Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006330 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-१ प्रज्ञापना |
Translated Chapter : |
पद-१ प्रज्ञापना |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 30 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से किं तं आउक्काइया? आउक्काइया दुविहा पन्नत्ता, तं जहा– सुहुमआउक्काइया य बादर-आउक्काइया य। से किं तं सुहुमआउक्काइया? सुहुमआउक्काइया दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जत्तसुहुम- आउक्काइया य अपज्जत्तसुहुमआउक्काइया य। से त्तं सुहुमआउक्काइया। से किं तं बादरआउक्काइया? बादरआउक्काइया अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–ओसा हिमए महिया करए हरत्तणुए सुद्धोदए सीतोदए उसिणोदए खारोदए खट्टोदए अंबिलोदए लवणोदए वारुणोदए खीरोदए घओदए खोतोदए रसोदए। जे यावन्ने तहप्पगारा ते समासतो दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य। तत्थ णं जेते अपज्जत्तगा ते णं असंपत्ता। एत्थ णं जेते पज्जत्तगा एतेसि णं वण्णादेसेणं गंधादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाइं, संखेज्जाइं जोणिप्पमुहसयसहस्साइं। पज्जत्तग-निस्साए अपज्जत्तगा वक्कमंति– जत्थ एगो तत्थ नियमा असंखेज्जा। से त्तं बादरआउक्काइया। से त्तं आउक्काइया। | ||
Sutra Meaning : | वे अप्कायिक जीव कितने प्रकार के हैं ? दो प्रकार के हैं। सूक्ष्म और बादर। वे सूक्ष्म अप्कायिक किस प्रकार के हैं ? दो प्रकार के – पर्याप्तक और अपर्याप्तक। बादर – अप्कायिक क्या हैं ? अनेक प्रकार के हैं। ओस, हिम, महिका, ओले, हरतनु, शुद्धोदक, शीतोदक, उष्णोदक, क्षारोदक, खट्टोदक, अम्लोदक, लवणोदक, वारुणोदक, क्षीरोदक, घृतोदक, क्षोदोदक और रसोदक। ये और तथा प्रकार के और भी जितने प्रकार हों, वे सब बादर – अप्कायिक समझना। वे बादर अप्कायिक संक्षेप में दो प्रकार के हैं – पर्याप्तक और अपर्याप्तक। उनमें से जो अपर्याप्तक हैं, वे असम्प्राप्त हैं। उनके वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श की अपेक्षा से हजारों भेद होते हैं। उनके संख्यात लाख योनिप्रमुख हैं। पर्याप्तक जीवों के आश्रय से अपर्याप्तक आकर उत्पन्न होते हैं। जहाँ एक पर्याप्तक हैं, वहाँ नियम से असंख्यात अपर्याप्तक उत्पन्न होते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se kim tam aukkaiya? Aukkaiya duviha pannatta, tam jaha– suhumaaukkaiya ya badara-aukkaiya ya. Se kim tam suhumaaukkaiya? Suhumaaukkaiya duviha pannatta, tam jaha–pajjattasuhuma- aukkaiya ya apajjattasuhumaaukkaiya ya. Se ttam suhumaaukkaiya. Se kim tam badaraaukkaiya? Badaraaukkaiya anegaviha pannatta, tam jaha–osa himae mahiya karae harattanue suddhodae sitodae usinodae kharodae khattodae ambilodae lavanodae varunodae khirodae ghaodae khotodae rasodae. Je yavanne tahappagara te samasato duviha pannatta, tam jaha–pajjattaga ya apajjattaga ya. Tattha nam jete apajjattaga te nam asampatta. Ettha nam jete pajjattaga etesi nam vannadesenam gamdhadesenam rasadesenam phasadesenam sahassaggaso vihanaim, samkhejjaim jonippamuhasayasahassaim. Pajjattaga-nissae apajjattaga vakkamamti– jattha ego tattha niyama asamkhejja. Se ttam badaraaukkaiya. Se ttam aukkaiya. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Ve apkayika jiva kitane prakara ke haim\? Do prakara ke haim. Sukshma aura badara. Ve sukshma apkayika kisa prakara ke haim\? Do prakara ke – paryaptaka aura aparyaptaka. Badara – apkayika kya haim\? Aneka prakara ke haim. Osa, hima, mahika, ole, haratanu, shuddhodaka, shitodaka, ushnodaka, ksharodaka, khattodaka, amlodaka, lavanodaka, varunodaka, kshirodaka, ghritodaka, kshododaka aura rasodaka. Ye aura tatha prakara ke aura bhi jitane prakara hom, ve saba badara – apkayika samajhana. Ve badara apkayika samkshepa mem do prakara ke haim – paryaptaka aura aparyaptaka. Unamem se jo aparyaptaka haim, ve asamprapta haim. Unake varna, gandha, rasa aura sparsha ki apeksha se hajarom bheda hote haim. Unake samkhyata lakha yonipramukha haim. Paryaptaka jivom ke ashraya se aparyaptaka akara utpanna hote haim. Jaham eka paryaptaka haim, vaham niyama se asamkhyata aparyaptaka utpanna hote haim. |