Sutra Navigation: Gyatadharmakatha ( धर्मकथांग सूत्र )

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Sr No : 1004909
Scripture Name( English ): Gyatadharmakatha Translated Scripture Name : धर्मकथांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

श्रुतस्कंध-१

अध्ययन-१८ सुंसमा

Translated Chapter :

श्रुतस्कंध-१

अध्ययन-१८ सुंसमा

Section : Translated Section :
Sutra Number : 209 Category : Ang-06
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तए णं से चिलाए दासचेडे साओ गिहाओ निच्छूढे समाणे रायगिहे नयरे सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापहपहेसु देवकुलेसु य सभासु य पवासु य जूयखलएसु य वेसाधरएसु य पाणधरएसु य सुहंसुहेणं परिवट्टइ। तए णं से चिलाए दासचेडे अनोहट्टिए अनिवारिए सच्छंदमई सइरप्पयारी मज्जप्पसंगी चोज्जप्पसंगी जूयप्पसंगी वेसप्पसंगी परदारप्पसंगी जाए यावि होत्था। तए णं रायगिहस्स नयरस्स अदूरसामंते दाहिणपुरत्थिमे दिसीभाए सीहगुहा नामं चोरपल्ली होत्था–विसम-गिरिक-डग-कोलंब-सन्निविट्ठा वंसोकलंक-पागार-परिक्खित्ता छिन्नसेल-विसमप्प-वाय-फरिहोवगूढा एगदुवारा अनेगखंडी विदितजण-निग्गमप्पवेसा अब्भिंतरपाणिया सुदुल्लभजल-पेरंता सुबहुस्सवि कूवियबलस्स आगयस्स दुप्पहंसा यावि होत्था। तत्थ णं सीहगुहाए चोरपल्लीए विजए नामं चोरसेनावई परिवसई–अहम्मिए अहम्मिट्ठे अहम्मक्खाई अहम्माणुए अहम्मपलोई अहम्मपलज्जणे अहम्मसीलसमुदायारे अहम्मेण चेव वित्तिं कप्पेमाणे विहरइ। हण-छिंद-भिंद-वियत्तए लोहियपाणी चंडे रुद्दे खुद्दे साहस्सिए उक्कंचण-वंचण-माया-नियडि-कवड-कूड-साइ-संपओग-बहुले निस्सीले निव्वए निग्गुणे निप्पच्चक्खाणपो-सहोव-वासे बहूणं दुप्पय-चउप्पय-भिय-पसु-पक्खि-सरिसिवाणं धायाए बहाए उच्छायणयाए अहम्मकेऊ समुट्ठिए बहुनगर-निग्गय -जसे सूरे दढप्पहारी साहसिए सद्दवेही। से णं तत्थ सीहगुहाए चोरपल्लीए पंचण्हं चोरसयाणं आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगतं आणा-ईसर-सेनावच्चं कारेमाणे पालेमाणे विहरइ। तए णं से विजए तक्कर-सेनावई बहूणं चोराण य पारदारियाण य गंठिभेयगाण य संधिच्छेयगाण य खत्तखण-गाण य रायावगारीण य अणधारगाण य बालधायगाण य वीसंभधायगाण य जूयकाराण य खंडरक्खाण य अन्नेसिं च बहूणं छिन्न-भिन्न-बाहिराहयाणं कुडंगे यावि होत्था। तए णं से विजए चोरसेनावई रायगिहस्स दाहिणपुरत्थिमं जनवयं बहूहिं गामघाएहि य नगरघाएहि य गोगहणेहि य बंदिग्गहणेहि य पंथकुट्टणेहि य खत्तखणणेहि य उवीलेमाणे-उवीलेमाणे विद्धंसेमाणे-विद्धंसेमाणे नित्थाणं निद्धणं करेमाणे विहरइ। तए णं से चिलाए दासचेडए रायगिहे बहूहिं अत्थाभिसंकीहि य चोज्जाभिसंकीहि य दाराभिसंकीहि य धणिएहि य जूयकरेहि य परब्भवमाणे-परब्भवमाणे रायगिहाओ नगराओ निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव सीहगुहा चोरपल्ली तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता विजयं चोर-सेनावइं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ। तए णं से चिलाए दासचेडे विजयस्स चोरसेनावइस्स अग्ग-असिलट्ठिग्गाहे जाए यावि होत्था। जाहे वि य णं से विजए चोरसेनावई गामघायं वा नगरघायं वा गोगहणं वा बंदिग्गहणं वा० पंथकोट्टिं वा काउं वच्चइ ताहे वि य णं से चिलाए दासचेडे सुबहुंपि कूवियबलं हय-महिय-पवर-वीर-घाइय-विवडियचिंध-धय-पडागं किच्छोवगयपानं दिसोदिसिं पडिसेहेइ, पडि-सेहेत्ता पुनरवि लद्धट्ठे कयकज्जे अणहसमग्गे सीहगुहं चोरपल्लिं हव्वमागच्छइ। तए णं से विजए चोरसेनावई चिलायं तक्करं बहूओ चोरविज्जाओ य चोरमंते य चोरमायाओ य चोरनिगडीओ य सिक्खावेइ। तए णं से विजए चोरसेनावई अन्नया कयाइ कालधम्मुणा संजुत्ते यावि होत्था। तए णं ताइं पंचचोरसयाइं विजयस्स चोरसेनावइस्स महया-महया इड्ढी-सक्कार-समुदएणं नीहरणं करेंति, करेत्ता बहूइं लोइयाइं मयकिच्चाइं करेंति, करेत्ता कालेणं विगयसोया जाया यावि होत्था। तए णं ताइं पंचचोरसयाइं अन्नमन्नं सद्दावेंति, सद्दावेत्ता एवं वयासी–एवं खलु अम्हं देवानुप्पिया! विजए चोरसेनावई कालधम्मुणा संजुत्ते। अयं च णं चिलाए तक्करे विजएणं चोरसेनावइणा बहूओ चोरविज्जाओ य चोरमंते य चोरमायाओ य चोरनिगडीओ य सिक्खाविए। तं सेयं खलु अम्हं देवानुप्पिया! चिलायं तक्करं सीहगुहाए चोरपल्लीए चोरसेनावइत्ताए अभिसिंचित्तए त्ति कट्टु अन्नमन्नस्स एयमट्ठं पडिसुणेंति, पडिसुणेत्ता चिलायं सीहगुहाए चोरपल्लीए चोर-सेनावइत्ताए अभिसिंचंति। तए णं से चिलाए चोरसेनावई जाए–अहम्मिए अहम्मिट्ठे अहम्मक्खाई अहम्माणुए अहम्मपलोइ अहम्मपलज्जणे अहम्मसीलसमुदायारे अहम्मेण चेव वित्तिं कप्पेमाणे विहरइ। तए णं से चिलाए चोरसेनावई चोरनायगे बहूणं चोराण य पारदारियाण य गंठिभेयगाण य संधिच्छेयगाण य खत्त खणगाण य रायावगारीण य अणधारगाण य बालधायगाण य वीसंभधायगाण य जूयकाराण य खंडरक्खाण य अन्नेसिं च बहूणं छिन्न-भिन्न-बाहिराहयाणं कुडंगे यावि होत्था। से णं तत्थ सीहगुहाए चोरपल्लीए पंचण्हं चोरसयाणं आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं आणा-ईसर-सेनावच्चं कारेमाणे पालेमाणे विहरइ। तए णं से चिलाए चोरसेनावई रायगिहस्स नयरस्स दाहिणपुरत्थिमिल्लं जनवयं बहूहिं गामघाएहि य नगरघाएहि य गोगहणेहि य बंदिग्गहणेहि य पंथकुट्टणेहि य खत्तखणणेहि य उवीलेमाणे-उवीलेमाणे विद्धंसेमाणे-विद्धंसेमाणे नित्थाणं निद्धणं करेमाणे विहरइ।
Sutra Meaning : धन्य सार्थवाह द्वारा अपने घर से नीकाला हुआ यह चिलात दासचेटक राजगृह नगर में शृंगाटकों यावत्‌ पथों में अर्थात्‌ गली – कूचों में, देवालयों में, सभाओं में, प्याउओं में, जुआरियों में, अड्डो में, वेश्याओं के घरों में तथा मद्यपानगृहों में मजे से भटकने लगा। उस समय उस दास – चेटक चिलात को कोई हाथ पड़ककर रोकने वाला तथा वचन से रोकने वाला न रहा, अत एव वह निरंकुश बुद्धि वाला, स्वेच्छाचारी, मदिरापान में आसक्त, चोरी करने में आसक्त, मांसभक्षण में आसक्त, जुआ में आसक्त, वेश्यासक्त तथा पर – स्त्रियों में भी लम्पट हो गया। उस समय राजगृह नगर से न अधिक दूर और न अधिक समीप प्रदेश में, आग्नेयकोण में सिंहगुफा नामक एक चोरपल्ली थी। वह पल्ली विषम गिरिनितंब के प्रान्त भाग में बसी हुई थी। बाँस की झाड़ियों के प्राकार से घिरी हुई थी। अलग – अलग टेकरियों के प्रपात रूपी परिखा से युक्त थी। उसमें जाने – आने के लिए एक ही दरवाजा था, परन्तु भाग जाने के लिए छोटे – छोटे अनेक द्वार थे। जानकर लोग ही उसमें से नीकल सकते और उसमें प्रवेश कर सकते थे। उसके भीतर ही पानी था। उस पल्ली से बाहर आस – पास में पानी मिलना अत्यन्त दुर्लभ था। चुराये हुए माल को छीनने के लिए आई हुई सेना भी उस का कुछ नहीं बिगाड़ सकती थी। ऐसी थी वह चोरपल्ली। उस सिंहगुफा पल्ली में विजय नामक चोर सेनापति रहता था। वह अधार्मिक यावत्‌ वह अधर्म की ध्वजा थी। बहुत नगरों में उसका यश फैला हुआ था। वह शूर था, दृढ़ प्रहार करने वाला, साहसी और शब्दवेधी था। वह उस सिंहगुफा में पाँच सौ चोरों का अधिपतित्व करता हुआ रहता था। वह चोरों का सेनापति विजय तस्कर दूसरे बहुतेरे चोरों के लिए, जारों राजा के अपकारियों, ऋणियों, गठकटों, सेंध लगाने वालों, खात खोदने वालों, बाल – घातकों, विश्वासघातियों, जुआरियों तथा खण्डरक्षकों के लिए और मनुष्यों के हाथ – पैर आदि अवयवों को छेदन – भेदन करने वाले अन्य लोगों के लिए कुडंग के समान शरणभूत था। वह चोर सेनापति विजय तस्कर राजगृह नगर के अग्निकोण में स्थित जनपदप्रदेश को, ग्राम के घात द्वारा, नगरघात द्वारा, गायों का हरण करके, लोगों को कैद करके, पथिकों को मारकूट कर तथा सेंध लगा कर पुनः पुनः उत्पीड़ित करता हुआ तथा विध्वस्त करता हुआ, लोगों को स्थानहीन एवं धनहीन बना रहा था। तत्पश्चात्‌ वह चिलात दास – पेट राजगृह नगर में बहुत – से अर्थाभिशंकी, चौराभिशंकी, दाराभिशंकी, धनिकों और जुआरियों द्वारा पराभव पाया हुआ – तिरस्कृत होकर राजगृह नगर से बाहर नीकला। जहाँ सिंहगुफा नामक चोरपल्ली थी, वहाँ पहुँचा। चोरसेनापति विजय के पास उसकी शरण में जाकर रहने लगा। तत्पश्चात्‌ वह दास – चेट चिलात विजय नामक चोरसेनापति के यहाँ प्रधान खड्‌गधारी या हो गया। अत एव जब भी वह विजय चोर – सेनापति ग्राम का घात करने के लिए पथिकों को मारने – कूटने के लिए जाता था, उस समय दास – चेट चिलात बहुत – सी कूविय सेना को हत एवं मथित करके रोकता था – भगा देता था और फिर उस धन आदि को लेकर अपना कार्य करके सिंहगुफा चोरपल्ली में सकुशल वापिस आ जाता था। उस विजय चोरसेनापति ने चिलात तस्कर को बहुत – सी चौरविद्याएं, चोरमंत्र, चोरमायाएं और चोर – निकृतियाँ सिखला दी। विजय चोर किसी समय मृत्यु को प्राप्त हुआ – तब उन पाँच सौ चोरों ने बड़े ठाठ और सत्कार के समूह के साथ वजय चोरसेनापति का नीहरण किया – फिर बहुत – से लौकिक मृतककृत्य किए। कुछ समय बीत जाने पर वे शोकरहित हो गए। उन पाँच सौ चोरों ने एक दूसरे को बुलाया। तब उन्होंने आपस में कहा – ‘देवानुप्रियो ! हमारा चोरसेनापति विजय कालधर्म से संयुक्त हो गया है और विजय चोरसेनापति ने इस चिलात तस्कर को बहुत – सी चोरविद्याएं आदि सिखलाई हैं। अत एव देवानुप्रियो ! हमारे लिए यही श्रेयस्कर होगा कि चिलात तस्कर का सिंहगुफा चोरपल्ली के चोरसेनापति के रूप में अभिषेक किया जाए। इस प्रकार एक दूसरे की बात स्वीकार की। चिलात तस्कर को सिंहगुफा चोरपल्ली के चोरसेनापति के रूप में अभिषिक्त किया। तब वह चिलात चोरसेनापति हो गया तथा विजय के समान ही अधार्मिक, क्रूरकर्मा एवं पापाचारी होकर रहने लगा। वह चिलात चोरसेनापति चोरों का नायक यावत्‌ कुडंग के समान चोरोंजारों आदि का आश्रयभूत हो गया। वह उस चोरपल्ली में पाँच सौ चोरों का अधिपति हो गया, इत्यादि। यावत्‌ वह राजगृह नगर के दक्षिण – पूर्व के जनपद निवासी जनों को स्थानहीन और धनहीन बनाने लगा।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tae nam se chilae dasachede sao gihao nichchhudhe samane rayagihe nayare simghadaga-tiga-chaukka-chachchara-chaummuha-mahapahapahesu devakulesu ya sabhasu ya pavasu ya juyakhalaesu ya vesadharaesu ya panadharaesu ya suhamsuhenam parivattai. Tae nam se chilae dasachede anohattie anivarie sachchhamdamai sairappayari majjappasamgi chojjappasamgi juyappasamgi vesappasamgi paradarappasamgi jae yavi hottha. Tae nam rayagihassa nayarassa adurasamamte dahinapuratthime disibhae sihaguha namam chorapalli hottha–visama-girika-daga-kolamba-sannivittha vamsokalamka-pagara-parikkhitta chhinnasela-visamappa-vaya-pharihovagudha egaduvara anegakhamdi viditajana-niggamappavesa abbhimtarapaniya sudullabhajala-peramta subahussavi kuviyabalassa agayassa duppahamsa yavi hottha. Tattha nam sihaguhae chorapallie vijae namam chorasenavai parivasai–ahammie ahammitthe ahammakkhai ahammanue ahammapaloi ahammapalajjane ahammasilasamudayare ahammena cheva vittim kappemane viharai. Hana-chhimda-bhimda-viyattae lohiyapani chamde rudde khudde sahassie ukkamchana-vamchana-maya-niyadi-kavada-kuda-sai-sampaoga-bahule nissile nivvae niggune nippachchakkhanapo-sahova-vase bahunam duppaya-chauppaya-bhiya-pasu-pakkhi-sarisivanam dhayae bahae uchchhayanayae ahammakeu samutthie bahunagara-niggaya -jase sure dadhappahari sahasie saddavehi. Se nam tattha sihaguhae chorapallie pamchanham chorasayanam ahevachcham porevachcham samittam bhattittam mahattaragatam ana-isara-senavachcham karemane palemane viharai. Tae nam se vijae takkara-senavai bahunam chorana ya paradariyana ya gamthibheyagana ya samdhichchheyagana ya khattakhana-gana ya rayavagarina ya anadharagana ya baladhayagana ya visambhadhayagana ya juyakarana ya khamdarakkhana ya annesim cha bahunam chhinna-bhinna-bahirahayanam kudamge yavi hottha. Tae nam se vijae chorasenavai rayagihassa dahinapuratthimam janavayam bahuhim gamaghaehi ya nagaraghaehi ya gogahanehi ya bamdiggahanehi ya pamthakuttanehi ya khattakhananehi ya uvilemane-uvilemane viddhamsemane-viddhamsemane nitthanam niddhanam karemane viharai. Tae nam se chilae dasachedae rayagihe bahuhim atthabhisamkihi ya chojjabhisamkihi ya darabhisamkihi ya dhaniehi ya juyakarehi ya parabbhavamane-parabbhavamane rayagihao nagarao niggachchhai, niggachchhitta jeneva sihaguha chorapalli teneva uvagachchhai, uvagachchhitta vijayam chora-senavaim uvasampajjitta nam viharai. Tae nam se chilae dasachede vijayassa chorasenavaissa agga-asilatthiggahe jae yavi hottha. Jahe vi ya nam se vijae chorasenavai gamaghayam va nagaraghayam va gogahanam va bamdiggahanam va0 pamthakottim va kaum vachchai tahe vi ya nam se chilae dasachede subahumpi kuviyabalam haya-mahiya-pavara-vira-ghaiya-vivadiyachimdha-dhaya-padagam kichchhovagayapanam disodisim padisehei, padi-sehetta punaravi laddhatthe kayakajje anahasamagge sihaguham chorapallim havvamagachchhai. Tae nam se vijae chorasenavai chilayam takkaram bahuo choravijjao ya choramamte ya choramayao ya choranigadio ya sikkhavei. Tae nam se vijae chorasenavai annaya kayai kaladhammuna samjutte yavi hottha. Tae nam taim pamchachorasayaim vijayassa chorasenavaissa mahaya-mahaya iddhi-sakkara-samudaenam niharanam karemti, karetta bahuim loiyaim mayakichchaim karemti, karetta kalenam vigayasoya jaya yavi hottha. Tae nam taim pamchachorasayaim annamannam saddavemti, saddavetta evam vayasi–evam khalu amham devanuppiya! Vijae chorasenavai kaladhammuna samjutte. Ayam cha nam chilae takkare vijaenam chorasenavaina bahuo choravijjao ya choramamte ya choramayao ya choranigadio ya sikkhavie. Tam seyam khalu amham devanuppiya! Chilayam takkaram sihaguhae chorapallie chorasenavaittae abhisimchittae tti kattu annamannassa eyamattham padisunemti, padisunetta chilayam sihaguhae chorapallie chora-senavaittae abhisimchamti. Tae nam se chilae chorasenavai jae–ahammie ahammitthe ahammakkhai ahammanue ahammapaloi ahammapalajjane ahammasilasamudayare ahammena cheva vittim kappemane viharai. Tae nam se chilae chorasenavai choranayage bahunam chorana ya paradariyana ya gamthibheyagana ya samdhichchheyagana ya khatta khanagana ya rayavagarina ya anadharagana ya baladhayagana ya visambhadhayagana ya juyakarana ya khamdarakkhana ya annesim cha bahunam chhinna-bhinna-bahirahayanam kudamge yavi hottha. Se nam tattha sihaguhae chorapallie pamchanham chorasayanam ahevachcham porevachcham samittam bhattittam mahattaragattam ana-isara-senavachcham karemane palemane viharai. Tae nam se chilae chorasenavai rayagihassa nayarassa dahinapuratthimillam janavayam bahuhim gamaghaehi ya nagaraghaehi ya gogahanehi ya bamdiggahanehi ya pamthakuttanehi ya khattakhananehi ya uvilemane-uvilemane viddhamsemane-viddhamsemane nitthanam niddhanam karemane viharai.
Sutra Meaning Transliteration : Dhanya sarthavaha dvara apane ghara se nikala hua yaha chilata dasachetaka rajagriha nagara mem shrimgatakom yavat pathom mem arthat gali – kuchom mem, devalayom mem, sabhaom mem, pyauom mem, juariyom mem, addo mem, veshyaom ke gharom mem tatha madyapanagrihom mem maje se bhatakane laga. Usa samaya usa dasa – chetaka chilata ko koi hatha parakakara rokane vala tatha vachana se rokane vala na raha, ata eva vaha niramkusha buddhi vala, svechchhachari, madirapana mem asakta, chori karane mem asakta, mamsabhakshana mem asakta, jua mem asakta, veshyasakta tatha para – striyom mem bhi lampata ho gaya. Usa samaya rajagriha nagara se na adhika dura aura na adhika samipa pradesha mem, agneyakona mem simhagupha namaka eka chorapalli thi. Vaha palli vishama girinitamba ke pranta bhaga mem basi hui thi. Bamsa ki jhariyom ke prakara se ghiri hui thi. Alaga – alaga tekariyom ke prapata rupi parikha se yukta thi. Usamem jane – ane ke lie eka hi daravaja tha, parantu bhaga jane ke lie chhote – chhote aneka dvara the. Janakara loga hi usamem se nikala sakate aura usamem pravesha kara sakate the. Usake bhitara hi pani tha. Usa palli se bahara asa – pasa mem pani milana atyanta durlabha tha. Churaye hue mala ko chhinane ke lie ai hui sena bhi usa ka kuchha nahim bigara sakati thi. Aisi thi vaha chorapalli. Usa simhagupha palli mem vijaya namaka chora senapati rahata tha. Vaha adharmika yavat vaha adharma ki dhvaja thi. Bahuta nagarom mem usaka yasha phaila hua tha. Vaha shura tha, drirha prahara karane vala, sahasi aura shabdavedhi tha. Vaha usa simhagupha mem pamcha sau chorom ka adhipatitva karata hua rahata tha. Vaha chorom ka senapati vijaya taskara dusare bahutere chorom ke lie, jarom raja ke apakariyom, riniyom, gathakatom, semdha lagane valom, khata khodane valom, bala – ghatakom, vishvasaghatiyom, juariyom tatha khandarakshakom ke lie aura manushyom ke hatha – paira adi avayavom ko chhedana – bhedana karane vale anya logom ke lie kudamga ke samana sharanabhuta tha. Vaha chora senapati vijaya taskara rajagriha nagara ke agnikona mem sthita janapadapradesha ko, grama ke ghata dvara, nagaraghata dvara, gayom ka harana karake, logom ko kaida karake, pathikom ko marakuta kara tatha semdha laga kara punah punah utpirita karata hua tatha vidhvasta karata hua, logom ko sthanahina evam dhanahina bana raha tha. Tatpashchat vaha chilata dasa – peta rajagriha nagara mem bahuta – se arthabhishamki, chaurabhishamki, darabhishamki, dhanikom aura juariyom dvara parabhava paya hua – tiraskrita hokara rajagriha nagara se bahara nikala. Jaham simhagupha namaka chorapalli thi, vaham pahumcha. Chorasenapati vijaya ke pasa usaki sharana mem jakara rahane laga. Tatpashchat vaha dasa – cheta chilata vijaya namaka chorasenapati ke yaham pradhana khadgadhari ya ho gaya. Ata eva jaba bhi vaha vijaya chora – senapati grama ka ghata karane ke lie pathikom ko marane – kutane ke lie jata tha, usa samaya dasa – cheta chilata bahuta – si kuviya sena ko hata evam mathita karake rokata tha – bhaga deta tha aura phira usa dhana adi ko lekara apana karya karake simhagupha chorapalli mem sakushala vapisa a jata tha. Usa vijaya chorasenapati ne chilata taskara ko bahuta – si chauravidyaem, choramamtra, choramayaem aura chora – nikritiyam sikhala di. Vijaya chora kisi samaya mrityu ko prapta hua – taba una pamcha sau chorom ne bare thatha aura satkara ke samuha ke satha vajaya chorasenapati ka niharana kiya – phira bahuta – se laukika mritakakritya kie. Kuchha samaya bita jane para ve shokarahita ho gae. Una pamcha sau chorom ne eka dusare ko bulaya. Taba unhomne apasa mem kaha – ‘devanupriyo ! Hamara chorasenapati vijaya kaladharma se samyukta ho gaya hai aura vijaya chorasenapati ne isa chilata taskara ko bahuta – si choravidyaem adi sikhalai haim. Ata eva devanupriyo ! Hamare lie yahi shreyaskara hoga ki chilata taskara ka simhagupha chorapalli ke chorasenapati ke rupa mem abhisheka kiya jae. Isa prakara eka dusare ki bata svikara ki. Chilata taskara ko simhagupha chorapalli ke chorasenapati ke rupa mem abhishikta kiya. Taba vaha chilata chorasenapati ho gaya tatha vijaya ke samana hi adharmika, krurakarma evam papachari hokara rahane laga. Vaha chilata chorasenapati chorom ka nayaka yavat kudamga ke samana choromjarom adi ka ashrayabhuta ho gaya. Vaha usa chorapalli mem pamcha sau chorom ka adhipati ho gaya, ityadi. Yavat vaha rajagriha nagara ke dakshina – purva ke janapada nivasi janom ko sthanahina aura dhanahina banane laga.