Sutra Navigation: Rajprashniya ( राजप्रश्नीय उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005775 | ||
Scripture Name( English ): | Rajprashniya | Translated Scripture Name : | राजप्रश्नीय उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
प्रदेशीराजान प्रकरण |
Translated Chapter : |
प्रदेशीराजान प्रकरण |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 75 | Category : | Upang-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तए णं पएसी राया केसिं कुमारसमणं एवं वयासी–एवं खलु भंते! मम अज्जगस्स एस सण्णा एस पइण्णा एस दिट्ठी एस रुई एस हेऊ एस उवएसे एस संकप्पे एस तुला एस माणे एस पमाणे एस समोसरणे, जहा–तज्जीवो तं सरीरं, नो अन्नो जीवो अन्नं सरीरं। तयानंतरं च णं ममं पिउणो वि एस सण्णा एस पइण्णा एस दिट्ठी एस रुई एस हेऊ एस उवएसे एस संकप्पे एस तुला एस माणे एस पमाणे एस समोसरणे, जहा–तज्जीवो तं सरीरं, नो अन्नो जीवो अन्नं सरीरं। तयानंतरं मम वि एस सण्णा एस पइण्णा एस दिट्ठी एस रुई एस हेऊ एस उवएसे एस संकप्पे एस तुला एस माणे एस पमाणे एस समोसरणे, जहा–तज्जीवो तं सरीरं, नो अन्नो जीवो अन्नं सरीरं। तं नो खलु बहुपुरिसपरंपरागयं कुलणिस्सियं दिट्ठिं छड्डेस्सामि। तए णं केसी कुमारसमणे पएसिरायं एवं वयासी–मा णं तुमं पएसी! पच्छाणुताविए भवेज्जासि, जहा व से पुरिसे अयहारए। के णं भंते! से अयहारए? पएसी! से जहानामए–केइ पुरिसा अत्थत्थी अत्थगवेसी अत्थलुद्धगा अत्थकंखिया अत्थ-पिवासिया अत्थगवेसणयाए विउलं पणियभंडमायाए सुबहुं भत्तपाण-पत्थयणं गहाय एगं महं अगामियं छिन्नावायं दीहमद्धं अडविं अनुपविट्ठा। तए णं से पुरिसा तीसे अगामियाए छिन्नावायाए दीहमद्धाए अडवीए कंचि देसं अनुप्पत्ता समाणा एगमहं अयागरं पासंति –अएणं सव्वतो समंता आइण्णं विच्छिण्णं सच्छडं उवच्छडं फुडं अवगाढं गाढं पासंति, पासित्ता हट्ठतुट्ठचित्तमानंदिया पीइमणा परमसोमनस्सिया हरिसवसविसप्प- माणहियया अन्नमन्नं सद्दावेंति, सद्दावेत्ता एवं वयासी– एस णं देवानुप्पिया! अयभंडे इट्ठे कंते पिए मणुन्ने मणामे, तं सेयं खलु देवानुप्पिया! अम्हं अयभारयं बंधित्तए त्ति कट्टु अन्नमन्नस्स अंतिए एयमट्ठं पडिसुणेंति, अयभारं बंधंति, बंधित्ता अहानुपुव्वीए संपत्थिया। तए णं ते पुरिसा तीसे अगामियाए छिन्नावायाए दीहमद्धाए अडवीए कंचि देसं अनुप्पत्ता समाणा एगं महं तउआगरं पासंति–तउएणं आइण्णं विच्छिण्णं सच्छडं उवच्छडं फुडं अवगाढं गाढं पासंति, पासित्ता हट्ठतुट्ठचित्तमानंदिया पीइमणा परमसोमनस्सिया हरिसवसविसप्पमाणहियया अन्नमन्नं सद्दावेंति, सद्दावेत्ता एवं वयासी–एस णं देवानुप्पिया! तउयभंडे इट्ठे कंते पिए मणुन्ने मणामे। अप्पेणं चेव तउएणं सुबहुं अए लब्भति, तं सेयं खलु देवानुप्पिया! अयभारयं छड्डेत्ता तउयभारयं बंधित्तए त्ति कट्टु अन्नमन्नस्स अंतिए एयमट्ठं पडिसुणेंति, अयभारं छड्डेंति तउयभारं बंधंति। तत्थ णं एगे पुरिसे नो संचाएइ अयभारं छड्डेत्तए, तउयभारं बंधित्तए। तए णं ते पुरिसा तं पुरिसं एवं वयासी–एस णं देवानुप्पिया! तउयभंडे इट्ठे कंते पिए मणुन्ने मणामे। अप्पेणं चेव तउएणं सुबहुं अए लब्भति। तं छड्डेहि णं देवानुप्पिया! अयभारगं, तउयभारगं बंधाहि। तए णं से पुरिसे एवं वयासी–दूराहडे मे देवानुप्पिया! अए, चिराहडे मे देवानुप्पिया! अए, अइगाढबंधणबद्धे मे देवाणु-प्पिया! अए, असिलिट्ठबंधणबद्धे मे देवानुप्पिया! अए, धणियबंधणबद्धे मे देवानुप्पिया! अएणो संचाएमि अयभारगं छड्डेत्ता तउयभारगं बंधित्तए। तए णं ते पुरिसा तं पुरिसं जाहे नो संचाएंति बहूहिं आघवणाहि य पन्नवणाहि य आघवित्तए वा पन्नवित्तए वा तया अहानुपुव्वीए संपत्थिया। तए णं ते पुरिसा तीसे अगामियाए छिन्नावायाए दीहमद्धाए अडवीए कंचि देसं अनुप्पत्ता समाणा एगं महं तंबागरं पासंति– तया अहानुपुव्वीए संपत्थिया। तए णं ते पुरिसा तीसे अगामियाए छिन्नावायाए दीहमद्धाए अडवीए कंचि देसं अनुप्पत्ता समाणा एगं महं रुप्पागरं पासंति–तया अहानुपुव्वीए संपत्थिया। तए णं ते पुरिसा तीसे अगामियाए छिन्नावायाए दीहमद्धाए अडवीए कंचि देसं अनुप्पत्ता समाणा एगं महं सुवण्णागरं पासंति–तया अहानुपुव्वीए संपत्थिया। तए णं ते पुरिसा तीसे अगामियाए छिन्नावायाए दीहमद्धाए अडवीए कंचि देसं अनुप्पत्ता समाणा एगं महं रयणागरं पासंति –तया अहानुपुव्वीए संपत्थिया। तए णं ते पुरिसा तीसे अगामियाए छिन्नावायाए दीहमद्धाए अडवीए कंचि देसं अनुप्पत्ता समाणा एगं महं वइरागरं पासंति–वइरेणं आइण्णं विच्छिण्णं सच्छडं उवच्छडं फुडं अवगाढं गाढं पासंति, पासित्ता हट्ठतुट्ठचित्तमानंदिया पीइमणा परमसोमनस्सिया हरिसवसविसप्पमाणहियया अन्नमन्नं सद्दावेंति, सद्दावेत्ता एवं वयासी–एस णं देवानुप्पिया! वइरभंडे इट्ठे कंते पिए मणुन्ने मणामे। अप्पेणं चेव वइरेणं सुबहुं रयणे लब्भति, तं सेयं खलु देवानुप्पिया! रयणभारयं छड्डेत्ता, वइरभारयं बंधित्तए त्ति कट्टु अन्नमन्नस्स अंतिए एयमट्ठं पडिसुणेंति, रयणभारं छड्डेंति वइरभारं बंधंति। तए णं से पुरिसे नो संचाएइ अयभारं छड्डेत्तए, वइरभारं बंधित्तए। तए णं ते पुरिसा तं पुरिसं एवं वयासी–एस णं देवानुप्पिया! वइरभंडे इट्ठे कंते पिए मणुन्ने मणामे। अप्पेणं चेव वइरेणं सुबहुं अए लब्भति। तं छड्डेहि णं देवानुप्पिया! अयभारगं, वइरभारगं बंधाहि। तए णं से पुरिसे एवं वयासी–दूराहडे मे देवानुप्पिया! अए, चिराहडे मे देवानुप्पिया! अए, अइगाढबंधणबद्धे मे देवानुप्पिया! अए, असिलिट्ठबंधणबद्धे मे देवानुप्पिया! अए, धणियबंधणबद्धे मे देवानुप्पिया! अए–णो संचाएमि अयभारगं छड्डेत्ता वइरभारयं बंधित्तए। तए णं ते पुरिसा तं पुरिसं जाहे नो संचाएंति बहूहिं आघवणाहि य पन्नवणाहि य आघवित्तए वा पन्नवित्तए वा तया अहानुपुव्वीए संपत्थिया। तए णं ते पुरिसा जेणेव सया जनवया जेणेव साइं-साइं नगराइं तेणेव उवागच्छंति, वइरवेयणं करेंति, सुबहुं दासी दास गो महिस गवेलगं गिण्हंति, अट्ठतलमूसिय-पासायवडेंसगे करावेंति, ण्हाया कयबलिकम्मा उप्पिं पासायवरगया फुट्टमाणेहि मुइंगमत्थ-एहिं बत्तीसइबद्धएहिं नाडएहिं वरतरुणी-संपउत्तेहिं उवणच्चिज्जमाणा उवगिज्जमाणा उवलालिज्जमाणा इट्ठे सद्द फरिस रस रूव गंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोए पच्चणुभवमाणा विहरंति। तए णं से पुरिसे अयभारए जेणेव सए नगरे तेणेव उवागच्छइ, अयभारगं गहाय वेयणं करेति। तंसि अयपुग्गलंसि निट्ठियंसि झीणपरिव्वए ते पुरिसे उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहि मुइंगमत्थएहिं बत्तीसइवद्धएहिं नाडएहिं वरतरुणीसंपउत्तेहिं उवणच्चिज्जमाणे उवगिज्जमाणे उवलालिज्जमाणे इट्ठे सद्द फरिस रस रूव गंधे पंचविहे मानुस्सए कामभोए पच्चणुभवमाणे विहरमाणे पासति, पासित्ता एवं वयासी–अहो णं अहं अधन्ने अपुण्णे अकयत्थे अकयलक्खणे हिरिसिरिवज्जिए हीनपुण्ण चाउद्दसे दुरंतपंतलक्खणे। जति णं अहं मित्ताण वा नाईण वा नियगाण वा सुणेंतओ तो णं अहं पि एवं चेव उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं बत्तीसइबद्धएहिं नाडएहिं वरतरुणीसंपउत्तेहिं उवनच्चिज्जमाणे उवगिज्जमाणे उवलालिज्जमाणे इट्ठे सद्द फरिस रस रूव गंधे पंचविहे मानुस्सए कामभोए पच्चणुभवमाणे विहरंतो। से तेणट्ठेणं पएसी! एवं वुच्चइ–मा णं तुमं पएसी! पच्छाणुताविए भवेज्जासि, जहा व से पुरिसे अयभारए। | ||
Sutra Meaning : | प्रदेशी राजा ने कहा – भदन्त ! आपने बताया सो ठीक, किन्तु मेरे पितामह की यही ज्ञानरूप संज्ञा थी यावत् समवसरण था कि जो जीव है वही शरीर है, जो शरीर है वही जीव है। जीव शरीर से भिन्न नहीं और शरीर जीव से भिन्न नहीं है। तत्पश्चात् मेरे पिता की भी ऐसी ही संज्ञा यावत् ऐसा ही समवसरण था और उनके बाद मेरी भी यही संज्ञा यावत् ऐसा ही समवसरण है। तो फिर अनेक पुरुषों एवं कुलपरंपरा से चली आ रही अपनी दृष्टि को कैसे छोड़ दूँ ? केशी कुमारश्रमण – हे प्रदेशी ! तुम उस अयोहारक की तरह पश्चात्ताप करने वाले मत होओ। भदन्त! वह अयोहारक कौन था और उसे क्यों पछताना पड़ा ? प्रदेशी ! कुछ अर्थ के अभिलाषी, अर्थ की गवेषणा करने वाले, अर्थ के लोभी, अर्थ की कांक्षा और अर्थ की लिप्सा वाले पुरुष अर्थ – गवेषणा करने के निमित्त विपुल परिमाण में बिक्री करने योग्य पदार्थों और साथ में खाने – पीने के लिए पुष्कल पाथेय लेकर निर्जन, हिंसक प्राणीयों से व्याप्त और पार होने के लिए रास्ता न मिले, ऐसी एक बहुत बड़ी अटवी में जा पहुँचे। जब वे लोग उस निर्जन अटवी में कुछ आगे बढ़े तो किसी स्थान पर उन्होंने इधर – उधर सारयुक्त लोहे से व्याप्त लम्बी – चौड़ी और गहरी एक विशाल लोहे की खान देखी। वहाँ लोहा खूब बिखरा पड़ा था। उस खान को देखकर हर्षित, सन्तुष्ट यावत् विकसितहृदय होकर उन्होंने आपस में एक दूसरे को बुलाया और कहा, यह लोहा हमारे लिये इष्ट, प्रिय यावत् मनोज्ञ है, अतः देवानुप्रियो ! हमें इस लोहे के भार को बांध लेना चाहिए। इस विचार को एक दूसरे ने स्वीकार करके लोहे का भारा बांध लिया। अटवी में आगे चल दिए। तत्पश्चात् आगे चलते – चलते वे लोग जब उस निर्जन यावत् अटवी में एक स्थान पर पहुँचे तब उन्होंने सीसे से भरी हुई एक विशाल सीसे की खान देखी, यावत् एक दूसरे को बुलाकर कहा – हमें इस सीसे का संग्रह करना यावत् लाभदायक है। थोड़े से सीसे के बदले हम बहुत – सा लोहा ले सकते हैं। इसलिए हमें इस लोहे के भार को छोड़कर सीसे का पोटला बांध लेना योग्य है। ऐसा कहकर लोहे को छोड़कर सीसे के भार को बांध लिया। किन्तु उनमें से एक व्यक्ति लोहे को छोड़कर सीसे के भार को बांधने के लिए तैयार नहीं हुआ। तब दूसरे व्यक्तियों ने अपने उस साथी से कहा – देवानुप्रिय ! हमें लोहे की अपेक्षा इस सीसे का संग्रह करना अधिक अच्छा है, यावत् हम इस थोड़े से सीसे से बहुत सा लोहा प्राप्त कर सकते हैं। अत एव देवानुप्रिय ! इस लोहे को छोड़कर सीसे का भार बांध लो। तब उस व्यक्ति ने कहा – देवानुप्रियो ! मैं इस लोहे के भार को बहुत दूर से लादे चला आ रहा हूँ। मैंने इस लोहे को बहुत ही कसकर बांधा है। देवानुप्रियो ! मैंने इस लोहे को अशिथिल बंधन से बांधा है। देवानुप्रियो ! मैंने इस लोहे को अत्याधिक प्रगाढ़ बंधन से बांधा हे। इसलिए मैं इस लोहे को छोड़कर सीसे के भार को नहीं बांध सकता हूँ। तब दूसरे साथियों ने उस व्यक्ति को अनुकूल – प्रतिकूल सभी तरह की आख्यापना से, प्रज्ञापना से समझाया। लेकिन जब वे उस पुरुष को समझाने – बुझाने में समर्थ नहीं हुए तो अनुक्रम से आगे – आगे चलते गए और वहाँ – वहाँ पहुँचकर उन्होंने तांबे की, चाँदी की, सोने की, रत्नों की और हीरों की खानें देखीं एवं इनको जैसे – जैसे बहुमूल्य वस्तुएं मिलती गईं, वैसे – वैसे पहले – पहले के अल्प मूल्य वाले तांबे आदि को छोड़कर अधिक – अधिक मूल्य वाली वस्तुओं को बांधते गये। सभी खानों पर उन्होंने अपने उस दुराग्रही साथी को समझाया किन्तु उसके दूराग्रह को छुड़ाने में वे समर्थ नहीं हुए। इसके बाद वे सभी व्यक्ति जहाँ अपना जनपद – देश था अपने – अपने नगर थे, वहाँ आए। उन्होंने हीरों को बेचा। उससे प्राप्त धन से अनेक दास – दासी, गाय, भैंस और भेड़ों को खरीदा, बड़े – बड़े आठ – आठ मंजिल के ऊंचे भवन बनवाए और इसके बाद स्नान, बलिकर्म आदि करके उन श्रेष्ठ प्रासादों के ऊपरी भागों में बैठकर बजते हुए मृदंग आदि वाद्यों एवं उत्तम तरुणियों द्वारा की जा रही नृत्य – गान युक्त बत्तीस प्रकार की नाट्य लीलाओं को देखते तथा साथ ही इष्ट शब्द, स्पर्श यावत् व्यतीत करने लगे। वह लोहवाहक पुरुष भी लोहभार को लेकर अपने नगर में आया। उस लोहभार के लोहे को बेचा। किन्तु अल्प मूल्य वाला होने से उसे थोड़ा – सा धन मिला। उस पुरुष ने अपने साथियों को श्रेष्ठ प्रासादों के ऊपर रहते हुए यावत् अपना समय बिताते हुए देखा। देखकर अपने आप से कहने लगा – अरे ! मैं अधन्य, पुण्यहीन, अकृतार्थ, शुभ लक्षणों से रहित, श्री – ह्री से वर्जित, हीनपुण्य चातुर्दशिक, दुरंत – प्रान्त लक्षण वाला कुलक्षणी हूँ। यदि उन मित्रों, ज्ञातिजनों और अपने हितैषियों की बात मान लेता तो आज मैं भी इसी तरह श्रेष्ठ प्रासादों में रहता हुआ यावत् अपना समय व्यतीत करता। इसी कारण हे प्रदेशी ! मैंने यह कहा है कि यदि तुम अपना दूराग्रह नहीं छोड़ोगे तो उस लोहभार को ढ़ोने वाले दूराग्रही की तरह तुम्हें भी पश्चात्ताप करना पड़ेगा। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tae nam paesi raya kesim kumarasamanam evam vayasi–evam khalu bhamte! Mama ajjagassa esa sanna esa painna esa ditthi esa rui esa heu esa uvaese esa samkappe esa tula esa mane esa pamane esa samosarane, jaha–tajjivo tam sariram, no anno jivo annam sariram. Tayanamtaram cha nam mamam piuno vi esa sanna esa painna esa ditthi esa rui esa heu esa uvaese esa samkappe esa tula esa mane esa pamane esa samosarane, jaha–tajjivo tam sariram, no anno jivo annam sariram. Tayanamtaram mama vi esa sanna esa painna esa ditthi esa rui esa heu esa uvaese esa samkappe esa tula esa mane esa pamane esa samosarane, jaha–tajjivo tam sariram, no anno jivo annam sariram. Tam no khalu bahupurisaparamparagayam kulanissiyam ditthim chhaddessami. Tae nam kesi kumarasamane paesirayam evam vayasi–ma nam tumam paesi! Pachchhanutavie bhavejjasi, jaha va se purise ayaharae. Ke nam bhamte! Se ayaharae? Paesi! Se jahanamae–kei purisa atthatthi atthagavesi atthaluddhaga atthakamkhiya attha-pivasiya atthagavesanayae viulam paniyabhamdamayae subahum bhattapana-patthayanam gahaya egam maham agamiyam chhinnavayam dihamaddham adavim anupavittha. Tae nam se purisa tise agamiyae chhinnavayae dihamaddhae adavie kamchi desam anuppatta samana egamaham ayagaram pasamti –aenam savvato samamta ainnam vichchhinnam sachchhadam uvachchhadam phudam avagadham gadham pasamti, pasitta hatthatutthachittamanamdiya piimana paramasomanassiya harisavasavisappa- manahiyaya annamannam saddavemti, saddavetta evam vayasi– esa nam devanuppiya! Ayabhamde itthe kamte pie manunne maname, tam seyam khalu devanuppiya! Amham ayabharayam bamdhittae tti kattu annamannassa amtie eyamattham padisunemti, ayabharam bamdhamti, bamdhitta ahanupuvvie sampatthiya. Tae nam te purisa tise agamiyae chhinnavayae dihamaddhae adavie kamchi desam anuppatta samana egam maham tauagaram pasamti–tauenam ainnam vichchhinnam sachchhadam uvachchhadam phudam avagadham gadham pasamti, pasitta hatthatutthachittamanamdiya piimana paramasomanassiya harisavasavisappamanahiyaya annamannam saddavemti, saddavetta evam vayasi–esa nam devanuppiya! Tauyabhamde itthe kamte pie manunne maname. Appenam cheva tauenam subahum ae labbhati, tam seyam khalu devanuppiya! Ayabharayam chhaddetta tauyabharayam bamdhittae tti kattu annamannassa amtie eyamattham padisunemti, ayabharam chhaddemti tauyabharam bamdhamti. Tattha nam ege purise no samchaei ayabharam chhaddettae, tauyabharam bamdhittae. Tae nam te purisa tam purisam evam vayasi–esa nam devanuppiya! Tauyabhamde itthe kamte pie manunne maname. Appenam cheva tauenam subahum ae labbhati. Tam chhaddehi nam devanuppiya! Ayabharagam, tauyabharagam bamdhahi. Tae nam se purise evam vayasi–durahade me devanuppiya! Ae, chirahade me devanuppiya! Ae, aigadhabamdhanabaddhe me devanu-ppiya! Ae, asilitthabamdhanabaddhe me devanuppiya! Ae, dhaniyabamdhanabaddhe me devanuppiya! Aeno samchaemi ayabharagam chhaddetta tauyabharagam bamdhittae. Tae nam te purisa tam purisam jahe no samchaemti bahuhim aghavanahi ya pannavanahi ya aghavittae va pannavittae va taya ahanupuvvie sampatthiya. Tae nam te purisa tise agamiyae chhinnavayae dihamaddhae adavie kamchi desam anuppatta samana egam maham tambagaram pasamti– taya ahanupuvvie sampatthiya. Tae nam te purisa tise agamiyae chhinnavayae dihamaddhae adavie kamchi desam anuppatta samana egam maham ruppagaram pasamti–taya ahanupuvvie sampatthiya. Tae nam te purisa tise agamiyae chhinnavayae dihamaddhae adavie kamchi desam anuppatta samana egam maham suvannagaram pasamti–taya ahanupuvvie sampatthiya. Tae nam te purisa tise agamiyae chhinnavayae dihamaddhae adavie kamchi desam anuppatta samana egam maham rayanagaram pasamti –taya ahanupuvvie sampatthiya. Tae nam te purisa tise agamiyae chhinnavayae dihamaddhae adavie kamchi desam anuppatta samana egam maham vairagaram pasamti–vairenam ainnam vichchhinnam sachchhadam uvachchhadam phudam avagadham gadham pasamti, pasitta hatthatutthachittamanamdiya piimana paramasomanassiya harisavasavisappamanahiyaya annamannam saddavemti, saddavetta evam vayasi–esa nam devanuppiya! Vairabhamde itthe kamte pie manunne maname. Appenam cheva vairenam subahum rayane labbhati, tam seyam khalu devanuppiya! Rayanabharayam chhaddetta, vairabharayam bamdhittae tti kattu annamannassa amtie eyamattham padisunemti, rayanabharam chhaddemti vairabharam bamdhamti. Tae nam se purise no samchaei ayabharam chhaddettae, vairabharam bamdhittae. Tae nam te purisa tam purisam evam vayasi–esa nam devanuppiya! Vairabhamde itthe kamte pie manunne maname. Appenam cheva vairenam subahum ae labbhati. Tam chhaddehi nam devanuppiya! Ayabharagam, vairabharagam bamdhahi. Tae nam se purise evam vayasi–durahade me devanuppiya! Ae, chirahade me devanuppiya! Ae, aigadhabamdhanabaddhe me devanuppiya! Ae, asilitthabamdhanabaddhe me devanuppiya! Ae, dhaniyabamdhanabaddhe me devanuppiya! Ae–no samchaemi ayabharagam chhaddetta vairabharayam bamdhittae. Tae nam te purisa tam purisam jahe no samchaemti bahuhim aghavanahi ya pannavanahi ya aghavittae va pannavittae va taya ahanupuvvie sampatthiya. Tae nam te purisa jeneva saya janavaya jeneva saim-saim nagaraim teneva uvagachchhamti, vairaveyanam karemti, subahum dasi dasa go mahisa gavelagam ginhamti, atthatalamusiya-pasayavademsage karavemti, nhaya kayabalikamma uppim pasayavaragaya phuttamanehi muimgamattha-ehim battisaibaddhaehim nadaehim varataruni-sampauttehim uvanachchijjamana uvagijjamana uvalalijjamana itthe sadda pharisa rasa ruva gamdhe pamchavihe manussae kamabhoe pachchanubhavamana viharamti. Tae nam se purise ayabharae jeneva sae nagare teneva uvagachchhai, ayabharagam gahaya veyanam kareti. Tamsi ayapuggalamsi nitthiyamsi jhinaparivvae te purise uppim pasayavaragae phuttamanehi muimgamatthaehim battisaivaddhaehim nadaehim varatarunisampauttehim uvanachchijjamane uvagijjamane uvalalijjamane itthe sadda pharisa rasa ruva gamdhe pamchavihe manussae kamabhoe pachchanubhavamane viharamane pasati, pasitta evam vayasi–aho nam aham adhanne apunne akayatthe akayalakkhane hirisirivajjie hinapunna chauddase duramtapamtalakkhane. Jati nam aham mittana va naina va niyagana va sunemtao to nam aham pi evam cheva uppim pasayavaragae phuttamanehim muimgamatthaehim battisaibaddhaehim nadaehim varatarunisampauttehim uvanachchijjamane uvagijjamane uvalalijjamane itthe sadda pharisa rasa ruva gamdhe pamchavihe manussae kamabhoe pachchanubhavamane viharamto. Se tenatthenam paesi! Evam vuchchai–ma nam tumam paesi! Pachchhanutavie bhavejjasi, jaha va se purise ayabharae. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Pradeshi raja ne kaha – bhadanta ! Apane bataya so thika, kintu mere pitamaha ki yahi jnyanarupa samjnya thi yavat samavasarana tha ki jo jiva hai vahi sharira hai, jo sharira hai vahi jiva hai. Jiva sharira se bhinna nahim aura sharira jiva se bhinna nahim hai. Tatpashchat mere pita ki bhi aisi hi samjnya yavat aisa hi samavasarana tha aura unake bada meri bhi yahi samjnya yavat aisa hi samavasarana hai. To phira aneka purushom evam kulaparampara se chali a rahi apani drishti ko kaise chhora dum\? Keshi kumarashramana – he pradeshi ! Tuma usa ayoharaka ki taraha pashchattapa karane vale mata hoo. Bhadanta! Vaha ayoharaka kauna tha aura use kyom pachhatana para\? Pradeshi ! Kuchha artha ke abhilashi, artha ki gaveshana karane vale, artha ke lobhi, artha ki kamksha aura artha ki lipsa vale purusha artha – gaveshana karane ke nimitta vipula parimana mem bikri karane yogya padarthom aura satha mem khane – pine ke lie pushkala patheya lekara nirjana, himsaka praniyom se vyapta aura para hone ke lie rasta na mile, aisi eka bahuta bari atavi mem ja pahumche. Jaba ve loga usa nirjana atavi mem kuchha age barhe to kisi sthana para unhomne idhara – udhara sarayukta lohe se vyapta lambi – chauri aura gahari eka vishala lohe ki khana dekhi. Vaham loha khuba bikhara para tha. Usa khana ko dekhakara harshita, santushta yavat vikasitahridaya hokara unhomne apasa mem eka dusare ko bulaya aura kaha, yaha loha hamare liye ishta, priya yavat manojnya hai, atah devanupriyo ! Hamem isa lohe ke bhara ko bamdha lena chahie. Isa vichara ko eka dusare ne svikara karake lohe ka bhara bamdha liya. Atavi mem age chala die. Tatpashchat age chalate – chalate ve loga jaba usa nirjana yavat atavi mem eka sthana para pahumche taba unhomne sise se bhari hui eka vishala sise ki khana dekhi, yavat eka dusare ko bulakara kaha – hamem isa sise ka samgraha karana yavat labhadayaka hai. Thore se sise ke badale hama bahuta – sa loha le sakate haim. Isalie hamem isa lohe ke bhara ko chhorakara sise ka potala bamdha lena yogya hai. Aisa kahakara lohe ko chhorakara sise ke bhara ko bamdha liya. Kintu unamem se eka vyakti lohe ko chhorakara sise ke bhara ko bamdhane ke lie taiyara nahim hua. Taba dusare vyaktiyom ne apane usa sathi se kaha – devanupriya ! Hamem lohe ki apeksha isa sise ka samgraha karana adhika achchha hai, yavat hama isa thore se sise se bahuta sa loha prapta kara sakate haim. Ata eva devanupriya ! Isa lohe ko chhorakara sise ka bhara bamdha lo. Taba usa vyakti ne kaha – devanupriyo ! Maim isa lohe ke bhara ko bahuta dura se lade chala a raha hum. Maimne isa lohe ko bahuta hi kasakara bamdha hai. Devanupriyo ! Maimne isa lohe ko ashithila bamdhana se bamdha hai. Devanupriyo ! Maimne isa lohe ko atyadhika pragarha bamdhana se bamdha he. Isalie maim isa lohe ko chhorakara sise ke bhara ko nahim bamdha sakata hum. Taba dusare sathiyom ne usa vyakti ko anukula – pratikula sabhi taraha ki akhyapana se, prajnyapana se samajhaya. Lekina jaba ve usa purusha ko samajhane – bujhane mem samartha nahim hue to anukrama se age – age chalate gae aura vaham – vaham pahumchakara unhomne tambe ki, chamdi ki, sone ki, ratnom ki aura hirom ki khanem dekhim evam inako jaise – jaise bahumulya vastuem milati gaim, vaise – vaise pahale – pahale ke alpa mulya vale tambe adi ko chhorakara adhika – adhika mulya vali vastuom ko bamdhate gaye. Sabhi khanom para unhomne apane usa duragrahi sathi ko samajhaya kintu usake duragraha ko chhurane mem ve samartha nahim hue. Isake bada ve sabhi vyakti jaham apana janapada – desha tha apane – apane nagara the, vaham ae. Unhomne hirom ko becha. Usase prapta dhana se aneka dasa – dasi, gaya, bhaimsa aura bherom ko kharida, bare – bare atha – atha mamjila ke umche bhavana banavae aura isake bada snana, balikarma adi karake una shreshtha prasadom ke upari bhagom mem baithakara bajate hue mridamga adi vadyom evam uttama taruniyom dvara ki ja rahi nritya – gana yukta battisa prakara ki natya lilaom ko dekhate tatha satha hi ishta shabda, sparsha yavat vyatita karane lage. Vaha lohavahaka purusha bhi lohabhara ko lekara apane nagara mem aya. Usa lohabhara ke lohe ko becha. Kintu alpa mulya vala hone se use thora – sa dhana mila. Usa purusha ne apane sathiyom ko shreshtha prasadom ke upara rahate hue yavat apana samaya bitate hue dekha. Dekhakara apane apa se kahane laga – are ! Maim adhanya, punyahina, akritartha, shubha lakshanom se rahita, shri – hri se varjita, hinapunya chaturdashika, duramta – pranta lakshana vala kulakshani hum. Yadi una mitrom, jnyatijanom aura apane hitaishiyom ki bata mana leta to aja maim bhi isi taraha shreshtha prasadom mem rahata hua yavat apana samaya vyatita karata. Isi karana he pradeshi ! Maimne yaha kaha hai ki yadi tuma apana duragraha nahim chhoroge to usa lohabhara ko rhone vale duragrahi ki taraha tumhem bhi pashchattapa karana parega. |