Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Sr No : | 1005965 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | द्वीप समुद्र | Translated Section : | द्वीप समुद्र |
Sutra Number : | 165 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तस्स णं वनसंडस्स तत्थतत्थ देसे तहिंतहिं बहुईओ खुड्डाखुड्डियाओ वावीओ पुक्खरिणीओ दीहियाओ गुंजालियाओ सरसीओ सरपंतियाओ सरसरपंतियाओ बिलपंतियाओ अच्छाओ सण्हाओ रययामयकूलाओ समतीराओ वइरामयपासाणाओ तवणिज्जतलाओ अच्छाओ सण्हाओ रययामय-कूलाओ समतीराओ वइरामयपासाणाओ तवणिज्जतलाओ सुवण्ण सुब्भ रययवालुयाओ वेरुलिय-मणिफालियपडलपच्चोयडाओ सुहोयारसुउत्ताराओ नानामणितित्थ सुबद्धाओ चाउक्कोणाओ आनुपुव्वसुजायवप्पगंभीरसीयलजलाओ संछण्णपत्तभिसमुणालाओ बहुउप्पल कुमुद नलिन सुभग सोगंधिय पोंडरीय सयपत्त सहस्सपत्त फुल्ल केसरोवचियाओ छप्पयपरिभुज्जमाणकमलाओ अच्छविमलसलिलपुण्णाओ परिहत्थभमंतमच्छकच्छभ अनेगसउणमिहुणपविचरियसद्दुण्णइय-महुरसरणाइयाओ पत्तेयंपत्तेयं पउमवरवेदियापरिक्खित्ताओ पत्तेयंपत्तेयं वनसंडपरिक्खित्ताओ अप्पेगतियाओ आसवोदाओ अप्पेगतियाओ वारुणोदाओ अप्पेगतियाओ खीरोदाओ अप्पेगतियाओ धओदाओ अप्पेगतियाओ खोदोदाओ अप्पेगतियाओ अमयरससमरसोदाओ अप्पेगतियाओ पगतीए उदगरसेणं पन्नत्ताओ पासाइयाओ दरिसणिज्जाओ अभिरूवाओ पडिरूवाओ। तासि णं खुड्डाखुड्डियाणं वावीणं जाव बिलपंतियाणं पत्तेयंपत्तेयं चउद्दिसिं चत्तारि तिसोवानपडिरूवगा पन्नत्ता। तेसि णं तिसोवानपडिरूवगाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, तं जहा –वइरामया नेमा रिट्ठामया पतिट्ठाणा वेरुलियामया खंभा सुवण्णरुप्पामया फलगा लोहितक्खमईओ सुईओ वइरामया संधी नानामणिमया अवलंबणा अवलंबणबाहाओ पासाइयाओ दरिसणिज्जाओ अभिरूवाओ पडिरूवाओ। तेसि णं तिसोवानपडिरूवगाणं पुरतो पत्तेयंपत्तेयं तोरणे पन्नत्ते। ते णं तोरणा नानामणिमया नानामणिमएसु खंभेसु उवणिविट्ठसन्निविट्ठा विविहमुत्तंतरोवचिया विविहतारारूवोवचिया, ईहामिय उसभ तुरग णर मगर विहग वालग किन्नर रुरु सरभ चमर कुंजर वनलय पउमलय-भत्तिचित्ता खंभुग्गयवइरवेदियापरिगताभिरामा विज्जाहरजमलजुयलजंतजुताविव अच्चिसहस्स-मालणीया रूवगसहस्सकलिया भिसमाणा भिब्भिसमाणा चक्खुल्लोयणलेसा सुहफासा सस्सिरीय-रूवा पासाइया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। तेसि णं तोरणाणं उप्पिं अट्ठट्ठ मंगलगा पन्नत्ता, तं जहा–सोत्थियसिरिवच्छणंदियावत्त वद्धमाणग भद्दासण कलस मच्छ दप्पणा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसि णं तोरणाणं उप्पिं बहवे किण्हचामरज्झया नीलचामरज्झया लोहियचामरज्झया हालिद्दचामरज्झया सुक्किलचामरज्झया अच्छा सण्हा रुप्पपट्टा वइरदंडा जलयामलगंधीया सुरूवा पासाइया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। तेसि णं तोरणाणं उप्पिं बहवे छत्ताइछत्ता पडागाइपडागा घंटाजुयला चामरजुयला उप्पलहत्थगा पउमनलिनसुभगसोगंधियपोंडरीयमहापोंडरीयसतपत्तसहस्सपत्तहत्थगा सव्वरयणा-मया अच्छा जाव पडिरूवा। तासि णं खुड्डाखुड्डियाणं वावीणं जाव बिलपंतियाणं तत्थतत्थ देसे तहिंतहिं बहवे उप्पायपव्वया णियइपव्वया जगतीपव्वया दारुपव्वयगा दगमंडवगा दगमंचका दगमालगा दगपासायगा ऊसडा खुड्डा खडहडगा अंदोलगा पक्खंदोलगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसु णं उप्पायपव्वतेसु जाव पक्खंदोलएसु बहूइं हंसासणाइं कोंचासणाइं गरूलासणाइं उन्नयासणाइं पणयासणाइं दीहासणाइं भद्दासणाइं पक्खासणाइं मगरासणाइं सीहासनाइं पउमासणाइं दिसासोवत्थियासणाइं सव्वरयणामयाइं अच्छाइं जाव पडिरूवाइं। तस्स णं वनसंडस्स तत्थतत्थ देसे तहिंतहिं बहवे आलिघरगा मालिघरगा कयलिघरगा लयाघरगा अच्छणघरगा पेच्छणघरगा मज्जणघरगा पसाहणघरगा गब्भघरगा मोहणघरगा साल-घरगा जालघरगा कुसुमघरगा चित्तघरगा गंधव्वघरगा आयंसघरगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसु णं आलिघरएसु जाव आयंसघरएसु बहूइं हंसासणाइं जाव दिसासोवत्थियासणाइं सव्वरयणामयाइं अच्छाइं जाव पडिरूवाइं। तस्स णं वनसंडस्स तत्थतत्थ देसे तहिंतहिं बहवे जाईमंडवगा जूहियामंडवगा मल्लियामंडवगा नोमालियामंडवगा वासंतीमंडवगा दधिवासुयमंडवगा सूरिल्लिमंडवगा तंबोली-मंडवगा मुद्दियामंडवगा नागलयामंडवगा अतिमुत्तमंडवगा अप्फोतामंडवगा मालुयामंडवगा सामलयामंडवगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसु णं जातीमंडवएसु जाव सामलयामंडवएसु बहवे पुढविसिलापट्टगा पन्नत्ता, तं जहा–अप्पेगतिया हंसासणसंठिता जाव अप्पेगतिया दिसासोवत्थियासणसंठिता। अन्ने च बहवे पुढवि-सिलापट्टगा वरसयनासनविसिट्ठसंठाणसंठिया पन्नत्ता समणाउसो! आईणग रूय बूर नवनीत तूलफासा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तत्थ णं बहवे वाणमंतरा देवा देवीओ य आसयंति सयंति चिट्ठंति निसीयंति तुयट्टंति रमंति तलंति कीलंति मोहंति, पुरा पोराणाणं सुचिण्णाणं सुपरक्कंताणं सुभाणं कडाणं कम्माणं कल्लाणाणं कल्लाणं फलवित्तिविसेसं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति। तीसे णं जगतीए उप्पिं पउमवरवेदियाए अंतो, एत्थ णं महं एगे वनसंडे पन्नत्ते–देसूणाइं दो जोयणाइं विक्खंभेणं जगतीसमए परिक्खेवेणं, किण्हे किण्होभासे वनसंडवण्णओ तणसद्दविहुणो णेयव्वो। तत्थ णं बहवे वाणमंतरा देवा देवीओ य आसयंति सयंति चिट्ठंति निसीयंति तुयट्टंति रमंति ललंति कीडंति मोहंति, पुरा पोराणाणं सुचिण्णाणं सुपरक्कंताणं सुभाणं कडाणं कम्माणं कल्लाणाणं कल्लाणं फलवित्तिविसेसं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति। | ||
Sutra Meaning : | उस वनखण्ड के मध्य में उस – उस भाग में उस उस स्थान पर बहुत – सी छोटी – छोटी चौकोनी वावडियाँ हैं, गोल – गोल अथवा कमलवाली पुष्करिणियाँ हैं, जगह – जगह नहरों वाली दीर्घिकाएं हैं, टेढ़ीमेढ़ी गुंजालिकाएं हैं, जगह – जगह सरोवर हैं, सरोवरों की पंक्तियाँ हैं, अनेक सरसर पंक्तियाँ और बहुत से कुओं की पंक्तियाँ हैं। वे स्वच्छ हैं, मृदु पुद्गलों से निर्मित हैं। इनके तीर सम हैं, इनके किनारे चाँदी के बने हैं, किनारे पर लगे पाषाण वज्रमय हैं। इनका तलभाग तपनीय का बना हुआ है। इनके तटवर्ती अति उन्नत प्रदेश वैडूर्यमणि एवं स्फटिक के बने हैं। मक्खन के समान इनके सुकोमल तल हैं। स्वर्ण और शुद्ध चाँदी की रेत है। ये सब जलाशय सुखपूर्वक प्रवेश और निष्क्रमण योग्य हैं। नाना प्रकार की मणियों से इनके घाट मजबूत बने हुए हैं। कुए और वावडियाँ चौकोन हैं। इनका वप्र क्रमशः नीचे – नीचे गहरा होता है और उनका जल अगाध और शीतल है। इनमें जो पद्मिनी के पत्र, कन्द और पद्मनाल हैं वे जल से ढंके हुए हैं। उनमें बहुत से उत्पल, कुमुद, नलिन, सुभग, सौगन्धिक, पुण्डरीक, शतपत्र, सहस्रपत्र फूले रहते हैं और पराग से सम्पन्न हैं, ये सब कमल भ्रमरों से परिभुज्यमान हैं अर्थात् भंवरे उनका रसपान करते रहते हैं। ये सब जलाशय स्वच्छ और निर्मल जल से परिपूर्ण हैं। परिहत्थ मत्स्य और कच्छप इधर – उधर घूमते रहते हैं, अनेक पक्षियों के जोड़े भी इधर – उधर भ्रमण करते रहते हैं। इन जलाशयों में से प्रत्येक जलाशय वनखण्ड से चारों ओर से घिरा हुआ है और प्रत्येक जलाशय पद्मवरवेदिका से युक्त है। इन जलाशयोंमें से कितनेक का पानी आसव जैसे स्वादवाला है, किन्हीं का वारुणसमुद्र के जल जैसा है, किन्हीं का जल दूध जैसे स्वादवाला है, किन्हीं का जल घी जैसे स्वादवाला है, किन्हीं का जल इक्षुरस जैसा है, किन्हीं के जल का स्वाद अमृतरस जैसा है और किन्हीं का जल स्वभावतः उदकरस जैसा है। ये सब प्रासादीय दर्शनीय हैं, अभिरूप हैं और प्रतिरूप हैं। उन छोटी वावड़ियों यावत् कूपों में यहाँ वहाँ उन – उन भागों में बहुत से विशिष्ट स्वरूप वाले त्रिसोपान कहे गये हैं। वज्रमय उनकी नींव है, रिष्टरत्नों के उसके पाये हैं, वैडूर्यरत्न के स्तम्भ हैं, सोने और चाँदी के पटिये हैं, वज्रमय उनकी संधियाँ हैं, लोहिताक्ष रत्नों की सूइयाँ हैं, नाना मणियों के अवलम्बन हैं नाना मणियों की बनी हुई आलम्बन बाहा हैं। उन विशिष्ट त्रिसोपानों के आगे प्रत्येक के तोरण कहे गये हैं। वे तोरण नाना प्रकार की मणियों के बने हैं। वे तोरण नाना मणियों से बने हुए स्तंभों पर स्थापित हैं, निश्चलरूप से रखे हुए हैं, अनेक प्रकार की रचनाओं से युक्त मोती उनके बीच – बीच में लगे हुए हैं, नाना प्रकार के ताराओं से वे तोरण उपचित हैं। उन तोरणों में ईहामृग, बैल, घोड़ा, मनुष्य, मगर, पक्षी, व्याल, किन्नर, रुरु, सरभ, हाथी, वनलता और पद्मलता के चित्र बने हुए हैं। इन तोरणों के स्तम्भों पर वज्रमयी वेदिकाएं हैं। समश्रेणी विद्याधरों के युगलों के यन्त्रों के प्रभाव से ये तोरण हजारों किरणों से प्रभासित हो रहे हैं। ये तोरण हजारों रूपकों से युक्त हैं, दीप्यमान हैं, विशेष दीप्यमान हैं, देखने वालों के नेत्र उन्हीं पर टिक जाते हैं। उन तोरणों का स्पर्श बहुत ही शुभ है, उनका रूप बहुत ही शोभायुक्त लगता है। वे तोरण प्रासादिक, दर्शनीय, अभिरूप और प्रतिरूप हैं। उन तोरणों के ऊपर बहुत से आठ – आठ मंगल हैं – स्वस्तिक, श्रीवत्स, नंदिकावर्त, वर्धमान, भद्रासन, कलश, मत्स्य और दर्पण। ये सब आठ मंगल सर्वरत्नमय हैं, स्वच्छ हैं, सूक्ष्म पुद्गलों से निर्मित हैं, प्रासादिक हैं यावत् प्रतिरूप हैं। उन तोरणों के ऊर्ध्वभाग में अनेकों कृष्ण कान्तिवाले चामरों से युक्त ध्वजाएं हैं, नीलवर्ण वाले चामरों से युक्त ध्वजाएं हैं, लालवर्ण वाले चामरों से युक्त ध्वजाएं हैं, पीलेवर्ण के चामरों से युक्त ध्वजाएं हैं और सफेदवर्ण के चामरों से युक्त ध्वजाएं हैं। ये सब ध्वजाएं स्वच्छ हैं, मृदु हैं, वज्रदण्ड के ऊपर का पट्ट चाँदी का है, इन ध्वजाओं के दण्ड वज्ररत्न के हैं, इनकी गन्ध कमल के समान है, अतएव ये सुरम्य हैं, सुन्दर है, प्रासादिक है, दर्शनीय है, अभिरूप है एवं प्रतिरूप हैं। इन तोरणों के ऊपर एक छत्र के ऊपर दूसरा छत्र, दूसरे पर तीसरा छत्र – इस तरह अनेक छत्र हैं, एक पताका पर दूसरी पताका, दूसरी पर तीसरी पताका – इस तरह अनेक पताकाएं हैं। इन तोरणों पर अनेक घंटायुगल हैं, अनेक चामरयुगल हैं और अनेक उत्पलहस्तक हैं यावत् शतपत्र – सहस्रपत्र कमलों के समूह हैं। ये सर्वरत्नमय हैं, स्वच्छ हैं यावत् प्रतिरूप हैं। उन छोटी वावड़ियों यावत् कूपपंक्तियों में उन – उन स्थानों में उन – उन भागों में बहुत से उत्पातपर्वत हैं, बहुत से नियतिपर्वत हैं, जगतीपर्वत हैं, दारुपर्वत हैं, स्फटिक के मण्डप हैं, स्फटिकरत्न के मंच हैं, स्फटिक के माले हैं, स्फटिक के महल हैं जो कोई तो ऊंचे हैं, कोई छोटे हैं, कितनेक छोटे किन्तु लम्बे हैं, वहाँ बहुत से आंदोलक हैं, पक्षियों के आन्दोलक हैं। ये सर्वरत्नमय हैं, स्वच्छ हैं, यावत् प्रतिरूप हैं। उन उत्पातपर्वतों में यावत् पक्षियों के आन्दोलकों में बहुत से हंसासन, क्रौंचासन, गरुड़ासन, उन्नतासन, प्रणतासन, दीर्घासन, भद्रासन, पक्ष्यासन, मकरा – सन, वृषभासन, सिंहासन, पद्मासन और दिशास्वस्तिकासन हैं। ये सब सर्वरत्नमय हैं, स्वच्छ हैं, मृदु हैं, स्निग्ध हैं, घृष्ट हैं, मृष्ट हैं, नीरज हैं, निर्मल हैं, निष्पक हैं, अप्रतिहत कान्तिवाले हैं, प्रभामय हैं, किरणोंवाले हैं, उद्योतवाले हैं, प्रासादिक हैं, दर्शनीय हैं, अभिरूप हैं और प्रतिरूप हैं। उस खण्डवन के उन – उन स्थानों और भागों में बहुत से आलघिर हैं, मालघिर हैं, कदलीघर हैं, लताघर हैं, ठहरने के घर हैं, नाटकघर हैं, स्नानघर, प्रसाधन, गर्भगृह, मोहनघर हैं, शालागृह, जालिप्रधानगृह, फूलप्रधानगृह, चित्रप्रधानगृह, गन्धर्वगृह और आदर्शघर हैं। ये सर्वरत्नमय, स्वच्छ यावत् बहुत सुन्दर हैं। उन आलिघरों यावत् आदर्शघरों में बहुत से हंसासन यावत् दिशास्वस्तिकासन रखे हुए हैं, जो सर्वरत्नमय हैं यावत् सुन्दर हैं। उस वन – खण्ड के उन उन स्थानों और भागों में बहुत से जाई मण्डप हैं, जूही के, मल्लिका के, नवमालिका के, वासन्तीलता के, दधिवासुका वनस्पति के, सूरिल्ली – वनस्पति के, तांबूली के, द्राक्षा के, नागलता, अतिमुक्तक, अप्फोयावनस्पति विशेष के, मालुका, और श्यामलता के यह सब मण्डप हैं। ये नित्य कुसुमित रहते हैं, मुकुलित रहते हैं, पल्लवित रहते हैं यावत् ये सर्वरत्नमय हैं, स्वच्छ हैं यावत् प्रतिरूप हैं। उन जाइमण्डपादि यावत् श्यामलतामण्डपों में बहुत से पृथ्वीशिलापट्टक हैं, जिनमें से कोई हंसासन समान हैं, कोई क्रौंचासन समान हैं, कोई गरुड़ासन आकृति हैं, कोई उन्नतासन समान हैं, कितनेक प्रणतासन, कितनेक भद्रासन, कितनेक दीर्घासन, कितनेक पक्ष्यासन, कितनेक मकरासन, वृषभासन, सिंहासन, पद्मासन और कितनेक दिशा – स्वस्तिकासन के समान हैं। हे आयुष्मन् श्रमण ! वहाँ पर अनेक पृथ्वीशिलापट्टक जितने विशिष्ट चिह्न और नाम हैं तथा जितने प्रधान शयन और आसन हैं – उनके समान आकृति वाले हैं। उनका स्पर्श आजिनक, रुई, बूर वनस्पति, मक्खन तथा हंसतूल के समान मुलायम है, मृदु है। वे सर्वरत्नमय हैं, स्वच्छ हैं, यावत् प्रतिरूप हैं। वहाँ बहुत से वानव्यन्तर देव और देवियाँ सुखपूर्वक विश्राम करती हैं, लेटती हैं, खड़ी रहती हैं, बैठती हैं, करवट बदलती हैं, रमण करती हैं, ईच्छानुसार आचरण करती हैं, क्रीडा करती हैं, रतिक्रीडा करती हैं। इस प्रकार वे वानव्यन्तर देवियाँ और देव पूर्व भव में किये हुए धर्मानुष्ठानों का, पतश्चरणादि शुभ पराक्रमों का अच्छे और कल्याणकारी कर्मों के फलविपाक का अनुभव करते हुए विचरते हैं। उस जगती के ऊपर और पद्मवरवेदिका के अन्दर के भाग में एक बड़ा वनखंड कहा गया है, जो कुछ कम दो योजन विस्तारवाला वेदिका के परिक्षेप के समान परिधिवाला है। जो काला और काली कान्तिवाला है इत्यादि पूर्वोक्त वनखण्ड का वर्णन यहाँ कह लेना चाहिए। केवल यहाँ तृणों और मणियों के शब्द का वर्णन नहीं कहना। यहाँ बहुत से वानव्यन्तर देवियाँ और देव स्थित होते हैं, लेटते हैं, खड़े रहते हैं, बैठते हैं, करवट बदलते हैं, रमण करते हैं, ईच्छानुसार क्रियाएं करते हैं, क्रीडा करते हैं, रतिक्रीडा करते हैं और अपने पूर्वभव में किये गये पुराने अच्छे धर्माचरणों का, सुपराक्रान्त तप आदि का और शुभ पुण्यों का, किये गये शुभकर्मों का कल्याणकारी फल – विपाक का अनुभव करते हुए विचरण करते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tassa nam vanasamdassa tatthatattha dese tahimtahim bahuio khuddakhuddiyao vavio pukkharinio dihiyao gumjaliyao sarasio sarapamtiyao sarasarapamtiyao bilapamtiyao achchhao sanhao rayayamayakulao samatirao vairamayapasanao tavanijjatalao achchhao sanhao rayayamaya-kulao samatirao vairamayapasanao tavanijjatalao suvanna subbha rayayavaluyao veruliya-maniphaliyapadalapachchoyadao suhoyarasuuttarao nanamanitittha subaddhao chaukkonao anupuvvasujayavappagambhirasiyalajalao samchhannapattabhisamunalao bahuuppala kumuda nalina subhaga sogamdhiya pomdariya sayapatta sahassapatta phulla kesarovachiyao chhappayaparibhujjamanakamalao achchhavimalasalilapunnao parihatthabhamamtamachchhakachchhabha anegasaunamihunapavichariyasaddunnaiya-mahurasaranaiyao patteyampatteyam paumavaravediyaparikkhittao patteyampatteyam vanasamdaparikkhittao appegatiyao asavodao appegatiyao varunodao appegatiyao khirodao appegatiyao dhaodao appegatiyao khododao appegatiyao amayarasasamarasodao appegatiyao pagatie udagarasenam pannattao pasaiyao darisanijjao abhiruvao padiruvao. Tasi nam khuddakhuddiyanam vavinam java bilapamtiyanam patteyampatteyam chauddisim chattari tisovanapadiruvaga pannatta. Tesi nam tisovanapadiruvaganam ayameyaruve vannavase pannatte, tam jaha –vairamaya nema ritthamaya patitthana veruliyamaya khambha suvannaruppamaya phalaga lohitakkhamaio suio vairamaya samdhi nanamanimaya avalambana avalambanabahao pasaiyao darisanijjao abhiruvao padiruvao. Tesi nam tisovanapadiruvaganam purato patteyampatteyam torane pannatte. Te nam torana nanamanimaya nanamanimaesu khambhesu uvanivitthasannivittha vivihamuttamtarovachiya vivihatararuvovachiya, ihamiya usabha turaga nara magara vihaga valaga kinnara ruru sarabha chamara kumjara vanalaya paumalaya-bhattichitta khambhuggayavairavediyaparigatabhirama vijjaharajamalajuyalajamtajutaviva achchisahassa-malaniya ruvagasahassakaliya bhisamana bhibbhisamana chakkhulloyanalesa suhaphasa sassiriya-ruva pasaiya darisanijja abhiruva padiruva. Tesi nam torananam uppim atthattha mamgalaga pannatta, tam jaha–sotthiyasirivachchhanamdiyavatta vaddhamanaga bhaddasana kalasa machchha dappana savvarayanamaya achchha java padiruva. Tesi nam torananam uppim bahave kinhachamarajjhaya nilachamarajjhaya lohiyachamarajjhaya haliddachamarajjhaya sukkilachamarajjhaya achchha sanha ruppapatta vairadamda jalayamalagamdhiya suruva pasaiya darisanijja abhiruva padiruva. Tesi nam torananam uppim bahave chhattaichhatta padagaipadaga ghamtajuyala chamarajuyala uppalahatthaga paumanalinasubhagasogamdhiyapomdariyamahapomdariyasatapattasahassapattahatthaga savvarayana-maya achchha java padiruva. Tasi nam khuddakhuddiyanam vavinam java bilapamtiyanam tatthatattha dese tahimtahim bahave uppayapavvaya niyaipavvaya jagatipavvaya darupavvayaga dagamamdavaga dagamamchaka dagamalaga dagapasayaga usada khudda khadahadaga amdolaga pakkhamdolaga savvarayanamaya achchha java padiruva. Tesu nam uppayapavvatesu java pakkhamdolaesu bahuim hamsasanaim komchasanaim garulasanaim unnayasanaim panayasanaim dihasanaim bhaddasanaim pakkhasanaim magarasanaim sihasanaim paumasanaim disasovatthiyasanaim savvarayanamayaim achchhaim java padiruvaim. Tassa nam vanasamdassa tatthatattha dese tahimtahim bahave aligharaga maligharaga kayaligharaga layagharaga achchhanagharaga pechchhanagharaga majjanagharaga pasahanagharaga gabbhagharaga mohanagharaga sala-gharaga jalagharaga kusumagharaga chittagharaga gamdhavvagharaga ayamsagharaga savvarayanamaya achchha java padiruva. Tesu nam aligharaesu java ayamsagharaesu bahuim hamsasanaim java disasovatthiyasanaim savvarayanamayaim achchhaim java padiruvaim. Tassa nam vanasamdassa tatthatattha dese tahimtahim bahave jaimamdavaga juhiyamamdavaga malliyamamdavaga nomaliyamamdavaga vasamtimamdavaga dadhivasuyamamdavaga surillimamdavaga tamboli-mamdavaga muddiyamamdavaga nagalayamamdavaga atimuttamamdavaga apphotamamdavaga maluyamamdavaga samalayamamdavaga savvarayanamaya achchha java padiruva. Tesu nam jatimamdavaesu java samalayamamdavaesu bahave pudhavisilapattaga pannatta, tam jaha–appegatiya hamsasanasamthita java appegatiya disasovatthiyasanasamthita. Anne cha bahave pudhavi-silapattaga varasayanasanavisitthasamthanasamthiya pannatta samanauso! Ainaga ruya bura navanita tulaphasa savvarayanamaya achchha java padiruva. Tattha nam bahave vanamamtara deva devio ya asayamti sayamti chitthamti nisiyamti tuyattamti ramamti talamti kilamti mohamti, pura porananam suchinnanam suparakkamtanam subhanam kadanam kammanam kallananam kallanam phalavittivisesam pachchanubbhavamana viharamti. Tise nam jagatie uppim paumavaravediyae amto, ettha nam maham ege vanasamde pannatte–desunaim do joyanaim vikkhambhenam jagatisamae parikkhevenam, kinhe kinhobhase vanasamdavannao tanasaddavihuno neyavvo. Tattha nam bahave vanamamtara deva devio ya asayamti sayamti chitthamti nisiyamti tuyattamti ramamti lalamti kidamti mohamti, pura porananam suchinnanam suparakkamtanam subhanam kadanam kammanam kallananam kallanam phalavittivisesam pachchanubbhavamana viharamti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Usa vanakhanda ke madhya mem usa – usa bhaga mem usa usa sthana para bahuta – si chhoti – chhoti chaukoni vavadiyam haim, gola – gola athava kamalavali pushkariniyam haim, jagaha – jagaha naharom vali dirghikaem haim, terhimerhi gumjalikaem haim, jagaha – jagaha sarovara haim, sarovarom ki pamktiyam haim, aneka sarasara pamktiyam aura bahuta se kuom ki pamktiyam haim. Ve svachchha haim, mridu pudgalom se nirmita haim. Inake tira sama haim, inake kinare chamdi ke bane haim, kinare para lage pashana vajramaya haim. Inaka talabhaga tapaniya ka bana hua hai. Inake tatavarti ati unnata pradesha vaiduryamani evam sphatika ke bane haim. Makkhana ke samana inake sukomala tala haim. Svarna aura shuddha chamdi ki reta hai. Ye saba jalashaya sukhapurvaka pravesha aura nishkramana yogya haim. Nana prakara ki maniyom se inake ghata majabuta bane hue haim. Kue aura vavadiyam chaukona haim. Inaka vapra kramashah niche – niche gahara hota hai aura unaka jala agadha aura shitala hai. Inamem jo padmini ke patra, kanda aura padmanala haim ve jala se dhamke hue haim. Unamem bahuta se utpala, kumuda, nalina, subhaga, saugandhika, pundarika, shatapatra, sahasrapatra phule rahate haim aura paraga se sampanna haim, ye saba kamala bhramarom se paribhujyamana haim arthat bhamvare unaka rasapana karate rahate haim. Ye saba jalashaya svachchha aura nirmala jala se paripurna haim. Parihattha matsya aura kachchhapa idhara – udhara ghumate rahate haim, aneka pakshiyom ke jore bhi idhara – udhara bhramana karate rahate haim. Ina jalashayom mem se pratyeka jalashaya vanakhanda se charom ora se ghira hua hai aura pratyeka jalashaya padmavaravedika se yukta hai. Ina jalashayommem se kitaneka ka pani asava jaise svadavala hai, kinhim ka varunasamudra ke jala jaisa hai, kinhim ka jala dudha jaise svadavala hai, kinhim ka jala ghi jaise svadavala hai, kinhim ka jala ikshurasa jaisa hai, kinhim ke jala ka svada amritarasa jaisa hai aura kinhim ka jala svabhavatah udakarasa jaisa hai. Ye saba prasadiya darshaniya haim, abhirupa haim aura pratirupa haim. Una chhoti vavariyom yavat kupom mem yaham vaham una – una bhagom mem bahuta se vishishta svarupa vale trisopana kahe gaye haim. Vajramaya unaki nimva hai, rishtaratnom ke usake paye haim, vaiduryaratna ke stambha haim, sone aura chamdi ke patiye haim, vajramaya unaki samdhiyam haim, lohitaksha ratnom ki suiyam haim, nana maniyom ke avalambana haim nana maniyom ki bani hui alambana baha haim. Una vishishta trisopanom ke age pratyeka ke torana kahe gaye haim. Ve torana nana prakara ki maniyom ke bane haim. Ve torana nana maniyom se bane hue stambhom para sthapita haim, nishchalarupa se rakhe hue haim, aneka prakara ki rachanaom se yukta moti unake bicha – bicha mem lage hue haim, nana prakara ke taraom se ve torana upachita haim. Una toranom mem ihamriga, baila, ghora, manushya, magara, pakshi, vyala, kinnara, ruru, sarabha, hathi, vanalata aura padmalata ke chitra bane hue haim. Ina toranom ke stambhom para vajramayi vedikaem haim. Samashreni vidyadharom ke yugalom ke yantrom ke prabhava se ye torana hajarom kiranom se prabhasita ho rahe haim. Ye torana hajarom rupakom se yukta haim, dipyamana haim, vishesha dipyamana haim, dekhane valom ke netra unhim para tika jate haim. Una toranom ka sparsha bahuta hi shubha hai, unaka rupa bahuta hi shobhayukta lagata hai. Ve torana prasadika, darshaniya, abhirupa aura pratirupa haim. Una toranom ke upara bahuta se atha – atha mamgala haim – svastika, shrivatsa, namdikavarta, vardhamana, bhadrasana, kalasha, matsya aura darpana. Ye saba atha mamgala sarvaratnamaya haim, svachchha haim, sukshma pudgalom se nirmita haim, prasadika haim yavat pratirupa haim. Una toranom ke urdhvabhaga mem anekom krishna kantivale chamarom se yukta dhvajaem haim, nilavarna vale chamarom se yukta dhvajaem haim, lalavarna vale chamarom se yukta dhvajaem haim, pilevarna ke chamarom se yukta dhvajaem haim aura saphedavarna ke chamarom se yukta dhvajaem haim. Ye saba dhvajaem svachchha haim, mridu haim, vajradanda ke upara ka patta chamdi ka hai, ina dhvajaom ke danda vajraratna ke haim, inaki gandha kamala ke samana hai, ataeva ye suramya haim, sundara hai, prasadika hai, darshaniya hai, abhirupa hai evam pratirupa haim. Ina toranom ke upara eka chhatra ke upara dusara chhatra, dusare para tisara chhatra – isa taraha aneka chhatra haim, eka pataka para dusari pataka, dusari para tisari pataka – isa taraha aneka patakaem haim. Ina toranom para aneka ghamtayugala haim, aneka chamarayugala haim aura aneka utpalahastaka haim yavat shatapatra – sahasrapatra kamalom ke samuha haim. Ye sarvaratnamaya haim, svachchha haim yavat pratirupa haim. Una chhoti vavariyom yavat kupapamktiyom mem una – una sthanom mem una – una bhagom mem bahuta se utpataparvata haim, bahuta se niyatiparvata haim, jagatiparvata haim, daruparvata haim, sphatika ke mandapa haim, sphatikaratna ke mamcha haim, sphatika ke male haim, sphatika ke mahala haim jo koi to umche haim, koi chhote haim, kitaneka chhote kintu lambe haim, vaham bahuta se amdolaka haim, pakshiyom ke andolaka haim. Ye sarvaratnamaya haim, svachchha haim, yavat pratirupa haim. Una utpataparvatom mem yavat pakshiyom ke andolakom mem bahuta se hamsasana, kraumchasana, garurasana, unnatasana, pranatasana, dirghasana, bhadrasana, pakshyasana, makara – sana, vrishabhasana, simhasana, padmasana aura dishasvastikasana haim. Ye saba sarvaratnamaya haim, svachchha haim, mridu haim, snigdha haim, ghrishta haim, mrishta haim, niraja haim, nirmala haim, nishpaka haim, apratihata kantivale haim, prabhamaya haim, kiranomvale haim, udyotavale haim, prasadika haim, darshaniya haim, abhirupa haim aura pratirupa haim. Usa khandavana ke una – una sthanom aura bhagom mem bahuta se alaghira haim, malaghira haim, kadalighara haim, lataghara haim, thaharane ke ghara haim, natakaghara haim, snanaghara, prasadhana, garbhagriha, mohanaghara haim, shalagriha, jalipradhanagriha, phulapradhanagriha, chitrapradhanagriha, gandharvagriha aura adarshaghara haim. Ye sarvaratnamaya, svachchha yavat bahuta sundara haim. Una aligharom yavat adarshagharom mem bahuta se hamsasana yavat dishasvastikasana rakhe hue haim, jo sarvaratnamaya haim yavat sundara haim. Usa vana – khanda ke una una sthanom aura bhagom mem bahuta se jai mandapa haim, juhi ke, mallika ke, navamalika ke, vasantilata ke, dadhivasuka vanaspati ke, surilli – vanaspati ke, tambuli ke, draksha ke, nagalata, atimuktaka, apphoyavanaspati vishesha ke, maluka, aura shyamalata ke yaha saba mandapa haim. Ye nitya kusumita rahate haim, mukulita rahate haim, pallavita rahate haim yavat ye sarvaratnamaya haim, svachchha haim yavat pratirupa haim. Una jaimandapadi yavat shyamalatamandapom mem bahuta se prithvishilapattaka haim, jinamem se koi hamsasana samana haim, koi kraumchasana samana haim, koi garurasana akriti haim, koi unnatasana samana haim, kitaneka pranatasana, kitaneka bhadrasana, kitaneka dirghasana, kitaneka pakshyasana, kitaneka makarasana, vrishabhasana, simhasana, padmasana aura kitaneka disha – svastikasana ke samana haim. He ayushman shramana ! Vaham para aneka prithvishilapattaka jitane vishishta chihna aura nama haim tatha jitane pradhana shayana aura asana haim – unake samana akriti vale haim. Unaka sparsha ajinaka, rui, bura vanaspati, makkhana tatha hamsatula ke samana mulayama hai, mridu hai. Ve sarvaratnamaya haim, svachchha haim, yavat pratirupa haim. Vaham bahuta se vanavyantara deva aura deviyam sukhapurvaka vishrama karati haim, letati haim, khari rahati haim, baithati haim, karavata badalati haim, ramana karati haim, ichchhanusara acharana karati haim, krida karati haim, ratikrida karati haim. Isa prakara ve vanavyantara deviyam aura deva purva bhava mem kiye hue dharmanushthanom ka, patashcharanadi shubha parakramom ka achchhe aura kalyanakari karmom ke phalavipaka ka anubhava karate hue vicharate haim. Usa jagati ke upara aura padmavaravedika ke andara ke bhaga mem eka bara vanakhamda kaha gaya hai, jo kuchha kama do yojana vistaravala vedika ke parikshepa ke samana paridhivala hai. Jo kala aura kali kantivala hai ityadi purvokta vanakhanda ka varnana yaham kaha lena chahie. Kevala yaham trinom aura maniyom ke shabda ka varnana nahim kahana. Yaham bahuta se vanavyantara deviyam aura deva sthita hote haim, letate haim, khare rahate haim, baithate haim, karavata badalate haim, ramana karate haim, ichchhanusara kriyaem karate haim, krida karate haim, ratikrida karate haim aura apane purvabhava mem kiye gaye purane achchhe dharmacharanom ka, suparakranta tapa adi ka aura shubha punyom ka, kiye gaye shubhakarmom ka kalyanakari phala – vipaka ka anubhava karate hue vicharana karate haim. |