Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005938 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | तिर्यंच उद्देशक-२ | Translated Section : | तिर्यंच उद्देशक-२ |
Sutra Number : | 138 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अन्नउत्थिया णं भंते! एवमाइक्खंति एवं भासेंति एवं पण्णवेंति एवं परूवेंति–एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियाओ पकरेंति, तं जहा–सम्मत्तकिरियं च मिच्छत्तकिरियं च। जं समयं सम्मत्तकिरियं पकरेति, तं समयं मिच्छत्तकिरियं पकरेति। जं समयं मिच्छत्तकिरियं पकरेति, तं समयं सम्मत्तकिरियं पकरेति। सम्मत्तकिरियापकरणताए मिच्छत्तकिरियं पकरेति। मिच्छत्तकिरियापकरणताए सम्मत्तकिरियं पकरेति। एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियाओ पकरेति, तं जहा–सम्मत्तकिरियं च मिच्छत्तकिरियं च। से कहमेयं भंते! एवं? गोयमा! जण्णं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति एवं भासेंति एवं पण्णवेंति एवं परूवेंति –एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियाओ पकरेति तहेव जाव सम्मत्तकिरियं च मिच्छत्तकिरियं च। जे ते एवमाहंसु, तं णं मिच्छा। अहं पुण गोयमा! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि–एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एगं किरियं पकरेति, तं जहा–सम्मत्तकिरियं वा मिच्छत्तकिरियं वा। जं समयं सम्मत्तकिरियं पकरेति, नो तं समयं मिच्छत्तकिरियं पकरेति। जं समयं मिच्छत्तकिरियं पकरेति, नो तं समयं सम्मत्तकिरियं पकरेति। सम्मत्तकिरियापकरणयाए नो मिच्छत्तकिरियं पकरेति। मिच्छत्तकिरियापकरणयाए नो सम्मत्तकिरियं पकरेति। एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एगं किरियं पकरेंति, तं जहा–सम्मत्तकिरियं वा मिच्छत्तकिरियं वा। | ||
Sutra Meaning : | हे भगवन् ! अन्यतीर्थिक इस प्रकार कहते हैं, बोलते हैं, प्रज्ञापना करते हैं, प्ररूपणा करते हैं कि ‘एक जीव एक समय में दो क्रियाएं करता है, यथा सम्यक् क्रिया और मिथ्याक्रिया। जिस समय सम्यक् क्रिया करता है उसी समय मिथ्याक्रिया भी करता है, और जिस समय मिथ्याक्रिया करता है, उस समय सम्यक् क्रिया भी करता है। हे भगवन् ! उनका यह कथन कैसा है ? हे गौतम ! जो वे अन्यतीर्थिक ऐसा कहते हैं, यावत् एक जीव एक समय में दो क्रियाएं करता है – सम्यक् क्रिया और मिथ्याक्रिया। वे मिथ्या कथन करते हैं। गौतम ! मैं ऐसा कहता हूँ यावत् प्ररूपणा करता हूँ कि एक जीव एक समय में एक ही क्रिया करता है, यथा सम्यक् क्रिया अथवा मिथ्याक्रिया। जिस समय सम्यक् क्रिया करता है उस समय मिथ्याक्रिया नहीं करता और जिस समय मिथ्याक्रिया करता है उस समय सम्यक् क्रिया नहीं करता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] annautthiya nam bhamte! Evamaikkhamti evam bhasemti evam pannavemti evam paruvemti–evam khalu ege jive egenam samaenam do kiriyao pakaremti, tam jaha–sammattakiriyam cha michchhattakiriyam cha. Jam samayam sammattakiriyam pakareti, tam samayam michchhattakiriyam pakareti. Jam samayam michchhattakiriyam pakareti, tam samayam sammattakiriyam pakareti. Sammattakiriyapakaranatae michchhattakiriyam pakareti. Michchhattakiriyapakaranatae sammattakiriyam pakareti. Evam khalu ege jive egenam samaenam do kiriyao pakareti, tam jaha–sammattakiriyam cha michchhattakiriyam cha. Se kahameyam bhamte! Evam? Goyama! Jannam te annautthiya evamaikkhamti evam bhasemti evam pannavemti evam paruvemti –evam khalu ege jive egenam samaenam do kiriyao pakareti taheva java sammattakiriyam cha michchhattakiriyam cha. Je te evamahamsu, tam nam michchha. Aham puna goyama! Evamaikkhami java paruvemi–evam khalu ege jive egenam samaenam egam kiriyam pakareti, tam jaha–sammattakiriyam va michchhattakiriyam va. Jam samayam sammattakiriyam pakareti, no tam samayam michchhattakiriyam pakareti. Jam samayam michchhattakiriyam pakareti, no tam samayam sammattakiriyam pakareti. Sammattakiriyapakaranayae no michchhattakiriyam pakareti. Michchhattakiriyapakaranayae no sammattakiriyam pakareti. Evam khalu ege jive egenam samaenam egam kiriyam pakaremti, tam jaha–sammattakiriyam va michchhattakiriyam va. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He bhagavan ! Anyatirthika isa prakara kahate haim, bolate haim, prajnyapana karate haim, prarupana karate haim ki ‘eka jiva eka samaya mem do kriyaem karata hai, yatha samyak kriya aura mithyakriya. Jisa samaya samyak kriya karata hai usi samaya mithyakriya bhi karata hai, aura jisa samaya mithyakriya karata hai, usa samaya samyak kriya bhi karata hai. He bhagavan ! Unaka yaha kathana kaisa hai\? He gautama ! Jo ve anyatirthika aisa kahate haim, yavat eka jiva eka samaya mem do kriyaem karata hai – samyak kriya aura mithyakriya. Ve mithya kathana karate haim. Gautama ! Maim aisa kahata hum yavat prarupana karata hum ki eka jiva eka samaya mem eka hi kriya karata hai, yatha samyak kriya athava mithyakriya. Jisa samaya samyak kriya karata hai usa samaya mithyakriya nahim karata aura jisa samaya mithyakriya karata hai usa samaya samyak kriya nahim karata hai. |