Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003762 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-५ |
Translated Chapter : |
शतक-५ |
Section : | उद्देशक-८ निर्ग्रंथी पुत्र | Translated Section : | उद्देशक-८ निर्ग्रंथी पुत्र |
Sutra Number : | 262 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव परिसा पडिगया। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी नारयपुत्ते नामं अनगारे पगइभद्दए जाव विहरति। तेणं कालेणं तेणं समएणं भगवओ महावीरस्स अंतेवासी नियंठिपुत्ते नामं अनगारे पगइभद्दए जाव विहरति। तए णं से नियंठिपुत्ते अनगारे जेणामेव नारयपुत्ते अनगारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता नारयपुत्तं अनगारं एवं वयासी–सव्वपोग्गला ते अज्जो! किं सअड्ढा समज्झा सपएसा? उदाहु अनड्ढा अमज्झा अपएसा? अज्जो! त्ति नारयपुत्ते अनगारे नियंठिपुत्तं अनगारं एवं वयासी–सव्वपोग्गला मे अज्जो! सअड्ढा समज्झा सपएसा, नो अनड्ढा अमज्झा अपएसा। तए णं से नियंठिपुत्ते अनगारे नारयपुत्तं अनगारं एवं वयासी–जइ णं ते अज्जो! सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, नो अणड्ढा अमज्झा अपएसा, किं– दव्वादेसेणं अज्जो! सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, नो अनड्ढा अमज्झा अपएसा? खेत्तादेसेणं अज्जो! सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, नो अनड्ढा अमज्झा अपएसा? कालादेसेणं अज्जो! सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, नो अनड्ढा अमज्झा अपएसा? भावादेसेणं अज्जो! सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, नो अनड्ढा अमज्झा अपएसा? तए णं से नारयपुत्ते अनगारे नियंठिपुत्तं अनगारं एवं वयासी– दव्वादेसेण वि मे अज्जो! सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, नो अणड्ढा अमज्झा अपएसा, खेत्तादेसेण वि, कालादेसेण वि, भावादेसेण वि। तए णं से नियंठिपुत्ते अनगारे नारयपुत्तं अनगारं एवं वयासी– जइणं अज्जो! दव्वादेसेणं सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, नो अनड्ढा अमज्झा अपएसा, एवं ते परमाणुपोग्गले वि सअड्ढे समज्झे सपएसे, नो अणड्ढे अमज्झे अपएसे। जइ णं अज्जो! खेत्तादेसेण वि सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, एवं ते एगपएसोगाढे वि पोग्गले सअड्ढे समज्झे सपएसे जइ णं अज्जो! कालादेसेणं सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, एवं ते एगसमयट्ठितीए वि पोग्गले सअड्ढे समज्झे सपएसे जइ णं अज्जो! भावादेसेणं सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, एवं ते एगगुणकालए वि पोग्गले सअड्ढे समज्झे सपएसे। अह ते एवं न भवति तो जं वयसि दव्वादेसेण वि सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, नो अणड्ढा अमज्झा अपएसा, एवं खेत्तादेसेण वि, कालादेसेण वि, भावादेसेण वि तं णं मिच्छा। तए णं से नारयपुत्ते अनगारे नियंठिपुत्तं अनगारं एवं वयासी–नो खलु एवं देवानुप्पिया! एयमट्ठं जाणामो-पासामो। जइ णं देवानुप्पिया नो गिलायंति परिकहित्तए, तं इच्छामि णं देवानुप्पियाणं अंतिए एयमट्ठं सोच्चा निसम्म जाणित्तए। तए णं से नियंठिपुत्ते अनगारे नारयपुत्तं अनगारं एवं वयासी–दव्वादेसेण वि मे अज्जो! सव्वे पोग्गला सपएसा वि, अप्पएसा वि–अनंता। खेत्तादेसेण वि मे अज्जो! सव्वे पोग्गला सपएसा वि, अप्पएसा वि–अनंता। कालादेसेण वि मे अज्जो! सव्वे पोग्गला सपएसा वि, अप्पएसा वि–अनंता। भावादेसेण वि मे अज्जो! सव्वे पोग्गला सपएसा वि, अप्पएसा वि–अनंता। जे दव्वओ अपएसे से खेत्तओ नियमा अपएसे, कालओ सिय सपएसे सिय अपएसे, भावओ सिय सपएसे सिय अपएसे। जे खेत्तओ अपएसे से दव्वओ सिय सपएसे सिय अपएसे, कालओ भयणाए, भावओ भयणाए। जहा खेत्तओ एवं कालओ, भावओ। जे दव्वओ सपएसे से खेत्तओ सिय सपएसे सिय अपएसे। एवं कालओ, भावओ वि। जे खेत्तओ सपएसे से दव्वओ नियमा सपएसे, कालओ भयणाए, भावओ भयणाए। जहा दव्वओ तहा कालओ, भावओ वि। एएसि णं भंते! पोग्गलाणं दव्वादेसेणं, खेत्तादेसेणं, कालादेसेणं, भावादेसेणं सपएसाणं अपएसाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा? बहुया वा? तुल्ला वा? विसेसाहिया वा? नारयपुत्ता! सव्वत्थोवा पोग्गला भावादेसेणं अपएसा, कालादेसेणं अपएसा असंखेज्जगुणा, दव्वादेसेणं अपएसा असंखेज्जगुणा, खेत्तादेसेणं अपएसा असंखेज्जगुणा, खेत्तादेसेणं चव सपएसा असंखेज्जगुणा, दव्वादेसेणं सपएसा विसेसाहिया, कालादेसेणं सपएसा विसेसाहिया, भावादेसेणं सपएसा विसेसाहिया। तए णं से नारयपुत्ते अनगारे नियंठिपुत्तं अनगारं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एयमट्ठं सम्मं विनएणं भज्जो-भुज्जो खामेति, खामेत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। | ||
Sutra Meaning : | उस काल और उस समय में श्रमण भगवान महावीर पधारे। परीषद् दर्शन के लिए गई, यावत् धर्मोपदेश श्रवण कर वापस लौट गई। उस काल और उस समय में श्रमण भगवान महावीर के अन्तेवासी नारदपुत्र नाम के अनगार थे। वे प्रकृतिभद्र थे यावत् आत्मा को भावित करते विचरते थे। उस काल और उस समय में श्रमण भगवान महावीर के अन्तेवासी निर्ग्रन्थीपुत्र अनगार थे। वे प्रकृति से भद्र थे, यावत् विचरण करते थे। एक बार निर्ग्रन्थीपुत्र अनगार, जहाँ नारदपुत्र नामक अनगार थे, वहाँ आए और उनके पास आकर उन्होंने पूछा – हे आर्य ! तुम्हारे मतानुसार सब पुद्गल क्या सार्द्ध, समध्य और सप्रदेश हैं, अथवा अनर्द्ध, अमध्य और अप्रदेश हैं ? नारदपुत्र अनगार ने निर्ग्रन्थीपुत्र अनगार से कहा – आर्य; मेरे मतानुसार सभी पुद्गल सार्द्ध, समध्य और सप्रदेश हैं, किन्तु अनर्द्ध, अमध्य और अप्रदेश नहीं हैं। तत्पश्चात् उन निर्ग्रन्थीपुत्र अनगार ने नारदपुत्र अनगार से यों कहा – हे आर्य! यदि तुम्हारे मतानुसार सभी पुद्गल सार्द्ध, समध्य और सप्रदेश हैं, अनर्द्ध, अमध्य और अप्रदेश नहीं हैं, तो क्या, हे आर्य ! द्रव्यादेश से वे सर्वपुद्गल सार्द्ध, समध्य और सप्रदेश हैं, किन्तु अनर्द्ध, अमध्य और अप्रदेश नहीं हैं ? अथवा हे आर्य ! क्या क्षेत्रादेश से सभी पुद्गल सार्द्ध, समध्य और सप्रदेश आदि पूर्ववत् हैं ? या कालादेश और भावादेश से समस्त पुद्गल उसी प्रकार हैं ? तदनन्तर वह नारदपुत्र अनगार, निर्ग्रन्थीपुत्र अनगार से यों कहने लगे – हे आर्य ! मेरे मतानुसार, द्रव्यादेश से भी सभी पुद्गल सार्द्ध, समध्य और सप्रदेश हैं, किन्तु अनर्द्ध, अमध्य और अप्रदेश नहीं हैं। क्षेत्रादेश से सभी पुद्गल सार्द्ध, समध्य आदि उसी तरह हैं, कालादेश तथा भावादेश से भी उसी प्रकार हैं। इस पर निर्ग्रन्थीपुत्र अनगार ने नारदपुत्र अनगार से इस प्रकार प्रतिप्रश्न किया – हे आर्य ! तुम्हारे मतानुसार द्रव्यादेश से सभी पुद्गल यदि सार्द्ध, समध्य और सप्रदेश हैं, तो क्या तुम्हारे मतानुसार परमाणुपुद्गल भी इसी प्रकार सार्द्ध, समध्य और सप्रदेश हैं, किन्तु अनर्द्ध, अमध्य और अप्रदेश नहीं हैं ? और हे आर्य ! क्षेत्रादेश से भी यदि सभी पुद्गल सार्द्ध, समध्य और सप्रदेश हैं तो तुम्हारे मतानुसार एकप्रदेशावगाढ़ पुद्गल भी सार्द्ध, समध्य एवं सप्रदेश होने चाहिए। और फिर हे आर्य ! यदि कालादेश से भी समस्त पुद्गल सार्द्ध, समध्य और सप्रदेश हैं, तो तुम्हारे मतानुसार एक समय की स्थिति वाला पुद्गल भी सार्द्ध, समध्य एवं सप्रदेश होना चाहिए। इसी प्रकार भावादेश से भी हे आर्य ! सभी पुद्गल यदि सार्द्ध, समध्य और सप्रदेश हैं, तो तदनुसार एकगुण काला पुद्गल भी तुम्हें सार्द्ध, समध्य और सप्रदेश मानना चाहिए। यदि आपके मतानुसार ऐसा नहीं है, तो फिर आपने जो यह कहा था कि द्रव्यादेश से भी सभी पुद्गल सार्द्ध, समध्य और सप्रदेश हैं, क्षेत्रादेश से भी उसी तरह हैं, कालादेश से और भावादेश से भी उसी तरह हैं, किन्तु वे अनर्द्ध, अमध्य और अप्रदेश नहीं हैं, इस प्रकार का आपका यह कथन मिथ्या हो जाता है। तब नारदपुत्र अनगार ने निर्ग्रन्थीपुत्र अनगार से कहा – ‘हे देवानुप्रिय ! निश्चय ही हम इस अर्थ को नहीं जानते – देखते। हे देवानुप्रिय ! यदि आपको इस अर्थ के परिकथन में किसी प्रकार की ग्लानि न हो तो मैं आप देवानुप्रिय से इस अर्थ को सूनकर, अवधारणपूर्वक जानना चाहता हूँ।’ इस पर निर्ग्रन्थीपुत्र अनगार ने नारदपुत्र अनगार से कहा – हे आर्य ! मेरी धारणानुसार द्रव्यादेश से पुद्गल सप्रदेश भी हैं, अप्रदेश भी हैं, और वे पुद्गल अनन्त हैं। क्षेत्रादेश से भी इसी तरह हैं, और कालादेश से तथा भावादेश से भी वे इसी तरह हैं। जो पुद्गल द्रव्यादेश से अप्रदेश हैं, वे क्षेत्रादेश से भी नियमतः अप्रदेश हैं। कालादेश से उनमें से कोई सप्रदेश होते हैं, कोई अप्रदेश होते हैं और भावादेश से भी कोई सप्रदेश तथा कोई अप्रदेश होते हैं। जो पुद्गल क्षेत्रादेश से अप्रदेश होते हैं, उनमें कोई द्रव्यादेश से सप्रदेश और कोई अप्रदेश होते हैं, कालादेश और भावादेश से इसी प्रकार की भजना जाननी चाहिए। जिस प्रकार क्षेत्र से कहा, उसी प्रकार काल से और भाव से भी कहना चाहिए। जो पुद्गल द्रव्य से सप्रदेश होते हैं, वे क्षेत्र से कोई सप्रदेश और कोई अप्रदेश होते हैं; इसी प्रकार काल से और भाव से भी वे सप्रदेश और अप्रदेश समझ लेने चाहिए। जो पुद्गल क्षेत्र से सप्रदेश होते हैं; वे द्रव्य से नियमतः सप्रदेश होते हैं, किन्तु काल से तथा भाव से भजना से जानना चाहिए। जैसे द्रव्य से कहा, वैसे ही काल से और भाव से भी कथन करना। हे भगवन् ! (निर्ग्रन्थीपुत्र !) द्रव्यादेश से, क्षेत्रादेश से, कालादेश से और भावादेश से, सप्रदेश और अप्रदेश पुद्गलों में कौन किनसे कम, अधिक, तुल्य और विशेषाधिक हैं ? हे नारदपुत्र ! भावादेश से अप्रदेश पुद्गल सबसे थोड़े हैं। उनकी अपेक्षा कालादेश से अप्रदेश पुद्गल असंख्येयगुणा हैं; उनकी अपेक्षा द्रव्यादेश से अप्रदेश पुद्गल असंख्येयगुणा हैं और उनकी अपेक्षा भी क्षेत्रादेश से अप्रदेश पुद्गल असंख्येयगुणा हैं। उनसे क्षेत्रादेश से सप्रदेश पुद्गल असंख्यातगुणा हैं, उनसे द्रव्यादेश से सप्रदेश पुद्गल विशेषाधिक हैं, उनसे कालादेशेन सप्रदेश पुद्गल विशेषाधिक हैं और उनसे भी भावादेशेन सप्रदेश पुद्गल विशेषाधिक हैं। इसके पश्चात् नारदपुत्र अनगार ने निर्ग्रन्थीपुत्र अनगार को वन्दन – नमस्कार किया। उनसे सम्यक् विनयपूर्वक बार – बार उन्होंने क्षमायाचना की। क्षमायाचना करके वे संयम और तप से अपनी आत्मा को भावित करते हुए विचरण करने लगे। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tenam kalenam tenam samaenam java parisa padigaya. Tenam kalenam tenam samaenam samanassa bhagavao mahavirassa amtevasi narayaputte namam anagare pagaibhaddae java viharati. Tenam kalenam tenam samaenam bhagavao mahavirassa amtevasi niyamthiputte namam anagare pagaibhaddae java viharati. Tae nam se niyamthiputte anagare jenameva narayaputte anagare teneva uvagachchhai, uvagachchhitta narayaputtam anagaram evam vayasi–savvapoggala te ajjo! Kim saaddha samajjha sapaesa? Udahu anaddha amajjha apaesa? Ajjo! Tti narayaputte anagare niyamthiputtam anagaram evam vayasi–savvapoggala me ajjo! Saaddha samajjha sapaesa, no anaddha amajjha apaesa. Tae nam se niyamthiputte anagare narayaputtam anagaram evam vayasi–jai nam te ajjo! Savvapoggala saaddha samajjha sapaesa, no anaddha amajjha apaesa, kim– Davvadesenam ajjo! Savvapoggala saaddha samajjha sapaesa, no anaddha amajjha apaesa? Khettadesenam ajjo! Savvapoggala saaddha samajjha sapaesa, no anaddha amajjha apaesa? Kaladesenam ajjo! Savvapoggala saaddha samajjha sapaesa, no anaddha amajjha apaesa? Bhavadesenam ajjo! Savvapoggala saaddha samajjha sapaesa, no anaddha amajjha apaesa? Tae nam se narayaputte anagare niyamthiputtam anagaram evam vayasi– davvadesena vi me ajjo! Savvapoggala Saaddha samajjha sapaesa, no anaddha amajjha apaesa, khettadesena vi, kaladesena vi, Bhavadesena vi. Tae nam se niyamthiputte anagare narayaputtam anagaram evam vayasi– jainam ajjo! Davvadesenam savvapoggala saaddha samajjha sapaesa, no anaddha amajjha apaesa, evam te paramanupoggale vi saaddhe samajjhe sapaese, no anaddhe amajjhe apaese. Jai nam ajjo! Khettadesena vi savvapoggala saaddha samajjha sapaesa, evam te egapaesogadhe vi poggale saaddhe samajjhe sapaese Jai nam ajjo! Kaladesenam savvapoggala saaddha samajjha sapaesa, evam te egasamayatthitie vi poggale saaddhe samajjhe sapaese Jai nam ajjo! Bhavadesenam savvapoggala saaddha samajjha sapaesa, evam te egagunakalae vi poggale saaddhe samajjhe sapaese. Aha te evam na bhavati to jam vayasi davvadesena vi savvapoggala saaddha samajjha sapaesa, no anaddha amajjha apaesa, evam khettadesena vi, kaladesena vi, bhavadesena vi tam nam michchha. Tae nam se narayaputte anagare niyamthiputtam anagaram evam vayasi–no khalu evam devanuppiya! Eyamattham janamo-pasamo. Jai nam devanuppiya no gilayamti parikahittae, tam ichchhami nam devanuppiyanam amtie eyamattham sochcha nisamma janittae. Tae nam se niyamthiputte anagare narayaputtam anagaram evam vayasi–davvadesena vi me ajjo! Savve poggala sapaesa vi, appaesa vi–anamta. Khettadesena vi me ajjo! Savve poggala sapaesa vi, appaesa vi–anamta. Kaladesena vi me ajjo! Savve poggala sapaesa vi, appaesa vi–anamta. Bhavadesena vi me ajjo! Savve poggala sapaesa vi, appaesa vi–anamta. Je davvao apaese se khettao niyama apaese, kalao siya sapaese siya apaese, bhavao siya sapaese siya apaese. Je khettao apaese se davvao siya sapaese siya apaese, kalao bhayanae, bhavao bhayanae. Jaha khettao evam kalao, bhavao. Je davvao sapaese se khettao siya sapaese siya apaese. Evam kalao, bhavao vi. Je khettao sapaese se davvao niyama sapaese, kalao bhayanae, bhavao bhayanae. Jaha davvao taha kalao, bhavao vi. Eesi nam bhamte! Poggalanam davvadesenam, khettadesenam, kaladesenam, bhavadesenam sapaesanam apaesana ya kayare kayarehimto appa va? Bahuya va? Tulla va? Visesahiya va? Narayaputta! Savvatthova poggala bhavadesenam apaesa, kaladesenam apaesa asamkhejjaguna, davvadesenam apaesa asamkhejjaguna, khettadesenam apaesa asamkhejjaguna, khettadesenam chava sapaesa asamkhejjaguna, davvadesenam sapaesa visesahiya, kaladesenam sapaesa visesahiya, bhavadesenam sapaesa visesahiya. Tae nam se narayaputte anagare niyamthiputtam anagaram vamdai namamsai, vamditta namamsitta eyamattham sammam vinaenam bhajjo-bhujjo khameti, khametta samjamenam tavasa appanam bhavemane viharai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Usa kala aura usa samaya mem shramana bhagavana mahavira padhare. Parishad darshana ke lie gai, yavat dharmopadesha shravana kara vapasa lauta gai. Usa kala aura usa samaya mem shramana bhagavana mahavira ke antevasi naradaputra nama ke anagara the. Ve prakritibhadra the yavat atma ko bhavita karate vicharate the. Usa kala aura usa samaya mem shramana bhagavana mahavira ke antevasi nirgranthiputra anagara the. Ve prakriti se bhadra the, yavat vicharana karate the. Eka bara nirgranthiputra anagara, jaham naradaputra namaka anagara the, vaham ae aura unake pasa akara unhomne puchha – he arya ! Tumhare matanusara saba pudgala kya sarddha, samadhya aura sapradesha haim, athava anarddha, amadhya aura apradesha haim\? Naradaputra anagara ne nirgranthiputra anagara se kaha – arya; mere matanusara sabhi pudgala sarddha, samadhya aura sapradesha haim, kintu anarddha, amadhya aura apradesha nahim haim. Tatpashchat una nirgranthiputra anagara ne naradaputra anagara se yom kaha – he arya! Yadi tumhare matanusara sabhi pudgala sarddha, samadhya aura sapradesha haim, anarddha, amadhya aura apradesha nahim haim, to kya, he arya ! Dravyadesha se ve sarvapudgala sarddha, samadhya aura sapradesha haim, kintu anarddha, amadhya aura apradesha nahim haim\? Athava he arya ! Kya kshetradesha se sabhi pudgala sarddha, samadhya aura sapradesha adi purvavat haim\? Ya kaladesha aura bhavadesha se samasta pudgala usi prakara haim\? Tadanantara vaha naradaputra anagara, nirgranthiputra anagara se yom kahane lage – he arya ! Mere matanusara, dravyadesha se bhi sabhi pudgala sarddha, samadhya aura sapradesha haim, kintu anarddha, amadhya aura apradesha nahim haim. Kshetradesha se sabhi pudgala sarddha, samadhya adi usi taraha haim, kaladesha tatha bhavadesha se bhi usi prakara haim. Isa para nirgranthiputra anagara ne naradaputra anagara se isa prakara pratiprashna kiya – he arya ! Tumhare matanusara dravyadesha se sabhi pudgala yadi sarddha, samadhya aura sapradesha haim, to kya tumhare matanusara paramanupudgala bhi isi prakara sarddha, samadhya aura sapradesha haim, kintu anarddha, amadhya aura apradesha nahim haim\? Aura he arya ! Kshetradesha se bhi yadi sabhi pudgala sarddha, samadhya aura sapradesha haim to tumhare matanusara ekapradeshavagarha pudgala bhi sarddha, samadhya evam sapradesha hone chahie. Aura phira he arya ! Yadi kaladesha se bhi samasta pudgala sarddha, samadhya aura sapradesha haim, to tumhare matanusara eka samaya ki sthiti vala pudgala bhi sarddha, samadhya evam sapradesha hona chahie. Isi prakara bhavadesha se bhi he arya ! Sabhi pudgala yadi sarddha, samadhya aura sapradesha haim, to tadanusara ekaguna kala pudgala bhi tumhem sarddha, samadhya aura sapradesha manana chahie. Yadi apake matanusara aisa nahim hai, to phira apane jo yaha kaha tha ki dravyadesha se bhi sabhi pudgala sarddha, samadhya aura sapradesha haim, kshetradesha se bhi usi taraha haim, kaladesha se aura bhavadesha se bhi usi taraha haim, kintu ve anarddha, amadhya aura apradesha nahim haim, isa prakara ka apaka yaha kathana mithya ho jata hai. Taba naradaputra anagara ne nirgranthiputra anagara se kaha – ‘he devanupriya ! Nishchaya hi hama isa artha ko nahim janate – dekhate. He devanupriya ! Yadi apako isa artha ke parikathana mem kisi prakara ki glani na ho to maim apa devanupriya se isa artha ko sunakara, avadharanapurvaka janana chahata hum.’ Isa para nirgranthiputra anagara ne naradaputra anagara se kaha – he arya ! Meri dharananusara dravyadesha se pudgala sapradesha bhi haim, apradesha bhi haim, aura ve pudgala ananta haim. Kshetradesha se bhi isi taraha haim, aura kaladesha se tatha bhavadesha se bhi ve isi taraha haim. Jo pudgala dravyadesha se apradesha haim, ve kshetradesha se bhi niyamatah apradesha haim. Kaladesha se unamem se koi sapradesha hote haim, koi apradesha hote haim aura bhavadesha se bhi koi sapradesha tatha koi apradesha hote haim. Jo pudgala kshetradesha se apradesha hote haim, unamem koi dravyadesha se sapradesha aura koi apradesha hote haim, kaladesha aura bhavadesha se isi prakara ki bhajana janani chahie. Jisa prakara kshetra se kaha, usi prakara kala se aura bhava se bhi kahana chahie. Jo pudgala dravya se sapradesha hote haim, ve kshetra se koi sapradesha aura koi apradesha hote haim; isi prakara kala se aura bhava se bhi ve sapradesha aura apradesha samajha lene chahie. Jo pudgala kshetra se sapradesha hote haim; ve dravya se niyamatah sapradesha hote haim, kintu kala se tatha bhava se bhajana se janana chahie. Jaise dravya se kaha, vaise hi kala se aura bhava se bhi kathana karana. He bhagavan ! (nirgranthiputra !) dravyadesha se, kshetradesha se, kaladesha se aura bhavadesha se, sapradesha aura apradesha pudgalom mem kauna kinase kama, adhika, tulya aura visheshadhika haim\? He naradaputra ! Bhavadesha se apradesha pudgala sabase thore haim. Unaki apeksha kaladesha se apradesha pudgala asamkhyeyaguna haim; unaki apeksha dravyadesha se apradesha pudgala asamkhyeyaguna haim aura unaki apeksha bhi kshetradesha se apradesha pudgala asamkhyeyaguna haim. Unase kshetradesha se sapradesha pudgala asamkhyataguna haim, unase dravyadesha se sapradesha pudgala visheshadhika haim, unase kaladeshena sapradesha pudgala visheshadhika haim aura unase bhi bhavadeshena sapradesha pudgala visheshadhika haim. Isake pashchat naradaputra anagara ne nirgranthiputra anagara ko vandana – namaskara kiya. Unase samyak vinayapurvaka bara – bara unhomne kshamayachana ki. Kshamayachana karake ve samyama aura tapa se apani atma ko bhavita karate hue vicharana karane lage. |