Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Sr No : | 1003893 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-८ |
Translated Chapter : |
शतक-८ |
Section : | उद्देशक-२ आशिविष | Translated Section : | उद्देशक-२ आशिविष |
Sutra Number : | 393 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कतिविहा णं भंते लद्धी पन्नत्ता? गोयमा! दसविहा लद्धी पन्नत्ता, तं जहा–१. नाणलद्धी २. दंसणलद्धी ३. चरित्तलद्धी ४. चरित्ताचरित्तलद्धी ५. दानलद्धी ६. लाभलद्धी ७. भोगलद्धी ८. उवभोगलद्धी ९. वीरियलद्धी १. इंदियलद्धी। नाणलद्धी णं भंते! कतिविहा पन्नत्ता? गोयमा! पंचविहा पन्नत्ता, तं जहा–आभिनिबोहियनाणलद्धी जाव केवलनाणलद्धी। अन्नाणलद्धी णं भंते! कतिविहा पन्नत्ता? गोयमा! तिविहा पन्नत्ता, तं जहा–मइअन्नाणलद्धी, सुयअन्नाणलद्धी, विभंगनाणलद्धी। दंसणलद्धी णं भंते! कतिविहा पन्नत्ता? गोयमा! तिविहा पन्नत्ता, तं जहा–सम्मदंसणलद्धी, मिच्छादंसणलद्धी, सम्मामिच्छा-दंसणलद्धी। चरित्तलद्धी णं भंते! कतिविहा पन्नत्ता? गोयमा! पंचविहा पन्नत्ता, तं जहा– सामाइयचरित्तलद्धी, छेदोवट्ठावणियचरित्तलद्धी, परिहारविसुद्धि-चरित्तलद्धी, सुहुमसंपरा-यचरित्तलद्धी, अहक्खायचरित्तलद्धी। चरित्ताचरित्तलद्धी णं भंते! कतिविहा पन्नत्ता? गोयमा! एगागारा पन्नत्ता। एवं जाव उवभोगलद्धी एगागारा पन्नत्ता। वीरियलद्धी णं भंते! कतिविहा पन्नत्ता? गोयमा! तिविहा पन्नत्ता, तं जहा–बालवीरियलद्धी, पंडियवीरियलद्धी, बालपंडिय-वीरियलद्धी। इंदियलद्धी णं भंते! कतिविहा पन्नत्ता? गोयमा! पंचविहा पन्नत्ता, तं जहा–सोइंदियलद्धी जाव फासिंदियलद्धी। नाणलद्धिया णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? गोयमा! नाणी, नो अन्नाणी। अत्थेगतिया दुन्नाणी, एवं पंच नाणाइं भयणाए। तस्स अलद्धीया णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? गोयमा! नो नाणी, अन्नाणी। अत्थेगतिया दुअन्नाणी, तिन्नि अन्नाणा भयणाए। आभिनिबोहियनाणलद्धिया णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? गोयमा! नाणी, नो अन्नाणी। अत्थेगतिया दुन्नाणी, चत्तारि नाणाइं भयणाए। तस्स अलद्धिया णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? गोयमा! नाणी वि, अन्नाणी वि। जे नाणी ते नियमा एगनाणी–केवलनाणी जे अन्नाणी ते अत्थेगतिया दुअन्नाणी, तिन्नि अन्नाणाइं भयणाए। एवं सुयनाणलद्धिया वि। तस्स अलद्धिया वि जहा आभिनिबोहियनाणस्स अलद्धीया। ओहिनाणलद्धियाणं पुच्छा। गोयमा! नाणी, नो अन्नाणी। अत्थेगतिया तिन्नाणी, अत्थेगतिया चउनाणी। जे तिन्नाणी ते आभिनिबोहियनाणी, सुय-नाणी, ओहिनाणी। जे चउनाणी ते आभिनिबोहियनाणी, सुयनाणी, ओहिनाणी, मनपज्जवनाणी। तस्स अलद्धियाणं पुच्छा। गोयमा! नाणी वि, अन्नाणी वि। एवं ओहिनाणवज्जाइं चत्तारि नाणाइं, तिन्नि अन्नाणाइं–भयणाए। मनपज्जवनाणलद्धियाणं पुच्छा। गोयमा! नाणी, नो अन्नाणी। अत्थेगतिया तिन्नाणी, अत्थेगतिया चउनाणी। जे तिन्नाणी ते आभिनिबोहियनाणी, सुय-नाणी, मनपज्जवनाणी। जे चउनाणी ते आभिनिबोहियनाणी, सुयनाणी, ओहिनाणी, मनपज्जवनाणी। तस्स अलद्धीयाणं पुच्छा। गोयमा! नाणी वि, अन्नाणी वि। मनपज्जवनाणवज्जाइं चत्तारि नाणाइं, तिन्नि अन्नाणाइं–भयणाए। केवलनाणलद्धिया णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? गोयमा! नाणी, नो अन्नाणी। नियमा एगनाणी–केवलनाणी। तस्स अलद्धियाणं पुच्छा। गोयमा! नाणी वि, अन्नाणी वि। केवलनाणवज्जाइं चत्तारि नाणाइं, तिन्नि अन्नाणाइं–भयणाए। अन्नाणलद्धियाणं पुच्छा। गोयमा! नो नाणी, अन्नाणी। तिन्नि अन्नाणाइं भयणाए। तस्स अलद्धियाणं पुच्छा। गोयमा! नाणी, नो अन्नाणी। पंच नाणाइं भयणाए। जहा अन्नाणस्स य लद्धिया अलद्धिया य भणिया, एवं मइअन्नाणस्स सुयअन्नाणस्स य लद्धिया अलद्धिया य भाणियव्वा। विभंगनाणलद्धियाणं तिन्नि अन्नाणाइं नियमा। तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाइं भयणाए, दो अन्नाणाइं नियमा। दंसणलद्धिया णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? गोयमा! नाणी वि, अन्नाणी वि। पंच नाणाइं, तिन्नि अन्नाणाइं–भयणाए। तस्स अलद्धिया णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? गोयमा! तस्स अलद्धिया नत्थि। सम्मदंसणलद्धियाणं पंच नाणाइं भयणाए। तस्स अलद्धियाणं तिन्नि अन्नाणाइं भयणाए। मिच्छादंसणलद्धियाणं तिन्नि अन्नाणाइं भयणाए। तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाइं, तिन्नि य अन्नाणाइं–भयणाए। सम्मामिच्छादंसणलद्धिया, अलद्धिया य जहा मिच्छादंसणलद्धिया अलद्धिया तहेव भाणियव्वा। चरित्तलद्धिया णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? गोयमा! पंच नाणाइं भयणाए। तस्स अलद्धीयाणं मनपज्जवनाणवज्जाइं चत्तारि नाणाइं, तिन्नि य अन्नाणाइं-भयणाए। सामाइयचरित्तलद्धिया णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? गोयमा! नाणी–केवलवज्जाइं चत्तारि नाणाइं भयणाए। तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाइं, तिन्नि य अन्नाणाइं–भयणाए। एवं जहा सामाइयचरित्तलद्धिया अलद्धीया य भणिया, एवं जाव अहक्खायचरित्तलद्धीया अलद्धीया य भाणियव्वा, नवरं–अहक्खायच-रित्तलद्धीयाणं पंच नाणाइं भयणाए। चरित्ताचरित्तलद्धिया णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? गोयमा! नाणी, नो अन्नाणी। अत्थेगतिया दुन्नाणी, अत्थेगतिया तिन्नाणी। जे दुन्नाणी ते आभिनिबोहियनाणी य सुयनाणी य। जे तिन्नाणी ते आभिनिबोहियनाणी, सुयनाणी, ओहिनाणी। तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाइं, तिन्नि अन्नाणाइं–भयणाए। दानलद्धियाणं पंच नाणाइं, तिन्नि अन्नाणाइं–भयणाए। तस्स अलद्धीयाणं पुच्छा। गोयमा! नाणी, नो अन्नाणी। नियमा एगनाणी–केवलनाणी। एवं जाव वीरियस्स लद्धीया अलद्धीया य भाणियव्वा। बालवीरियलद्धियाणं तिन्नि नाणाइं, तिन्नि अन्नाणाइं–भयणाए। तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाइं भयणाए। पंडियवीरियलद्धियाणं पंच नाणाइं भयणाए। तस्स अलद्धीयाणं मनपज्जवनाणवज्जाइं नाणाइं, अन्नाणाणि य भयणाए। बालपंडियवीरियलद्धियाणं तिन्नि नाणाइं भयणाए। तस्स अलद्धीयाणं पंच नाणाइं, तिन्नि अन्नाणाइं–भयणाए। इंदियलद्धिया णं भंते! जीवा किं नाणी? अन्नाणी? गोयमा! चत्तारि नाणाइं, तिन्नि य अन्नाणाइं–भयणाए। तस्स अलद्धियाणं पुच्छा। गोयमा! नाणी, नो अन्नाणी। नियमा एगनाणी–केवलनाणी। सोइंदियलद्धिया णं जहा इंदियलद्धिया। तस्स अलद्धियाणं पुच्छा। गोयमा! नाणी वि, अन्नाणी वि। जे नाणी ते अत्थेगतिया दुन्नाणी, अत्थेगतिया एगनाणी। जे दुन्नाणी ते आभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी। जे एगनाणी ते केवलनाणी। जे अन्नाणी ते नियमा दुअन्नाणी, तं जहा–मइअन्नाणी य सुयअन्नाणी य। चक्खिंदिय-घाणिंदियाणं लद्धीया अलद्धीया य जहेव सोइंदियस्स। जिब्भिंदियलद्धियाणं चत्तारि नाणाइं, तिन्नि य अन्नाणाइं–भयणाए। तस्स अलद्धियाणं पुच्छा। गोयमा! नाणी वि, अन्नाणी वि। जे नाणी ते नियमा एगनाणी–केवलनाणी। जे अन्नाणी ते नियमा दुअन्नाणी, तं जहा–मइअन्नाणी य सुयअन्नाणी य। फासिंदियलद्धीया अलद्धीया य जहा इंदियलद्धिया अलद्धिया य। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! लब्धि कितने प्रकार की कही है ? गौतम ! लब्धि दस प्रकार की कही गई है – ज्ञानलब्धि, दर्शनलब्धि, चारित्रलब्धि, चारित्राचारित्रलब्धि, दानलब्धि, लाभलब्धि, भोगलब्धि, उपभोगलब्धि, वीर्यलब्धि और इन्द्रियलब्धि। भगवन् ! ज्ञानलब्धि कितने प्रकार की कही गई है ? गौतम ! पाँच प्रकार की, यथा – आभिनिबोधिकज्ञान – लब्धि यावत् केवलज्ञानलब्धि। भगवन् ! अज्ञानलब्धि कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की यथा – मति – अज्ञानलब्धि, श्रुत – अज्ञानलब्धि, विभंगज्ञानलब्धि। भगवन् ! दर्शनलब्धि कितने प्रकार की कही गई है ? गौतम ! वह तीन प्रकार की कही गई है, वह इस प्रकार – सम्यग्दर्शनलब्धि, मिथ्यादर्शनलब्धि और सम्यग्मिथ्यादर्शनलब्धि। भगवन् ! चारित्रलब्धि कितने प्रकार की है ? गौतम ! पाँच प्रकार की – सामायिक चारित्रलब्धि, छेदोप – स्थापनिकलब्धि, परिहारविशुद्धलब्धि, सूक्ष्मसम्परायलब्धि और यथाख्यातचारित्रलब्धि। भगवन् ! चारित्राचारित्र – लब्धि कितने प्रकार की है ? गौतम ! वह एक प्रकार की है। इसी प्रकार यावत् उपभोगलब्धि, ये सब एक – एक प्रकार की है। भगवन् ! वीर्यलब्धि कितने प्रकार की है? गौतम ! तीन प्रकार की है – बालवीर्यलब्धि, पण्डितवीर्यलब्धि और बालपण्डितवीर्यलब्धि। भगवन् ! इन्द्रिय – लब्धि कितने प्रकार की है ? गौतम ! पाँच प्रकार की – श्रोत्रेन्द्रियलब्धि यावत् स्पर्शेन्द्रियलब्धि। भगवन् ! ज्ञानलब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी हैं, अज्ञानी नहीं। उनमें से कितने ही दो ज्ञान वाले होते हैं। इस प्रकार उनमें पाँच ज्ञान भजना से पाए जाते हैं। भगवन् ! अज्ञानलब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी नहीं अज्ञानी हैं। उनमें से कितने ही जीव दो अज्ञान वाले और कितनेक जीवों में तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं। भगवन् ! आभिनिबोधिकज्ञानलब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं? गौतम ! वे ज्ञानी हैं, अज्ञानी नहीं। उनमें से कितने ही जीव दो, कितने ही तीन, और कितने ही चार ज्ञान वाले होते हैं। इस तरह उनमें चार ज्ञान भजना से पाए जाते हैं। भगवन् ! आभिनिबोधिकज्ञानलब्धि – रहित जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम ! वे ज्ञानी भी हैं और अज्ञानी भी। जो ज्ञानी हैं, वे नियमतः एकमात्र केवलज्ञान वाले हैं, और जो अज्ञानी हैं, वे कितने ही दो अज्ञान वाले हैं और तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं। श्रुतज्ञानलब्धि वाले जीवों का कथन भी इसी प्रकार करना। एवं श्रुतज्ञानलब्धिरहित जीवों को आभिनिबोधिकज्ञानलब्धि – रहित की तरह जानना। भगवन् ! अवधिज्ञानलब्धियुक्त जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी हैं, अज्ञानी नहीं। उनमें से कतिपय तीन ज्ञान वाले हैं और कईं चार ज्ञान वाले हैं। जो तीन ज्ञान वाले हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञान यावत् अवधि ज्ञान वाले हैं और जो चार ज्ञान से युक्त हैं, आभिनिबोधिकज्ञान, यावत् मनःपर्यवज्ञान वाले हैं। भगवन् ! अवधि – ज्ञानलब्धि से रहित जीव ज्ञानी हैं अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी भी हैं और अज्ञानी भी। इस तरह उनमें अवधिज्ञान के सिवाय चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं। भगवन् ! मनःपर्यवज्ञानलब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं अथवा अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी हैं, अज्ञानी नहीं। उनमें से कितने तीन ज्ञान वाले हैं और कितने चार ज्ञान वाले ? जो तीन ज्ञान वाले हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञान, श्रुतज्ञान और मनःपर्यायज्ञान वाले हैं, और जो चार ज्ञान वाले हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञान यावत् मनःपर्यायज्ञान वाले हैं। भगवन् ! मनःपर्यवज्ञानलब्धि रहित जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? वे ज्ञानी भी हैं और अज्ञानी भी। उनमें मनः पर्यवज्ञान के सिवाय चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से हैं। भगवन् ! केवलज्ञानलब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम ! वे ज्ञानी हैं, अज्ञानी नहीं। वे नियमतः एकमात्र केवलज्ञान वाले हैं। भगवन् ! केवलज्ञानलब्धिरहित जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम ! वे ज्ञानी भी हैं और अज्ञानी भी। उनमें केवलज्ञान को छोड़कर शेष चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं भगवन् ! अज्ञानलब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी हैं ? गौतम ! वे ज्ञानी नहीं, अज्ञानी हैं। उनमें तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं। भगवन् ! अज्ञानलब्धि से रहित जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम ! वे ज्ञानी हैं, अज्ञानी नहीं। उनमें पाँच ज्ञान भजना से पाए जाते हैं। अज्ञानलब्धियुक्त और अज्ञानलब्धि से रहित जीवों के समान मति – अज्ञान और श्रुत – अज्ञानलब्धि वाले तथा इन लब्धियों से रहित जीवों का कथन करना। विभंगज्ञान – लब्धि से युक्त जीवों में नियमतः तीन अज्ञान होते हैं और विभंगज्ञानलब्धिरहित जीवों में पाँच ज्ञान भजना से और दो अज्ञान नियमतः होते हैं। भगवन् ! दर्शनलब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम ! वे ज्ञानी भी होते हैं, अज्ञानी भी। उनमें पाँच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं। भगवन् ! दर्शनलब्धिरहित जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! दर्शनलब्धिरहित जीव कोई भी नहीं होता। सम्यग्दर्शनलब्धि – प्राप्त जीवों में पाँच ज्ञान भजना से होते हैं। सम्यग् – दर्शनलब्धि – रहित जीवों में तीन अज्ञान भजना से होते हैं। भगवन् ! मिथ्यादर्शनलब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! उनमें तीन अज्ञान भजना से होते हैं। मिथ्यादर्शनलब्धि – रहित जीवों में पाँच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं। सम्यग्मिथ्यादर्शनलब्धिप्राप्त जीवों का कथन मिथ्यादर्शनलब्धियुक्त जीवों के समान और सम्यग्मिथ्यादर्शनलब्धि – रहित जीवों का कथन मिथ्यादर्शनलब्धि – रहित जीवों के समान समझना चाहिए। भगवन् ! चारित्रलब्धियुक्त जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! उनमें पाँच ज्ञान भजना से होते हैं। चारित्र – लब्धिरहित जीवों में मनःपर्यवज्ञान को छोड़कर चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं। भगवन् ! सामायि – कचारित्रलब्धिमान् जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी होते हैं। उनमें केवलज्ञान के सिवाय चार ज्ञान भजना से होते हैं। सामायिकचारित्रलब्धिरहित जीवों में पाँच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं। इसी प्रकार यथाख्यातचारित्रलब्धि वाले जीवों तक का कथन करना चाहिए। इतना विशेष है कि यथाख्यातचारित्रलब्धिमान जीवों में पाँच ज्ञान भजना से पाए जाते हैं। भगवन् ! चारित्राचारित्रलब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं अथवा अज्ञानी हैं ? गौतम ! वे ज्ञानी होते हैं, अज्ञानी नहीं। उनमें से कईं दो ज्ञान वाले, कईं तीन ज्ञान वाले होते हैं। जो दो ज्ञान वाले होते हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञानी और श्रुतज्ञानी होते हैं, जो तीन ज्ञान वाले होते हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी होते हैं। चारित्राचारित्रलब्धि – रहित जीवों में पाँच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं। दानलब्धिमान जीवों में पाँच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं। भगवन् ! दानलब्धिरहित जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी होते हैं, अज्ञानी नहीं। उनमें नियम से एकमात्र केवलज्ञान होता है। इसी प्रकार यावत् वीर्यलब्धियुक्त और वीर्यलब्धि – रहित जीवों का कथन करना। बालवीर्यलब्धियुक्त जीवों में तीन ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं। बालवीर्यलब्धि – रहित जीवों में पाँच ज्ञान भजना से होते हैं। पण्डितवीर्यलब्धिमान जीवों में पाँच ज्ञान भजना से पाए जाते हैं। पण्डितवीर्यलब्धि – रहित जीवों में मनःपर्यवज्ञान के सिवाय चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं। भगवन् ! बालपण्डितवीर्यलब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ? गौतम ! उनमें तीन ज्ञान भजना से होते हैं। बालपण्डितवीर्यलब्धिरहित जीवों पाँच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं। भगवन् ! इन्द्रियलब्धिमान जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? गौतम ! उनमें चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं। भगवन् ! इन्द्रियलब्धिरहित जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी होते हैं, अज्ञानी नहीं। वे नियमतः एकमात्र केवलज्ञानी होते हैं। श्रोत्रेन्द्रियलब्धियुक्त जीवों का कथन इन्द्रियलब्धि वाले जीवों की तरह करना चाहिए। भगवन् ! श्रोत्रेन्द्रियलब्धि – रहित जीव ज्ञानी होते हैं, या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी भी होते हैं और अज्ञानी भी होते हैं। जो ज्ञानी होते हैं, उनमें से कईं दो ज्ञान वाले होते हैं और कईं एक ज्ञान वाले होते हैं। जो दो ज्ञान वाले होते हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञानी और श्रुतज्ञानी होते हैं। जो एक ज्ञान वाले होते हैं, वे केवलज्ञानी होते हैं। जो अज्ञानी होते हैं, वे नियमतः दो अज्ञान वाले होते हैं यथा – मति – अज्ञान और श्रुत – अज्ञान। चक्षुरिन्द्रिय और घ्राणेन्द्रियलब्धि सहित या रहित जीवों का कथन श्रोत्रेन्द्रियलब्धि जीवों के समान करना चाहिए। जिह्वेन्द्रियलब्धि वाले जीवों में चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं। भगवन् ! जिह्वेन्द्रियलब्धिरहित जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी भी होते हैं, अज्ञानी भी होते हैं। जो ज्ञानी होते हैं, वे नियमतः एकमात्र केवलज्ञान वाले होते हैं, और जो अज्ञानी होते हैं, वे नियमतः दो अज्ञान वाले होते हैं, यथा – मति – अज्ञान और श्रुत – अज्ञान। स्पर्शे – न्द्रियलब्धियुक्त या रहित जीवों का कथन इन्द्रियलब्धि जीवों के समान करना चाहिए। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kativiha nam bhamte laddhi pannatta? Goyama! Dasaviha laddhi pannatta, tam jaha–1. Nanaladdhi 2. Damsanaladdhi 3. Charittaladdhi 4. Charittacharittaladdhi 5. Danaladdhi 6. Labhaladdhi 7. Bhogaladdhi 8. Uvabhogaladdhi 9. Viriyaladdhi 1. Imdiyaladdhi. Nanaladdhi nam bhamte! Kativiha pannatta? Goyama! Pamchaviha pannatta, tam jaha–abhinibohiyananaladdhi java kevalananaladdhi. Annanaladdhi nam bhamte! Kativiha pannatta? Goyama! Tiviha pannatta, tam jaha–maiannanaladdhi, suyaannanaladdhi, vibhamgananaladdhi. Damsanaladdhi nam bhamte! Kativiha pannatta? Goyama! Tiviha pannatta, tam jaha–sammadamsanaladdhi, michchhadamsanaladdhi, sammamichchha-damsanaladdhi. Charittaladdhi nam bhamte! Kativiha pannatta? Goyama! Pamchaviha pannatta, tam jaha– samaiyacharittaladdhi, chhedovatthavaniyacharittaladdhi, pariharavisuddhi-charittaladdhi, suhumasampara-yacharittaladdhi, ahakkhayacharittaladdhi. Charittacharittaladdhi nam bhamte! Kativiha pannatta? Goyama! Egagara pannatta. Evam java uvabhogaladdhi egagara pannatta. Viriyaladdhi nam bhamte! Kativiha pannatta? Goyama! Tiviha pannatta, tam jaha–balaviriyaladdhi, pamdiyaviriyaladdhi, balapamdiya-viriyaladdhi. Imdiyaladdhi nam bhamte! Kativiha pannatta? Goyama! Pamchaviha pannatta, tam jaha–soimdiyaladdhi java phasimdiyaladdhi. Nanaladdhiya nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Goyama! Nani, no annani. Atthegatiya dunnani, evam pamcha nanaim bhayanae. Tassa aladdhiya nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Goyama! No nani, annani. Atthegatiya duannani, tinni annana bhayanae. Abhinibohiyananaladdhiya nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Goyama! Nani, no annani. Atthegatiya dunnani, chattari nanaim bhayanae. Tassa aladdhiya nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Goyama! Nani vi, annani vi. Je nani te niyama eganani–kevalanani je annani te atthegatiya duannani, tinni annanaim bhayanae. Evam suyananaladdhiya vi. Tassa aladdhiya vi jaha abhinibohiyananassa aladdhiya. Ohinanaladdhiyanam puchchha. Goyama! Nani, no annani. Atthegatiya tinnani, atthegatiya chaunani. Je tinnani te abhinibohiyanani, suya-nani, ohinani. Je chaunani te abhinibohiyanani, suyanani, ohinani, manapajjavanani. Tassa aladdhiyanam puchchha. Goyama! Nani vi, annani vi. Evam ohinanavajjaim chattari nanaim, tinni annanaim–bhayanae. Manapajjavananaladdhiyanam puchchha. Goyama! Nani, no annani. Atthegatiya tinnani, atthegatiya chaunani. Je tinnani te abhinibohiyanani, suya-nani, manapajjavanani. Je chaunani te abhinibohiyanani, suyanani, ohinani, manapajjavanani. Tassa aladdhiyanam puchchha. Goyama! Nani vi, annani vi. Manapajjavananavajjaim chattari nanaim, tinni annanaim–bhayanae. Kevalananaladdhiya nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Goyama! Nani, no annani. Niyama eganani–kevalanani. Tassa aladdhiyanam puchchha. Goyama! Nani vi, annani vi. Kevalananavajjaim chattari nanaim, tinni annanaim–bhayanae. Annanaladdhiyanam puchchha. Goyama! No nani, annani. Tinni annanaim bhayanae. Tassa aladdhiyanam puchchha. Goyama! Nani, no annani. Pamcha nanaim bhayanae. Jaha annanassa ya laddhiya aladdhiya ya bhaniya, evam maiannanassa suyaannanassa ya laddhiya aladdhiya ya bhaniyavva. Vibhamgananaladdhiyanam tinni annanaim niyama. Tassa aladdhiyanam pamcha nanaim bhayanae, do annanaim niyama. Damsanaladdhiya nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Goyama! Nani vi, annani vi. Pamcha nanaim, tinni annanaim–bhayanae. Tassa aladdhiya nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Goyama! Tassa aladdhiya natthi. Sammadamsanaladdhiyanam pamcha nanaim bhayanae. Tassa aladdhiyanam tinni annanaim bhayanae. Michchhadamsanaladdhiyanam tinni annanaim bhayanae. Tassa aladdhiyanam pamcha nanaim, tinni ya annanaim–bhayanae. Sammamichchhadamsanaladdhiya, aladdhiya ya jaha michchhadamsanaladdhiya aladdhiya taheva bhaniyavva. Charittaladdhiya nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Goyama! Pamcha nanaim bhayanae. Tassa aladdhiyanam manapajjavananavajjaim chattari nanaim, tinni ya annanaim-bhayanae. Samaiyacharittaladdhiya nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Goyama! Nani–kevalavajjaim chattari nanaim bhayanae. Tassa aladdhiyanam pamcha nanaim, tinni ya annanaim–bhayanae. Evam jaha samaiyacharittaladdhiya aladdhiya ya bhaniya, evam java ahakkhayacharittaladdhiya aladdhiya ya bhaniyavva, navaram–ahakkhayacha-rittaladdhiyanam pamcha nanaim bhayanae. Charittacharittaladdhiya nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Goyama! Nani, no annani. Atthegatiya dunnani, atthegatiya tinnani. Je dunnani te abhinibohiyanani ya suyanani ya. Je tinnani te abhinibohiyanani, suyanani, ohinani. Tassa aladdhiyanam pamcha nanaim, tinni annanaim–bhayanae. Danaladdhiyanam pamcha nanaim, tinni annanaim–bhayanae. Tassa aladdhiyanam puchchha. Goyama! Nani, no annani. Niyama eganani–kevalanani. Evam java viriyassa laddhiya aladdhiya ya bhaniyavva. Balaviriyaladdhiyanam tinni nanaim, tinni annanaim–bhayanae. Tassa aladdhiyanam pamcha nanaim bhayanae. Pamdiyaviriyaladdhiyanam pamcha nanaim bhayanae. Tassa aladdhiyanam manapajjavananavajjaim nanaim, annanani ya bhayanae. Balapamdiyaviriyaladdhiyanam tinni nanaim bhayanae. Tassa aladdhiyanam pamcha nanaim, tinni annanaim–bhayanae. Imdiyaladdhiya nam bhamte! Jiva kim nani? Annani? Goyama! Chattari nanaim, tinni ya annanaim–bhayanae. Tassa aladdhiyanam puchchha. Goyama! Nani, no annani. Niyama eganani–kevalanani. Soimdiyaladdhiya nam jaha imdiyaladdhiya. Tassa aladdhiyanam puchchha. Goyama! Nani vi, annani vi. Je nani te atthegatiya dunnani, atthegatiya eganani. Je dunnani te abhinibohiyanani, suyanani. Je eganani te kevalanani. Je annani te niyama duannani, tam jaha–maiannani ya suyaannani ya. Chakkhimdiya-ghanimdiyanam laddhiya aladdhiya ya jaheva soimdiyassa. Jibbhimdiyaladdhiyanam chattari nanaim, tinni ya annanaim–bhayanae. Tassa aladdhiyanam puchchha. Goyama! Nani vi, annani vi. Je nani te niyama eganani–kevalanani. Je annani te niyama duannani, tam jaha–maiannani ya suyaannani ya. Phasimdiyaladdhiya aladdhiya ya jaha imdiyaladdhiya aladdhiya ya. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Labdhi kitane prakara ki kahi hai\? Gautama ! Labdhi dasa prakara ki kahi gai hai – jnyanalabdhi, darshanalabdhi, charitralabdhi, charitracharitralabdhi, danalabdhi, labhalabdhi, bhogalabdhi, upabhogalabdhi, viryalabdhi aura indriyalabdhi. Bhagavan ! Jnyanalabdhi kitane prakara ki kahi gai hai\? Gautama ! Pamcha prakara ki, yatha – abhinibodhikajnyana – labdhi yavat kevalajnyanalabdhi. Bhagavan ! Ajnyanalabdhi kitane prakara ki hai\? Gautama ! Tina prakara ki yatha – mati – ajnyanalabdhi, shruta – ajnyanalabdhi, vibhamgajnyanalabdhi. Bhagavan ! Darshanalabdhi kitane prakara ki kahi gai hai\? Gautama ! Vaha tina prakara ki kahi gai hai, vaha isa prakara – samyagdarshanalabdhi, mithyadarshanalabdhi aura samyagmithyadarshanalabdhi. Bhagavan ! Charitralabdhi kitane prakara ki hai\? Gautama ! Pamcha prakara ki – samayika charitralabdhi, chhedopa – sthapanikalabdhi, pariharavishuddhalabdhi, sukshmasamparayalabdhi aura yathakhyatacharitralabdhi. Bhagavan ! Charitracharitra – labdhi kitane prakara ki hai\? Gautama ! Vaha eka prakara ki hai. Isi prakara yavat upabhogalabdhi, ye saba eka – eka prakara ki hai. Bhagavan ! Viryalabdhi kitane prakara ki hai? Gautama ! Tina prakara ki hai – balaviryalabdhi, panditaviryalabdhi aura balapanditaviryalabdhi. Bhagavan ! Indriya – labdhi kitane prakara ki hai\? Gautama ! Pamcha prakara ki – shrotrendriyalabdhi yavat sparshendriyalabdhi. Bhagavan ! Jnyanalabdhi vale jiva jnyani haim ya ajnyani\? Gautama ! Ve jnyani haim, ajnyani nahim. Unamem se kitane hi do jnyana vale hote haim. Isa prakara unamem pamcha jnyana bhajana se pae jate haim. Bhagavan ! Ajnyanalabdhi vale jiva jnyani haim ya ajnyani\? Gautama ! Ve jnyani nahim ajnyani haim. Unamem se kitane hi jiva do ajnyana vale aura kitaneka jivom mem tina ajnyana bhajana se pae jate haim. Bhagavan ! Abhinibodhikajnyanalabdhi vale jiva jnyani haim ya ajnyani haim? Gautama ! Ve jnyani haim, ajnyani nahim. Unamem se kitane hi jiva do, kitane hi tina, aura kitane hi chara jnyana vale hote haim. Isa taraha unamem chara jnyana bhajana se pae jate haim. Bhagavan ! Abhinibodhikajnyanalabdhi – rahita jiva jnyani haim ya ajnyani haim\? Gautama ! Ve jnyani bhi haim aura ajnyani bhi. Jo jnyani haim, ve niyamatah ekamatra kevalajnyana vale haim, aura jo ajnyani haim, ve kitane hi do ajnyana vale haim aura tina ajnyana bhajana se pae jate haim. Shrutajnyanalabdhi vale jivom ka kathana bhi isi prakara karana. Evam shrutajnyanalabdhirahita jivom ko abhinibodhikajnyanalabdhi – rahita ki taraha janana. Bhagavan ! Avadhijnyanalabdhiyukta jiva jnyani haim ya ajnyani\? Gautama ! Ve jnyani haim, ajnyani nahim. Unamem se katipaya tina jnyana vale haim aura kaim chara jnyana vale haim. Jo tina jnyana vale haim, ve abhinibodhikajnyana yavat avadhi jnyana vale haim aura jo chara jnyana se yukta haim, abhinibodhikajnyana, yavat manahparyavajnyana vale haim. Bhagavan ! Avadhi – jnyanalabdhi se rahita jiva jnyani haim ajnyani\? Gautama ! Ve jnyani bhi haim aura ajnyani bhi. Isa taraha unamem avadhijnyana ke sivaya chara jnyana aura tina ajnyana bhajana se hote haim. Bhagavan ! Manahparyavajnyanalabdhi vale jiva jnyani haim athava ajnyani\? Gautama ! Ve jnyani haim, ajnyani nahim. Unamem se kitane tina jnyana vale haim aura kitane chara jnyana vale\? Jo tina jnyana vale haim, ve abhinibodhikajnyana, shrutajnyana aura manahparyayajnyana vale haim, aura jo chara jnyana vale haim, ve abhinibodhikajnyana yavat manahparyayajnyana vale haim. Bhagavan ! Manahparyavajnyanalabdhi rahita jiva jnyani haim ya ajnyani haim\? Ve jnyani bhi haim aura ajnyani bhi. Unamem manah paryavajnyana ke sivaya chara jnyana aura tina ajnyana bhajana se haim. Bhagavan ! Kevalajnyanalabdhi vale jiva jnyani haim ya ajnyani haim\? Gautama ! Ve jnyani haim, ajnyani nahim. Ve niyamatah ekamatra kevalajnyana vale haim. Bhagavan ! Kevalajnyanalabdhirahita jiva jnyani haim ya ajnyani haim\? Gautama ! Ve jnyani bhi haim aura ajnyani bhi. Unamem kevalajnyana ko chhorakara shesha chara jnyana aura tina ajnyana bhajana se pae jate haim Bhagavan ! Ajnyanalabdhi vale jiva jnyani haim, ya ajnyani haim\? Gautama ! Ve jnyani nahim, ajnyani haim. Unamem tina ajnyana bhajana se pae jate haim. Bhagavan ! Ajnyanalabdhi se rahita jiva jnyani haim ya ajnyani haim\? Gautama ! Ve jnyani haim, ajnyani nahim. Unamem pamcha jnyana bhajana se pae jate haim. Ajnyanalabdhiyukta aura ajnyanalabdhi se rahita jivom ke samana mati – ajnyana aura shruta – ajnyanalabdhi vale tatha ina labdhiyom se rahita jivom ka kathana karana. Vibhamgajnyana – labdhi se yukta jivom mem niyamatah tina ajnyana hote haim aura vibhamgajnyanalabdhirahita jivom mem pamcha jnyana bhajana se aura do ajnyana niyamatah hote haim. Bhagavan ! Darshanalabdhi vale jiva jnyani haim ya ajnyani haim\? Gautama ! Ve jnyani bhi hote haim, ajnyani bhi. Unamem pamcha jnyana aura tina ajnyana bhajana se hote haim. Bhagavan ! Darshanalabdhirahita jiva jnyani haim ya ajnyani\? Gautama ! Darshanalabdhirahita jiva koi bhi nahim hota. Samyagdarshanalabdhi – prapta jivom mem pamcha jnyana bhajana se hote haim. Samyag – darshanalabdhi – rahita jivom mem tina ajnyana bhajana se hote haim. Bhagavan ! Mithyadarshanalabdhi vale jiva jnyani haim ya ajnyani\? Gautama ! Unamem tina ajnyana bhajana se hote haim. Mithyadarshanalabdhi – rahita jivom mem pamcha jnyana aura tina ajnyana bhajana se hote haim. Samyagmithyadarshanalabdhiprapta jivom ka kathana mithyadarshanalabdhiyukta jivom ke samana aura samyagmithyadarshanalabdhi – rahita jivom ka kathana mithyadarshanalabdhi – rahita jivom ke samana samajhana chahie. Bhagavan ! Charitralabdhiyukta jiva jnyani haim ya ajnyani\? Gautama ! Unamem pamcha jnyana bhajana se hote haim. Charitra – labdhirahita jivom mem manahparyavajnyana ko chhorakara chara jnyana aura tina ajnyana bhajana se hote haim. Bhagavan ! Samayi – kacharitralabdhiman jiva jnyani haim ya ajnyani\? Gautama ! Ve jnyani hote haim. Unamem kevalajnyana ke sivaya chara jnyana bhajana se hote haim. Samayikacharitralabdhirahita jivom mem pamcha jnyana aura tina ajnyana bhajana se hote haim. Isi prakara yathakhyatacharitralabdhi vale jivom taka ka kathana karana chahie. Itana vishesha hai ki yathakhyatacharitralabdhimana jivom mem pamcha jnyana bhajana se pae jate haim. Bhagavan ! Charitracharitralabdhi vale jiva jnyani haim athava ajnyani haim\? Gautama ! Ve jnyani hote haim, ajnyani nahim. Unamem se kaim do jnyana vale, kaim tina jnyana vale hote haim. Jo do jnyana vale hote haim, ve abhinibodhikajnyani aura shrutajnyani hote haim, jo tina jnyana vale hote haim, ve abhinibodhikajnyani, shrutajnyani aura avadhijnyani hote haim. Charitracharitralabdhi – rahita jivom mem pamcha jnyana aura tina ajnyana bhajana se hote haim. Danalabdhimana jivom mem pamcha jnyana aura tina ajnyana bhajana se hote haim. Bhagavan ! Danalabdhirahita jiva jnyani haim ya ajnyani\? Gautama ! Ve jnyani hote haim, ajnyani nahim. Unamem niyama se ekamatra kevalajnyana hota hai. Isi prakara yavat viryalabdhiyukta aura viryalabdhi – rahita jivom ka kathana karana. Balaviryalabdhiyukta jivom mem tina jnyana aura tina ajnyana bhajana se pae jate haim. Balaviryalabdhi – rahita jivom mem pamcha jnyana bhajana se hote haim. Panditaviryalabdhimana jivom mem pamcha jnyana bhajana se pae jate haim. Panditaviryalabdhi – rahita jivom mem manahparyavajnyana ke sivaya chara jnyana aura tina ajnyana bhajana se pae jate haim. Bhagavan ! Balapanditaviryalabdhi vale jiva jnyani haim, ya ajnyani\? Gautama ! Unamem tina jnyana bhajana se hote haim. Balapanditaviryalabdhirahita jivom pamcha jnyana aura tina ajnyana bhajana se pae jate haim. Bhagavan ! Indriyalabdhimana jiva jnyani hote haim ya ajnyani\? Gautama ! Unamem chara jnyana aura tina ajnyana bhajana se hote haim. Bhagavan ! Indriyalabdhirahita jiva jnyani hote haim ya ajnyani\? Gautama ! Ve jnyani hote haim, ajnyani nahim. Ve niyamatah ekamatra kevalajnyani hote haim. Shrotrendriyalabdhiyukta jivom ka kathana indriyalabdhi vale jivom ki taraha karana chahie. Bhagavan ! Shrotrendriyalabdhi – rahita jiva jnyani hote haim, ya ajnyani\? Gautama ! Ve jnyani bhi hote haim aura ajnyani bhi hote haim. Jo jnyani hote haim, unamem se kaim do jnyana vale hote haim aura kaim eka jnyana vale hote haim. Jo do jnyana vale hote haim, ve abhinibodhikajnyani aura shrutajnyani hote haim. Jo eka jnyana vale hote haim, ve kevalajnyani hote haim. Jo ajnyani hote haim, ve niyamatah do ajnyana vale hote haim yatha – mati – ajnyana aura shruta – ajnyana. Chakshurindriya aura ghranendriyalabdhi sahita ya rahita jivom ka kathana shrotrendriyalabdhi jivom ke samana karana chahie. Jihvendriyalabdhi vale jivom mem chara jnyana aura tina ajnyana bhajana se hote haim. Bhagavan ! Jihvendriyalabdhirahita jiva jnyani hote haim ya ajnyani\? Gautama ! Ve jnyani bhi hote haim, ajnyani bhi hote haim. Jo jnyani hote haim, ve niyamatah ekamatra kevalajnyana vale hote haim, aura jo ajnyani hote haim, ve niyamatah do ajnyana vale hote haim, yatha – mati – ajnyana aura shruta – ajnyana. Sparshe – ndriyalabdhiyukta ya rahita jivom ka kathana indriyalabdhi jivom ke samana karana chahie. |