Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Sr No : | 1004415 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-२५ |
Translated Chapter : |
शतक-२५ |
Section : | उद्देशक-६ निर्ग्रन्थ | Translated Section : | उद्देशक-६ निर्ग्रन्थ |
Sutra Number : | 915 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] पुलागस्स णं भंते! केवतिया चरित्तपज्जवा पन्नत्ता? गोयमा! अनंता चरित्तपज्जवा पन्नत्ता। एवं जाव सिणायस्स। पुलाए णं भंते! पुलागस्स सट्ठाणसण्णिगासेनं चरित्तपज्जवेहिं किं हीने? तुल्ले? अब्भहिए? गोयमा! सिय हीने, सिय तुल्ले, सिय अब्भहिए। जइ हीने अनंतभागहीने वा, असंखेज्जइभागहीने वा, संखेज्जइभागहीने वा, संखेज्जगुणहीने वा, असंखेज्जगुणहीने वा, अनंतगुणहीने वा। अह अब्भहिए अनंतभागमब्भहिए वा, असंखेज्जइ-भागमब्भहिए वा, संखेज्जभागमब्भहिए वा, संखेज्जगुणमब्भहिए वा, असंखेज्जगुणमब्भहिए वा, अनंतगुणमब्भहिए वा। पुलाए णं भंते! बउसस्स परट्ठाणसण्णिगासेनं चरित्तपज्जवेहिं किं हीने? तुल्ले? अब्भहिए? गोयमा! हीने, नो तुल्ले, नो अब्भहिए; अनंतगुणहीने। एवं पडिसेवणाकुसीलस्स वि। कसायकुसीलेणं समं छट्ठाणवडिए जहेव सट्ठाणे। नियंठस्स जहा बउसस्स। एवं सिणायस्स वि। बउसे णं भंते! पुलागस्स परट्ठाणसण्णिगासेनं चरित्तपज्जवेहिं किं हीने? तुल्ले? अब्भहिए? गोयमा! नो हीने, नो तुल्ले, अब्भहिए–अनंतगुणमब्भहिए। बउसे णं भंते! बउसस्स सट्ठाणसण्णिगासेनं चरित्तपज्जवेहिं–पुच्छा। गोयमा! सिय हीने, सिय तुल्ले, सिय अब्भहिए। जइ हीने छट्ठाणवडिए। बउसे णं भंते! पडिसेवणाकुसीलस्स परट्ठाणसण्णिगासेनं चरित्तपज्जवेहिं किं हीने? छट्ठाणवडिए। एवं कसायकुसीलस्स वि। बउसे णं भंते! नियंठस्स परट्ठाणसण्णिगासेनं चरित्तपज्जवेहिं–पुच्छा। गोयमा! हीने, नो तुल्ले, नो अब्भहिए; अनंत गुणहीने। एवं सिणायस्स वि। पडिसेवणाकुसीलस्स एवं चेव बउसवत्तव्वया भाणियव्वा। कसायकुसीलस्स एस चेव बउसवत्तव्वया, नवरं–पुलाएण वि समं छट्ठाणवडिए। नियंठे णं भंते! पुलागस्स परट्ठाणसण्णिगासेनं चरित्तपज्जवेहिं–पुच्छा। गोयमा! नो हीने, नो तुल्ले, अब्भहिए–अनंतगुणमब्भहिए। एवं जाव कसायकुसीलस्स। नियंठे णं भंते! नियंठस्स सट्ठाणसण्णिगासेनं–पुच्छा। गोयमा! नो हीने, तुल्ले, नो अब्भहिए। नियंठस्स णं भंते! सिणायस्स परट्ठाणसण्णिगासेनं–पुच्छा। गोयमा! नो हीने, तुल्ले, नो अब्भहिए। सिणाए णं भंते! पुलागस्स परट्ठाणसण्णिगासेनं चरित्तपज्जवेहिं–पुच्छा। गोयमा! नो हीने, नो तुल्ले, अब्भहिए–अनंतगुणब्भहिए। एवं जाव कसायकुसीलस्स। सिणाए णं भंते! नियंठस्स परट्ठाणसण्णिगासेनं–पुच्छा। गोयमा! नो हीने, तुल्ले, नो अब्भहिए। सिणाए णं भंते! सिणायस्स सट्ठाणसण्णिगासेनं–पुच्छा। गोयमा! नो हीने, तुल्ले, नो अब्भहिए। एएसि णं भंते! पुलाग-बउस-पडिसेवणाकुसील-कसायकुसील-नियंठ-सिणायाणं जहण्णुक्कोस-गाणं चरित्तपज्जवाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा? बहुया वा? तुल्ला वा? विसेसाहिया वा? गोयमा! १. पुलागस्स कसायकुसीलस्स य एएसि णं जहन्नगा चरित्तपज्जवा दोण्ह वि तुल्ला सव्वत्थोवा २. पुलागस्स उक्को सगा चरित्तपज्जवा अनंतगुणा ३. बउसस्स पडिसेवणाकुसीलस्स य एएसि णं जहन्नगा चरित्तपज्जवा दोण्ह वि तुल्ला अनंतगुणा ४. बउसस्स उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अनंतगुणा ५. पडिसेवणाकुसीलस्स उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अनंतगुणा ६. कसायकुसीलस्स उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अनंतगुणा ७. नियंठस्स सिणायस्स य एतेसि णं अजहन्नमणुक्कोसगा चरित्तपज्जवा दोण्ह वि तुल्ला अनंतगुणा। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! पुलाक के चारित्र – पर्यव कितने होते हैं ? गौतम ! अनन्त हैं। इसी प्रकार स्नातक तक कहना चाहिए भगवन् ! एक पुलाक, दूसरे पुलाक के स्वस्थान – सन्निकर्ष से चारित्र – पर्यायों से हीन है, तुल्य है या अधिक है ? गौतम ! वह कदाचित् हीन होता है, कदाचित् तुल्य और कदाचित् अधिक होता है। यदि हीन हो तो अनन्त – भागहीन, असंख्यातभागहीन तथा संख्यातभागहीन होता है एवं संख्यातगुणहीन, असंख्यातगुणहीन और अनन्त – गुणहीन होता है। यदि अधिक हो तो अनन्तभाग – अधिक संख्यातभाग – अधिक और संख्यातभाग – अधिक होता है; तथैव संख्यातगुण – अधिक, असंख्यातगुण – अधिक और अनन्तगुण – अधिक होता है। भगवन् ! पुलाक अपने चारित्र – पर्यायों से, बकुश से परस्थान – सन्निकर्ष की अपेक्षा हीन हैं, तुल्य हैं या अधिक हैं ? गौतम ! वे अनन्तगुणहीन होते हैं। इसी प्रकार प्रतिसेवनाकुशील में कहना। कषायकुशील से पुलाक के स्वस्थान के समान षट्स्थानपतित कहना चाहिए। बकुश के समान निर्ग्रन्थ के भी कहना। स्नातक का कथन भी बकुश के समान है। भगवन् ! बकुश, पुलाक के परस्थान – सन्निकर्ष से चारित्र – पर्यायों की अपेक्षा हीन है, तुल्य है या अधिक है? गौतम ! वह हीन भी नहीं और तुल्य भी नहीं; किन्तु अधिक है; अनन्तगुण अधिक है। भगवन् ! बकुश, दूसरे बकुश के स्वस्थान – सन्निकर्ष से चारित्रपर्यायों से हीन है, तुल्य है या अधिक है ? गौतम ! वह कदाचित् हीन, कदाचित् तुल्य और कदाचित् अधिक होता है। यदि हीन हो तो षट्स्थान – पतित होता है। भगवन् ! बकुश, प्रति – सेवनाकुशील के परस्थान – सन्निकर्ष से, चारित्र – पर्यायों से हीन है, तुल्य है या अधिक है ? गौतम ! वह षट्स्थान – पतित होता है। इसी प्रकार कषायकुशील भी समझना। भगवन् ! बकुश निर्ग्रन्थ के परस्थान – सन्निकर्ष से चारित्र – पर्यायों से हीन, तुल्य या अधिक होते हैं ? गौतम ! वे अनन्तगुण – हीन होते हैं। इसी प्रकार स्नातक भी जानना। प्रतिसेवनाकुशील भी बकुश समान जानना। कषायकुशील भी बकुश समान है। विशेष यह है कि पुलाक के साथ षट्कस्थानपतित कहना। भगवन् ! निर्ग्रन्थ, पुलाक के परस्थान – सन्निकर्ष से, चारित्रपर्यायों से हीन है, तुल्य है या अधिक है ? गौतम! वह अनन्तगुण – अधिक है। इसी प्रकार यावत् कषायकुशील की अपेक्षा से भी जानना। भगवन् ! एक निर्ग्रन्थ, दूसरे निर्ग्रन्थ के स्वस्थान – सन्निकर्ष से चारित्र – पर्यायों से हीन है या अधिक हैं ? गौतम ! वह तुल्य होता है। इसी प्रकार स्नातक के साथ भी जानना। भगवन् ! स्नातक पुलाक के परस्थान – सन्निकर्ष से चारित्र – पर्यायों से हीन, तुल्य अथवा अधिक है ? गौतम ! निर्ग्रन्थ के समान जानना। भगवन् ! एक स्नातक दूसरे स्नातक के स्वस्थान – सन्निकर्ष से चारित्र – पर्यायों से हीन, तुल्य या अधिक है ? गौतम ! वह तुल्य है। भगवन् ! पुलाक, बकुश, प्रतिसेवनाकुशील, कषायकुशील, निर्ग्रन्थ और स्नातक, इनके जघन्य और उत्कृष्ट चारित्र – पर्यायों में अल्प बहुत्व क्या है ? गौतम ! पुलाक और कषायकुशील इन दोनों के जघन्य चारित्र – पर्याय परस्पर तुल्य हैं और सबसे अल्प हैं। उनसे पुलाक के उत्कृष्ट चारित्र – पर्याय अनन्तगुण। उनसे बकुश और प्रतिसेवनाकुशील इन दोनों के जघन्य चारित्र – पर्याय परस्पर तुल्य हैं और अनन्तगुणे। उनसे बकुश के उत्कृष्ट चारित्र – पर्याय अनन्तगुणे। उनसे प्रतिसेवनाकुशीलके उत्कृष्ट चारित्र – पर्याय अनन्तगुण। उनसे कषायकुशील के उत्कृष्ट चारित्र – पर्याय अनन्तगुण और उनसे निर्ग्रन्थ और स्नातक, इन दोनों के अजघन्य – अनुत्कृष्ट चारित्र – पर्याय अनन्तगुण हैं और परस्पर तुल्य हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] pulagassa nam bhamte! Kevatiya charittapajjava pannatta? Goyama! Anamta charittapajjava pannatta. Evam java sinayassa. Pulae nam bhamte! Pulagassa satthanasannigasenam charittapajjavehim kim hine? Tulle? Abbhahie? Goyama! Siya hine, siya tulle, siya abbhahie. Jai hine anamtabhagahine va, asamkhejjaibhagahine va, samkhejjaibhagahine va, samkhejjagunahine va, asamkhejjagunahine va, anamtagunahine va. Aha abbhahie anamtabhagamabbhahie va, asamkhejjai-bhagamabbhahie va, samkhejjabhagamabbhahie va, samkhejjagunamabbhahie va, asamkhejjagunamabbhahie va, anamtagunamabbhahie va. Pulae nam bhamte! Bausassa paratthanasannigasenam charittapajjavehim kim hine? Tulle? Abbhahie? Goyama! Hine, no tulle, no abbhahie; anamtagunahine. Evam padisevanakusilassa vi. Kasayakusilenam samam chhatthanavadie jaheva satthane. Niyamthassa jaha bausassa. Evam sinayassa vi. Bause nam bhamte! Pulagassa paratthanasannigasenam charittapajjavehim kim hine? Tulle? Abbhahie? Goyama! No hine, no tulle, abbhahie–anamtagunamabbhahie. Bause nam bhamte! Bausassa satthanasannigasenam charittapajjavehim–puchchha. Goyama! Siya hine, siya tulle, siya abbhahie. Jai hine chhatthanavadie. Bause nam bhamte! Padisevanakusilassa paratthanasannigasenam charittapajjavehim kim hine? Chhatthanavadie. Evam kasayakusilassa vi. Bause nam bhamte! Niyamthassa paratthanasannigasenam charittapajjavehim–puchchha. Goyama! Hine, no tulle, no abbhahie; anamta gunahine. Evam sinayassa vi. Padisevanakusilassa evam cheva bausavattavvaya bhaniyavva. Kasayakusilassa esa cheva bausavattavvaya, navaram–pulaena vi samam chhatthanavadie. Niyamthe nam bhamte! Pulagassa paratthanasannigasenam charittapajjavehim–puchchha. Goyama! No hine, no tulle, abbhahie–anamtagunamabbhahie. Evam java kasayakusilassa. Niyamthe nam bhamte! Niyamthassa satthanasannigasenam–puchchha. Goyama! No hine, tulle, no abbhahie. Niyamthassa nam bhamte! Sinayassa paratthanasannigasenam–puchchha. Goyama! No hine, tulle, no abbhahie. Sinae nam bhamte! Pulagassa paratthanasannigasenam charittapajjavehim–puchchha. Goyama! No hine, no tulle, abbhahie–anamtagunabbhahie. Evam java kasayakusilassa. Sinae nam bhamte! Niyamthassa paratthanasannigasenam–puchchha. Goyama! No hine, tulle, no abbhahie. Sinae nam bhamte! Sinayassa satthanasannigasenam–puchchha. Goyama! No hine, tulle, no abbhahie. Eesi nam bhamte! Pulaga-bausa-padisevanakusila-kasayakusila-niyamtha-sinayanam jahannukkosa-ganam charittapajjavanam kayare kayarehimto appa va? Bahuya va? Tulla va? Visesahiya va? Goyama! 1. Pulagassa kasayakusilassa ya eesi nam jahannaga charittapajjava donha vi tulla savvatthova 2. Pulagassa ukko saga charittapajjava anamtaguna 3. Bausassa padisevanakusilassa ya eesi nam jahannaga charittapajjava donha vi tulla anamtaguna 4. Bausassa ukkosaga charittapajjava anamtaguna 5. Padisevanakusilassa ukkosaga charittapajjava anamtaguna 6. Kasayakusilassa ukkosaga charittapajjava anamtaguna 7. Niyamthassa sinayassa ya etesi nam ajahannamanukkosaga charittapajjava donha vi tulla anamtaguna. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Pulaka ke charitra – paryava kitane hote haim\? Gautama ! Ananta haim. Isi prakara snataka taka kahana chahie Bhagavan ! Eka pulaka, dusare pulaka ke svasthana – sannikarsha se charitra – paryayom se hina hai, tulya hai ya adhika hai\? Gautama ! Vaha kadachit hina hota hai, kadachit tulya aura kadachit adhika hota hai. Yadi hina ho to ananta – bhagahina, asamkhyatabhagahina tatha samkhyatabhagahina hota hai evam samkhyatagunahina, asamkhyatagunahina aura ananta – gunahina hota hai. Yadi adhika ho to anantabhaga – adhika samkhyatabhaga – adhika aura samkhyatabhaga – adhika hota hai; tathaiva samkhyataguna – adhika, asamkhyataguna – adhika aura anantaguna – adhika hota hai. Bhagavan ! Pulaka apane charitra – paryayom se, bakusha se parasthana – sannikarsha ki apeksha hina haim, tulya haim ya adhika haim\? Gautama ! Ve anantagunahina hote haim. Isi prakara pratisevanakushila mem kahana. Kashayakushila se pulaka ke svasthana ke samana shatsthanapatita kahana chahie. Bakusha ke samana nirgrantha ke bhi kahana. Snataka ka kathana bhi bakusha ke samana hai. Bhagavan ! Bakusha, pulaka ke parasthana – sannikarsha se charitra – paryayom ki apeksha hina hai, tulya hai ya adhika hai? Gautama ! Vaha hina bhi nahim aura tulya bhi nahim; kintu adhika hai; anantaguna adhika hai. Bhagavan ! Bakusha, dusare bakusha ke svasthana – sannikarsha se charitraparyayom se hina hai, tulya hai ya adhika hai\? Gautama ! Vaha kadachit hina, kadachit tulya aura kadachit adhika hota hai. Yadi hina ho to shatsthana – patita hota hai. Bhagavan ! Bakusha, prati – sevanakushila ke parasthana – sannikarsha se, charitra – paryayom se hina hai, tulya hai ya adhika hai\? Gautama ! Vaha shatsthana – patita hota hai. Isi prakara kashayakushila bhi samajhana. Bhagavan ! Bakusha nirgrantha ke parasthana – sannikarsha se charitra – paryayom se hina, tulya ya adhika hote haim\? Gautama ! Ve anantaguna – hina hote haim. Isi prakara snataka bhi janana. Pratisevanakushila bhi bakusha samana janana. Kashayakushila bhi bakusha samana hai. Vishesha yaha hai ki pulaka ke satha shatkasthanapatita kahana. Bhagavan ! Nirgrantha, pulaka ke parasthana – sannikarsha se, charitraparyayom se hina hai, tulya hai ya adhika hai\? Gautama! Vaha anantaguna – adhika hai. Isi prakara yavat kashayakushila ki apeksha se bhi janana. Bhagavan ! Eka nirgrantha, dusare nirgrantha ke svasthana – sannikarsha se charitra – paryayom se hina hai ya adhika haim\? Gautama ! Vaha tulya hota hai. Isi prakara snataka ke satha bhi janana. Bhagavan ! Snataka pulaka ke parasthana – sannikarsha se charitra – paryayom se hina, tulya athava adhika hai\? Gautama ! Nirgrantha ke samana janana. Bhagavan ! Eka snataka dusare snataka ke svasthana – sannikarsha se charitra – paryayom se hina, tulya ya adhika hai\? Gautama ! Vaha tulya hai. Bhagavan ! Pulaka, bakusha, pratisevanakushila, kashayakushila, nirgrantha aura snataka, inake jaghanya aura utkrishta charitra – paryayom mem alpa bahutva kya hai\? Gautama ! Pulaka aura kashayakushila ina donom ke jaghanya charitra – paryaya paraspara tulya haim aura sabase alpa haim. Unase pulaka ke utkrishta charitra – paryaya anantaguna. Unase bakusha aura pratisevanakushila ina donom ke jaghanya charitra – paryaya paraspara tulya haim aura anantagune. Unase bakusha ke utkrishta charitra – paryaya anantagune. Unase pratisevanakushilake utkrishta charitra – paryaya anantaguna. Unase kashayakushila ke utkrishta charitra – paryaya anantaguna aura unase nirgrantha aura snataka, ina donom ke ajaghanya – anutkrishta charitra – paryaya anantaguna haim aura paraspara tulya haim. |