Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003894 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-८ |
Translated Chapter : |
शतक-८ |
Section : | उद्देशक-२ आशिविष | Translated Section : | उद्देशक-२ आशिविष |
Sutra Number : | 394 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] सागारोवउत्ता णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? पंच नाणाइं, तिन्नि अन्नाणाइं–भयणाए। आभिनिबोहियनाणसागारोवउत्ता णं भंते? चत्तारि नाणाइं भयणाए। एवं सुयनाणसागारोवउत्ता वि। ओहिनाणसागारोवउत्ता जहा ओहिनाणलद्धिया। मनपज्जवनाणसागारोवउत्ता जहा मनपज्जवनाणलद्धीया। केवलनाण-सागारोवउत्ता जहा केवलनाणलद्धीया। मइअन्नाणसागारोवउत्ताणं तिन्नि अन्नाणाइं भयणाए। एवं सुयअन्नाणसागारोवउत्ता वि। विभंगनाणसागारोवउत्ताणं तिन्नि अन्नाणाइं नियमा। अनगारोवउत्ता णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? पंच नाणाइं, तिन्नि अन्नाणाइं–भयणाए। एवं चक्खुदंसण-अचक्खुदंसणअनागारोवउत्ता वि, नवरं–चत्तारि नाणाइं, तिन्नि अन्नाणाइं–भयणाए। ओहिदंसणअनागारोवउत्ताणं पुच्छा। गोयमा! नाणी वि, अन्नाणी वि। जे नाणी ते अत्थेगतिया तिन्नाणी, अत्थेगतिया चउनाणी। जे तिन्नाणी ते आभिनिबोहियनाणी, सुयनाणी, ओहीनाणी। जे चउनाणी ते आभिनिबोहियनाणी जाव मनपज्जवनाणी। जे अन्नाणी ते नियमा तिअन्नाणी, तं जहा–मइअन्नाणी, सुयअन्नाणी, विभंगनाणी। केवलदंसणअनागारोवउत्ता जहा केवलनाणलद्धिया। सजोगी णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? जहा सकाइया। एवं मनजोगी, वइजोगी, कायजोगी वि। अजोगी जहा सिद्धा। सलेस्सा णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? जहा सकाइया। कण्हलेस्सा णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? जहा सइंदिया। एवं जाव पम्हलेस्सा, सुक्कलेस्सा जहा सलेस्सा। अलेस्सा जहा सिद्धा। सकसाई णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? जहा सइंदिया। एवं जाव लोभकसाई। अकसाई णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? पंच नाणाइं भयणाए। सवेदगा णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? जहा सइंदिया। एवं इत्थिवेदगा वि, एवं पुरिसवेदगा वि, एवं नपुंसग वेदगा वि। अवेदगा जहा अकसाई। आहारगा णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? जहा सकसाई, नवरं–केवलनाणं पि। अनाहारगा णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? मनपज्जवनाणवज्जाइं नाणाइं, अन्नाणाइं तिन्नि–भयणाए। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! साकारोपयोगयुक्त जीव ज्ञानी होते हैं, या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी भी होते हैं, अज्ञानी भी होते हैं, जो ज्ञानी होते हैं, उनमें पाँच ज्ञान भजना से पाए जाते हैं और जो अज्ञानी होते हैं, उनमें तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं। भगवन् ! आभिनिबोधिकज्ञान – साकारोपयोगयुक्त जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? गौतम ! उनमें चार ज्ञान भजना से पाए जाते हैं। श्रुतज्ञान – साकारोपयोगयुक्त जीवों का कथन भी इसी प्रकार जानना। अवधिज्ञान – साकारोपयोगयुक्त जीवों का कथन अवधिज्ञानलब्धिमान जीवों के समान करना। मनःपर्यवज्ञान – साकारोपयोग – युक्त जीवों का कथन मनःपर्यवज्ञानलब्धिमान जीवों के समान करना। केवलज्ञान – साकारोपयोगयुक्त जीवों का कथन केवलज्ञानलब्धिमान जीवों के समान समझना। मति – अज्ञानसाकारोपयोगयुक्त जीवों में तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं। इसी प्रकार श्रुत – अज्ञानसाकारोपयोगयुक्त जीवों को कहना। विभंगज्ञान – साकारोपयोगयुक्त जीवों में नियमतः तीन अज्ञान पाए जाते हैं। भगवन् ! अनाकारोपयोग वाले जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! अनाकारोपयोगयुक्त जीव ज्ञानी भी हैं और अज्ञानी भी हैं। उनमें पाँच ज्ञान अथवा तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं। इसी प्रकार चक्षुदर्शन और अचक्षुदर्शन अनाकारोपयोगयुक्त जीवों के विषय में समझ लेना चाहिए; किन्तु इतना विशेष है कि चार ज्ञान अथवा तीन अज्ञान भजना से होते हैं। भगवन् ! अवधिदर्शन – अनाकारोपयोगयुक्त जीव ज्ञानी होते हैं अथवा अज्ञानी ? गौतम वे ज्ञानी भी होते हैं और अज्ञानी भी। जो ज्ञानी होते हैं, उनमें कईं तीन ज्ञान वाले होते हैं और कईं चार ज्ञान वाले होते हैं। जो तीन ज्ञान वाले होते हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी होते हैं और जो चार ज्ञान वाले होते हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञान से मनःपर्यवज्ञान तक वाले होते हैं। जो अज्ञानी होते हैं, उनमें नियमतः तीन अज्ञान पाए जाते हैं, यथा – मति – अज्ञान, श्रुत – अज्ञान और विभंगज्ञान। केवलदर्शन – अनाकारोपयोग – युक्त जीवों का कथन केवलज्ञानलब्धियुक्त जीवों के समान समझना चाहिए। भगवन् ! सयोगी जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? गौतम ! सयोगी जीवों का कथन सकायिक जीवों के समान समझना। इसी प्रकार मनोयोगी, वचनयोगी और काययोगी जीवों का कथन भी समझना। अयोगी जीवों का कथन सिद्धों के समान समझना। भगवन् ! सलेश्य जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? गौतम ! सलेश्य जीवों का कथन सकायिक जीवों के समान जानना। भगवन् ! कृष्णलेश्यावान जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! कृष्णलेश्या वाले जीवों का कथन सेन्द्रिय जीवों के समान जानना। इसी प्रकार यावत्, पद्मलेश्या वाले जीवों का कथन करना। शुक्ललेश्या वाले जीवों का कथन सलेश्य जीवों के समान समझना। अलेश्य जीवों का कथन सिद्धों के समान जानना। भगवन् ! सकषायी जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! सकषायी जीवों का कथन सेन्द्रिय जीवों के समान जानना चाहिए। इसी प्रकार यावत्, लोभकषायी जीवों के विषय में भी समझ लेना चाहिए। भगवन् ! अकषायी जीव क्या ज्ञानी होते हैं, अथवा अज्ञानी ? गौतम ! (वे ज्ञानी होते हैं, अज्ञानी नहीं)। उनमें पाँच ज्ञान भजना से पाए जाते हैं। भगवन् ! सवेदक जीव ज्ञानी होते हैं, अथवा अज्ञानी ? गौतम ! सवेदक जीवों को सेन्द्रियजीवों के समान जानना। इसी तरह स्त्रीवेदकों, पुरुषवेदकों और नपुंसकवेदक जीवों को भी कहना। अवेदक जीवों को अकषायी जीवों के समान जानना। भगवन् ! आहारक जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? गौतम ! आहारक जीवों का कथन सकषायी जीवों के समान जानना चाहिए, किन्तु इतना विशेष है कि उनमें केवलज्ञान भी पाया जाता है। भगवन् ! अनाहारक जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी भी होते हैं और अज्ञानी भी। जो ज्ञानी हैं, उनमें मनःपर्यवज्ञान को छोड़कर शेष चार ज्ञान पाए जाते हैं और जो अज्ञानी हैं, उनमें तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] sagarovautta nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Pamcha nanaim, tinni annanaim–bhayanae. Abhinibohiyananasagarovautta nam bhamte? Chattari nanaim bhayanae. Evam suyananasagarovautta vi. Ohinanasagarovautta jaha ohinanaladdhiya. Manapajjavananasagarovautta jaha manapajjavananaladdhiya. Kevalanana-sagarovautta jaha kevalananaladdhiya. Maiannanasagarovauttanam tinni annanaim bhayanae. Evam suyaannanasagarovautta vi. Vibhamgananasagarovauttanam tinni annanaim niyama. Anagarovautta nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Pamcha nanaim, tinni annanaim–bhayanae. Evam chakkhudamsana-achakkhudamsanaanagarovautta vi, navaram–chattari nanaim, tinni annanaim–bhayanae. Ohidamsanaanagarovauttanam puchchha. Goyama! Nani vi, annani vi. Je nani te atthegatiya tinnani, atthegatiya chaunani. Je tinnani te abhinibohiyanani, suyanani, ohinani. Je chaunani te abhinibohiyanani java manapajjavanani. Je annani te niyama tiannani, tam jaha–maiannani, suyaannani, vibhamganani. Kevaladamsanaanagarovautta jaha kevalananaladdhiya. Sajogi nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Jaha sakaiya. Evam manajogi, vaijogi, kayajogi vi. Ajogi jaha siddha. Salessa nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Jaha sakaiya. Kanhalessa nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Jaha saimdiya. Evam java pamhalessa, sukkalessa jaha salessa. Alessa jaha siddha. Sakasai nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Jaha saimdiya. Evam java lobhakasai. Akasai nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Pamcha nanaim bhayanae. Savedaga nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Jaha saimdiya. Evam itthivedaga vi, evam purisavedaga vi, evam napumsaga vedaga vi. Avedaga jaha akasai. Aharaga nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Jaha sakasai, navaram–kevalananam pi. Anaharaga nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Manapajjavananavajjaim nanaim, annanaim tinni–bhayanae. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Sakaropayogayukta jiva jnyani hote haim, ya ajnyani\? Gautama ! Ve jnyani bhi hote haim, ajnyani bhi hote haim, jo jnyani hote haim, unamem pamcha jnyana bhajana se pae jate haim aura jo ajnyani hote haim, unamem tina ajnyana bhajana se pae jate haim. Bhagavan ! Abhinibodhikajnyana – sakaropayogayukta jiva jnyani hote haim ya ajnyani\? Gautama ! Unamem chara jnyana bhajana se pae jate haim. Shrutajnyana – sakaropayogayukta jivom ka kathana bhi isi prakara janana. Avadhijnyana – sakaropayogayukta jivom ka kathana avadhijnyanalabdhimana jivom ke samana karana. Manahparyavajnyana – sakaropayoga – yukta jivom ka kathana manahparyavajnyanalabdhimana jivom ke samana karana. Kevalajnyana – sakaropayogayukta jivom ka kathana kevalajnyanalabdhimana jivom ke samana samajhana. Mati – ajnyanasakaropayogayukta jivom mem tina ajnyana bhajana se pae jate haim. Isi prakara shruta – ajnyanasakaropayogayukta jivom ko kahana. Vibhamgajnyana – sakaropayogayukta jivom mem niyamatah tina ajnyana pae jate haim. Bhagavan ! Anakaropayoga vale jiva jnyani haim ya ajnyani\? Gautama ! Anakaropayogayukta jiva jnyani bhi haim aura ajnyani bhi haim. Unamem pamcha jnyana athava tina ajnyana bhajana se pae jate haim. Isi prakara chakshudarshana aura achakshudarshana anakaropayogayukta jivom ke vishaya mem samajha lena chahie; kintu itana vishesha hai ki chara jnyana athava tina ajnyana bhajana se hote haim. Bhagavan ! Avadhidarshana – anakaropayogayukta jiva jnyani hote haim athava ajnyani\? Gautama ve jnyani bhi hote haim aura ajnyani bhi. Jo jnyani hote haim, unamem kaim tina jnyana vale hote haim aura kaim chara jnyana vale hote haim. Jo tina jnyana vale hote haim, ve abhinibodhikajnyani, shrutajnyani aura avadhijnyani hote haim aura jo chara jnyana vale hote haim, ve abhinibodhikajnyana se manahparyavajnyana taka vale hote haim. Jo ajnyani hote haim, unamem niyamatah tina ajnyana pae jate haim, yatha – mati – ajnyana, shruta – ajnyana aura vibhamgajnyana. Kevaladarshana – anakaropayoga – yukta jivom ka kathana kevalajnyanalabdhiyukta jivom ke samana samajhana chahie. Bhagavan ! Sayogi jiva jnyani hote haim ya ajnyani\? Gautama ! Sayogi jivom ka kathana sakayika jivom ke samana samajhana. Isi prakara manoyogi, vachanayogi aura kayayogi jivom ka kathana bhi samajhana. Ayogi jivom ka kathana siddhom ke samana samajhana. Bhagavan ! Saleshya jiva jnyani hote haim ya ajnyani\? Gautama ! Saleshya jivom ka kathana sakayika jivom ke samana janana. Bhagavan ! Krishnaleshyavana jiva jnyani haim ya ajnyani\? Gautama ! Krishnaleshya vale jivom ka kathana sendriya jivom ke samana janana. Isi prakara yavat, padmaleshya vale jivom ka kathana karana. Shuklaleshya vale jivom ka kathana saleshya jivom ke samana samajhana. Aleshya jivom ka kathana siddhom ke samana janana. Bhagavan ! Sakashayi jiva jnyani haim ya ajnyani\? Gautama ! Sakashayi jivom ka kathana sendriya jivom ke samana janana chahie. Isi prakara yavat, lobhakashayi jivom ke vishaya mem bhi samajha lena chahie. Bhagavan ! Akashayi jiva kya jnyani hote haim, athava ajnyani\? Gautama ! (ve jnyani hote haim, ajnyani nahim). Unamem pamcha jnyana bhajana se pae jate haim. Bhagavan ! Savedaka jiva jnyani hote haim, athava ajnyani\? Gautama ! Savedaka jivom ko sendriyajivom ke samana janana. Isi taraha strivedakom, purushavedakom aura napumsakavedaka jivom ko bhi kahana. Avedaka jivom ko akashayi jivom ke samana janana. Bhagavan ! Aharaka jiva jnyani hote haim ya ajnyani\? Gautama ! Aharaka jivom ka kathana sakashayi jivom ke samana janana chahie, kintu itana vishesha hai ki unamem kevalajnyana bhi paya jata hai. Bhagavan ! Anaharaka jiva jnyani hote haim ya ajnyani\? Gautama ! Ve jnyani bhi hote haim aura ajnyani bhi. Jo jnyani haim, unamem manahparyavajnyana ko chhorakara shesha chara jnyana pae jate haim aura jo ajnyani haim, unamem tina ajnyana bhajana se pae jate haim. |