Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006331 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-१ प्रज्ञापना |
Translated Chapter : |
पद-१ प्रज्ञापना |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 31 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से किं तं तेउक्काइया? तेउक्काइया दुविहा पन्नत्ता, तं० –सुहुमतेउक्काइया य बादरतेउक्काइया य। से किं तं सुहुमतेउक्काइया? सुहुमतेउक्काइया दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य। से त्तं सुहुमतेउक्काइया। से किं तं बादरतेउक्काइया? बादरतेउक्काइया अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–इंगाले जाला मुम्मुरे अच्ची अलाए सुद्धागणी उक्का विज्जू असणी निग्घाए संचरिससमुट्ठिए सूरकंतमणिनिस्सिए। जे यावन्ने तहप्पगारा ते समासतो दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य। तत्थ णं जेते अपज्जत्तगा ते णं असंपत्ता। तत्थ णं जेते पज्जत्तगा एएसि णं वण्णादेसेणं गंधादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाइं, संखेज्जाइं जोणिप्पमुहसयसहस्साइं। पज्जत्तग-निस्साए अपज्जत्तगा वक्कमंति– जत्थ एगो तत्थ नियमा असंखेज्जा। से त्तं बादरतेउक्काइया। से त्तं तेउक्काइया। | ||
Sutra Meaning : | वे तेजस्कायिक जीव किस प्रकार के हैं ? दो प्रकार के हैं। सूक्ष्म और बादर। सूक्ष्म तेजस्कायिक जीव किस प्रकार के हैं ? दो प्रकार के हैं। पर्याप्तक और अपर्याप्तक। वे बादर तेजस्कायिक किस प्रकार के हैं ? अनेक प्रकार के हैं। अंगार, ज्वाला, मुर्मुर, अर्चि, अलात, शुद्ध अग्नि, उल्का विद्युत, अशनि, निर्घात, संघर्ष – समुत्थित और सूर्यकान्तमणि – निःसृत। इसी प्रकार की अन्य जो भी (अग्नियाँ) हैं (उन्हें बादर तेजस्कायिका समझना।) ये (बादर तेजस्कायिक) संक्षेप में दो प्रकार के हैं – पर्याप्तक और अपर्याप्तक। उनमें से जो अपर्याप्तक हैं, वे असम्प्राप्त हैं। उनमें से जो पर्याप्तक हैं, उनके वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श की अपेक्षा से हजारों भेद होते हैं। उनके संख्यात लाख योनि – प्रमुख हैं। पर्याप्तक के आश्रय से अपर्याप्त उत्पन्न होते हैं। जहाँ एक पर्याप्तक होता है, वहाँ नियम से असंख्यात अपर्याप्तक (उत्पन्न होते हैं।) | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se kim tam teukkaiya? Teukkaiya duviha pannatta, tam0 –suhumateukkaiya ya badarateukkaiya ya. Se kim tam suhumateukkaiya? Suhumateukkaiya duviha pannatta, tam jaha–pajjattaga ya apajjattaga ya. Se ttam suhumateukkaiya. Se kim tam badarateukkaiya? Badarateukkaiya anegaviha pannatta, tam jaha–imgale jala mummure achchi alae suddhagani ukka vijju asani nigghae samcharisasamutthie surakamtamaninissie. Je yavanne tahappagara te samasato duviha pannatta, tam jaha–pajjattaga ya apajjattaga ya. Tattha nam jete apajjattaga te nam asampatta. Tattha nam jete pajjattaga eesi nam vannadesenam gamdhadesenam rasadesenam phasadesenam sahassaggaso vihanaim, samkhejjaim jonippamuhasayasahassaim. Pajjattaga-nissae apajjattaga vakkamamti– jattha ego tattha niyama asamkhejja. Se ttam badarateukkaiya. Se ttam teukkaiya. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Ve tejaskayika jiva kisa prakara ke haim\? Do prakara ke haim. Sukshma aura badara. Sukshma tejaskayika jiva kisa prakara ke haim\? Do prakara ke haim. Paryaptaka aura aparyaptaka. Ve badara tejaskayika kisa prakara ke haim\? Aneka prakara ke haim. Amgara, jvala, murmura, archi, alata, shuddha agni, ulka vidyuta, ashani, nirghata, samgharsha – samutthita aura suryakantamani – nihsrita. Isi prakara ki anya jo bhi (agniyam) haim (unhem badara tejaskayika samajhana.) Ye (badara tejaskayika) samkshepa mem do prakara ke haim – paryaptaka aura aparyaptaka. Unamem se jo aparyaptaka haim, ve asamprapta haim. Unamem se jo paryaptaka haim, unake varna, gandha, rasa aura sparsha ki apeksha se hajarom bheda hote haim. Unake samkhyata lakha yoni – pramukha haim. Paryaptaka ke ashraya se aparyapta utpanna hote haim. Jaham eka paryaptaka hota hai, vaham niyama se asamkhyata aparyaptaka (utpanna hote haim.) |