Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1004158 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१५ गोशालक |
Translated Chapter : |
शतक-१५ गोशालक |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 658 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] विमलवाहने णं भंते! राया सुमंगलेणं अनगारेणं सहये जाव भासरासीकए समाणे कहिं गच्छिहिति? कहिं उववज्जिहिति? गोयमा! विमलवाहने णं राया सुमंगलेणं अनगारेणं सहये जाव भासरासीकए समाणे अहेसत्तमाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरयंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति। से णं ततो अनंतरं उव्वट्टित्ता मच्छेसु उववज्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि अहेसत्तमाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरयंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति। से णं तओनंतरं उव्वट्टित्ता दोच्चं पि मच्छेसु उववज्जिहिति। तत्थ णं वि सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा छट्ठाए तमाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति। से णं तओहिंतो अनंतरं उव्वट्टित्ता इत्थियासु उववज्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाह वक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि छट्ठाए तमाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति। से णं तओहिंतो अनंतरं उव्वट्टित्ता दोच्चं पि इत्थियासु उववज्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति। से णं ततो अनंतरं उव्वट्टित्ता उरएसु उववज्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति। से णं तओहिंतो अनंतरं उव्वट्टित्ता दोच्चं पि उरएसु उववज्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति। से णं ततो अनंतरं उव्वट्टित्ता सीहेसु उववज्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति। से णं तओहिंतो अनंतरं उव्वट्टित्ता दोच्चं पि सीहेसु उववज्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा तच्चाए वालुयप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति। से णं ततो अनंतरं उव्वट्ठित्ता पक्खीसु उववज्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि तच्चाए वालुयप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति। से णं तओनंतरं उव्वट्टित्ता दोच्चं पि पक्खीसु उववज्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चाए सक्करप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति। से णं ततो अनंतरं उव्वट्टित्ता सिरीसवेसु उववज्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थ वज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि दोच्चाए सक्करप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति। से णं तओनंतरं उव्वट्टित्ता दोच्चं पि सिरीसवेसु उववज्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति। से णं ततो अनंतरं उव्वट्टित्ता सण्णीसु उववज्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा असण्णी सु उववज्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पलिओवमस्स असंखेज्जइभागट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति। से णं ततो अनंतरं उव्वट्टित्ता जाइं इमाइं खहयरविहाणाइं भवंति, तं जहा–चम्मपक्खीणं, लोमपक्खीणं, समुग्गपक्खीणं, विययपक्खीणं, तेसु अनेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाइं भुयपरिसप्पविहाणाइं भवंति, तं जहा– गोहाणं, नउलाणं, जहा पन्नवणापए जाव जाहगाणं चउप्पाइयाणं, तेसु अनेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाइं उरपरिसप्पविहाणाइं भवंति, तं जहा– अहीनं, अयगराणं, आसालियाणं, महोरगाणं, तेसु अनेग-सयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाइं चउप्पदविहाणाइं भवंति, तं जहा–एगखुराणं, दुखुराणं, गंडीपदाणं, सणहप्पदाणं, तेसु अनेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाइं जलयरविहाणाइं भवंति, तं जहा–मच्छाणं, कच्छ भाणं जाव सुंसुमाराणं, तेसु अनेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाइं चउरिंदियविहाणाइं भवंति, तं जहा–अंधियाणं, पोत्तियाणं, जहा पन्नवणापदे जाव गोमयकीडाणं, तेसु अनेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाइं तेइंदियविहाणाइं भवंति, तं जहा–उवचियाणं जाव हत्थिसोंडाणं, तेसु अनेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाइं बेइंदियविहाणाइं भवंति, तं जहा–पुलाकिमियाणं जाव समुद्दलिक्खाणं, तेसु अनेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाइं वणस्सइविहाणाइं भवंति, तं जहा–रुक्खाणं, गुच्छाणं जाव कुहणाणं, तेसु अनेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाइस्सइ–उस्सन्नं च णं कडुयरुक्खेसु, कडुयवल्लीसु। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाइं वाउक्काइय-विहाणाइं भवंति, तं जहा–पाईणवायाणं जाव सुद्धवायाणं तेसु अनेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाइं तेउक्काइयविहाणाइं भवंति, तं जहा–इंगालाणं जाव सूरकंतमणिनिस्सियाणं, तेसु अनेगसयसहस्स-खुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाइं आउक्काइय-विहाणाइं भवंति, तं जहा– ओसाणं जाव खातोदगाणं, तेसु अनेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाइस्सइ–उस्सन्नं च णं खारोदएसु खत्तोदएसु। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाइं पुढविक्काइय-विहाणाइं भवंति, तं जहा–पुढवीणं, सक्कराणं जाव सूरकंताणं, तेसु अनेगसयसहस्स-खुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जोपच्चायाहिति–उस्सन्नं च णं खरबायर-पुढविक्का-इएसु। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा रायगिहे नगरे बाहिं खरियत्ताए उववज्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि रायगिहे नगरे अंतो खरियत्ताए उववज्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा... | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! सुमंगल अनगार द्वारा अश्व, रथ और सारथि – सहित भस्म किया हुआ विमलवाहन राजा कहाँ उत्पन्न होगा ? गौतम ! वह अधःसप्तम पृथ्वी में, उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले नरकों में नैरयिकरूप से उत्पन्न होगा। वहाँ से यावत् उद्वर्त्त कर मत्स्यों में उत्पन्न होगा। वहाँ भी शस्त्र के द्वारा वध होने पर दाहज्वर की पीड़ा से काल करके दूसरी बार फिर अधःसप्तम पृथ्वी में उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले नारकावासों में नैरयिकरूप में उत्पन्न होगा। वहाँ से उद्वर्त्त कर फिर सीधा दूसरी बार मत्स्यों में उत्पन्न होगा। वहाँ भी शस्त्र से वध होने पर काल कर छठी तमःप्रभा पृथ्वी में उत्कृष्टकाल की स्थिति वाले नारकावासों में नैरयिकरूप से उत्पन्न होगा। वहाँ से वह यावत् नीकलकर स्त्रीरूप में उत्पन्न होगा। वहाँ भी शस्त्राघात से मरकर दाहज्वर की वेदना से यावत् दूसरी बार पुनः छठी तमःप्रभा पृथ्वी में उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले नारकावासों में नैरयिक होगा। पुनः दूसरी बार स्त्रीरूप में उत्पन्न होगा। वहाँ भी शस्त्र से वध होने पर यावत् काल करके पंचम धूमप्रभा पृथ्वी में उत्कृष्ट काल की स्थिति वाला नैरयिक होगा। मरकर उरःपरिसर्पों में उत्पन्न होगा। वहाँ भी शस्त्राघात से यावत् मरकर दूसरी बार पंचम नरकपृथ्वी में, यावत् पुनः उरःपरिसर्पों में उत्पन्न होगा। वहाँ से यावत् काल करके चौथी पंकप्रभा पृथ्वी में उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले नारकावासों में नैरयिक रूप में उत्पन्न होगा, यावत् वहाँ से नीकलकर सिंहों में उत्पन्न होगा। वहाँ भी शस्त्र द्वारा मारा जाकर यावत् दूसरी बार चौथे नरक में उत्पन्न होगा। दूसरी बार सिंहों में उत्पन्न होगा। काल करके तीसरी बालुकाप्रभा नरकपृथ्वी में उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले नैरयिकों में उत्पन्न होगा। वहाँ से नीकलकर पक्षियों में उत्पन्न होगा। वहाँ से यावत् शस्त्राघात से मरकर फिर दूसरी बार तीसरी बालुकाप्रभा पृथ्वी में उत्पन्न होगा। वहाँ से यावत् शस्त्राघात से मरकर दूसरी बार पक्षियों में उत्पन्न होगा। वहाँ से यावत् काल करके दूसरी शर्कराप्रभा पृथ्वी में उत्पन्न होगा। वहाँ से यावत् नीकलकर सरीसृपों में उत्पन्न होगा। वहाँ भी शस्त्र से मारा जाकर यावत् दूसरी बार भी शर्कराप्रभा पृथ्वी में उत्पन्न होगा। वहाँ से यावत् काल करके दूसरी बार पुनः सरीसृपों में उत्पन्न होगा। वहाँ से यावत् काल करके इस रत्नप्रभा पृथ्वी की उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले नरकावासों में नैरयिक रूप में उत्पन्न होगा। वहाँ से यावत् नीकलकर संज्ञीजीवों में उत्पन्न होगा। वहाँ भी शस्त्र द्वारा मारा जाकर यावत् काल करके असंज्ञीजीवों में उत्पन्न होगा। वहाँ भी शस्त्रा – घात से यावत् काल करके दूसरी बार इसी रत्नप्रभापृथ्वी में पल्योपम के असंख्यातवे भाग की स्थिति वाले नरका – वासों में नैरयिकरूप में उत्पन्न होगा। वह वहाँ से नीकलकर जो ये खेचरजीवों के भेद हैं, जैसे कि – चर्मपक्षी, लोमपक्षी, समुद्गकपक्षी, विततपक्षी, उनमें अनेक लाख बार मर – मर कर बार – बार वहीं उत्पन्न होता रहेगा। सर्वत्र शस्त्र से मारा जाकर दाह – वेदना से काल के अवसरमें काल करके जो ये भूजपरिसर्प के भेद हैं, जैसे कि – गोह, नकुल इत्यादि यावत् जाहक आदि चौपाये जीवों में अनेक लाख बार मरकर बार – बार उन्हींमें उत्पन्न होगा। शेष सब खेचरवत् जानना, यावत् काल करके जो ये उरःपरिसर्प के भेद होते हैं, जैसे कि – सर्प, अजगर, आशालिका, महोरग आदि, इनमें अनेक लाख बार मर – मरकर बार – बार इन्हीं में उत्पन्न होगा। यावत् वहाँ से काल करके जो ये चतुष्पद जीवों के भेद हैं, जैसे कि एक खुरवाला, दो खुर वाला गण्डीपद, सनखपद, इनमें अनेक लाख बार उत्पन्न होगा। वहाँ से यावत् काल करके जो ये जलचरजीव – भेद हैं, जैसे कि – मत्स्य, कच्छप यावत् सुंसुमार इत्यादि, उनमें लाख बार उत्पन्न होगा। फिर वहाँ से यावत् काल करके जो ये चतुरिन्द्रिय जीवों के भेद हैं, जैसे कि – अन्धिक, पौत्रिक इत्यादि, यावत् गोमय – कीटों में अनेक लाख बार उत्पन्न होगा। फिर वहाँ से यावत् काल करके जो ये त्रीन्द्रियजीवों के भेद हैं, जैसे कि – उपचित यावत् हस्तिशौण्ड आदि, इनमें अनेक लाख बार मरकर पुनःपुनः उत्पन्न होगा। वहाँ से यावत् काल करके जो ये द्वीन्द्रिय जीवों के भेद हैं, जैसे कि – पुलाकृमि यावत् समुद्दलिक्षा इत्यादि, इनमें अनेक लाख बार मर मरकर, पुनः पुनः उन्हीं में उत्पन्न होगा। फिर वहाँ से यावत् काल करके जो ये वनस्पति के भेद हैं, जैसे कि – वृक्ष, गुच्छ यावत् कुहुना इत्यादि; इनमें अनेक लाख बार मर मरकर यावत् पुनः पुनः इन्हीं में उत्पन्न होगा। विशेषतया कटुरस वाले वृक्षों और बेलों में उत्पन्न होगा। सभी स्थानों में शस्त्राघात से वध होगा। फिर वहाँ से यावत् काल करके जो ये वायुकायिक जीवों के भेद हैं, जैसे कि – पूर्ववायु, यावत् शुद्धवायु इत्यादि इनमें अनेक लाख बार मर मरकर पुनः पुनः उत्पन्न होगा। फिर वहाँ से काल करके जो ये तेजस्कायिक जीवों के भेद हैं, जैसे कि – अंगार यावत् सूर्यकान्त मणिनिःसृत अग्नि इत्यादि, उनमें अनेक लाख बार मर मरकर पुनः पुनः उत्पन्न होगा। फिर वहाँ से यावत् काल करके जो ये अप्कायिक जीवों के भेद हैं, यथा – ओस का पानी, यावत् खाई का पानी इत्यादि; उनमें अनेक लाख बार – उत्पन्न होगा। सभी स्थानों में शस्त्र द्वारा घात होगा। वहाँ से यावत् काल करके जो ये पृथ्वीकायिक जीवों के भेद हैं, जैसे कि – पृथ्वी, शर्करा यावत् सूर्यकान्तमणि; उनमें अनेक लाख बार उत्पन्न होगा, विशेषतया खर – बादर पृथ्वीकाकाय में उत्पन्न होगा। सर्वत्र शस्त्र से वध होगा। वहाँ से यावत् काल करके राजगृह नगर के बाहर वेश्यारूप में उत्पन्न होगा। वहाँ शस्त्र से वध होने से यावत् काल करके दूसरी बार राजगृह नगर के भीतर (विशिष्ट) वेश्या के रूप में उत्पन्न होगा। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] vimalavahane nam bhamte! Raya sumamgalenam anagarenam sahaye java bhasarasikae samane kahim gachchhihiti? Kahim uvavajjihiti? Goyama! Vimalavahane nam raya sumamgalenam anagarenam sahaye java bhasarasikae samane ahesattamae pudhavie ukkosakalatthiiyamsi narayamsi neraiyattae uvavajjihiti. Se nam tato anamtaram uvvattitta machchhesu uvavajjihiti. Tattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha dochcham pi ahesattamae pudhavie ukkosakalatthiiyamsi narayamsi neraiyattae uvavajjihiti. Se nam taonamtaram uvvattitta dochcham pi machchhesu uvavajjihiti. Tattha nam vi satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha chhatthae tamae pudhavie ukkosakalatthiiyamsi naragamsi neraiyattae uvavajjihiti. Se nam taohimto anamtaram uvvattitta itthiyasu uvavajjihiti. Tattha vi nam satthavajjhe daha vakkamtie kalamase kalam kichcha dochcham pi chhatthae tamae pudhavie ukkosakalatthiiyamsi naragamsi neraiyattae uvavajjihiti. Se nam taohimto anamtaram uvvattitta dochcham pi itthiyasu uvavajjihiti. Tattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha pamchamae dhumappabhae pudhavie ukkosakalatthiiyamsi naragamsi neraiyattae uvavajjihiti. Se nam tato anamtaram uvvattitta uraesu uvavajjihiti. Tattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha dochcham pi pamchamae dhumappabhae pudhavie ukkosakalatthiiyamsi naragamsi neraiyattae uvavajjihiti. Se nam taohimto anamtaram uvvattitta dochcham pi uraesu uvavajjihiti. Tattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha chautthie pamkappabhae pudhavie ukkosakalatthiiyamsi naragamsi neraiyattae uvavajjihiti. Se nam tato anamtaram uvvattitta sihesu uvavajjihiti. Tattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha dochcham pi chautthie pamkappabhae pudhavie ukkosakalatthiiyamsi naragamsi neraiyattae uvavajjihiti. Se nam taohimto anamtaram uvvattitta dochcham pi sihesu uvavajjihiti. Tattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha tachchae valuyappabhae pudhavie ukkosakalatthiiyamsi naragamsi neraiyattae uvavajjihiti. Se nam tato anamtaram uvvatthitta pakkhisu uvavajjihiti. Tattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha dochcham pi tachchae valuyappabhae pudhavie ukkosakalatthiiyamsi naragamsi neraiyattae uvavajjihiti. Se nam taonamtaram uvvattitta dochcham pi pakkhisu uvavajjihiti. Tattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha dochchae sakkarappabhae pudhavie ukkosakalatthiiyamsi naragamsi neraiyattae uvavajjihiti. Se nam tato anamtaram uvvattitta sirisavesu uvavajjihiti. Tattha vi nam sattha vajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha dochcham pi dochchae sakkarappabhae pudhavie ukkosakalatthiiyamsi naragamsi neraiyattae uvavajjihiti. Se nam taonamtaram uvvattitta dochcham pi sirisavesu uvavajjihiti. Tattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha imise rayanappabhae pudhavie ukkosakalatthiiyamsi naragamsi neraiyattae uvavajjihiti. Se nam tato anamtaram uvvattitta sannisu uvavajjihiti. Tattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha asanni su uvavajjihiti. Tattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha dochcham pi imise rayanappabhae pudhavie paliovamassa asamkhejjaibhagatthiiyamsi naragamsi neraiyattae uvavajjihiti. Se nam tato anamtaram uvvattitta jaim imaim khahayaravihanaim bhavamti, tam jaha–chammapakkhinam, lomapakkhinam, samuggapakkhinam, viyayapakkhinam, tesu anegasayasahassakhutto uddaitta-uddaitta tattheva-tattheva bhujjo-bhujjo pachchayahiti. Savvattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha jaim imaim bhuyaparisappavihanaim bhavamti, tam jaha– gohanam, naulanam, jaha pannavanapae java jahaganam chauppaiyanam, tesu anegasayasahassakhutto uddaitta-uddaitta tattheva-tattheva bhujjo-bhujjo pachchayahiti. Savvattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha jaim imaim uraparisappavihanaim bhavamti, tam jaha– ahinam, ayagaranam, asaliyanam, mahoraganam, tesu anega-sayasahassakhutto uddaitta-uddaitta tattheva-tattheva bhujjo-bhujjo pachchayahiti. Savvattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha jaim imaim chauppadavihanaim bhavamti, tam jaha–egakhuranam, dukhuranam, gamdipadanam, sanahappadanam, tesu anegasayasahassakhutto uddaitta-uddaitta tattheva-tattheva bhujjo-bhujjo pachchayahiti. Savvattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha jaim imaim jalayaravihanaim bhavamti, tam jaha–machchhanam, kachchha bhanam java sumsumaranam, tesu anegasayasahassakhutto uddaitta-uddaitta tattheva-tattheva bhujjo-bhujjo pachchayahiti. Savvattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha jaim imaim chaurimdiyavihanaim bhavamti, tam jaha–amdhiyanam, pottiyanam, jaha pannavanapade java gomayakidanam, tesu anegasayasahassakhutto uddaitta-uddaitta tattheva-tattheva bhujjo-bhujjo pachchayahiti. Savvattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha jaim imaim teimdiyavihanaim bhavamti, tam jaha–uvachiyanam java hatthisomdanam, tesu anegasayasahassakhutto uddaitta-uddaitta tattheva-tattheva bhujjo-bhujjo pachchayahiti. Savvattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha jaim imaim beimdiyavihanaim bhavamti, tam jaha–pulakimiyanam java samuddalikkhanam, tesu anegasayasahassakhutto uddaitta-uddaitta tattheva-tattheva bhujjo-bhujjo pachchayahiti. Savvattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha jaim imaim vanassaivihanaim bhavamti, tam jaha–rukkhanam, guchchhanam java kuhananam, tesu anegasayasahassakhutto uddaitta-uddaitta tattheva-tattheva bhujjo-bhujjo pachchayaissai–ussannam cha nam kaduyarukkhesu, kaduyavallisu. Savvattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha jaim imaim vaukkaiya-vihanaim bhavamti, tam jaha–painavayanam java suddhavayanam tesu anegasayasahassakhutto uddaitta-uddaitta tattheva-tattheva bhujjo-bhujjo pachchayahiti. Savvattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha jaim imaim teukkaiyavihanaim bhavamti, tam jaha–imgalanam java surakamtamaninissiyanam, tesu anegasayasahassa-khutto uddaitta-uddaitta tattheva-tattheva bhujjo-bhujjo pachchayahiti. Savvattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha jaim imaim aukkaiya-vihanaim bhavamti, tam jaha– osanam java khatodaganam, tesu anegasayasahassakhutto uddaitta-uddaitta tattheva-tattheva bhujjo-bhujjo pachchayaissai–ussannam cha nam kharodaesu khattodaesu. Savvattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha jaim imaim pudhavikkaiya-vihanaim bhavamti, tam jaha–pudhavinam, sakkaranam java surakamtanam, tesu anegasayasahassa-khutto uddaitta-uddaitta tattheva-tattheva bhujjo-bhujjopachchayahiti–ussannam cha nam kharabayara-pudhavikka-iesu. Savvattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha rayagihe nagare bahim khariyattae uvavajjihiti. Tattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha dochcham pi rayagihe nagare amto khariyattae uvavajjihiti. Tattha vi nam satthavajjhe dahavakkamtie kalamase kalam kichcha.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Sumamgala anagara dvara ashva, ratha aura sarathi – sahita bhasma kiya hua vimalavahana raja kaham utpanna hoga\? Gautama ! Vaha adhahsaptama prithvi mem, utkrishta kala ki sthiti vale narakom mem nairayikarupa se utpanna hoga. Vaham se yavat udvartta kara matsyom mem utpanna hoga. Vaham bhi shastra ke dvara vadha hone para dahajvara ki pira se kala karake dusari bara phira adhahsaptama prithvi mem utkrishta kala ki sthiti vale narakavasom mem nairayikarupa mem utpanna hoga. Vaham se udvartta kara phira sidha dusari bara matsyom mem utpanna hoga. Vaham bhi shastra se vadha hone para kala kara chhathi tamahprabha prithvi mem utkrishtakala ki sthiti vale narakavasom mem nairayikarupa se utpanna hoga. Vaham se vaha yavat nikalakara strirupa mem utpanna hoga. Vaham bhi shastraghata se marakara dahajvara ki vedana se yavat dusari bara punah chhathi tamahprabha prithvi mem utkrishta kala ki sthiti vale narakavasom mem nairayika hoga. Punah dusari bara strirupa mem utpanna hoga. Vaham bhi shastra se vadha hone para yavat kala karake pamchama dhumaprabha prithvi mem utkrishta kala ki sthiti vala nairayika hoga. Marakara urahparisarpom mem utpanna hoga. Vaham bhi shastraghata se yavat marakara dusari bara pamchama narakaprithvi mem, yavat punah urahparisarpom mem utpanna hoga. Vaham se yavat kala karake chauthi pamkaprabha prithvi mem utkrishta kala ki sthiti vale narakavasom mem nairayika rupa mem utpanna hoga, yavat vaham se nikalakara simhom mem utpanna hoga. Vaham bhi shastra dvara mara jakara yavat dusari bara chauthe naraka mem utpanna hoga. Dusari bara simhom mem utpanna hoga. Kala karake tisari balukaprabha narakaprithvi mem utkrishta kala ki sthiti vale nairayikom mem utpanna hoga. Vaham se nikalakara pakshiyom mem utpanna hoga. Vaham se yavat shastraghata se marakara phira dusari bara tisari balukaprabha prithvi mem utpanna hoga. Vaham se yavat shastraghata se marakara dusari bara pakshiyom mem utpanna hoga. Vaham se yavat kala karake dusari sharkaraprabha prithvi mem utpanna hoga. Vaham se yavat nikalakara sarisripom mem utpanna hoga. Vaham bhi shastra se mara jakara yavat dusari bara bhi sharkaraprabha prithvi mem utpanna hoga. Vaham se yavat kala karake dusari bara punah sarisripom mem utpanna hoga. Vaham se yavat kala karake isa ratnaprabha prithvi ki utkrishta kala ki sthiti vale narakavasom mem nairayika rupa mem utpanna hoga. Vaham se yavat nikalakara samjnyijivom mem utpanna hoga. Vaham bhi shastra dvara mara jakara yavat kala karake asamjnyijivom mem utpanna hoga. Vaham bhi shastra – ghata se yavat kala karake dusari bara isi ratnaprabhaprithvi mem palyopama ke asamkhyatave bhaga ki sthiti vale naraka – vasom mem nairayikarupa mem utpanna hoga. Vaha vaham se nikalakara jo ye khecharajivom ke bheda haim, jaise ki – charmapakshi, lomapakshi, samudgakapakshi, vitatapakshi, unamem aneka lakha bara mara – mara kara bara – bara vahim utpanna hota rahega. Sarvatra shastra se mara jakara daha – vedana se kala ke avasaramem kala karake jo ye bhujaparisarpa ke bheda haim, jaise ki – goha, nakula ityadi yavat jahaka adi chaupaye jivom mem aneka lakha bara marakara bara – bara unhimmem utpanna hoga. Shesha saba khecharavat janana, yavat kala karake jo ye urahparisarpa ke bheda hote haim, jaise ki – sarpa, ajagara, ashalika, mahoraga adi, inamem aneka lakha bara mara – marakara bara – bara inhim mem utpanna hoga. Yavat vaham se kala karake jo ye chatushpada jivom ke bheda haim, jaise ki eka khuravala, do khura vala gandipada, sanakhapada, inamem aneka lakha bara utpanna hoga. Vaham se yavat kala karake jo ye jalacharajiva – bheda haim, jaise ki – matsya, kachchhapa yavat sumsumara ityadi, unamem lakha bara utpanna hoga. Phira vaham se yavat kala karake jo ye chaturindriya jivom ke bheda haim, jaise ki – andhika, pautrika ityadi, yavat gomaya – kitom mem aneka lakha bara utpanna hoga. Phira vaham se yavat kala karake jo ye trindriyajivom ke bheda haim, jaise ki – upachita yavat hastishaunda adi, inamem aneka lakha bara marakara punahpunah utpanna hoga. Vaham se yavat kala karake jo ye dvindriya jivom ke bheda haim, jaise ki – pulakrimi yavat samuddaliksha ityadi, inamem aneka lakha bara mara marakara, punah punah unhim mem utpanna hoga. Phira vaham se yavat kala karake jo ye vanaspati ke bheda haim, jaise ki – vriksha, guchchha yavat kuhuna ityadi; inamem aneka lakha bara mara marakara yavat punah punah inhim mem utpanna hoga. Visheshataya katurasa vale vrikshom aura belom mem utpanna hoga. Sabhi sthanom mem shastraghata se vadha hoga. Phira vaham se yavat kala karake jo ye vayukayika jivom ke bheda haim, jaise ki – purvavayu, yavat shuddhavayu ityadi inamem aneka lakha bara mara marakara punah punah utpanna hoga. Phira vaham se kala karake jo ye tejaskayika jivom ke bheda haim, jaise ki – amgara yavat suryakanta maninihsrita agni ityadi, unamem aneka lakha bara mara marakara punah punah utpanna hoga. Phira vaham se yavat kala karake jo ye apkayika jivom ke bheda haim, yatha – osa ka pani, yavat khai ka pani ityadi; unamem aneka lakha bara – utpanna hoga. Sabhi sthanom mem shastra dvara ghata hoga. Vaham se yavat kala karake jo ye prithvikayika jivom ke bheda haim, jaise ki – prithvi, sharkara yavat suryakantamani; unamem aneka lakha bara utpanna hoga, visheshataya khara – badara prithvikakaya mem utpanna hoga. Sarvatra shastra se vadha hoga. Vaham se yavat kala karake rajagriha nagara ke bahara veshyarupa mem utpanna hoga. Vaham shastra se vadha hone se yavat kala karake dusari bara rajagriha nagara ke bhitara (vishishta) veshya ke rupa mem utpanna hoga. |