Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1003761
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-५

Translated Chapter :

शतक-५

Section : उद्देशक-७ पुदगल कंपन Translated Section : उद्देशक-७ पुदगल कंपन
Sutra Number : 261 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] पंच हेऊ पन्नत्ता, तं जहा–हेउं जाणइ, हेउं पासइ, हेउं बुज्झइ, हेउं अभिसमागच्छइ, हेउं छउमत्थमरणं मरइ। पंच हेऊ पन्नत्ता, तं जहा–हेउणा जाणइ जाव हेउणा छउमत्थमरणं मरइ। पंच हेऊ पन्नत्ता, तं जहा–हेउं ण जाणइ जाव हेउं अन्नाणमरणं मरइ। पंच हेऊ पन्नत्ता, तं जहा–हेउणा न जाणइ जाव हेउणा अन्नाणमरणं मरइ। पंच अहेऊ पन्नत्ता, तं जहा–अहेउं जाणइ जाव अहेउं केवलिमरणं मरइ। पंच अहेऊ पन्नत्ता, तं जहा–अहेउणा जाणइ जाव अहेउणा केवलिमरणं मरइ। पंच अहेऊ पन्नत्ता, तं जहा–अहेउं न जाणइ जाव अहेउं छउमत्थमरणं मरइ। पंच अहेऊ पन्नत्ता, तं जहा–अहेउणा न जाणइ जाव अहेउणा छउमत्थमरणं मरइ। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति।
Sutra Meaning : पाँच हेतु कहे गए हैं, (१) हेतु को जानता है, (२) हेतु को देखता, (३) हेतु का बोध प्राप्त करता – (४) हेतु का अभिसमागम – अभिमुख होकर सम्यक्‌ रूप से प्राप्त – करता है, और (५) हेतुयुक्त छद्मस्थमरणपूर्वक मरता है। पाँच हेतु (प्रकारान्तर से) कहे गए हैं। वे इस प्रकार – (१) हेतु द्वारा सम्यक्‌ जानता है, (२) हेतु से देखता है; (३) हेतु द्वारा श्रद्धा करता है, (४) हेतु द्वारा सम्यक्तया प्राप्त करता है, और (५) हेतु से छद्मस्थमरण मरता है। पाँच हेतु (मिथ्यादृष्टि की अपेक्षा से) कहे गए हैं। यथा – (१) हेतु को नहीं जानता, (२) हेतु को नहीं देखता, (३) हेतु की बोधप्राप्ति नहीं करता, (४) हेतु को प्राप्त नहीं करता, और (५) हेतुयुक्त अज्ञानमरण मरता है। पाँच हेतु हैं। यथा – हेतु से नहीं जानता, यावत्‌ हेतु से अज्ञानमरण मरता है। पाँच अहेतु हैं – अहेतु को जानता है; यावत्‌ अहेतुयुक्त केवलिमरण मरता है। पाँच अहेतु हैं – अहेतु जानता है, यावत्‌ अहेतु द्वारा केवलिमरण मरता है। पाँच अहेतु हैं – अहेतु को नहीं जानता, यावत्‌ अहेतुयुक्त छद्मस्थमरण मरता है। पाँच अहेतु कहे गए हैं – (१) अहेतु से नहीं जानता, यावत्‌ (५) अहेतु से छद्मस्थमरण मरता है। ‘हे भगवन्‌ यह इसी प्रकार है, हे भगवन्‌ ! यह इसी प्रकार है।’
Mool Sutra Transliteration : [sutra] pamcha heu pannatta, tam jaha–heum janai, heum pasai, heum bujjhai, heum abhisamagachchhai, heum chhaumatthamaranam marai. Pamcha heu pannatta, tam jaha–heuna janai java heuna chhaumatthamaranam marai. Pamcha heu pannatta, tam jaha–heum na janai java heum annanamaranam marai. Pamcha heu pannatta, tam jaha–heuna na janai java heuna annanamaranam marai. Pamcha aheu pannatta, tam jaha–aheum janai java aheum kevalimaranam marai. Pamcha aheu pannatta, tam jaha–aheuna janai java aheuna kevalimaranam marai. Pamcha aheu pannatta, tam jaha–aheum na janai java aheum chhaumatthamaranam marai. Pamcha aheu pannatta, tam jaha–aheuna na janai java aheuna chhaumatthamaranam marai. Sevam bhamte! Sevam bhamte! Tti.
Sutra Meaning Transliteration : Pamcha hetu kahe gae haim, (1) hetu ko janata hai, (2) hetu ko dekhata, (3) hetu ka bodha prapta karata – (4) hetu ka abhisamagama – abhimukha hokara samyak rupa se prapta – karata hai, aura (5) hetuyukta chhadmasthamaranapurvaka marata hai. Pamcha hetu (prakarantara se) kahe gae haim. Ve isa prakara – (1) hetu dvara samyak janata hai, (2) hetu se dekhata hai; (3) hetu dvara shraddha karata hai, (4) hetu dvara samyaktaya prapta karata hai, aura (5) hetu se chhadmasthamarana marata hai. Pamcha hetu (mithyadrishti ki apeksha se) kahe gae haim. Yatha – (1) hetu ko nahim janata, (2) hetu ko nahim dekhata, (3) hetu ki bodhaprapti nahim karata, (4) hetu ko prapta nahim karata, aura (5) hetuyukta ajnyanamarana marata hai. Pamcha hetu haim. Yatha – hetu se nahim janata, yavat hetu se ajnyanamarana marata hai. Pamcha ahetu haim – ahetu ko janata hai; yavat ahetuyukta kevalimarana marata hai. Pamcha ahetu haim – ahetu janata hai, yavat ahetu dvara kevalimarana marata hai. Pamcha ahetu haim – ahetu ko nahim janata, yavat ahetuyukta chhadmasthamarana marata hai. Pamcha ahetu kahe gae haim – (1) ahetu se nahim janata, yavat (5) ahetu se chhadmasthamarana marata hai. ‘he bhagavan yaha isi prakara hai, he bhagavan ! Yaha isi prakara hai.’