Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )

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Sr No : 1006130
Scripture Name( English ): Jivajivabhigam Translated Scripture Name : जीवाभिगम उपांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

Translated Chapter :

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

Section : वैमानिक उद्देशक-२ Translated Section : वैमानिक उद्देशक-२
Sutra Number : 330 Category : Upang-03
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] सोहम्मीसानेसु णं भंते! कप्पेसु विमाना केवतियं आयामविक्खंभेणं? केवतियं परिक्खेवेणं पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–संखेज्जवित्थडा य असंखेज्जवित्थडा य। तत्थ णं जेते संखेज्जवित्थडा ते णं संखेज्जाइं जोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं, संखेज्जाइं जोयणसहस्साइं परिक्खेवेणं। तत्थ णं जेते असंखेज्जवित्थडा ते णं असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं आयाम-विक्खंभेणं, असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं परिक्खेवेणं। एवं जाव गेवेज्जविमाना। अनुत्तरविमाना पुच्छा। गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–संखेज्जवित्थडे य असंखेज्ज-वित्थडा य। तत्थ णं जेसे संखेज्जवित्थडे से एगं जोयणसयसहस्सं जंबुद्दीवप्पमाणे जाव अद्धंगुलगं च। तत्थ णं जेते असंखेज्जवित्थडा ते णं असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं, असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं परिक्खेवेणं पन्नत्ता। सोहम्मीसानेसु णं भंते! विमाना कतिवण्णा पन्नत्ता? गोयमा! पंचवण्णा पन्नत्ता, तं जहा–किण्हा नीला लोहिया हालिद्दा सुक्किला। सणंकुमारमाहिंदेसु चउवण्णा–नीला जाव सुक्किला, बंभलोगलंतएसु तिवण्णा–लोहिया हालिद्दा सुक्किला, महासुक्कसहस्सारेसु दुवण्णा–हालिद्दा य सुक्किला य, आनयपाणतारणच्चुएसु सुक्किला, गेवेज्जविमाना सुक्किला, अनुत्तरोववातियविमाना परमसुक्किला वण्णेणं पन्नत्ता। सोहम्मीसानेसु णं भंते! कप्पेसु विमाना केरिसया पभाए पन्नत्ता? गोयमा! निच्चालोया निच्चुज्जोया सयंपभाए पन्नत्ता जाव अनुत्तरविमाना। सोहम्मीसानेसु णं भंते! कप्पेसु विमाना केरिसया गंधेणं पन्नत्ता? गोयमा! से जहानामए–कोट्ठपुडाण वा जाव एत्तो इट्ठतरा चेव जाव अनुत्तरविमाना। सोहम्मीसानेसु णं भंते! कप्पेसु विमाना केरिसया फासेणं पन्नत्ता? गोयमा! से जहानामए–आईणेति वा जाव एतो इट्ठतरा चेव जाव अनुत्तरविमाना। सोहम्मीसानेसु णं भंते! कप्पेसु विमाना केमहालया पन्नत्ता? गोयमा! अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे जहा निरयुद्देसे जाव छम्मासेणं वीतिवएज्जा–अत्थेगतिए वीतिवएज्जा अत्थेगतिए नो वीतिवएज्जा एमहालया णं गोयमा! एवं जाव अनुत्तरविमाना। सोहम्मीसानेसु णं भंते! कप्पेसु विमाना किंमया पन्नत्ता? गोयमा! सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा तत्थ णं बहवे जीवा य पोग्गला य वक्कमंति विउक्कमंति चयंति उववज्जंति। सासया णं ते विमाना दव्वट्ठयाए, वण्णपज्जवेहिं गंधपज्जवेहिं रसपज्जवेहिं फासपज्जवेहिं य असासया। एवं जाव अनुत्तरविमाना। सोहम्मीसानेसु णं भंते! कप्पेसु देवा कओहिंतो उववज्जंति? उववातो जहा वक्कंतीए जाव अनुत्तरविमाना। सोहम्मीसानेसु णं भंते! कप्पेसु देवा एगसमएणं केवतिया उववज्जंति? गोयमा! जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जंति। एवं जाव सहस्सारे। आनतादी गेवेज्जा अनुत्तरा य जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जंति। सोहम्मीसानेसु णं भंते! कप्पेसु देवा समएसमए अवहीरमाणाअवहीरमाणा केवतिएणं कालेणं अवहिया सिया? गोयमा! ते णं असंखेज्जा समएसमए अवहीरमाणाअवहीरमाणा असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहिं अवहीरंति, नो चेव णं अवहिया सिया जाव सहस्सारो। आनतादिसु चउसु कप्पेसु देवा पुच्छा। गोयमा! ते णं असंखेज्जा समएसमए अवहीरमाणा अवहीरमाणा पलिओवमस्स असंखेज्जतिभागमेत्तेणं कालेणं अवहीरंति, नो चेव णं अवहिया सिया। एवं जाव अनुत्तरविमाना। सोहम्मीसानेसु णं भंते! कप्पेसु देवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य। तत्थ णं जासा भवधारणिज्जा सा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागो, उक्कोसेणं सत्त रयणीओ। तत्थ णं जासा उत्तरवेउव्विया सा जहन्नेणं अंगुलस्स संखेज्जतिभागो उक्कोसेणं जोयणसतसहस्सं। सणंकुमारमाहिंदेसु भवधारणिज्जा उत्तरवेउव्विया। भवधारणिज्जा छरयणीओ, उत्तर-वेउव्विया तधेव। बंभलंतएसु पंच रयणीओ, महासुक्कसहस्सारेसु चत्तारि रयणीओ, आनतपाणता-रणच्चुएसु तिन्नि रयणीओ, उत्तरवेउव्विया तधेव जोयणसतसहस्सं सव्वेसिं। गेवेज्जादेवाणं भंते! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता? गोयमा! गेवेज्जादेवाणं एगे भवधारणिज्जे सरीरए पन्नत्ते–से जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागे, उक्कोसेणं दो रयणीओ। अनुत्तरदेवाणं एगा रयणी।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! सौधर्म – ईशानकल्प में विमानों की लम्बाई – चौड़ाई कितनी है ? उनकी परिधि कितनी है ? गौतम! वे विमान दो तरह के हैं – संख्यात योजन विस्तारवाले और असंख्यात योजन विस्तारवाले। नरकों के कथन समान यहाँ कहना; यावत्‌ अनुत्तरोपपातिक विमान दो प्रकार के हैं – संख्यात योजन विस्तार वाले और असंख्यात योजन विस्तार वाले। जो संख्यात योजन विस्तार वाले हैं वे जम्बूद्वीप प्रमाण हैं और जो असंख्यात योजन विस्तार वाले हैं वे असंख्यात हजार योजन विस्तार और परिधि वाले कहे गये हैं। भगवन्‌ ! सौधर्म – ईशानकल्प में विमान कितने रंग के हैं ? गौतम ! पाँचों वर्ण के यथा – कृष्ण यावत्‌ शुक्ल। सनत्कुमार और माहेन्द्र कल्प में चार वर्ण के हैं – नील यावत्‌ शुक्ल। ब्रह्मलोक एवं लान्तक कल्पों में तीन वर्ण के हैं – लाल यावत्‌ शुक्ल। महाशुक्र एवं सहस्रार कल्प में दो रंग के हैं – पीले और शुक्ल। आनत प्राणत आरण और अच्युत कल्पों में सफेद वर्ण के हैं। ग्रैवेयकविमान भी सफेद हैं। अनुत्तरोपपातिक विमान परम – शुक्ल वर्ण के हैं। भगवन्‌ ! सौधर्म – ईशानकल्प में विमानों की प्रभा कैसी है ? गौतम ! वे विमान नित्य स्वयं की प्रभा से प्रकाशमान और नित्य उद्योत वाले हैं यावत्‌ अनुत्तरोपपातिक विमान तक ऐसा ही जानना। भगवन्‌ ! सौधर्म – ईशानकल्प में विमानों की गंध कैसी है ? गौतम ! कोष्ठपुटादि सुगंधित पदार्थों की गंध से भी इष्टतर उनकी गंध है, अनुत्तरविमान पर्यन्त ऐसा ही कहना। भगवन्‌ ! सौधर्म – ईशानकल्प में विमानों का स्पर्श कैसा है ? गौतम ! अजिन चर्म, रूई आदि का मृदुल स्पर्श से भी इष्टतर कहना। अनुत्तरोपपातिक विमान पर्यन्त ऐसा ही कहना। भगवन्‌ ! सौधर्म – ईशानकल्प में विमान कितने बड़े हैं ? गौतम ! कोई देव जो चुटकी बजाते ही इस एक लाख योजन के लम्बे – चौड़े और तीन लाख योजन से अधिक की परिधि वाले जम्बूद्वीप की २१ बार प्रदक्षिणा कर आवे, ऐसी शीघ्रतादि विशेषणों वाली गति से निरन्तर छह मास चलता रहे, तब वह कितनेक विमानों के पास पहुँच सकता है, उन्हें लांघ सकता है और कितनेक उन विमानों को नहीं लांघ सकता है। इसी प्रकार का कथन अनुत्तरोपपातिक विमानों तक के लिए समझना। सौधर्म – ईशानकल्प के विमान सर्वरत्नमय हैं। उनमें बहुत से जीव और पुद्‌गल पैदा होते हैं, च्यवित होते हैं, इकट्ठे होते हैं और वृद्धि को प्राप्त करते हैं। वे विमान द्रव्यार्थिकनय की अपेक्षा से शाश्वत हैं और स्पर्श आदि पर्यायों की अपेक्षा अशाश्वत हैं। ऐसा ही अनुत्तरोपपातिक विमानों तक समझना। सम्मूर्च्छिम जीवों को छोड़कर शेष पंचेन्द्रिय तिर्यंचों और मनुष्यों में से आकर जीव सौधर्म और ईशान में देवरूप से उत्पन्न होते हैं। प्रज्ञापना के छठे व्युत्क्रान्तिपद समान उत्पाद कहना। भगवन्‌ ! सौधर्म – ईशानकल्प में एक समय में कितने देव उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! जघन्य एक, दो, तीन और उत्कृष्ट संख्यात और असंख्यात। यह कथन सहस्रार देवलोक तक कहना। आनत आदि चार कल्पों में, नवग्रैवेयकों में और अनुत्तरविमानों में यावत्‌ उत्कृष्ट संख्यात जीव उत्पन्न होते हैं। भगवन्‌ ! सौधर्म – ईशानकल्प के देवों में से यदि प्रत्येक समय में एक – एक का अपहार किया जाए तो कितने काल में वे खाली होंगे ? गौतम ! वे देव असंख्यात हैं अतः यदि एक समय में एक देव का अपहार किया जाए तो असंख्यात उत्सर्पिणियों अवसर्पिणियों तक अपहार तो भी वे खाली नहीं होते। उक्त कथन सहस्रार देवलोक तक करना। आगे के आनतादि चार कल्पों में, ग्रैवेयकों मे तथा अनुत्तर विमानों के देवों को समय – समय में एक – एक का अपहार करने का क्रम पल्योपम के असंख्यातवें भाग तक चलता रहे तो उनका अपहार हो सकता है। लेकिन ये कल्पनामात्र है। भगवन्‌ ! सौधर्म और ईशान कल्प में देवों के शरीर की अवगाहना कितनी है ? गौतम ! उनके दो प्रकार के शरीर हैं – भवधारणीय और उत्तरवैक्रिय, उनमें भवधारणीय शरीर की अवगाहना जघन्य से अंगुल का असंख्यातवाँ भाग और उत्कृष्ट से सात हाथ है। उत्तरवैक्रिय शरीर की अपेक्षा से उत्कृष्ट एक लाख योजन है। इस प्रकार आगे – आगे के कल्पों में एक – एक हाथ कम करते जाना, यावत्‌ अनुत्तरोपपातिक देवों की एक हाथ की अवगाहना रह जाती है। ग्रैवेयकों और अनुत्तर विमानों में केवल भवधार – णीय शरीर होता है। वे देव उत्तरविक्रिया नहीं करते।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] sohammisanesu nam bhamte! Kappesu vimana kevatiyam ayamavikkhambhenam? Kevatiyam parikkhevenam pannatta? Goyama! Duviha pannatta, tam jaha–samkhejjavitthada ya asamkhejjavitthada ya. Tattha nam jete samkhejjavitthada te nam samkhejjaim joyanasahassaim ayamavikkhambhenam, samkhejjaim joyanasahassaim parikkhevenam. Tattha nam jete asamkhejjavitthada te nam asamkhejjaim joyanasahassaim ayama-vikkhambhenam, asamkhejjaim joyanasahassaim parikkhevenam. Evam java gevejjavimana. Anuttaravimana puchchha. Goyama! Duviha pannatta, tam jaha–samkhejjavitthade ya asamkhejja-vitthada ya. Tattha nam jese samkhejjavitthade se egam joyanasayasahassam jambuddivappamane java addhamgulagam cha. Tattha nam jete asamkhejjavitthada te nam asamkhejjaim joyanasahassaim ayamavikkhambhenam, asamkhejjaim joyanasahassaim parikkhevenam pannatta. Sohammisanesu nam bhamte! Vimana kativanna pannatta? Goyama! Pamchavanna pannatta, tam jaha–kinha nila lohiya halidda sukkila. Sanamkumaramahimdesu chauvanna–nila java sukkila, bambhalogalamtaesu tivanna–lohiya halidda sukkila, mahasukkasahassaresu duvanna–halidda ya sukkila ya, anayapanataranachchuesu sukkila, gevejjavimana sukkila, anuttarovavatiyavimana paramasukkila vannenam pannatta. Sohammisanesu nam bhamte! Kappesu vimana kerisaya pabhae pannatta? Goyama! Nichchaloya nichchujjoya sayampabhae pannatta java anuttaravimana. Sohammisanesu nam bhamte! Kappesu vimana kerisaya gamdhenam pannatta? Goyama! Se jahanamae–kotthapudana va java etto itthatara cheva java anuttaravimana. Sohammisanesu nam bhamte! Kappesu vimana kerisaya phasenam pannatta? Goyama! Se jahanamae–aineti va java eto itthatara cheva java anuttaravimana. Sohammisanesu nam bhamte! Kappesu vimana kemahalaya pannatta? Goyama! Ayannam jambuddive dive jaha nirayuddese java chhammasenam vitivaejja–atthegatie vitivaejja atthegatie no vitivaejja emahalaya nam goyama! Evam java anuttaravimana. Sohammisanesu nam bhamte! Kappesu vimana kimmaya pannatta? Goyama! Savvarayanamaya achchha java padiruva tattha nam bahave jiva ya poggala ya vakkamamti viukkamamti chayamti uvavajjamti. Sasaya nam te vimana davvatthayae, vannapajjavehim gamdhapajjavehim rasapajjavehim phasapajjavehim ya asasaya. Evam java anuttaravimana. Sohammisanesu nam bhamte! Kappesu deva kaohimto uvavajjamti? Uvavato jaha vakkamtie java anuttaravimana. Sohammisanesu nam bhamte! Kappesu deva egasamaenam kevatiya uvavajjamti? Goyama! Jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam samkhejja va asamkhejja va uvavajjamti. Evam java sahassare. Anatadi gevejja anuttara ya jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam samkhejja uvavajjamti. Sohammisanesu nam bhamte! Kappesu deva samaesamae avahiramanaavahiramana kevatienam kalenam avahiya siya? Goyama! Te nam asamkhejja samaesamae avahiramanaavahiramana asamkhejjahim ussappiniosappinihim avahiramti, no cheva nam avahiya siya java sahassaro. Anatadisu chausu kappesu deva puchchha. Goyama! Te nam asamkhejja samaesamae avahiramana avahiramana paliovamassa asamkhejjatibhagamettenam kalenam avahiramti, no cheva nam avahiya siya. Evam java anuttaravimana. Sohammisanesu nam bhamte! Kappesu devanam kemahaliya sarirogahana pannatta? Goyama! Duviha pannatta, tam jaha–bhavadharanijja ya uttaraveuvviya ya. Tattha nam jasa bhavadharanijja sa jahannenam amgulassa asamkhejjatibhago, ukkosenam satta rayanio. Tattha nam jasa uttaraveuvviya sa jahannenam amgulassa samkhejjatibhago ukkosenam joyanasatasahassam. Sanamkumaramahimdesu bhavadharanijja uttaraveuvviya. Bhavadharanijja chharayanio, uttara-veuvviya tadheva. Bambhalamtaesu pamcha rayanio, mahasukkasahassaresu chattari rayanio, anatapanata-ranachchuesu tinni rayanio, uttaraveuvviya tadheva joyanasatasahassam savvesim. Gevejjadevanam bhamte! Kemahaliya sarirogahana pannatta? Goyama! Gevejjadevanam ege bhavadharanijje sarirae pannatte–se jahannenam amgulassa asamkhejjatibhage, ukkosenam do rayanio. Anuttaradevanam ega rayani.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Saudharma – ishanakalpa mem vimanom ki lambai – chaurai kitani hai\? Unaki paridhi kitani hai\? Gautama! Ve vimana do taraha ke haim – samkhyata yojana vistaravale aura asamkhyata yojana vistaravale. Narakom ke kathana samana yaham kahana; yavat anuttaropapatika vimana do prakara ke haim – samkhyata yojana vistara vale aura asamkhyata yojana vistara vale. Jo samkhyata yojana vistara vale haim ve jambudvipa pramana haim aura jo asamkhyata yojana vistara vale haim ve asamkhyata hajara yojana vistara aura paridhi vale kahe gaye haim. Bhagavan ! Saudharma – ishanakalpa mem vimana kitane ramga ke haim\? Gautama ! Pamchom varna ke yatha – krishna yavat shukla. Sanatkumara aura mahendra kalpa mem chara varna ke haim – nila yavat shukla. Brahmaloka evam lantaka kalpom mem tina varna ke haim – lala yavat shukla. Mahashukra evam sahasrara kalpa mem do ramga ke haim – pile aura shukla. Anata pranata arana aura achyuta kalpom mem sapheda varna ke haim. Graiveyakavimana bhi sapheda haim. Anuttaropapatika vimana parama – shukla varna ke haim. Bhagavan ! Saudharma – ishanakalpa mem vimanom ki prabha kaisi hai\? Gautama ! Ve vimana nitya svayam ki prabha se prakashamana aura nitya udyota vale haim yavat anuttaropapatika vimana taka aisa hi janana. Bhagavan ! Saudharma – ishanakalpa mem vimanom ki gamdha kaisi hai\? Gautama ! Koshthaputadi sugamdhita padarthom ki gamdha se bhi ishtatara unaki gamdha hai, anuttaravimana paryanta aisa hi kahana. Bhagavan ! Saudharma – ishanakalpa mem vimanom ka sparsha kaisa hai\? Gautama ! Ajina charma, rui adi ka mridula sparsha se bhi ishtatara kahana. Anuttaropapatika vimana paryanta aisa hi kahana. Bhagavan ! Saudharma – ishanakalpa mem vimana kitane bare haim\? Gautama ! Koi deva jo chutaki bajate hi isa eka lakha yojana ke lambe – chaure aura tina lakha yojana se adhika ki paridhi vale jambudvipa ki 21 bara pradakshina kara ave, aisi shighratadi visheshanom vali gati se nirantara chhaha masa chalata rahe, taba vaha kitaneka vimanom ke pasa pahumcha sakata hai, unhem lamgha sakata hai aura kitaneka una vimanom ko nahim lamgha sakata hai. Isi prakara ka kathana anuttaropapatika vimanom taka ke lie samajhana. Saudharma – ishanakalpa ke vimana sarvaratnamaya haim. Unamem bahuta se jiva aura pudgala paida hote haim, chyavita hote haim, ikatthe hote haim aura vriddhi ko prapta karate haim. Ve vimana dravyarthikanaya ki apeksha se shashvata haim aura sparsha adi paryayom ki apeksha ashashvata haim. Aisa hi anuttaropapatika vimanom taka samajhana. Sammurchchhima jivom ko chhorakara shesha pamchendriya tiryamchom aura manushyom mem se akara jiva saudharma aura ishana mem devarupa se utpanna hote haim. Prajnyapana ke chhathe vyutkrantipada samana utpada kahana. Bhagavan ! Saudharma – ishanakalpa mem eka samaya mem kitane deva utpanna hote haim\? Gautama ! Jaghanya eka, do, tina aura utkrishta samkhyata aura asamkhyata. Yaha kathana sahasrara devaloka taka kahana. Anata adi chara kalpom mem, navagraiveyakom mem aura anuttaravimanom mem yavat utkrishta samkhyata jiva utpanna hote haim. Bhagavan ! Saudharma – ishanakalpa ke devom mem se yadi pratyeka samaya mem eka – eka ka apahara kiya jae to kitane kala mem ve khali homge\? Gautama ! Ve deva asamkhyata haim atah yadi eka samaya mem eka deva ka apahara kiya jae to asamkhyata utsarpiniyom avasarpiniyom taka apahara to bhi ve khali nahim hote. Ukta kathana sahasrara devaloka taka karana. Age ke anatadi chara kalpom mem, graiveyakom me tatha anuttara vimanom ke devom ko samaya – samaya mem eka – eka ka apahara karane ka krama palyopama ke asamkhyatavem bhaga taka chalata rahe to unaka apahara ho sakata hai. Lekina ye kalpanamatra hai. Bhagavan ! Saudharma aura ishana kalpa mem devom ke sharira ki avagahana kitani hai\? Gautama ! Unake do prakara ke sharira haim – bhavadharaniya aura uttaravaikriya, unamem bhavadharaniya sharira ki avagahana jaghanya se amgula ka asamkhyatavam bhaga aura utkrishta se sata hatha hai. Uttaravaikriya sharira ki apeksha se utkrishta eka lakha yojana hai. Isa prakara age – age ke kalpom mem eka – eka hatha kama karate jana, yavat anuttaropapatika devom ki eka hatha ki avagahana raha jati hai. Graiveyakom aura anuttara vimanom mem kevala bhavadhara – niya sharira hota hai. Ve deva uttaravikriya nahim karate.