Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1004157 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१५ गोशालक |
Translated Chapter : |
शतक-१५ गोशालक |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 657 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] एवं खलु देवानुप्पियाणं अंतेवासी कुसिस्से गोसाले नामं मंखलिपुत्ते से णं भंते! गोसाले मंखलिपुत्ते कालमासे कालं किच्चा कहिं गए? कहिं उववन्ने? एवं खलु गोयमा! ममं अंतेवासी कुसिस्से गोसाले नामं मंखलिपुत्ते समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालमासे कालं किच्चा उड्ढं चंदिम-सूरिय जाव अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववन्ने। तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं बावीसं सागरोवमाइं ठिती पन्नत्ता। तत्थ णं गोसालस्स वि देवस्स बावीसं सागरोवमाइं ठिती पन्नत्ता। से णं भंते! गोसाले देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अनंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति? कहिं उववज्जिहिति? गोयमा! इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विंज्झगिरिपायमूले पुंडेसु जणवएसु सयदुवारे नगरे संमुतिस्स रन्नो भद्दाए भारियाए कुच्छिंसि पुत्तत्ताए पच्चायाहिति। से णं तत्थ नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अद्धट्ठमाण य राइंदियाणं वीइक्कंताणं जाव सुरूवे दारए पयाहिति। जं रयणिं च णं से दारए जाइहिति, तं रयणिं च णं सयदुवारे नगरे सब्भिंतर-बाहिरिए भारग्गसो य कुंभग्गसो य पउमवासे य रयणवासे य वासे वासिहिति। तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वीइक्कंते निव्वत्ते असुइजायकम्म-करणे संपत्ते बारसमे दिवसे अयमेयारूवं गोण्णं गुणनिप्फन्नं नामधेज्जं काहिंति–जम्हा णं अम्हं इमंसि दारगंसि जायंसि समाणंसि सयदुवारे नगरे सब्भिंतरबाहिरिए भारग्गसो य कुंभग्गसो य पउमवासे य रयणवासे वुट्ठे, तं होउ णं अम्हं इमस्स दारगस्स नामधेज्जं महापउमे-महापउमे। तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधेज्जं करेहिंति महापउमे त्ति। तए णं तं महापउमं दारगं अम्मापियरो सातिरेगट्ठवासजायगं जाणित्ता सोभणंसि तिहि-करण-दिवस-नक्खत्त-मुहुत्तंसि महया-महया रायाभिसेगेणं अभिसिंचेहिंति। से णं तत्थ राया भविस्सति महया हिमवंत-महंत-मलय-मंदर-महिंदसारे वण्णओ जाव विहरिस्सइ। तए णं तस्स महापउमस्स रन्नो अन्नदा कदायि दो देवा महिड्ढिया जाव महेसक्खा सेणाकम्मं काहिंति, तं जहा –पुण्णभद्दे य माणिभद्दे य। तए णं सयदुवारे नगरे बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुंबिय-इब्भ-सेट्ठि-सेनावइ-सत्थबाहप्पभितओ अन्नमन्नं सद्दावेहिंति, सद्दावेत्ता एवं वदेहिंति– जम्हा णं देवानुप्पिया! महापउमस्स रन्नो दो देवा महिड्ढिया जाव महेसक्खा सेणाकम्मं करेंति, तं जहा–पुण्णभद्दे य माणिभद्दे य, तं होउ णं देवानुप्पिया! अम्हं महापउमस्स रन्नो दोच्चे वि, नामधेज्जे देवसेणे-देवसेणे। तए णं तस्स महापउमस्स रन्नो दोच्चे वि नामधेज्जे भविस्सति देवसेणे त्ति। तए णं तस्स देवसेनस्स रन्नो अन्नया कयाइ सेते संखतल-विमल-सन्निगासे चउद्दंते हत्थिरयणे समुप्पज्जिस्सइ। तए णं से देवसेणे राया तं सेयं संखतल-विमल-सन्निगासं चउद्दंतं हत्थिरयणं द्रढे समाणे सयदुवारं नगरं मज्झंमज्झेणं अभिक्खणं-अभिक्खणं अतिजाहिति य निज्जाहिति य। तए णं सयदुवारे नगरे बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुंबिय-इब्भ-सेट्ठि-सेनावइ-सत्थवाहप्पभितओ अन्नमन्नं सद्दावेहिंति, सद्दावेत्ता वदेहिंति–जम्हा णं देवानुप्पिया! अम्हं देवसेणस्स रन्नो सेते संखतल-विमल -सन्निगासे चउद्दंते हत्थिरयणे समुप्पन्ने, तं होउ णं देवानुप्पिया! अम्हं देवसेणस्स रन्नो तच्चे वि नामधेज्जे विमलवाहने-विमलवाहने। तए णं तस्स देवसेणस्स रन्नो तच्चे वि नामधेज्जे भविस्सति विमलवाहने त्ति। तए णं से विमलवाहने राया अन्नया कदायि समणेहिं निग्गंथेहिं मिच्छं विप्पडिवज्जिहिति–अप्पेगतिए आओसेहिति, अप्पेगतिए अवहसिहिति, अप्पेगतिए निच्छोडेहिति, अप्पेगतिए निब्भंछेहिति, अप्पेगतिए बंधेहिति, अप्पेगतिए निरुंभेहिति, अप्पेगतियाणं छविच्छेदं करेहिति, अप्पेगतिए पमारेहिति, अप्पेगतिए उद्दवेहिति, अप्पेगतियाणं वत्थं पडिग्गहं कंबलं पायपुंछणं आच्छिंदिहिति विच्छिंदिहिति भिंदिहिति अवहरिहिति, अप्पेगतियाणं भत्तपाणं वोच्छिंदिहिति, अप्पेगतिए निन्नगरे करेहिति, अप्पेगतिए निव्विसए करेहिति। तए णं सयदुवारे नगरे बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुंबिय-इब्भ-सेट्ठि-सेनावइ-सत्थवाहप्पभितओ अन्नमन्नं सद्दावेहिंति, सद्दावेत्ता एवं वदिहिंति–एवं खलु देवानुप्पिया! विमलवाहने राया समणेहिं निग्गंथेहिं मिच्छं विप्पडिवन्ने–अप्पेगतिए आओसति जाव निव्विसए करेति, तं नो खलु देवानुप्पिया! एयं अम्हं सेयं, नो खलु एयं विमलवाहणस्स रन्नो सेयं, नो खलु एयं रज्जस्स वा रट्ठस्स वा बलस्स वा वाहणस्स वा पुरस्स वा अंतेउरस्स वा जनवयस्स वा सेयं, जण्णं विमलवाहने राया समणेहिं निग्गंथेहिं मिच्छं विप्पडिवन्ने। तं सेयं खलु देवानुप्पिया! अम्हं विमलवाहणं रायं एयमट्ठं विण्णवेत्तए अन्नमन्नस्स अंतियं एयमट्ठं पडिसुणेहिंति, पडिसुणेत्ता जेणेव विमलवाहने राया तेणेव उवागच्छिहिंति, उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु विमलवाहणं रायं जएणं विजएणं वद्धावेहिंति, वद्धावेत्ता एवं वदिहिंति– एवं खलु देवानुप्पिया! समणेहिं निग्गंथेहिं मिच्छं विप्पडिवन्ना अप्पेगतिए आओसंति जाव अप्पेगतिए निव्विसए करेंति, तं नो खलु एयं देवानुप्पियाणं सेयं, नो खलु एयं अम्हं सेयं, नो खलु एयं रज्जस्स वा जाव जनवयस्स वा सेयं, जण्णं देवानुप्पिया! समणेहिं निग्गंथेहिं मिच्छं विप्पडिवन्ना, तं विरमंतु णं देवानुप्पिया! एयस्स अट्ठस्स अकरणयाए। तए णं से विमलवाहने राया तेहिं बहूहिं राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुंबिय-इब्भ-सेट्ठि-सेनावइ-सत्थवाहप्पभि-ईहिं एयमट्ठं विण्णत्ते समाणे नो धम्मो त्ति नो तवो त्ति मिच्छा-विनएणं एयमट्ठं पडिसुणेहिति। तस्स णं सयदुवारस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभागे, एत्थ णं सुभूमिभागे नामं उज्जाणे भविस्सइ–सव्वोउय-पुप्फ-फलसमिद्धे वण्णओ। तेणं कालेणं तेणं समएणं विमलस्स अरहओ पओप्पए सुमंगले नामं अनगारे जाइसंपन्ने, जहा धम्मघोसस्स वण्णओ जाव संखित्तविउलतेयलेस्से तिन्नाणोवगए सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स अदूरसामंते छट्ठंछट्ठेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढं वाहाओ पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे विहरिस्सति। तए णं से विमलवाहने राया अन्नदा कदायि रहचरियं काउं निज्जाहिति। तए णं से विमलवाहने राया सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स अदूरसामंते रहचरियं करेमाणे सुमंगलं अनगारं छट्ठंछट्ठेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाओ पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुहं आयावणभूमीए आयावेमाणं पासिहिति, पासित्ता आसुरुत्ते रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे सुमंगलं अनगारं रहसिरेणं नोल्लावेहिति। तए णं से सुमंगले अनगारे विमलवाहनेणं रण्णा रहसिरेणं नोल्लाविए समाणे सणियं-सणियं उट्ठेहेति, उट्ठेत्ता दोच्चं पि उड्ढं बाहाओ पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे विहरिस्सति। तए णं से विमलवाहने राया सुमंगलं अनगारं दोच्चं पि रहसिरेणं नोल्लावेहिति। तए णं से सुमंगले अनगारे विमलवाहनेणं रण्णा दोच्चं पि रहसिरेणं नोल्लाविए समाणे सणियं-सणियं उट्ठेहिति, उट्ठेत्ता ओहिं पउंजेहिति, पउंजित्ता विमलवाहणस्स रन्नो तीतद्धं आभोएहिति, आभोएत्ता विमलवाहणं रायं एवं वइहिति–नो खलु तुमं विमलवाहने राया, नो खलु तुमं देवसेणे राया, नो खलु तुमं महापउमे राया, तुमण्णं इओ तच्चे भवग्गहणे गोसाले नामं मंखलिपुत्ते होत्था–समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालगए, तं जइ ते तदा सव्वाणुभूतिणा अनगारेणं पभुणा वि होऊणं सम्मं सहियं खमियं तितिक्खियं अहियासियं, जइ ते तदा सुनक्खत्तेणं अनगारेणं पभुणा वि होऊणं सम्मं सहियं खमियं तितिक्खियं अहियासियं, जइ ते तदा समणेणं भगवया महावीरेणं पभुणा वि होऊणं सम्मं सहियं खमियं तितिक्खियं अहियासियं, तं नो खलु ते अहं तहा सम्मं सहिस्सं खमिस्सं तितिक्खिस्सं अहियासिस्सं, अहं ते नवरं–सहयं सरहं ससारहियं तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासिं करेज्जामि। तए णं से विमलवाहने राया सुमंगलेणं अनगारेणं एवं वुत्ते समाणे आसुरुत्ते रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसे-माणे सुमंगलं अनगारं तच्चं पि रहसिरेणं नोल्लाविहिति। तए णं से सुमंगले अनगारे विमलवाहनेणं रण्णा तच्चं पि रहसिरेणं नोल्लाविए समाणे आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे आयावणभूमीओ पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता तेयासमुग्घाएणं समोहण्णिहिति, समोहणित्ता सत्तट्ठ पयाइं पच्चोसक्किहिति, पच्चोसक्कित्ता विमलवाहणं रायं सहयं सरहं ससारहियं तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासिं करेहिति। सुमंगले णं भंते! अनगारे विमलवाहणं रायं सहयं जाव भासरासिं करेत्ता कहिं गच्छिहिति? कहिं उववज्जि-हिति? गोयमा! सुमंगले अनगारे विमलवाहणं रायं सहयं जाव भासरासिं करेत्ता बहूहिं छट्ठट्ठम-दसम-दुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणे बहूइं वासाइं सामण्णपरियागं पाउणेहिति, पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं ज्झूसित्ता, सट्ठिं भत्ताइं अनसनाए छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कंते समाहिपत्ते उड्ढं चंदिम जाव गेविज्जविमानावाससयं वीइवइत्ता सव्वट्ठ सिद्धे महाविमाने देवत्ताए उववज्जिहिति। तत्थ णं देवाणं अजहन्नमणुक्कोसेनं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिती पन्नत्ता। तत्थ णं सुमंग-लस्स वि देवस्स अजहन्नमणुक्कोसेनं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिती पन्नत्ता। से णं भंते! सुमंगले देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अनंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति? कहिं उववज्जिहिति? गोयमा! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! देवानुप्रिय का अन्तेवासी कुशिष्य गोशालक मंखलिपुत्र काल के अवसर में काल करके कहाँ गया, कहाँ उत्पन्न हुआ ? हे गौतम ! वह ऊंचे चन्द्र और सूर्य का यावत् उल्लंघन करके अच्युतकल्प में देवरूप में उत्पन्न हुआ है। वहाँ गोशालक की स्थिति भी बाईस सागरोपम की है। भगवन् ! वह गोशालक देव उस देवलोक से आयुष्य, भव और स्थिति का क्षय होने पर, देवलोक से च्यव कर यावत् कहाँ उत्पन्न होगा ? गौतम ! इसी जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में विन्ध्यपर्वत के पादमूल में, पुण्ड्र जनपद के शतद्वार नामक नगर में सन्मूर्ति नाम के राजा की भद्रा – भार्या की कुक्षि में पुत्ररूप से उत्पन्न होगा। वह वहाँ नौ महीने और साढ़े सात रात्रिदिवस यावत् भलीभाँति व्यतीत होने पर यावत् सुन्दर बालक के रूप में जन्म लेगा। जिस रात्रि में उस बालक का जन्म होगा, उस रात्रि में शतद्वार नगर के भीतर और बाहर, अनेक भार – प्रमाण और अनेक कुम्भप्रमाण पद्मों एवं रत्नों की वर्षा होगी। तब उस बालक के माता – पिता ग्यारह दिन बीत जाने पर बारहवे दिन उस बालक का गुणयुक्त एवं गुणनिष्पन्न नामकरण करेंगे – क्योंकि हमारे इस बालक का जब जन्म हुआ, तब पद्मों और रत्नों की वर्षा हुई थी, इसलिए हमारे इस बालक का नाम – ‘महापद्म’ हो। तत्पश्चात् उस महापद्म बालक के माता – पिता उसे कुछ अधिक आठ वर्ष का जानकर शुभ तिथि, करण, दिवस, नक्षत्र और मुहूर्त्त में बहुत बड़े राज्याभिषेक से अभिषिक्त करेंगे। इस प्रकार वह वहाँ का राजा बन जाएगा। – वह महाहिमवान् आदि पर्वत के समान महान एवं बलशाली होगा, यावत् वह (राज्यभोग करता हुआ) विचरेगा। किसी समय दो महर्द्धिक यावत् महासौख्यसम्पन्न देव उस महापद्म राजा का सेनापतित्व करेंगे। वे दो देव इस प्रकार हैं – पूर्णभद्र और माणिभद्र। यह देखकर शतद्वार नगर के बहुत – से राजेश्वर, तलवर, राजा, युवराज यावत् सार्थवाह आदि परस्पर एक दूसरे को बुलायेंगे और कहेंगे – देवानुप्रियो ! हमारे महापद्म राजा के महर्द्धिक यावत् महासौख्यशाली दो देव सेनाकर्म करते हैं। इसलिए देवानुप्रियो ! हमारे महापद्म राजा का दूसरा नाम देवसेन हो। तदनन्तर किसी दिन उस देवसेन राजा के शंखतल के समान निर्मल एवं श्वेत चार दाँतों वाला हस्तिरत्न समुत्पन्न होगा। तब वह देवसेन राजा उस शंखतल के समान श्वेत एवं निर्मल चार दाँत वाले हस्तिरत्न पर आरूढ़ होकर शतद्वार नगर के मध्य में होकर बार – बार बाहर जाएगा और आएगा। यह देखकर बहुत – से राजेश्वर यावत् सार्थवाह प्रभृति परस्पर एक दूसरे को बुलाएंगे और फिर इस प्रकार कहेंगे – ‘देवानुप्रियो ! हमारे देवसेन राजा के यहाँ शंखतल के समान श्वेत, निर्मल एवं चार दाँतों वाला हस्तिरत्न समुत्पन्न हुआ है, अतः हे देवानुप्रियो ! हमारे देवसेन राजा का तीसरा नाम ‘विमलवाहन’ भी हो।’ किसी दिन विमलवाहन राजा श्रमण – निर्ग्रन्थों के प्रति मिथ्या – भिमान को अपना लेगा। वह कईं श्रमण निर्ग्रन्थों के प्रति आक्रोश करेगा, किन्हीं का उपहास करेगा, कतिपय साधुओं को एक दूसरे से पृथक् – पृथक् कर देगा, कईंयों की भर्त्सना करेगा, बांधेगा, निरोध करेगा, अंगच्छेदन करेगा, मारेगा, उपद्रव करेगा, श्रमणों के वस्त्र, पात्र, कम्बल और पादप्रोंछन को छिन्नभिन्न कर देगा, नष्ट कर देगा, चीर – फाड़ देगा या अपहरण कर लेगा। आहार – पानी का विच्छेद करेगा और कईं श्रमणों को नगर और देश से निर्वासित करेगा। शतद्वारनगर के बहुत – से राजा, ऐश्वर्यशाली यावत् सार्थवाह आदि परस्पर यावत् कहने लगेंगे – देवानुप्रियो ! विमलवाहन राजा ने श्रमण निर्ग्रन्थों के प्रति अनार्यपन अपना लिया है, यावत् कितने ही श्रमणों को इसने देश से निर्वासित कर दिया है, इत्यादि। अतः देवानुप्रियो ! यह हमारे लिए श्रेयस्कर नहीं है। यह न विमल – वाहन राजा के लिए श्रेयस्कर है और न राज्य, राष्ट्र, बल, वाहन, पुर अन्तःपुर अथवा जनपद के लिए श्रेयस्कर है कि विमलवाहन राजा श्रमण – निर्ग्रन्थों के प्रति अनार्यत्व को अंगीकार करे। अतः देवानुप्रियो ! हमारे लिए यह उचित है कि हम विमलवाहन राजा को इस विषय में विनयपूर्वक निवेदन करें। इस प्रकार वे विमलवाहन राजा के पास आएंगे। करबद्ध होकर विमलवाहन राजा को जय – विजय शब्दों से बधाई देंगे। फिर कहेंगे – हे देवानुप्रिय ! श्रमण – निर्ग्रन्थों के प्रति आपने अनार्यत्व अपनाया है; कईयों पर आप आक्रोश करते हैं, यावत् कईं श्रमणों को आप देश – निर्वासित करते हैं। अतः हे देवानुप्रिय ! यह आपके लिए श्रेयस्कर नहीं है, न हमारे लिए यह श्रेयस्कर है यावत् आप देवानुप्रिय श्रमण – निर्ग्रन्थों के प्रति अनार्यत्व स्वीकार करें। अतः हे देवानुप्रिय ! आप इस अकार्य को करने से रुकें। तदनन्तर इस प्रकार जब वे राजेश्वर यावत् सार्थवाह आदि विनयपूर्वक राजा विमलवाहन से बिनती करेंगे, तब वह राजा – धर्म (कुछ) नहीं, तप निरर्थक है, इस प्रकार की बुद्धि होते हुए भी मिथ्या – विनय बताकर उनकी इस बिनती को मान लेगा। उस शतद्वारनगर के बाहर उत्तरपूर्व दिशा में सुभूमिभाग नाम का उद्यान होगा, जो सब ऋतुओं में फल – पुष्पों से समृद्ध होगा, इत्यादि वर्णन पूर्ववत्। उस काल उस समय में विमल नामक तीर्थंकर के प्रपौत्र – शिष्य ‘सुमंगल’ होंगे। उनका वर्णन धर्मघोष अनगार के समान, यावत् संक्षिप्त – विपुल तेजोलेश्या वाले, तीन ज्ञानों से युक्त वह सुमंगल नामक अनगार, सुभूमि – भाग उद्यान से न अति दूर और न अति निकट निरन्तर छठ – छठ तप के साथ यावत् आतापना लेते हुए विचरेंगे। वह विमलवाहन राजा किसी दिन रथचर्या करने के लिए नीकलेगा। जब सुभूमिभाग उद्यान से थोड़ी दूर रथचर्या करता हुआ वह विमलवाहन राजा, निरन्तर छठ – छठ तप के साथ आतापना लेते हुए सुमंगल अनगार को देखेगा; तब उन्हें देखते ही वह एकदम क्रुद्ध होकर यावत् मिसमिसायमान होता हुआ रथ के अग्रभाग से सुमंगल अनगार को टक्कर मारकर नीचे गिरा देगा। विमलवाहन राजा द्वारा रथ के अग्रभाग से टक्कर मारकर सुमंगल अनगार को नीचे गिरा देने पर वह धीरे – धीरे उठेंगे और दूसरी बार फिर बाहें ऊंची करके यावत् आतापना लेते हुए विचरेंगे। तब वह विमलवाहन राजा फिर दूसरी बार रथ के अग्रभाग से टक्कर मारकर नीचे गिरा देगा, अतः सुमंगल अनगार फिर दूसरी बार शनैः शनैः उठेंगे, अवधिज्ञान का उपयोग लगाकर विमलवाहनराजा के अतीतकाल को देखेंगे फिर वह कहेंगे – ‘तुम वास्तव में विमलवाहन राजा नहीं हो, तुम देवसेन राजा भी नहीं हो, और न ही तुम महापद्म राजा हो; किन्तु तुम इससे पूर्व तीसरे भव में श्रमणों के घातक गोशालक नामक मंखलिपुत्र थे, यावत् तुम छद्मस्थ अवस्था में ही काल कर गए थे। उस समय समर्थ होते हुए भी सर्वानुभूति अनगार ने तुम्हारे अपराध को सम्यक् प्रकार से सहन कर लिया था, क्षमा कर दिया था, तितिक्षा की थी और उसे अध्यासित किया था। इसी प्रकार सुनक्षत्र अनगार ने भी समर्थ होते हुए यावत् अध्यासित किया था। उस समय श्रमण भगवान महावीर ने समर्थ होते हुए भी यावत् अध्यासित कर लिया था। किन्तु मैं इस प्रकार सहन यावत् अध्यासित नहीं करूँगा। मैं तुम्हें अपने तप – तेज से घोड़े, रथ और सारथि सहित एक ही प्रहार में कूटाघात के समान राख का ढेर कर दूँगा। जब सुमंगल अनगार विमलवाहन राजा से ऐसा कहेंगे, तब वह एकदम कुपित यावत् क्रोध से आगबबूला हो उठेगा और फिर तीसरी बार भी रथ के सिरे से टक्कर मारकर सुमंगल अनगार को नीचे गिरा देगा। तब सुमंगल अनगार अतीव क्रुद्ध यावत् कोपावेश से मिसमिसाहट करते हुए आतापनाभूमि से नीचे ऊतरेंगे और तैजस – समुद्घात करके सात – आठ कदम पीछे हटेंगे, फिर विमलवाहन राजा को अपने तप – तेज से घोड़े, रथ और सारथि सहित एक ही प्रहार से यावत् राख का ढेर कर देंगे। भगवन् ! सुमंगल अनगार, अश्व, रथ और सारथि सहित (राजा विमलवाहन को) भस्म का ढेर करके, स्वयं काल करके कहाँ जाएंगे, कहाँ उत्पन्न होंगे ? गौतम ! सुमंगल अनगार बहुत – से उपवास, बेला, तेला, चौला, पंचौला यावत् विचित्र प्रकार के तपश्चरणों से अपनी आत्मा को भावित करते हुए बहुत वर्षों तक श्रामण्य – पर्याय का पालन करेंगे। फिर एक मास की संलेखना से आठ भक्त अनशन का यावत् छेदन करेंगे और आलोचना एवं प्रतिक्रमण करके समाधिप्राप्त होकर काल के अवसर में काल करेंगे। फिर वे ऊपर चन्द्र, सूर्य, यावत् ग्रैवेयक विमानावासों का अतिक्रमण करके सर्वार्थसिद्ध महाविमान में देवरूप से उत्पन्न होंगे। वहाँ सुमंगल देव की अजघन्यानुत्कृष्ट तैंतीस सागरोपम की स्थिति होगी। भगवन् ! वह सुमंगल देव उस देवलोक से च्यवकर कहाँ जाएगा, कहाँ उत्पन्न होगा ? गौतम ! वह यावत् महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर, यावत् सर्व दुःखों का अन्त करेगा। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] evam khalu devanuppiyanam amtevasi kusisse gosale namam mamkhaliputte se nam bhamte! Gosale mamkhaliputte kalamase kalam kichcha kahim gae? Kahim uvavanne? Evam khalu goyama! Mamam amtevasi kusisse gosale namam mamkhaliputte samanaghayae java chhaumatthe cheva kalamase kalam kichcha uddham chamdima-suriya java achchue kappe devattae uvavanne. Tattha nam atthegatiyanam devanam bavisam sagarovamaim thiti pannatta. Tattha nam gosalassa vi devassa bavisam sagarovamaim thiti pannatta. Se nam bhamte! Gosale deve tao devalogao aukkhaenam bhavakkhaenam thiikkhaenam anamtaram chayam chaitta kahim gachchhihiti? Kahim uvavajjihiti? Goyama! Iheva jambuddive dive bharahe vase vimjjhagiripayamule pumdesu janavaesu sayaduvare nagare sammutissa ranno bhaddae bhariyae kuchchhimsi puttattae pachchayahiti. Se nam tattha navanham masanam bahupadipunnanam addhatthamana ya raimdiyanam viikkamtanam java suruve darae payahiti. Jam rayanim cha nam se darae jaihiti, tam rayanim cha nam sayaduvare nagare sabbhimtara-bahirie bharaggaso ya kumbhaggaso ya paumavase ya rayanavase ya vase vasihiti. Tae nam tassa daragassa ammapiyaro ekkarasame divase viikkamte nivvatte asuijayakamma-karane sampatte barasame divase ayameyaruvam gonnam gunanipphannam namadhejjam kahimti–jamha nam amham imamsi daragamsi jayamsi samanamsi sayaduvare nagare sabbhimtarabahirie bharaggaso ya kumbhaggaso ya paumavase ya rayanavase vutthe, tam hou nam amham imassa daragassa namadhejjam mahapaume-mahapaume. Tae nam tassa daragassa ammapiyaro namadhejjam karehimti mahapaume tti. Tae nam tam mahapaumam daragam ammapiyaro satiregatthavasajayagam janitta sobhanamsi tihi-karana-divasa-nakkhatta-muhuttamsi mahaya-mahaya rayabhisegenam abhisimchehimti. Se nam tattha raya bhavissati mahaya himavamta-mahamta-malaya-mamdara-mahimdasare vannao java viharissai. Tae nam tassa mahapaumassa ranno annada kadayi do deva mahiddhiya java mahesakkha senakammam kahimti, tam jaha –punnabhadde ya manibhadde ya. Tae nam sayaduvare nagare bahave raisara-talavara-madambiya-kodumbiya-ibbha-setthi-senavai-satthabahappabhitao annamannam saddavehimti, saddavetta evam vadehimti– jamha nam devanuppiya! Mahapaumassa ranno do deva mahiddhiya java mahesakkha senakammam karemti, tam jaha–punnabhadde ya manibhadde ya, tam hou nam devanuppiya! Amham mahapaumassa ranno dochche vi, namadhejje devasene-devasene. Tae nam tassa mahapaumassa ranno dochche vi namadhejje bhavissati devasene tti. Tae nam tassa devasenassa ranno annaya kayai sete samkhatala-vimala-sannigase chauddamte hatthirayane samuppajjissai. Tae nam se devasene raya tam seyam samkhatala-vimala-sannigasam chauddamtam hatthirayanam dradhe samane sayaduvaram nagaram majjhammajjhenam abhikkhanam-abhikkhanam atijahiti ya nijjahiti ya. Tae nam sayaduvare nagare bahave raisara-talavara-madambiya-kodumbiya-ibbha-setthi-senavai-satthavahappabhitao annamannam saddavehimti, saddavetta vadehimti–jamha nam devanuppiya! Amham devasenassa ranno sete samkhatala-vimala -sannigase chauddamte hatthirayane samuppanne, tam hou nam devanuppiya! Amham devasenassa ranno tachche vi namadhejje vimalavahane-vimalavahane. Tae nam tassa devasenassa ranno tachche vi namadhejje bhavissati vimalavahane tti. Tae nam se vimalavahane raya annaya kadayi samanehim niggamthehim michchham vippadivajjihiti–appegatie aosehiti, appegatie avahasihiti, appegatie nichchhodehiti, appegatie nibbhamchhehiti, appegatie bamdhehiti, appegatie nirumbhehiti, appegatiyanam chhavichchhedam karehiti, appegatie pamarehiti, appegatie uddavehiti, appegatiyanam vattham padiggaham kambalam payapumchhanam achchhimdihiti vichchhimdihiti bhimdihiti avaharihiti, appegatiyanam bhattapanam vochchhimdihiti, appegatie ninnagare karehiti, appegatie nivvisae karehiti. Tae nam sayaduvare nagare bahave raisara-talavara-madambiya-kodumbiya-ibbha-setthi-senavai-satthavahappabhitao annamannam saddavehimti, saddavetta evam vadihimti–evam khalu devanuppiya! Vimalavahane raya samanehim niggamthehim michchham vippadivanne–appegatie aosati java nivvisae kareti, tam no khalu devanuppiya! Eyam amham seyam, no khalu eyam vimalavahanassa ranno seyam, no khalu eyam rajjassa va ratthassa va balassa va vahanassa va purassa va amteurassa va janavayassa va seyam, jannam vimalavahane raya samanehim niggamthehim michchham vippadivanne. Tam seyam khalu devanuppiya! Amham vimalavahanam rayam eyamattham vinnavettae annamannassa amtiyam eyamattham padisunehimti, padisunetta jeneva vimalavahane raya teneva uvagachchhihimti, uvagachchhitta karayalapariggahiyam dasanaham sirasavattam matthae amjalim kattu vimalavahanam rayam jaenam vijaenam vaddhavehimti, vaddhavetta evam vadihimti– Evam khalu devanuppiya! Samanehim niggamthehim michchham vippadivanna appegatie aosamti java appegatie nivvisae karemti, tam no khalu eyam devanuppiyanam seyam, no khalu eyam amham seyam, no khalu eyam rajjassa va java janavayassa va seyam, jannam devanuppiya! Samanehim niggamthehim michchham vippadivanna, tam viramamtu nam devanuppiya! Eyassa atthassa akaranayae. Tae nam se vimalavahane raya tehim bahuhim raisara-talavara-madambiya-kodumbiya-ibbha-setthi-senavai-satthavahappabhi-ihim eyamattham vinnatte samane no dhammo tti no tavo tti michchha-vinaenam eyamattham padisunehiti. Tassa nam sayaduvarassa nagarassa bahiya uttarapuratthime disibhage, ettha nam subhumibhage namam ujjane bhavissai–savvouya-puppha-phalasamiddhe vannao. Tenam kalenam tenam samaenam vimalassa arahao paoppae sumamgale namam anagare jaisampanne, jaha dhammaghosassa vannao java samkhittaviulateyalesse tinnanovagae subhumibhagassa ujjanassa adurasamamte chhatthamchhatthenam anikkhittenam tavokammenam uddham vahao pagijjhiya-pagijjhiya surabhimuhe ayavanabhumie ayavemane viharissati. Tae nam se vimalavahane raya annada kadayi rahachariyam kaum nijjahiti. Tae nam se vimalavahane raya subhumibhagassa ujjanassa adurasamamte rahachariyam karemane sumamgalam anagaram chhatthamchhatthenam anikkhittenam tavokammenam uddham bahao pagijjhiya-pagijjhiya surabhimuham ayavanabhumie ayavemanam pasihiti, pasitta asurutte rutthe kuvie chamdikkie misimisemane sumamgalam anagaram rahasirenam nollavehiti. Tae nam se sumamgale anagare vimalavahanenam ranna rahasirenam nollavie samane saniyam-saniyam uttheheti, utthetta dochcham pi uddham bahao pagijjhiya-pagijjhiya surabhimuhe ayavanabhumie ayavemane viharissati. Tae nam se vimalavahane raya sumamgalam anagaram dochcham pi rahasirenam nollavehiti. Tae nam se sumamgale anagare vimalavahanenam ranna dochcham pi rahasirenam nollavie samane saniyam-saniyam utthehiti, utthetta ohim paumjehiti, paumjitta vimalavahanassa ranno titaddham abhoehiti, abhoetta vimalavahanam rayam evam vaihiti–no khalu tumam vimalavahane raya, no khalu tumam devasene raya, no khalu tumam mahapaume raya, tumannam io tachche bhavaggahane gosale namam mamkhaliputte hottha–samanaghayae java chhaumatthe cheva kalagae, tam jai te tada savvanubhutina anagarenam pabhuna vi hounam sammam sahiyam khamiyam titikkhiyam ahiyasiyam, jai te tada sunakkhattenam anagarenam pabhuna vi hounam sammam sahiyam khamiyam titikkhiyam ahiyasiyam, jai te tada samanenam bhagavaya mahavirenam pabhuna vi hounam sammam sahiyam khamiyam titikkhiyam ahiyasiyam, tam no khalu te aham taha sammam sahissam khamissam titikkhissam ahiyasissam, aham te navaram–sahayam saraham sasarahiyam tavenam teenam egahachcham kudahachcham bhasarasim karejjami. Tae nam se vimalavahane raya sumamgalenam anagarenam evam vutte samane asurutte rutthe kuvie chamdikkie misimise-mane sumamgalam anagaram tachcham pi rahasirenam nollavihiti. Tae nam se sumamgale anagare vimalavahanenam ranna tachcham pi rahasirenam nollavie samane asurutte java misimisemane ayavanabhumio pachchorubhai, pachchorubhitta teyasamugghaenam samohannihiti, samohanitta sattattha payaim pachchosakkihiti, pachchosakkitta vimalavahanam rayam sahayam saraham sasarahiyam tavenam teenam egahachcham kudahachcham bhasarasim karehiti. Sumamgale nam bhamte! Anagare vimalavahanam rayam sahayam java bhasarasim karetta kahim gachchhihiti? Kahim uvavajji-hiti? Goyama! Sumamgale anagare vimalavahanam rayam sahayam java bhasarasim karetta bahuhim chhatthatthama-dasama-duvalasehim masaddhamasakhamanehim vichittehim tavokammehim appanam bhavemane bahuim vasaim samannapariyagam paunehiti, paunitta masiyae samlehanae attanam jjhusitta, satthim bhattaim anasanae chhedetta aloiya-padikkamte samahipatte uddham chamdima java gevijjavimanavasasayam viivaitta savvattha siddhe mahavimane devattae uvavajjihiti. Tattha nam devanam ajahannamanukkosenam tettisam sagarovamaim thiti pannatta. Tattha nam sumamga-lassa vi devassa ajahannamanukkosenam tettisam sagarovamaim thiti pannatta. Se nam bhamte! Sumamgale deve tao devalogao aukkhaenam bhavakkhaenam thiikkhaenam anamtaram chayam chaitta kahim gachchhihiti? Kahim uvavajjihiti? Goyama! Mahavidehe vase sijjhihiti java savvadukkhanam amtam karemti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Devanupriya ka antevasi kushishya goshalaka mamkhaliputra kala ke avasara mem kala karake kaham gaya, kaham utpanna hua\? He gautama ! Vaha umche chandra aura surya ka yavat ullamghana karake achyutakalpa mem devarupa mem utpanna hua hai. Vaham goshalaka ki sthiti bhi baisa sagaropama ki hai. Bhagavan ! Vaha goshalaka deva usa devaloka se ayushya, bhava aura sthiti ka kshaya hone para, devaloka se chyava kara yavat kaham utpanna hoga\? Gautama ! Isi jambudvipa ke bharatavarsha mem vindhyaparvata ke padamula mem, pundra janapada ke shatadvara namaka nagara mem sanmurti nama ke raja ki bhadra – bharya ki kukshi mem putrarupa se utpanna hoga. Vaha vaham nau mahine aura sarhe sata ratridivasa yavat bhalibhamti vyatita hone para yavat sundara balaka ke rupa mem janma lega. Jisa ratri mem usa balaka ka janma hoga, usa ratri mem shatadvara nagara ke bhitara aura bahara, aneka bhara – pramana aura aneka kumbhapramana padmom evam ratnom ki varsha hogi. Taba usa balaka ke mata – pita gyaraha dina bita jane para barahave dina usa balaka ka gunayukta evam gunanishpanna namakarana karemge – kyomki hamare isa balaka ka jaba janma hua, taba padmom aura ratnom ki varsha hui thi, isalie hamare isa balaka ka nama – ‘mahapadma’ ho. Tatpashchat usa mahapadma balaka ke mata – pita use kuchha adhika atha varsha ka janakara shubha tithi, karana, divasa, nakshatra aura muhurtta mem bahuta bare rajyabhisheka se abhishikta karemge. Isa prakara vaha vaham ka raja bana jaega. – vaha mahahimavan adi parvata ke samana mahana evam balashali hoga, yavat vaha (rajyabhoga karata hua) vicharega. Kisi samaya do maharddhika yavat mahasaukhyasampanna deva usa mahapadma raja ka senapatitva karemge. Ve do deva isa prakara haim – purnabhadra aura manibhadra. Yaha dekhakara shatadvara nagara ke bahuta – se rajeshvara, talavara, raja, yuvaraja yavat sarthavaha adi paraspara eka dusare ko bulayemge aura kahemge – devanupriyo ! Hamare mahapadma raja ke maharddhika yavat mahasaukhyashali do deva senakarma karate haim. Isalie devanupriyo ! Hamare mahapadma raja ka dusara nama devasena ho. Tadanantara kisi dina usa devasena raja ke shamkhatala ke samana nirmala evam shveta chara damtom vala hastiratna samutpanna hoga. Taba vaha devasena raja usa shamkhatala ke samana shveta evam nirmala chara damta vale hastiratna para arurha hokara shatadvara nagara ke madhya mem hokara bara – bara bahara jaega aura aega. Yaha dekhakara bahuta – se rajeshvara yavat sarthavaha prabhriti paraspara eka dusare ko bulaemge aura phira isa prakara kahemge – ‘devanupriyo ! Hamare devasena raja ke yaham shamkhatala ke samana shveta, nirmala evam chara damtom vala hastiratna samutpanna hua hai, atah he devanupriyo ! Hamare devasena raja ka tisara nama ‘vimalavahana’ bhi ho.’ kisi dina vimalavahana raja shramana – nirgranthom ke prati mithya – bhimana ko apana lega. Vaha kaim shramana nirgranthom ke prati akrosha karega, kinhim ka upahasa karega, katipaya sadhuom ko eka dusare se prithak – prithak kara dega, kaimyom ki bhartsana karega, bamdhega, nirodha karega, amgachchhedana karega, marega, upadrava karega, shramanom ke vastra, patra, kambala aura padapromchhana ko chhinnabhinna kara dega, nashta kara dega, chira – phara dega ya apaharana kara lega. Ahara – pani ka vichchheda karega aura kaim shramanom ko nagara aura desha se nirvasita karega. Shatadvaranagara ke bahuta – se raja, aishvaryashali yavat sarthavaha adi paraspara yavat kahane lagemge – devanupriyo ! Vimalavahana raja ne shramana nirgranthom ke prati anaryapana apana liya hai, yavat kitane hi shramanom ko isane desha se nirvasita kara diya hai, ityadi. Atah devanupriyo ! Yaha hamare lie shreyaskara nahim hai. Yaha na vimala – vahana raja ke lie shreyaskara hai aura na rajya, rashtra, bala, vahana, pura antahpura athava janapada ke lie shreyaskara hai ki vimalavahana raja shramana – nirgranthom ke prati anaryatva ko amgikara kare. Atah devanupriyo ! Hamare lie yaha uchita hai ki hama vimalavahana raja ko isa vishaya mem vinayapurvaka nivedana karem. Isa prakara ve vimalavahana raja ke pasa aemge. Karabaddha hokara vimalavahana raja ko jaya – vijaya shabdom se badhai demge. Phira kahemge – he devanupriya ! Shramana – nirgranthom ke prati apane anaryatva apanaya hai; kaiyom para apa akrosha karate haim, yavat kaim shramanom ko apa desha – nirvasita karate haim. Atah he devanupriya ! Yaha apake lie shreyaskara nahim hai, na hamare lie yaha shreyaskara hai yavat apa devanupriya shramana – nirgranthom ke prati anaryatva svikara karem. Atah he devanupriya ! Apa isa akarya ko karane se rukem. Tadanantara isa prakara jaba ve rajeshvara yavat sarthavaha adi vinayapurvaka raja vimalavahana se binati karemge, taba vaha raja – dharma (kuchha) nahim, tapa nirarthaka hai, isa prakara ki buddhi hote hue bhi mithya – vinaya batakara unaki isa binati ko mana lega. Usa shatadvaranagara ke bahara uttarapurva disha mem subhumibhaga nama ka udyana hoga, jo saba rituom mem phala – pushpom se samriddha hoga, ityadi varnana purvavat. Usa kala usa samaya mem vimala namaka tirthamkara ke prapautra – shishya ‘sumamgala’ homge. Unaka varnana dharmaghosha anagara ke samana, yavat samkshipta – vipula tejoleshya vale, tina jnyanom se yukta vaha sumamgala namaka anagara, subhumi – bhaga udyana se na ati dura aura na ati nikata nirantara chhatha – chhatha tapa ke satha yavat atapana lete hue vicharemge. Vaha vimalavahana raja kisi dina rathacharya karane ke lie nikalega. Jaba subhumibhaga udyana se thori dura rathacharya karata hua vaha vimalavahana raja, nirantara chhatha – chhatha tapa ke satha atapana lete hue sumamgala anagara ko dekhega; taba unhem dekhate hi vaha ekadama kruddha hokara yavat misamisayamana hota hua ratha ke agrabhaga se sumamgala anagara ko takkara marakara niche gira dega. Vimalavahana raja dvara ratha ke agrabhaga se takkara marakara sumamgala anagara ko niche gira dene para vaha dhire – dhire uthemge aura dusari bara phira bahem umchi karake yavat atapana lete hue vicharemge. Taba vaha vimalavahana raja phira dusari bara ratha ke agrabhaga se takkara marakara niche gira dega, atah sumamgala anagara phira dusari bara shanaih shanaih uthemge, avadhijnyana ka upayoga lagakara vimalavahanaraja ke atitakala ko dekhemge phira vaha kahemge – ‘tuma vastava mem vimalavahana raja nahim ho, tuma devasena raja bhi nahim ho, aura na hi tuma mahapadma raja ho; kintu tuma isase purva tisare bhava mem shramanom ke ghataka goshalaka namaka mamkhaliputra the, yavat tuma chhadmastha avastha mem hi kala kara gae the. Usa samaya samartha hote hue bhi sarvanubhuti anagara ne tumhare aparadha ko samyak prakara se sahana kara liya tha, kshama kara diya tha, titiksha ki thi aura use adhyasita kiya tha. Isi prakara sunakshatra anagara ne bhi samartha hote hue yavat adhyasita kiya tha. Usa samaya shramana bhagavana mahavira ne samartha hote hue bhi yavat adhyasita kara liya tha. Kintu maim isa prakara sahana yavat adhyasita nahim karumga. Maim tumhem apane tapa – teja se ghore, ratha aura sarathi sahita eka hi prahara mem kutaghata ke samana rakha ka dhera kara dumga. Jaba sumamgala anagara vimalavahana raja se aisa kahemge, taba vaha ekadama kupita yavat krodha se agababula ho uthega aura phira tisari bara bhi ratha ke sire se takkara marakara sumamgala anagara ko niche gira dega. Taba sumamgala anagara ativa kruddha yavat kopavesha se misamisahata karate hue atapanabhumi se niche utaremge aura taijasa – samudghata karake sata – atha kadama pichhe hatemge, phira vimalavahana raja ko apane tapa – teja se ghore, ratha aura sarathi sahita eka hi prahara se yavat rakha ka dhera kara demge. Bhagavan ! Sumamgala anagara, ashva, ratha aura sarathi sahita (raja vimalavahana ko) bhasma ka dhera karake, svayam kala karake kaham jaemge, kaham utpanna homge\? Gautama ! Sumamgala anagara bahuta – se upavasa, bela, tela, chaula, pamchaula yavat vichitra prakara ke tapashcharanom se apani atma ko bhavita karate hue bahuta varshom taka shramanya – paryaya ka palana karemge. Phira eka masa ki samlekhana se atha bhakta anashana ka yavat chhedana karemge aura alochana evam pratikramana karake samadhiprapta hokara kala ke avasara mem kala karemge. Phira ve upara chandra, surya, yavat graiveyaka vimanavasom ka atikramana karake sarvarthasiddha mahavimana mem devarupa se utpanna homge. Vaham sumamgala deva ki ajaghanyanutkrishta taimtisa sagaropama ki sthiti hogi. Bhagavan ! Vaha sumamgala deva usa devaloka se chyavakara kaham jaega, kaham utpanna hoga\? Gautama ! Vaha yavat mahavideha kshetra mem janma lekara, yavat sarva duhkhom ka anta karega. |