Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )

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Sr No : 1005968
Scripture Name( English ): Jivajivabhigam Translated Scripture Name : जीवाभिगम उपांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

Translated Chapter :

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

Section : द्वीप समुद्र Translated Section : द्वीप समुद्र
Sutra Number : 168 Category : Upang-03
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] विजयस्स णं दारस्स उभओ पासिं दुहओ निसीहियाए दोदो पगंठगा पन्नत्ता। ते णं पगंठगा चत्तारि जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, दो जोयणाइं बाहल्लेणं, सव्ववइरामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसि णं पगंठगाणं उवरिं पत्तेयंपत्तेयं पासायवडेंसगा पन्नत्ता। ते णं पासायवडेंसगा चत्तारि जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, दो जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, अब्भुग्गयमूसितपहसिताविव विविहमनिरयणभत्तिचित्ता वाउद्धुयविजयवेजयंतीपडागच्छत्तातिछत्त कलिया तुंगा गगनतलमनुलिहंतसिहरा जालंतररयण पंजरुम्मिलितव्व मणिकनगथूभियागा वियसिय सयवत्तपोंडरीयतिलकरयणद्धचंदचित्ता अंतो बाहिं च सण्हा तवणिज्जवालुयापत्थडा सुहफासा सस्सिरीयरूवा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा तेसि णं पासायवडेंसगाणं उल्लोया पउमलयाभत्तिचित्ता जाव सामलयाभत्तिचित्ता सव्वतवणिज्जमया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसि णं पासायवडेंसगाणं पत्तेयंपत्तेयं अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते, से जहानामए–आलिंगपुक्खरेति वा जाव मणीहिं उवसोभिए। मणीण वण्णो गंधो फासो य नेयव्वो। तेसि णं बहुसमरमणिज्जाणं भूमिभागाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयंपत्तेयं मणिपेढियाओ पन्नत्ताओ। ताओ णं मणिपेढियाओ जोयणं आयामविक्खंभेणं अद्धजोयणं बाहल्लेणं, सव्व-रयणामईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तासि णं मणिपेढियाणं उवरिं पत्तेयंपत्तेयं सीहासने पन्नत्ते। तेसि णं सीहासनाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, तं जहा–रययामया सीहा सोवण्णिया पादा तवणिज्जमया चक्कला नाना-मणिमयाइं पायसीसगाइं जंबूणयमयाइं गत्ताइं वइरामया संधी नानामणिमए वेच्चे। ते णं सीहासना ईहामियउसभतुरगणरमगरविहगबालगकिन्नररुरसरभचमरकुंजरवणलयपउमलयभत्तिचित्ता ससार-सारोवचियविविहमनिरयणपायपीढा अत्थरगमिउमसूरगनवतयकुसंतलिच्च केसरपच्चुत्थताभिरामा आईणग रूय बूर नवनीत तूलफासा सुविरचितरयत्ताणा ओयवियखोमदुगुल्लपट्टपडिच्छयणा रत्तंसुयसंबुया सुरम्मा पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। तेसि णं सीहासनाणं उप्पिं पत्तेयंपत्तेयं विजयदूसे पन्नत्ते। ते णं विजयदूसा सेया संखंककुंददगरयअमतमहियफेणपुंजसन्निकासा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसि णं विजयदूसाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयंपत्तेयं वइरामया अंकुसा पन्नत्ता। तेसु णं वइरामएसु अंकुसेसु पत्तेयंपत्तेयं कुंभिक्का मुत्तादामा पन्नत्ता। ते णं कुंभिक्का मुत्तादामा अन्नेहिं चउहिं कुंभिक्केहिं मुत्तादामेहिं तदद्धुच्चप्पमाणमेत्तेहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता। ते णं दामा तवणिज्जलंबूसगा सुवण्णपयरगमंडिया जाव सिरीए अतीवअतीव उवसोभेमाणा-उवसोभेमाणा चिट्ठंति। तेसि णं पासायवडेंसगाणं उप्पिं बहवे अट्ठट्ठमंगलगा पन्नत्ता सोत्थिय तघेव जाव छत्ताइछत्ता।
Sutra Meaning : उस विजयद्वार के दोनों तरफ दोनों नैषेधिकाओं में दो प्रकण्ठक हैं। ये चार योजन के लम्बे – चौड़े और दो योजन की मोटाईवाले हैं। ये सर्व वज्ररत्न के हैं, स्वच्छ हैं यावत्‌ प्रतिरूप हैं। इन के ऊपर अलग – अलग प्रासादा – वतंसक हैं। ये प्रासादावतंसक चार योजन के ऊंचे और दो योजन के लम्बे – चौड़े हैं। चारों तरफ से नीकलती हुई और सब दिशाओं में फैलती हुई प्रभा से बँधे हुए हों ऐसे प्रतीत होते हैं। ये विविध प्रकार की मणियों और रत्नों की रचनाओं से विविध रूप वाले हैं वे वायु से कम्पित और विजय की सूचक वैजयन्ती नाम की पताका, सामान्य पताका और छत्रों पर छत्र से शोभित हैं, वे ऊंचे हैं, उनके शिखर आकाश को छू रहे हैं अथवा आसमान को लाँघ रहे हैं। उनकी जालियों में रत्न जड़े हुए हैं, वे आवरण से बाहर नीकली हुई वस्तु की तरह नये नये लगते हैं, उनके शिखर मणियों और सोने के हैं, विकसित शतपत्र, पुण्डरीक, तिलकरत्न और अर्धचन्द्र के चित्रों से चित्रित हैं, नाना प्रकार की मणियों की मालाओं से अलंकृत हैं, अन्दर और बाहर से श्लक्ष्ण हैं, तपनीय स्वर्ण की बालुका इनके आंगन में बीछी हुई है। स्पर्श अत्यन्त सुखदायक है। रूप लुभावना है। ये प्रासादावतंसक प्रासादीय, दर्शनीय, अभिरूप और प्रतिरूप हैं। उन प्रासादावतंसकों के ऊपरी भाग पद्मलता यावत्‌ श्यामलता के चित्रों से चित्रित हैं और वे सर्वात्मना स्वर्ण के हैं। वे स्वच्छ, चिकने यावत्‌ प्रतिरूप हैं। उन में अलग – अलग बहुत सम और रमणीय भूमिभाग है। वह मृदंग पर चढ़े हुए चर्म के समान समतल यावत्‌ मणियों से उपशोभित है। उन समतल और रमणीय भूमिभागों के मध्यभाग में अलग – अलग मणिपीठिकाएं हैं। वे एक योजन की लम्बी – चौड़ी और आधे योजन की मोटाई वाली हैं। वे सर्वरत्नमयी यावत्‌ प्रतिरूप हैं। उन मणिपीठिकाओं के ऊपर अलग – अलग सिंहासन है। उन सिंहासनों के सिंह रजतमय हैं, स्वर्ण के उनके पाये हैं, तपनीय स्वर्ण के पायों के अधःप्रदेश हैं, नाना मणियों के पायों के ऊपरी भाग हैं, जंबूनद स्वर्ण के उनके गात्र हैं, वज्रमय उनकी संधियाँ हैं, नाना मणियों से उनका मध्यभाग बुना गया है। वे सिंहासन ईहामृग, यावत्‌ पद्मलता से चित्रित हैं, प्रधान – प्रधान विविध मणिरत्नों से उनके पादपीठ उपचित हैं, उन सिंहासनो पर मृदु स्पर्श वाले आस्तरक युक्त गद्दे जिनमें नवीन छालवाले मुलायम – मुलायम दर्भाग्र और अतिकोमल केसर भरे हैं, उन गद्दों पर बेलबूटों से युक्त सूती वस्त्र की चादर बिछी हुई है, उनके ऊपर धूल न लगे इसलिए रजस्राण लगाया हुआ है, वे रमणीय लाल वस्त्र से आच्छादित है, सुरम्य है, आजिनक, रुई, बूर वनस्पति, मक्खन और अर्कतूल के समान मुलायम स्पर्शवाले हैं। वे सिंहासन प्रासादीय, दर्शनीय, अभिरूप और प्रतिरूप हैं। उन सिंहासनों के ऊपर अलग – अलग विजयदूष्य हैं। वे विजयदूष्य सफेद हैं, शंख, कुंद, जलबिन्दु, क्षीरोदधि के जल को मथित करने से उठनेवाले फेनपुंज के समान हैं, सर्वरत्नमय हैं, स्वच्छ हैं यावत्‌ प्रतिरूप हैं। उन विजयदूष्यों के ठीक मध्यभाग में अलग अलग वज्रमय अंकुश हैं। उन में अलग अलग कुंभिका प्रमाण मोतियों की मालाएं लटक रही हैं। वे मुक्तामालाएं अन्य उनसे आधी ऊंचाई वाली अर्धकुंभिका प्रमाण चार चार मोतियों की मालाओं से सब ओरसे वेष्ठित हैं। उनमें तपनीयस्वर्ण के लंबूसक हैं, वे आसपास स्वर्ण प्रतरक से मंडित हैं यावत्‌ श्री से अतीव अतीव सुशोभित हैं। उन प्रासादावतंसकों ऊपर आठ – आठ मंगल कहे हैं, यथा – स्वस्तिक यावत्‌ छत्र
Mool Sutra Transliteration : [sutra] vijayassa nam darassa ubhao pasim duhao nisihiyae dodo pagamthaga pannatta. Te nam pagamthaga chattari joyanaim ayamavikkhambhenam, do joyanaim bahallenam, savvavairamaya achchha java padiruva. Tesi nam pagamthaganam uvarim patteyampatteyam pasayavademsaga pannatta. Te nam pasayavademsaga chattari joyanaim uddham uchchattenam, do joyanaim ayamavikkhambhenam, abbhuggayamusitapahasitaviva vivihamanirayanabhattichitta vauddhuyavijayavejayamtipadagachchhattatichhatta kaliya tumga gaganatalamanulihamtasihara jalamtararayana pamjarummilitavva manikanagathubhiyaga viyasiya sayavattapomdariyatilakarayanaddhachamdachitta amto bahim cha sanha tavanijjavaluyapatthada suhaphasa sassiriyaruva pasadiya darisanijja abhiruva padiruva Tesi nam pasayavademsaganam ulloya paumalayabhattichitta java samalayabhattichitta savvatavanijjamaya achchha java padiruva. Tesi nam pasayavademsaganam patteyampatteyam amto bahusamaramanijje bhumibhage pannatte, se jahanamae–alimgapukkhareti va java manihim uvasobhie. Manina vanno gamdho phaso ya neyavvo. Tesi nam bahusamaramanijjanam bhumibhaganam bahumajjhadesabhae patteyampatteyam manipedhiyao pannattao. Tao nam manipedhiyao joyanam ayamavikkhambhenam addhajoyanam bahallenam, savva-rayanamaio achchhao java padiruvao. Tasi nam manipedhiyanam uvarim patteyampatteyam sihasane pannatte. Tesi nam sihasananam ayameyaruve vannavase pannatte, tam jaha–rayayamaya siha sovanniya pada tavanijjamaya chakkala nana-manimayaim payasisagaim jambunayamayaim gattaim vairamaya samdhi nanamanimae vechche. Te nam sihasana ihamiyausabhaturaganaramagaravihagabalagakinnararurasarabhachamarakumjaravanalayapaumalayabhattichitta sasara-sarovachiyavivihamanirayanapayapidha attharagamiumasuraganavatayakusamtalichcha kesarapachchutthatabhirama ainaga ruya bura navanita tulaphasa suvirachitarayattana oyaviyakhomadugullapattapadichchhayana rattamsuyasambuya suramma pasaiya darisanijja abhiruva padiruva. Tesi nam sihasananam uppim patteyampatteyam vijayaduse pannatte. Te nam vijayadusa seya samkhamkakumdadagarayaamatamahiyaphenapumjasannikasa savvarayanamaya achchha java padiruva. Tesi nam vijayadusanam bahumajjhadesabhae patteyampatteyam vairamaya amkusa pannatta. Tesu nam vairamaesu amkusesu patteyampatteyam kumbhikka muttadama pannatta. Te nam kumbhikka muttadama annehim chauhim kumbhikkehim muttadamehim tadaddhuchchappamanamettehim savvato samamta samparikkhitta. Te nam dama tavanijjalambusaga suvannapayaragamamdiya java sirie ativaativa uvasobhemana-uvasobhemana chitthamti. Tesi nam pasayavademsaganam uppim bahave atthatthamamgalaga pannatta sotthiya tagheva java chhattaichhatta.
Sutra Meaning Transliteration : Usa vijayadvara ke donom tarapha donom naishedhikaom mem do prakanthaka haim. Ye chara yojana ke lambe – chaure aura do yojana ki motaivale haim. Ye sarva vajraratna ke haim, svachchha haim yavat pratirupa haim. Ina ke upara alaga – alaga prasada – vatamsaka haim. Ye prasadavatamsaka chara yojana ke umche aura do yojana ke lambe – chaure haim. Charom tarapha se nikalati hui aura saba dishaom mem phailati hui prabha se bamdhe hue hom aise pratita hote haim. Ye vividha prakara ki maniyom aura ratnom ki rachanaom se vividha rupa vale haim ve vayu se kampita aura vijaya ki suchaka vaijayanti nama ki pataka, samanya pataka aura chhatrom para chhatra se shobhita haim, ve umche haim, unake shikhara akasha ko chhu rahe haim athava asamana ko lamgha rahe haim. Unaki jaliyom mem ratna jare hue haim, ve avarana se bahara nikali hui vastu ki taraha naye naye lagate haim, unake shikhara maniyom aura sone ke haim, vikasita shatapatra, pundarika, tilakaratna aura ardhachandra ke chitrom se chitrita haim, nana prakara ki maniyom ki malaom se alamkrita haim, andara aura bahara se shlakshna haim, tapaniya svarna ki baluka inake amgana mem bichhi hui hai. Sparsha atyanta sukhadayaka hai. Rupa lubhavana hai. Ye prasadavatamsaka prasadiya, darshaniya, abhirupa aura pratirupa haim. Una prasadavatamsakom ke upari bhaga padmalata yavat shyamalata ke chitrom se chitrita haim aura ve sarvatmana svarna ke haim. Ve svachchha, chikane yavat pratirupa haim. Una mem alaga – alaga bahuta sama aura ramaniya bhumibhaga hai. Vaha mridamga para charhe hue charma ke samana samatala yavat maniyom se upashobhita hai. Una samatala aura ramaniya bhumibhagom ke madhyabhaga mem alaga – alaga manipithikaem haim. Ve eka yojana ki lambi – chauri aura adhe yojana ki motai vali haim. Ve sarvaratnamayi yavat pratirupa haim. Una manipithikaom ke upara alaga – alaga simhasana hai. Una simhasanom ke simha rajatamaya haim, svarna ke unake paye haim, tapaniya svarna ke payom ke adhahpradesha haim, nana maniyom ke payom ke upari bhaga haim, jambunada svarna ke unake gatra haim, vajramaya unaki samdhiyam haim, nana maniyom se unaka madhyabhaga buna gaya hai. Ve simhasana ihamriga, yavat padmalata se chitrita haim, pradhana – pradhana vividha maniratnom se unake padapitha upachita haim, una simhasano para mridu sparsha vale astaraka yukta gadde jinamem navina chhalavale mulayama – mulayama darbhagra aura atikomala kesara bhare haim, una gaddom para belabutom se yukta suti vastra ki chadara bichhi hui hai, unake upara dhula na lage isalie rajasrana lagaya hua hai, ve ramaniya lala vastra se achchhadita hai, suramya hai, ajinaka, rui, bura vanaspati, makkhana aura arkatula ke samana mulayama sparshavale haim. Ve simhasana prasadiya, darshaniya, abhirupa aura pratirupa haim. Una simhasanom ke upara alaga – alaga vijayadushya haim. Ve vijayadushya sapheda haim, shamkha, kumda, jalabindu, kshirodadhi ke jala ko mathita karane se uthanevale phenapumja ke samana haim, sarvaratnamaya haim, svachchha haim yavat pratirupa haim. Una vijayadushyom ke thika madhyabhaga mem alaga alaga vajramaya amkusha haim. Una mem alaga alaga kumbhika pramana motiyom ki malaem lataka rahi haim. Ve muktamalaem anya unase adhi umchai vali ardhakumbhika pramana chara chara motiyom ki malaom se saba orase veshthita haim. Unamem tapaniyasvarna ke lambusaka haim, ve asapasa svarna prataraka se mamdita haim yavat shri se ativa ativa sushobhita haim. Una prasadavatamsakom upara atha – atha mamgala kahe haim, yatha – svastika yavat chhatra