Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )

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Sr No : 1006002
Scripture Name( English ): Jivajivabhigam Translated Scripture Name : जीवाभिगम उपांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

Translated Chapter :

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

Section : लवण समुद्र वर्णन Translated Section : लवण समुद्र वर्णन
Sutra Number : 202 Category : Upang-03
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] कम्हा णं भंते! लवणे समुद्दे चाउद्दसट्ठमुद्दिट्ठपुण्णमासिणीसु अतिरेगंअतिरेगं वड्ढति वा हायति वा? गोयमा! जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स चउद्दिसिं बाहिरिल्लाओ वेइयंताओ लवणसमुद्दं पंचाणउतिं-पंचाणउतिं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता, एत्थ णं चत्तारि महइमहालया महालिंजरसंठाणसंठिया महापायाला पन्नत्ता, तं जहा– वलयामुहे केयुए जूयए ईसरे। ते णं महापाताला एगमेगं जोयण-सयसहस्सं उव्वेहेणं, मूले दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं, मज्झे एगपदेसियाए सेढीए एगमेगं जोयणसतसहस्सं विक्खंभेणं, उवरिं मुहमूले दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं। तेसि णं महापायालाणं कुड्डा सव्वत्थ समा दसजोयणसतबाहल्ला सव्ववइरामया अच्छा जाव पडिरूवा। तत्थ णं बहवे जीवा पोग्गला य अवक्कमंति विउक्कमंति चयंति उववज्जंति सासया णं ते कुड्डा दव्वट्ठयाए, वण्णपज्जवेहिं गंधपज्जवेहिं रसपज्जवेहिं फासपज्जवेहिं असासया। तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्ढीया जाव पलिओवमट्ठितीया परिवसंति, तं जहा–काले महाकाले वेलंबे पभंजणे। तेसि णं महापायालाणं पत्तेयंपत्तेयं तओ तिभागा पन्नत्ता, तं जहा–हेट्ठिल्ले तिभागे मज्झिल्ले तिभागे उवरिल्ले तिभागे। ते णं तिभागा तेत्तीसं जोयणसहस्साइं तिन्नि य तेत्तीसे जोयणसते जोयणतिभागं च बाहल्लेणं पन्नत्ता। तत्थ णं जेसे हेट्ठिल्ले तिभागे, एत्थ णं वाउकाए संचिट्ठति। तत्थ णं जेसे मज्झिल्ले तिभागे, एत्थ णं वाउकाए य आउकाए य संचिट्ठति। तत्थ णं जेसे उवरिल्ले तिभागे, एत्थ णं आउकाए संचिट्ठति। अदुत्तरं च णं गोयमा! लवणसमुद्दे तत्थतत्थ देसे तहिंतहिं बहवे खुड्डालिंजरसंठाणसंठिया खुड्डापायाला पन्नत्ता। ते णं खुड्डापाताला एगमेगं जोयणसहस्सं उव्वेहेणं, मूले एगमेगं जोयणसतं विक्खंभेणं, मज्झे एगपदेसियाए सेढीए एगमेगं जोयणसहस्सं विक्खंभेणं, उप्पिं मुहमूले एगमेगं जोयणसतं विक्खंभेणं। तेसि णं खुड्डापायालाणं कुड्डा सव्वत्थ समा दसजोयणबाहल्ला सव्ववइरामया अच्छा जाव पडिरूवा। तत्थ णं बहवे जीवा पोग्गला य अवक्कमंति विउक्कमंति चयंति उववज्जंति। सासया णं ते कुड्डा दव्वट्ठयाए, वण्णपज्जवेहिं गंधपज्जवेहिं रसपज्जवेहिं फासपज्जवेहिं असासया, पत्तेयंपत्तेयं अद्धपलिओवमट्ठितीयाहिं देवताहिं परिग्गहिया। तेसि णं खुड्डापातालाणं पत्तेयंपत्तेयं तओ तिभागा पन्नत्ता, तं जहा–हेट्ठिल्ले तिभागे मज्झिल्ले तिभागे उवरिल्ले तिभागे। ते णं तिभागा तिन्नि तेत्तीसे जोयणसतेजोयणसते जोयणतिभागं च बाहल्लेणं पन्नत्ता। तत्थ णं जेसे हेट्ठिल्ले तिभागे, एत्थ णं वाउकाए संचिट्ठति, मज्झिल्ले तिभागे वाउआए आउयाए य संचिट्ठति, उवरिल्ले आउकाए संचिट्ठति। एवामेव सपुव्वावरेणं लवणसमुद्दे सत्त पायालसहस्सा अट्ठ य चुलसीता पातालसता भवंतीति मक्खाया। तेसि णं खुड्डापातालाणं महापातालाण य हेट्ठिममज्झिमिल्लेसु तिभागेसु बहवे ओराला वाया संसेयंति संमुच्छंति एयंति वेयंति चलंति घट्टंति खुब्भंति फंदंति उदीरेंति तं तं भावं परिणमंति। जया णं तेसिं खुड्डापातालाणं महापातालाण य हेट्ठिल्लमज्झिल्लेसु तिभागेसु बहवे ओराला वाया जाव तं तं भावं परिणमंति, तया णं से उदए उण्णामिज्जइ। जया णं खुड्डापायालाणं महापायालाण य हेट्ठिल्लमज्झिल्लेसु तिभागेसु नो बहवे ओराला जाव तं तं भावं न परिणमंति, तया णं से उदए नो उण्णामिज्जइ। अंतरावि य णं ते वाया उदीरेंति, अंतरावि य णं से उदगे उण्णामिज्जइ। अंतरावि य णं ते वाया नो उदीरेंति, अंतरावि य णं से उदगे नो उण्णामिज्जइ। एवं खलु गोयमा! लवणे समुद्दे चाउद्दसट्ठमुद्दिट्ठपुण्णमासिणीसु अइरेगंअइरेगं वड्ढति वा हायति वा।
Sutra Meaning : हे भगवन्‌ ! लवणसमुद्र का पानी चतुर्दशी, अष्टमी, अमावस्या और पूर्णिमा तिथियों में अतिशय बढ़ता है और फिर कम हो जाता है, इसका क्या कारण है ? हे गौतम ! जम्बूद्वीप की चारों दिशाओं में बाहरी वेदिकान्त से लवणसमुद्र में ९५००० योजन आगे जाने पर महाकुम्भ के आकार विशाल चार महापातालकलश है, वलयामुख, केयूप, यूप और ईश्वर ये पातालकलश एक लाख योजन जल में गहरे प्रविष्ट हैं, मूल में इनका विष्कम्भ दस हजार योजन है और वहाँ से वृद्धिगत होते हुए मध्य में एक – एक लाख योजन चौड़े हो गये हैं। फिर हीन होते – होते ऊपर मुखमूल में दस हजार योजन के चौड़े हो गये हैं। इन पातालकलशों की भित्तियाँ सर्वत्र समान हैं। एक हजार योजन की है। ये सर्वथा वज्ररत्न की है, आकाश और स्फटिक के समान स्वच्छ हैं, यावत्‌ प्रतिरूप हैं। इन कुड्यों में बहुत से जीव उत्पन्न होते हैं और नीकलते हैं, बहुत से पुद्‌गल एकत्रित होते रहते हैं और बिखरते रहते हैं, वे कुड्य द्रव्यार्थिक नय की अपेक्षा से शाश्वत हैं और पर्यायों से अशाश्वत हैं। उन पातालकलशों में पल्योपम की स्थिति वाले चार महर्द्धिक देव रहते हैं, काल, महाकाल, वेलंब और प्रभंजन। उन महापातालकलशों के तीन त्रिभाग कहे गये हैं – नीचे, मध्ये और ऊपर का। ये प्रत्येक त्रिभाग (३३३३३ – १/३) जितने मोटे हैं। इनके नीचले त्रिभाग में वायुकाय, मध्य में वायुकाय और अप्काय और ऊपर में केवल अप्काय है। इसके अतिरिक्त इन महापातालकलशों के बीच में छोटे कुम्भ की आकृति के पातालकलश हैं। वे छोटे पातालकलश एक – एक हजार योजन पानी में गहरे प्रविष्ट हैं, एक – एक सौ योजन की चौड़ाईवाले हैं और वृद्धिगत होते हुए मध्य में एक हजार योजन के चौड़े और हीन होते हुए मुखमूल में ऊपर एक – एक सौ योजन के चौड़े हैं। उन छोटे पातालकलशों की भित्तियाँ सर्वत्र समान हैं और दस योजन की मोटी, यावत्‌ प्रतिरूप हैं। उनमें बहुत से जीव उत्पन्न होते हैं, यावत्‌ पर्यायों की अपेक्षा अशाश्वत हैं। उन छोटे पातालकलशों में प्रत्येक में अर्ध – पल्योपम की स्थिति वाले देव रहते हैं। उन छोटे पातालकलशों के तीन त्रिभाग कहे गये हैं – ये त्रिभाग (३३३ – १/३) प्रमाण मोटे हैं। इस प्रकार कुल ७८८४ पातालकलश हैं। उन कलशों के नीचले और बिचले त्रिभागो में बहुत से उर्ध्वगमन स्वभाववाले वायुकाय उत्पन्न होने के अभिमुख होते हैं, वे कंपित होते हैं, जोर से चलते हैं, परस्पर में घर्षित होते हैं, शक्तिशाली होकर फैलते हैं, तब वह समुद्र का पानी उनसे क्षुभित होकर ऊपर उछला जाता है। जब उन कलशों के नीचले और बिचले त्रिभागों में बहुत से प्रबल शक्ति वाले वायुकाय उत्पन्न नहीं होते यावत्‌ तब वह पानी नहीं उछलता है। अहोरात्र में दो बार और चतुर्दशी आदि तिथियों में वह विशेष रूप से उछलता है। अहोरात्र में दो बार और चतुर्दशी आदि तिथियों में वह विशेष रूप से उछलता है। इसलिए हे गौतम ! लवणसमुद्र का जल चतुर्दशी, अष्टमी, अमावस्या और पूर्णिमा तिथियों में विशेष रूप से बढ़ता है और घटता है।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] kamha nam bhamte! Lavane samudde chauddasatthamudditthapunnamasinisu atiregamatiregam vaddhati va hayati va? Goyama! Jambuddivassa nam divassa chauddisim bahirillao veiyamtao lavanasamuddam pamchanautim-pamchanautim joyanasahassaim ogahitta, ettha nam chattari mahaimahalaya mahalimjarasamthanasamthiya mahapayala pannatta, tam jaha– valayamuhe keyue juyae isare. Te nam mahapatala egamegam joyana-sayasahassam uvvehenam, mule dasa joyanasahassaim vikkhambhenam, majjhe egapadesiyae sedhie egamegam joyanasatasahassam vikkhambhenam, uvarim muhamule dasa joyanasahassaim vikkhambhenam. Tesi nam mahapayalanam kudda savvattha sama dasajoyanasatabahalla savvavairamaya achchha java padiruva. Tattha nam bahave jiva poggala ya avakkamamti viukkamamti chayamti uvavajjamti sasaya nam te kudda davvatthayae, vannapajjavehim gamdhapajjavehim rasapajjavehim phasapajjavehim asasaya. Tattha nam chattari deva mahiddhiya java paliovamatthitiya parivasamti, tam jaha–kale mahakale velambe pabhamjane. Tesi nam mahapayalanam patteyampatteyam tao tibhaga pannatta, tam jaha–hetthille tibhage majjhille tibhage uvarille tibhage. Te nam tibhaga tettisam joyanasahassaim tinni ya tettise joyanasate joyanatibhagam cha bahallenam pannatta. Tattha nam jese hetthille tibhage, ettha nam vaukae samchitthati. Tattha nam jese majjhille tibhage, ettha nam vaukae ya aukae ya samchitthati. Tattha nam jese uvarille tibhage, ettha nam aukae samchitthati. Aduttaram cha nam goyama! Lavanasamudde tatthatattha dese tahimtahim bahave khuddalimjarasamthanasamthiya khuddapayala pannatta. Te nam khuddapatala egamegam joyanasahassam uvvehenam, mule egamegam joyanasatam vikkhambhenam, majjhe egapadesiyae sedhie egamegam joyanasahassam vikkhambhenam, uppim muhamule egamegam joyanasatam vikkhambhenam. Tesi nam khuddapayalanam kudda savvattha sama dasajoyanabahalla savvavairamaya achchha java padiruva. Tattha nam bahave jiva poggala ya avakkamamti viukkamamti chayamti uvavajjamti. Sasaya nam te kudda davvatthayae, vannapajjavehim gamdhapajjavehim rasapajjavehim phasapajjavehim asasaya, patteyampatteyam addhapaliovamatthitiyahim devatahim pariggahiya. Tesi nam khuddapatalanam patteyampatteyam tao tibhaga pannatta, tam jaha–hetthille tibhage majjhille tibhage uvarille tibhage. Te nam tibhaga tinni tettise joyanasatejoyanasate joyanatibhagam cha bahallenam pannatta. Tattha nam jese hetthille tibhage, ettha nam vaukae samchitthati, majjhille tibhage vauae auyae ya samchitthati, uvarille aukae samchitthati. Evameva sapuvvavarenam lavanasamudde satta payalasahassa attha ya chulasita patalasata bhavamtiti makkhaya. Tesi nam khuddapatalanam mahapatalana ya hetthimamajjhimillesu tibhagesu bahave orala vaya samseyamti sammuchchhamti eyamti veyamti chalamti ghattamti khubbhamti phamdamti udiremti tam tam bhavam parinamamti. Jaya nam tesim khuddapatalanam mahapatalana ya hetthillamajjhillesu tibhagesu bahave orala vaya java tam tam bhavam parinamamti, taya nam se udae unnamijjai. Jaya nam khuddapayalanam mahapayalana ya hetthillamajjhillesu tibhagesu no bahave orala java tam tam bhavam na parinamamti, taya nam se udae no unnamijjai. Amtaravi ya nam te vaya udiremti, amtaravi ya nam se udage unnamijjai. Amtaravi ya nam te vaya no udiremti, amtaravi ya nam se udage no unnamijjai. Evam khalu goyama! Lavane samudde chauddasatthamudditthapunnamasinisu airegamairegam vaddhati va hayati va.
Sutra Meaning Transliteration : He bhagavan ! Lavanasamudra ka pani chaturdashi, ashtami, amavasya aura purnima tithiyom mem atishaya barhata hai aura phira kama ho jata hai, isaka kya karana hai\? He gautama ! Jambudvipa ki charom dishaom mem bahari vedikanta se lavanasamudra mem 95000 yojana age jane para mahakumbha ke akara vishala chara mahapatalakalasha hai, valayamukha, keyupa, yupa aura ishvara ye patalakalasha eka lakha yojana jala mem gahare pravishta haim, mula mem inaka vishkambha dasa hajara yojana hai aura vaham se vriddhigata hote hue madhya mem eka – eka lakha yojana chaure ho gaye haim. Phira hina hote – hote upara mukhamula mem dasa hajara yojana ke chaure ho gaye haim. Ina patalakalashom ki bhittiyam sarvatra samana haim. Eka hajara yojana ki hai. Ye sarvatha vajraratna ki hai, akasha aura sphatika ke samana svachchha haim, yavat pratirupa haim. Ina kudyom mem bahuta se jiva utpanna hote haim aura nikalate haim, bahuta se pudgala ekatrita hote rahate haim aura bikharate rahate haim, ve kudya dravyarthika naya ki apeksha se shashvata haim aura paryayom se ashashvata haim. Una patalakalashom mem palyopama ki sthiti vale chara maharddhika deva rahate haim, kala, mahakala, velamba aura prabhamjana. Una mahapatalakalashom ke tina tribhaga kahe gaye haim – niche, madhye aura upara ka. Ye pratyeka tribhaga (33333 – 1/3) jitane mote haim. Inake nichale tribhaga mem vayukaya, madhya mem vayukaya aura apkaya aura upara mem kevala apkaya hai. Isake atirikta ina mahapatalakalashom ke bicha mem chhote kumbha ki akriti ke patalakalasha haim. Ve chhote patalakalasha eka – eka hajara yojana pani mem gahare pravishta haim, eka – eka sau yojana ki chauraivale haim aura vriddhigata hote hue madhya mem eka hajara yojana ke chaure aura hina hote hue mukhamula mem upara eka – eka sau yojana ke chaure haim. Una chhote patalakalashom ki bhittiyam sarvatra samana haim aura dasa yojana ki moti, yavat pratirupa haim. Unamem bahuta se jiva utpanna hote haim, yavat paryayom ki apeksha ashashvata haim. Una chhote patalakalashom mem pratyeka mem ardha – palyopama ki sthiti vale deva rahate haim. Una chhote patalakalashom ke tina tribhaga kahe gaye haim – ye tribhaga (333 – 1/3) pramana mote haim. Isa prakara kula 7884 patalakalasha haim. Una kalashom ke nichale aura bichale tribhago mem bahuta se urdhvagamana svabhavavale vayukaya utpanna hone ke abhimukha hote haim, ve kampita hote haim, jora se chalate haim, paraspara mem gharshita hote haim, shaktishali hokara phailate haim, taba vaha samudra ka pani unase kshubhita hokara upara uchhala jata hai. Jaba una kalashom ke nichale aura bichale tribhagom mem bahuta se prabala shakti vale vayukaya utpanna nahim hote yavat taba vaha pani nahim uchhalata hai. Ahoratra mem do bara aura chaturdashi adi tithiyom mem vaha vishesha rupa se uchhalata hai. Ahoratra mem do bara aura chaturdashi adi tithiyom mem vaha vishesha rupa se uchhalata hai. Isalie he gautama ! Lavanasamudra ka jala chaturdashi, ashtami, amavasya aura purnima tithiyom mem vishesha rupa se barhata hai aura ghatata hai.