Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1004120 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१४ |
Translated Chapter : |
शतक-१४ |
Section : | उद्देशक-७ संसृष्ट | Translated Section : | उद्देशक-७ संसृष्ट |
Sutra Number : | 620 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कतिविहे णं भंते! तुल्लए पन्नत्ते? गोयमा! छव्विहे तुल्लए पन्नत्ते, तं जहा–दव्वतुल्लए, खेत्ततुल्लए, कालतुल्लए, भवतुल्लए, भावतुल्लए, संठाणतुल्लए। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–दव्वतुल्लए-दव्वतुल्लए? गोयमा! परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलस्स दव्वओ तुल्ले, परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गल-वइरित्तस्स दव्वओ नो तुल्ले। दुपएसिए खंधे दुपएसियस्स खंधस्स दव्वओ तुल्ले, दुपएसिए खंधे दुपएसियवइरित्तस्स खंधस्स दव्वओ नो तुल्ले। एवं जाव दसपएसिए। तुल्लसंखेज्जपएसिए खंधे तुल्लसंखेज्जपएसियस्स खंधस्स दव्वओ तुल्ले, तुल्लसंखेज्जपएसिए खंधे तुल्लसंखेज्जपएसिय- वइरित्तस्स खंधस्स दव्वओ नो तुल्ले, एवं तुल्लअसंखेज्जपएसिए वि, एवं तुल्लअनंतपएसिए वि। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–दव्वतुल्लए-दव्वतुल्लए। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–खेत्ततुल्लए-खेत्ततुल्लए? गोयमा! एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढस्स पोग्गलस्स खेत्तओ तुल्ले, एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढवइरित्तस्स पोग्गलस्स खेत्तओ नो तुल्ले, एवं जाव दसपएसोगाढे। तुल्लसंखेज्ज-पएसोगाढे पोग्गले तुल्लसंखेज्जपएसोगाढस्स पोग्गलस्स खेत्तओ तुल्ले, तुल्ल-संखेज्जपएसोगाढे पोग्गले तुल्लसंखेज्जपएसोगाढवइरित्तस्स पोग्गलस्स खेत्तओ नो तुल्ले, एवं तुल्लअसंखेज्ज-पएसोगाढे वि। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–खेत्ततुल्लए-खेत्ततुल्लए। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–कालतुल्लए-कालतुल्लए? गोयमा! एगसमयठितीए पोग्गले एगसमयठितीयस्स पोग्गलस्स कालओ तुल्ले, एकसमयठितीए पोग्गले एगसमयठितीयवइरित्तस्स पोग्गलस्स कालओ नो तुल्ले, एवं जाव दस-समयट्ठितीए, तुल्लसंखेज्जसमयट्ठितीए एवं चेव, एवं तुल्लअसंखेज्जसमयट्ठितीए वि। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ– कालतुल्लए-कालतुल्लए। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ– भवतुल्लए-भवतुल्लए? गोयमा! नेरइए नेरइयस्स भवट्ठयाए तुल्ले, नेरइयवइरित्तस्स भवट्ठयाए नो तुल्ले, तिरिक्खजोणिए एवं चेव, एवं मनुस्से, एवं देवे वि। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ– भवतुल्लए-भवतुल्लए। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ– भावतुल्लए-भावतुल्लए? गोयमा! एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालगस्स पोग्गलस्स भावओ तुल्ले, एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालावइरित्तस्स पोग्गलस्स भावओ नो तुल्ले, एवं जाव दसगुणकालए, एवं तुल्ल-संखेज्ज-गुणकालए पोग्गले, एवं तुल्लअसंखेज्जगुणकालए वि, एवं तुल्लअनंतगुणकालए वि। जहा कालए, एवं नीलए, लोहियए, हालिद्दए, सुक्किलए। एवं सुब्भिगंधे, एवं दुब्भिगंधे। एवं तित्ते जाव महुरे। एवं कक्खडे जाव लुक्खे। ओदइए भावे ओदइयस्स भावस्स भावओ तुल्ले, ओदइए भावे ओदइय-भाववइरित्तस्स भावस्स भावओ नो तुल्ले, एवं ओवसमिए, खइए, खओवसमिए, पारिणामिए। सन्निवाइए भावे सन्निवाइयस्स भावस्स भावओ तुल्ले, सन्निवाइए भावे सन्निवाइय-भाववइरित्तस्स भावस्स भावओ नो तुल्ले। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–भावतुल्लए-भावतुल्लएए। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ– संठाणतुल्लए-संठाणतुल्लए? गोयमा! परिमंडले संठाणे परिमंडलस्स संठाणस्स संठाणओ तुल्ले परिमंडले संठाणे परिमंडल-संठाणवइरित्तस्स संठाणस्स संठाणओ नो तुल्ले, एवं वट्टे, तंसे, चउरंसे, आयए। समचउरंससंठाणे समचउरंसस्स संठाणस्स संठाणओ तुल्ले समचउरंसे संठाणे समचउरंस-संठाणवइरित्तस्स संठाणस्स संठाणओ नो तुल्ले, एवं परिमंडले वि, एवं साई खुज्जे वामणे हुंडे। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–संठाणतुल्लए-संठाणतुल्लए। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! तुल्य कितने प्रकार का कहा गया है ? गौतम छह प्रकार का यथा – द्रव्यतुल्य, क्षेत्रतुल्य, काल – तुल्य, भवतुल्य, भावतुल्य और संस्थानतुल्य। भगवन् ! ‘द्रव्यतुल्य’ द्रव्यतुल्य क्यों कहलाता है ? गौतम ! एक परमाणु – पुद्गल, दूसरे परमाणु – पुद्गल से द्रव्यतः तुल्य है, किन्तु परमाणु – पुद्गल से भिन्न दूसरे पदार्थों के साथ द्रव्य से तुल्य नहीं है। इसी प्रकार एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध दूसरे द्विप्रदेशिक स्कन्ध से द्रव्य की अपेक्षा से तुल्य है, किन्तु द्विप्रदेशिक स्कन्ध से व्यतिरिक्त दूसरे स्कन्ध के साथ द्विप्रदेशिक स्कन्ध द्रव्य से तुल्य नहीं है। इसी प्रकार यावत् दशप्रदेशिक स्कन्ध तक कहना चाहिए। एक तुल्य – संख्यात – प्रदेशिक – स्कन्ध, दूसरे तुल्य – संख्यात – प्रदेशिक स्कन्ध के साथ द्रव्य से तुल्य है परन्तु तुल्य – संख्यात – प्रदेशिक – स्कन्ध से व्यतिरिक्त दूसरे स्कन्ध के साथ द्रव्य से तुल्य नहीं है। इसी प्रकार तुल्य – असंख्यात – प्रदेशिक – स्कन्ध के विषय में भी कहना चाहिए। तुल्य – अनन्त – प्रदेशिक – स्कन्ध के विषय में भी इसी प्रकार जानना। इसी कारण से हे गौतम ! ‘द्रव्यतुल्य’ द्रव्यतुल्य कहलाता है। भगवन् ! ‘क्षेत्रतुल्य’ क्षेत्रतुल्य क्यों कहलाता है ? गौतम ! एकप्रदेशावगाढ़ पुद्गल दूसरे एकप्रदेशावगाढ़ पुद्गल के साथ क्षेत्र से तुल्य कहलाता है; परन्तु एकप्रदेशावगाढ़ – व्यतिरिक्त पुद्गल के साथ, एकप्रदेशावगाढ़ पुद्गल क्षेत्र से तुल्य नहीं है। इसी प्रकार यावत् – दस – प्रदेशावगाढ़ पुद्गल के विषय में भी कहना चाहिए तथा एक तुल्य संख्यात – प्रदेशावगाढ़ पुद्गल, अन्य पुद्गल, अन्य तुल्य संख्यात – प्रदेशावगाढ़ पुद्गल के साथ तुल्य होता है। इसी प्रकार तुल्य असंख्यात – प्रदेशावगाढ़ पुद्गल के विषय में भी कहना चाहिए। इसी कारण से, हे गौतम ! ‘क्षेत्र – तुल्य’ क्षेत्रतुल्य कहलाता है। भगवन् ! ‘कालतुल्य’ कालतुल्य क्यों कहलाता है ? गौतम ! एक समय की स्थिति वाला पुद्गल अन्य एक समय की स्थिति वाले पुद्गल के साथ काल से तुल्य है; किन्तु एक समय की स्थिति वाले पुद्गल के अतिरिक्त दूसरे पुद्गलों के साथ, एक समय की स्थिति वाला पुद्गल काल से तुल्य नहीं है। इसी प्रकार यावत् दस समय की स्थिति वाले पुद्गल तक के विषय में कहना। तुल्य संख्यातसमय की स्थिति वाले पुद्गल तक के विषय में भी इसी प्रकार कहना और तुल्य असंख्यातसमय की स्थिति वाले पुद्गल के विषय में भी इसी प्रकार कहना। इस कारण से, हे गौतम ! ‘कालतुल्य’ कालतुल्य कहलाता है। भगवन् ! ‘भवतुल्य’ भवतुल्य क्यों कहलाता है ? गौतम ! एक नैरयिक जीव दूसरे नैरयिक जीव (या जीवों) के साथ भव – तुल्य है, किन्तु नैरयिक जीवों के अतिरिक्त (तिर्यंच – मनुष्यादि दूसरे जीवों) के साथ नैरयिक जीव, भव से तुल्य नहीं है। इसी प्रकार तिर्यंचयोनिकों के विषय में समझना चाहिए। मनुष्यों के तथा देवों के विषय में भी इसी प्रकार समझना चाहिए। इस कारण, हे गौतम ! ‘भवतुल्य’ भवतुल्य कहलाता है। भगवन् ! ‘भावतुल्य’ भावतुल्य किस कारण से कहलाता है ? गौतम ! एकगुण काले वर्ण वाला पुद्गल, दूसरे एकगुण काले वर्ण वाले पुद्गल के साथ भव से तुल्य है किन्तु एक गुण काले वर्ण वाला पुद्गल, एक गुण काले वर्ण से अतिरिक्त दूसरे पुद्गलों के साथ भाव से तुल्य नहीं है। इसी प्रकार यावत् दस गुण काले पुद्गल तक कहना चाहिए इसी प्रकार तुल्य संख्यातगुण काला पुद्गल तुल्य संख्यातगुण काले पुद्गल के साथ, तुल्य असंख्यातगुण काला पुद्गल, तुल्य असंख्यातगुण काले पुद्गल के साथ और तुल्य अनन्तगुण काला पुद्गल, तुल्य अनन्तगुण काले पुद्गल के साथ भाव से तुल्य है। जिस प्रकार काला वर्ण कहा, उसी प्रकार नीले, लाल, पीले और श्वेत वर्ण के विषय में भी कहना चाहिए। इसी प्रकार सुरभिगन्ध और दुरभिगन्ध और इसी प्रकार तिक्त यावत् मधुर रस तथा कर्कश यावत् रूक्ष स्पर्श वाले पुद्गल के विषय में भावतुल्य का कथन करना चाहिए। औदयिक भाव औदयिक भाव के साथ (भाव – )तुल्य है, किन्तु वह औदयिक भाव के सिवाय अन्य भावों के साथ भावतः तुल्य नहीं है। इसी प्रकार औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक तथा पारिणामिक भाव के विषय में भी कहना चाहिए। सान्निपातिक भाव, सान्निपातिक भाव के साथ भाव से तुल्य है। इसी कारण से, हे गौतम ! ‘भावतुल्य’ भावतुल्य कहलाता है। भगवन् ! ‘संस्थानतुल्य’ को संस्थानतुल्य क्यों कहा जाता है ? गौतम ! परिमण्डलसंस्थान, अन्य परि – मण्डलसंस्थान के साथ संस्थानतुल्य है, किन्तु दूसरे संस्थानों के साथ संस्थान से तुल्य नहीं है। इसी प्रकार वृत्त – संस्थान, त्र्यस्र – संस्थान, चतुरस्रसंस्थान एवं आयतसंस्थान के विषय में भी कहना। एक समचतुरस्रसंस्थान अन्य समचतुरस्रसंस्थान के साथ संस्थान – तुल्य है, परन्तु समचतुरस्र के अतिरिक्त दूसरे संस्थानों के साथ संस्थान – तुल्य नहीं है। इसी प्रकार न्यग्रोध – परिमण्डल यावत् हुण्डकसंस्थान तक कहना चाहिए। इसी कारण से, हे गौतम ! ‘संस्थान – तुल्य’ संस्थान – तुल्य कहलाता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kativihe nam bhamte! Tullae pannatte? Goyama! Chhavvihe tullae pannatte, tam jaha–davvatullae, khettatullae, kalatullae, bhavatullae, bhavatullae, samthanatullae. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–davvatullae-davvatullae? Goyama! Paramanupoggale paramanupoggalassa davvao tulle, paramanupoggale paramanupoggala-vairittassa davvao no tulle. Dupaesie khamdhe dupaesiyassa khamdhassa davvao tulle, dupaesie khamdhe dupaesiyavairittassa khamdhassa davvao no tulle. Evam java dasapaesie. Tullasamkhejjapaesie khamdhe tullasamkhejjapaesiyassa khamdhassa davvao tulle, tullasamkhejjapaesie khamdhe tullasamkhejjapaesiya- vairittassa khamdhassa davvao no tulle, evam tullaasamkhejjapaesie vi, evam tullaanamtapaesie vi. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai–davvatullae-davvatullae. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–khettatullae-khettatullae? Goyama! Egapaesogadhe poggale egapaesogadhassa poggalassa khettao tulle, egapaesogadhe poggale egapaesogadhavairittassa poggalassa khettao no tulle, evam java dasapaesogadhe. Tullasamkhejja-paesogadhe poggale tullasamkhejjapaesogadhassa poggalassa khettao tulle, tulla-samkhejjapaesogadhe poggale tullasamkhejjapaesogadhavairittassa poggalassa khettao no tulle, evam tullaasamkhejja-paesogadhe vi. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai–khettatullae-khettatullae. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–kalatullae-kalatullae? Goyama! Egasamayathitie poggale egasamayathitiyassa poggalassa kalao tulle, ekasamayathitie poggale egasamayathitiyavairittassa poggalassa kalao no tulle, evam java dasa-samayatthitie, tullasamkhejjasamayatthitie evam cheva, evam tullaasamkhejjasamayatthitie vi. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai– kalatullae-kalatullae. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai– bhavatullae-bhavatullae? Goyama! Neraie neraiyassa bhavatthayae tulle, neraiyavairittassa bhavatthayae no tulle, tirikkhajonie evam cheva, evam manusse, evam deve vi. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai– bhavatullae-bhavatullae. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai– bhavatullae-bhavatullae? Goyama! Egagunakalae poggale egagunakalagassa poggalassa bhavao tulle, egagunakalae poggale egagunakalavairittassa poggalassa bhavao no tulle, evam java dasagunakalae, evam tulla-samkhejja-gunakalae poggale, evam tullaasamkhejjagunakalae vi, evam tullaanamtagunakalae vi. Jaha kalae, evam nilae, lohiyae, haliddae, sukkilae. Evam subbhigamdhe, evam dubbhigamdhe. Evam titte java mahure. Evam kakkhade java lukkhe. Odaie bhave odaiyassa bhavassa bhavao tulle, odaie bhave odaiya-bhavavairittassa bhavassa bhavao no tulle, evam ovasamie, khaie, khaovasamie, parinamie. Sannivaie bhave sannivaiyassa bhavassa bhavao tulle, sannivaie bhave sannivaiya-bhavavairittassa bhavassa bhavao no tulle. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai–bhavatullae-bhavatullaee. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai– samthanatullae-samthanatullae? Goyama! Parimamdale samthane parimamdalassa samthanassa samthanao tulle parimamdale samthane parimamdala-samthanavairittassa samthanassa samthanao no tulle, evam vatte, tamse, chauramse, ayae. Samachauramsasamthane samachauramsassa samthanassa samthanao tulle samachauramse samthane samachauramsa-samthanavairittassa samthanassa samthanao no tulle, evam parimamdale vi, evam sai khujje vamane humde. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai–samthanatullae-samthanatullae. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Tulya kitane prakara ka kaha gaya hai\? Gautama chhaha prakara ka yatha – dravyatulya, kshetratulya, kala – tulya, bhavatulya, bhavatulya aura samsthanatulya. Bhagavan ! ‘dravyatulya’ dravyatulya kyom kahalata hai\? Gautama ! Eka paramanu – pudgala, dusare paramanu – pudgala se dravyatah tulya hai, kintu paramanu – pudgala se bhinna dusare padarthom ke satha dravya se tulya nahim hai. Isi prakara eka dvipradeshika skandha dusare dvipradeshika skandha se dravya ki apeksha se tulya hai, kintu dvipradeshika skandha se vyatirikta dusare skandha ke satha dvipradeshika skandha dravya se tulya nahim hai. Isi prakara yavat dashapradeshika skandha taka kahana chahie. Eka tulya – samkhyata – pradeshika – skandha, dusare tulya – samkhyata – pradeshika skandha ke satha dravya se tulya hai parantu tulya – samkhyata – pradeshika – skandha se vyatirikta dusare skandha ke satha dravya se tulya nahim hai. Isi prakara tulya – asamkhyata – pradeshika – skandha ke vishaya mem bhi kahana chahie. Tulya – ananta – pradeshika – skandha ke vishaya mem bhi isi prakara janana. Isi karana se he gautama ! ‘dravyatulya’ dravyatulya kahalata hai. Bhagavan ! ‘kshetratulya’ kshetratulya kyom kahalata hai\? Gautama ! Ekapradeshavagarha pudgala dusare ekapradeshavagarha pudgala ke satha kshetra se tulya kahalata hai; parantu ekapradeshavagarha – vyatirikta pudgala ke satha, ekapradeshavagarha pudgala kshetra se tulya nahim hai. Isi prakara yavat – dasa – pradeshavagarha pudgala ke vishaya mem bhi kahana chahie tatha eka tulya samkhyata – pradeshavagarha pudgala, anya pudgala, anya tulya samkhyata – pradeshavagarha pudgala ke satha tulya hota hai. Isi prakara tulya asamkhyata – pradeshavagarha pudgala ke vishaya mem bhi kahana chahie. Isi karana se, he gautama ! ‘kshetra – tulya’ kshetratulya kahalata hai. Bhagavan ! ‘kalatulya’ kalatulya kyom kahalata hai\? Gautama ! Eka samaya ki sthiti vala pudgala anya eka samaya ki sthiti vale pudgala ke satha kala se tulya hai; kintu eka samaya ki sthiti vale pudgala ke atirikta dusare pudgalom ke satha, eka samaya ki sthiti vala pudgala kala se tulya nahim hai. Isi prakara yavat dasa samaya ki sthiti vale pudgala taka ke vishaya mem kahana. Tulya samkhyatasamaya ki sthiti vale pudgala taka ke vishaya mem bhi isi prakara kahana aura tulya asamkhyatasamaya ki sthiti vale pudgala ke vishaya mem bhi isi prakara kahana. Isa karana se, he gautama ! ‘kalatulya’ kalatulya kahalata hai. Bhagavan ! ‘bhavatulya’ bhavatulya kyom kahalata hai\? Gautama ! Eka nairayika jiva dusare nairayika jiva (ya jivom) ke satha bhava – tulya hai, kintu nairayika jivom ke atirikta (tiryamcha – manushyadi dusare jivom) ke satha nairayika jiva, bhava se tulya nahim hai. Isi prakara tiryamchayonikom ke vishaya mem samajhana chahie. Manushyom ke tatha devom ke vishaya mem bhi isi prakara samajhana chahie. Isa karana, he gautama ! ‘bhavatulya’ bhavatulya kahalata hai. Bhagavan ! ‘bhavatulya’ bhavatulya kisa karana se kahalata hai\? Gautama ! Ekaguna kale varna vala pudgala, dusare ekaguna kale varna vale pudgala ke satha bhava se tulya hai kintu eka guna kale varna vala pudgala, eka guna kale varna se atirikta dusare pudgalom ke satha bhava se tulya nahim hai. Isi prakara yavat dasa guna kale pudgala taka kahana chahie isi prakara tulya samkhyataguna kala pudgala tulya samkhyataguna kale pudgala ke satha, tulya asamkhyataguna kala pudgala, tulya asamkhyataguna kale pudgala ke satha aura tulya anantaguna kala pudgala, tulya anantaguna kale pudgala ke satha bhava se tulya hai. Jisa prakara kala varna kaha, usi prakara nile, lala, pile aura shveta varna ke vishaya mem bhi kahana chahie. Isi prakara surabhigandha aura durabhigandha aura isi prakara tikta yavat madhura rasa tatha karkasha yavat ruksha sparsha vale pudgala ke vishaya mem bhavatulya ka kathana karana chahie. Audayika bhava audayika bhava ke satha (bhava – )tulya hai, kintu vaha audayika bhava ke sivaya anya bhavom ke satha bhavatah tulya nahim hai. Isi prakara aupashamika, kshayika, kshayopashamika tatha parinamika bhava ke vishaya mem bhi kahana chahie. Sannipatika bhava, sannipatika bhava ke satha bhava se tulya hai. Isi karana se, he gautama ! ‘bhavatulya’ bhavatulya kahalata hai. Bhagavan ! ‘samsthanatulya’ ko samsthanatulya kyom kaha jata hai\? Gautama ! Parimandalasamsthana, anya pari – mandalasamsthana ke satha samsthanatulya hai, kintu dusare samsthanom ke satha samsthana se tulya nahim hai. Isi prakara vritta – samsthana, tryasra – samsthana, chaturasrasamsthana evam ayatasamsthana ke vishaya mem bhi kahana. Eka samachaturasrasamsthana anya samachaturasrasamsthana ke satha samsthana – tulya hai, parantu samachaturasra ke atirikta dusare samsthanom ke satha samsthana – tulya nahim hai. Isi prakara nyagrodha – parimandala yavat hundakasamsthana taka kahana chahie. Isi karana se, he gautama ! ‘samsthana – tulya’ samsthana – tulya kahalata hai. |