिषदों का, ७ सेनाओं का, ७ सेनाधिपति देवों का, १६००० आत्मरक्षक देवों का तथा अन्य बहुत – से ज्योतिष्क देवों और देवियों का आधिपत्य, पुरोवर्त्तित्व करते हुए यावत् विचरण करते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kahi nam bhamte! Joisiyanam devanam pajjattapajjattanam thana pannatta? Kahi nam bhamte! Joisiya deva parivasamti? Goyama! Imise rayanappabhae pudhavie bahusamaramanijjao bhumibhagao sattanaute joyanasate uddham uppaitta dasuttare joyanasatabahalle tiriyamasamkhejje jotisavisaye, ettha nam joisiyanam devanam tiriyamasamkhejja joisiyavimanavasasatasahassa bhavamtiti makkhatam. Te nam vimana addhakavitthagasamthanasamthita savvaphaliyamaya abbhuggayamusiyapahasiya iva vivihamani kanaga ratanabhattichitta vauddhutavijayavejayamtipadagachhattaichhattakaliya tumga gagana-talamanulihamanasihara jalamtararattanapamjarummiliya vva mani-kanagabhumiyaga viyasiyasayavatta-pumdariya tilaya rayanaddhachamdachitta nanamanimayadamalamkiya amto bahim cha sanha tavanijja-ruilavaluya-patthada suhaphasa sassiriya suruva phasaiya darisanijja abhiruva padiruva, ettha nam joisiyanam devanam pajjattapajjattanam thana pannatta. Tisu vi logassa asamkhijjatibhage. Tattha nam bahave joisiya deva parivasamti, tam jaha–bahassati chamda sura sukka sanichchhara rahu dhumakeu buha amgaraya tattatavanijjakanagavanna, je ya gaha joisammi charam charamti ketu ya gairaiya atthavisativiha ya nakkhattadevayagana, nanasamthanasamthiyao ya pamchavannao tarayao, thitalessa charino avissamamamdalagai patteyanamamkapagadiyachimdhamauda mahiddhiya java pabhasemana. Te nam tattha sanam-sanam vimanavasasatasahassanam sanam-sanam samaniyasahassinam sanam-sanam aggamahisinam saparivaranam sanam-sanam parisanam sanam-sanam aniyanam sanam-sanam aniyadhivatinam sanam-sanam ayarakkhadevasahassinam annesim cha bahunam joisiyanam devana ya devina ya ahevachcham porevachcham java viharamti. Chamdimasuriya yattha duve joisimda joisiyarayano parivasamti–mahiddhiya java pabhasemana. Te nam tattha sanam-sanam joisiya-vimanavasasatasahassanam chaunham samaniyasahassinam chaunham aggamahisinam saparivaranam tinham parisanam sattanham aniyanam sattanham aniyadhivatinam solasanham ayarakkhadevasahassinam annesim cha bahunam joisiyanam devana ya devina ya ahevachcham porevachcham java viharamti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Paryaptaka aura aparyaptaka jyotishka devom ke sthana kaham haim\? Gautama ! Isa ratnaprabhaprithvi ke atyanta sama evam ramaniya bhubhaga se 790 yojana ki umchai para 110 yojana vistrita evam tirachhe asamkhyata yojana mem jyotishka kshetra haim, jaham jyotishka devom ke tirachhe asamkhyata lakha jyotishka vimanavasa haim. Ve vimana adha kavitha ke akara ke haim aura purnarupa se sphatikamaya haim. Ve samane se charom ora upara uthe hue, sabhi dishaom mem phaile hue tatha prabha se shveta haim. Vividha maniyom, svarna aura ratnom ki chhata se ve chitra – vichitra haim; hava se uri hui vijaya – vaijayanti, pataka, chhatra para chhatra se yukta haim; ve bahuta umche, gaganatalachumbi shikharom vale haim. (unaki) jaliyom ke bicha mem lage hue ratna aise lagate haim, mano pimjare se bahara nikale gae hom. Ve maniyom aura ratnom ki stupikaom se yukta haim. Unamem shatapatra aura pundarika kamala khile hue haim. Tilakom tatha ratnamaya ardhachandrom se ve chitra – vichitra haim tatha nanamanimaya malaom se sushobhita haim. Ve amdara aura bahara se chikane haim. Unake prastata sone ki ruchira valu vale haim. Ve sukhada sparsha vale, shri se sampanna, surupa, prasadiya, darshaniya, abhirupa evam pratirupa haim. Ina mem paryapta aura aparyapta jyotishka devom ke sthana haim. (ye sthana) tinom apekshaom se – loka ke asamkhyatavem bhaga mem haim. Vaham bahuta – se jyotishka deva nivasa karate haim. Ve isa prakara haim – brihaspati, chandra, surya, shukra, shanaishchara, rahu, dhumaketu, budha evam amgaraka, ye tape hue tapaniya svarna ke samana varna vale haim aura jo graha jyotishkakshetra mem gati karate haim tatha gati mem rata rahane vala ketu, 28 prakara ke nakshatradevagana, nana akarom vale, pamcha varnom ke tare tatha sthitaleshya vale, samchara karanevale, avishranta mamdalamem gati karanevale, (ye sabhi jyotishka deva haim) (ina sabamem se) pratyeka ke mukuta mem apane – apane nama ka chihna vyakta hota hai. ‘ye maharddhika hote haim,’ ityadi saba varnana purvavat samajhana. Ve vaham apane – apane lakhom vimanavasom ka, hajarom samanika devom ka, saparivara agramahishiyom ka, parishadom ka, senaom ka, senadhipati devom ka, hajarom atmarakshaka devom ka tatha aura bhi bahuta – se jyotishka devom aura deviyom ka adhipatya, purovarttitva karate hue yavat vicharana karate haim. Inhim mem do jyotishkendra jyotishkaraja – chandrama aura surya – nivasa karate haim’(ityadi) ve vaham apane – apane lakhom jyotishka vimanavasom ka, 4000 samanika devom ka, saparivara 4 agramahishiyom ka, 3 parishadom ka, 7 senaom ka, 7 senadhipati devom ka, 16000 atmarakshaka devom ka tatha anya bahuta – se jyotishka devom aura deviyom ka adhipatya, purovarttitva karate hue yavat vicharana karate haim. |