Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003661 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-३ |
Translated Chapter : |
शतक-३ |
Section : | उद्देशक-१ चमर विकुर्वणा | Translated Section : | उद्देशक-१ चमर विकुर्वणा |
Sutra Number : | 161 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तेणं कालेणं तेणं समएणं बलिचंचा रायहानी अणिंदा अपुरोहिया या वि होत्था। तए णं ते बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीओ य तामलिं बालतवस्सिं ओहिणा आभोएंति, आभोएत्ता अन्नमन्नं सद्दावेंति, सद्दावेत्ता एवं वयासि– एवं खलु देवानुप्पिया! बलिचंचा रायहानी अणिंदा अपुरोहिया, अम्हे य णं देवानुप्पिया! इंदाहीणा इंदाहिट्ठिया इंदाहीणकज्जा, अयं च णं देवानुप्पिया! तामली बालतवस्सी तामलित्तीए नगरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसिभागे नियत्तणियमंडलं आलिहित्ता संलेहणाज्झूसणाज्झूसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगमणं निवण्णे, तं सेयं खलु देवानुप्पिया! अम्हं तामलिं बालतवस्सिं बलिचंचाए रायहानीए ठितिपकप्पं पकरावेत्तए त्ति कट्टु अन्नमन्नस्स अंतिए एयमट्ठं पडिसुणेंति, पडिसुणेत्ता बलिचंचाए रायहानीए मज्झंमज्झेणं निग्गच्छंति, निग्गच्छित्ता जेणेव रुयगिदे उप्पायपव्वए तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहण्णंति, समोहणित्ता जाव उत्तरवेउव्वियाइं रूवाइं विकुव्वंति, विकुव्वित्ता ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए जइणाए छेयाए सीहाए सिग्घाए उद्धुयाए दिव्वाए देवगईए तिरियं असंखेज्जाणं दीव-समुद्दाणं मज्झंमज्झेणं वीईवयमाणा-वीईवयमाणा जेणेव जंबुद्दीवे जेणेव भारहे वासे जेणेव तामलित्ती नगरी जेणेव तामली मोरियपुत्ते तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तामलिस्स बालतवस्सिस्स उप्पिं सपक्खिं सपडिदिसिं ठिच्चा दिव्वं देविड्ढिं दिव्वं देवज्जुतिं दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं बत्तीसतिविहं नट्टविहिं उवदंसेंति, उवदंसेत्ता तामलिं बालतवस्सिं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेंति, करेत्ता वंदंति नमंसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी– एवं खलु देवानुप्पिया! अम्हे बलिचंचारायहानीवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीओ य देवाणुप्पियं वंदामो नमंसामो सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामो। अम्हण्णं देवानुप्पिया! बलिचंचा रायहानी अणिंदा अपुरोहिया, अम्हे य णं देवानुप्पिया! इंदाहीणा इंदाहिट्ठिया इंदाहीणकज्जा, तं तुब्भे णं देवानुप्पिया! बलिचंचं रायहाणिं आढाह परियाणह सुमरह, अट्ठं बंधह, निदाणं पकरेह, ठितिपकप्पं पकरेह, तए णं तुब्भे कालमासे कालं किच्चा बलिचंचाए रायहानीए उववज्जिस्सह, तए णं तुब्भे अम्हं इंदा भविस्सह, तए णं तुब्भे अम्हेहिं सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुंजमाणा विहरिस्सइ। तए णं से तामली बालतवस्सी तेहिं बलिचंचारायहाणिवत्थव्वएहिं बहूहिं असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहि य एवं वुत्ते समाणे एयमट्ठं नो आढाइ, नो परियाणेइ, तुसिणीए संचिट्ठइ। तए णं ते बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीओ य तामलिं मोरियपुत्तं दोच्चं पि तच्चं पि तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेंति जाव अम्हं च णं देवानुप्पिया! बलिचंचा रायहानी अणिंदा अपुरोहिया, अम्हे य णं देवानुप्पिया! इंदाहीणा इंदाहिट्ठिआ इंदाहीणकज्जा, तं तुब्भे णं देवानुप्पिया! बलिचंचं रायहाणिं आढाह परियाणह सुमरह, अट्ठं बंधह, निदाणं पकरेह, ठितिपकप्पं पकरेह जाव दोच्चं पि तच्चं पि एवं वुत्ते समाणे एयमट्ठं नो आढाइ, नो परियाणेइ, तुसिणीए संचिट्ठइ। तए णं ते बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीओ य तामलिणा बाल-तवस्सिणा अणाढाइज्जमाणा अपरियाणिज्जमाणा जामेव दिसिं पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया। | ||
Sutra Meaning : | उस काल उस समय में बलिचंचा राजधानी इन्द्रविहीन और पुरोहित से विहीन थी। उन बलिचंचा राजधानी निवासी बहुत – से असुरकुमार देवों और देवियों ने तामली बालतपस्वी को अवधिज्ञान से देखा। देखकर उन्होंने एक दूसरे को बुलाया, और कहा – देवानुप्रियो ! बलिचंचा राजधानी इन्द्र से विहीन और पुरोहित से भी रहित है। हे देवानुप्रियो ! हम सब इन्द्राधीन और इन्द्राधिष्ठित (रहे) हैं, अपना सब कार्य इन्द्र की अधीनता में होता है। यह तामली बालतपस्वी ताम्रलिप्ती नगरी के बाहर ईशान कोण में निवर्तनिक मंडल का आलेखन करके, संलेखना तप की आराधना से अपनी आत्मा को सेवित करके, आहार – पानी का सर्वथा प्रत्याख्यान कर, पादपोपगमन अनशन को स्वीकार करके रहा हुआ है। अतः देवानुप्रियो ! हमारे लिए यही श्रेयस्कर है कि तामली बालतपस्वी को बलिचंचा राजधानी में (इन्द्र रूप में) स्थिति करने का संकल्प कराएं। ऐसा करके परस्पर एक – दूसरे के पास वचनबद्ध हुए। फिर बलिचंचा राजधानी के बीचोंबीच होकर नीकले और जहाँ रुचकेन्द्र उत्पातपर्वत था, वहाँ आए। उन्होंने वैक्रिय समुद्घात से अपने आपको समवहत किया, यावत् उत्तरवैक्रिय रूपों की विकुर्वणा की। फिर उस उत्कृष्ट, त्वरित, चपल, चण्ड, जयिनी, छेक सिंहसदृश, शीघ्र, दिव्य और उद्धूत देवगति से तीरछे असंख्येय द्वीप – समुद्रों के मध्य में होते हुए जहाँ जम्बूद्वीप था, जहाँ भारतवर्ष था, जहाँ ताम्रलिप्ती नगरी थी, जहाँ मौर्यपुत्र तामली तापस था, वहाँ आए, और तामली बालतपस्वी के ऊपर (आकाश में) चारों दिशाओं और चारों कोनों में सामने खड़े होकर दिव्य देवऋद्धि, दिव्य देवद्युति, दिव्य देवप्रभाव और बत्तीस प्रकार की दिव्य नाटकविधि बतलाई। इसके पश्चात् तामली बालतपस्वी की दाहिनी ओर से तीन बार प्रदक्षिणा की, उसे वन्दन – नमस्कार करके बोले – हे देवानुप्रिय ! हम बलिचंचा राजधानी के निवासी बहुत – से असुरकुमार देव और देवीवृन्द आप देवानुप्रिय को वन्दन – नमस्कार करते हैं, यावत् आपकी पर्युपासना करते हैं। हमारी बलिचंचा राजधानी इन्द्र और पुरोहित से विहीन है। और हे देवानुप्रिय ! हम सब इन्द्राधीन और इन्द्राधिष्ठित रहने वाले हैं। और हमारे सब कार्य इन्द्राधीन होते हैं। इसलिए हे देवानुप्रिय ! आप बलिचंचा राजधानी (के अधिपतिपद) का आदर करें। उसके स्वामित्व को स्वीकार करें, उसका मन में भलीभाँति स्मरण करें, उसके लिए निश्चय करें, उसका निदान करें, बलिचंचा में उत्पन्न होकर स्थिति करने का संकल्प करें। तभी आप काल के अवसर पर मृत्यु प्राप्त करके बलिचंचा राजधानी में उत्पन्न होंगे। फिर आप हमारे इन्द्र बन जाएंगे और हमारे साथ दिव्य कामभोगों को भोगते हुए विहरण करेंगे। जब बलिचंचा राजधानी में रहने वाले बहुत – से असुरकुमार देवों और देवियों ने उस तामली बालतपस्वी को इस प्रकार से कहा तो उसने उनकी बात का आदर नहीं किया, स्वीकार भी नहीं किया, किन्तु मौन रहा। तदनन्तर बलिचंचा – राजधानी – निवासी उन बहुत – से देवों और देवियों ने उस तामली बालतपस्वी की फिर दाहिनी ओर से तीन बार प्रदक्षिणा करके दूसरी बार, तीसरी बार पूर्वोक्त बात कही कि हे देवानुप्रिय ! हमारी बलिचंचा राजधानी इन्द्र – विहीन और पुरोहितरहित है, यावत् आप उसके स्वामी बनकर वहाँ स्थिति करने का संकल्प करिए। उन असुर – कुमार देव – देवियों द्वारा पुर्वोक्त बात दो – तीन बार यावत् दोहराई जाने पर भी तापसी मौर्यपुत्र ने कुछ भी जवाब न दिया यावत् वह मौन धारण करके बैठा रहा। तत्पश्चात् अन्त में जब तामली बालतपस्वी के द्वारा बलिचंचा राजधानी – निवासी उन बहुत – से असुरकुमार देवों और देवियों का अनादर हुआ, और उनकी बात नहीं मानी गई, तब वे (देव – देवीवृन्द) जिस दिशा से आए थे, उसी दिशा में वापस चले गए। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tenam kalenam tenam samaenam balichamcha rayahani animda apurohiya ya vi hottha. Tae nam te balichamcharayahanivatthavvaya bahave asurakumara deva ya devio ya tamalim balatavassim ohina abhoemti, abhoetta annamannam saddavemti, saddavetta evam vayasi– Evam khalu devanuppiya! Balichamcha rayahani animda apurohiya, amhe ya nam devanuppiya! Imdahina imdahitthiya imdahinakajja, ayam cha nam devanuppiya! Tamali balatavassi tamalittie nagarie bahiya uttarapuratthime disibhage niyattaniyamamdalam alihitta samlehanajjhusanajjhusie bhattapanapadiyaikkhie paovagamanam nivanne, tam seyam khalu devanuppiya! Amham tamalim balatavassim balichamchae rayahanie thitipakappam pakaravettae tti kattu annamannassa amtie eyamattham padisunemti, padisunetta balichamchae rayahanie majjhammajjhenam niggachchhamti, niggachchhitta jeneva ruyagide uppayapavvae teneva uvagachchhati, uvagachchhitta veuvviyasamugghaenam samohannamti, samohanitta java uttaraveuvviyaim ruvaim vikuvvamti, vikuvvitta tae ukkitthae turiyae chavalae chamdae jainae chheyae sihae sigghae uddhuyae divvae devagaie tiriyam asamkhejjanam diva-samuddanam majjhammajjhenam viivayamana-viivayamana jeneva jambuddive jeneva bharahe vase jeneva tamalitti nagari jeneva tamali moriyaputte teneva uvagachchhamti, uvagachchhitta tamalissa balatavassissa uppim sapakkhim sapadidisim thichcha divvam deviddhim divvam devajjutim divvam devanubhagam divvam battisativiham nattavihim uvadamsemti, uvadamsetta tamalim balatavassim tikkhutto ayahina-payahinam karemti, karetta vamdamti namamsamti, vamditta namamsitta evam vayasi– Evam khalu devanuppiya! Amhe balichamcharayahanivatthavvaya bahave asurakumara deva ya devio ya devanuppiyam vamdamo namamsamo sakkaremo sammanemo kallanam mamgalam devayam cheiyam pajjuvasamo. Amhannam devanuppiya! Balichamcha rayahani animda apurohiya, amhe ya nam devanuppiya! Imdahina imdahitthiya imdahinakajja, tam tubbhe nam devanuppiya! Balichamcham rayahanim adhaha pariyanaha sumaraha, attham bamdhaha, nidanam pakareha, thitipakappam pakareha, tae nam tubbhe kalamase kalam kichcha balichamchae rayahanie uvavajjissaha, tae nam tubbhe amham imda bhavissaha, tae nam tubbhe amhehim saddhim divvaim bhogabhogaim bhumjamana viharissai. Tae nam se tamali balatavassi tehim balichamcharayahanivatthavvaehim bahuhim asurakumarehim devehim devihi ya evam vutte samane eyamattham no adhai, no pariyanei, tusinie samchitthai. Tae nam te balichamcharayahanivatthavvaya bahave asurakumara deva ya devio ya tamalim moriyaputtam dochcham pi tachcham pi tikkhutto ayahina-payahinam karemti java amham cha nam devanuppiya! Balichamcha rayahani animda apurohiya, amhe ya nam devanuppiya! Imdahina imdahitthia imdahinakajja, tam tubbhe nam devanuppiya! Balichamcham rayahanim adhaha pariyanaha sumaraha, attham bamdhaha, nidanam pakareha, thitipakappam pakareha java dochcham pi tachcham pi evam vutte samane eyamattham no adhai, no pariyanei, tusinie samchitthai. Tae nam te balichamcharayahanivatthavvaya bahave asurakumara deva ya devio ya tamalina bala-tavassina anadhaijjamana apariyanijjamana jameva disim paubbhuya tameva disim padigaya. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Usa kala usa samaya mem balichamcha rajadhani indravihina aura purohita se vihina thi. Una balichamcha rajadhani nivasi bahuta – se asurakumara devom aura deviyom ne tamali balatapasvi ko avadhijnyana se dekha. Dekhakara unhomne eka dusare ko bulaya, aura kaha – devanupriyo ! Balichamcha rajadhani indra se vihina aura purohita se bhi rahita hai. He devanupriyo ! Hama saba indradhina aura indradhishthita (rahe) haim, apana saba karya indra ki adhinata mem hota hai. Yaha tamali balatapasvi tamralipti nagari ke bahara ishana kona mem nivartanika mamdala ka alekhana karake, samlekhana tapa ki aradhana se apani atma ko sevita karake, ahara – pani ka sarvatha pratyakhyana kara, padapopagamana anashana ko svikara karake raha hua hai. Atah devanupriyo ! Hamare lie yahi shreyaskara hai ki tamali balatapasvi ko balichamcha rajadhani mem (indra rupa mem) sthiti karane ka samkalpa karaem. Aisa karake paraspara eka – dusare ke pasa vachanabaddha hue. Phira balichamcha rajadhani ke bichombicha hokara nikale aura jaham ruchakendra utpataparvata tha, vaham ae. Unhomne vaikriya samudghata se apane apako samavahata kiya, yavat uttaravaikriya rupom ki vikurvana ki. Phira usa utkrishta, tvarita, chapala, chanda, jayini, chheka simhasadrisha, shighra, divya aura uddhuta devagati se tirachhe asamkhyeya dvipa – samudrom ke madhya mem hote hue jaham jambudvipa tha, jaham bharatavarsha tha, jaham tamralipti nagari thi, jaham mauryaputra tamali tapasa tha, vaham ae, aura tamali balatapasvi ke upara (akasha mem) charom dishaom aura charom konom mem samane khare hokara divya devariddhi, divya devadyuti, divya devaprabhava aura battisa prakara ki divya natakavidhi batalai. Isake pashchat tamali balatapasvi ki dahini ora se tina bara pradakshina ki, use vandana – namaskara karake bole – he devanupriya ! Hama balichamcha rajadhani ke nivasi bahuta – se asurakumara deva aura devivrinda apa devanupriya ko vandana – namaskara karate haim, yavat apaki paryupasana karate haim. Hamari balichamcha rajadhani indra aura purohita se vihina hai. Aura he devanupriya ! Hama saba indradhina aura indradhishthita rahane vale haim. Aura hamare saba karya indradhina hote haim. Isalie he devanupriya ! Apa balichamcha rajadhani (ke adhipatipada) ka adara karem. Usake svamitva ko svikara karem, usaka mana mem bhalibhamti smarana karem, usake lie nishchaya karem, usaka nidana karem, balichamcha mem utpanna hokara sthiti karane ka samkalpa karem. Tabhi apa kala ke avasara para mrityu prapta karake balichamcha rajadhani mem utpanna homge. Phira apa hamare indra bana jaemge aura hamare satha divya kamabhogom ko bhogate hue viharana karemge. Jaba balichamcha rajadhani mem rahane vale bahuta – se asurakumara devom aura deviyom ne usa tamali balatapasvi ko isa prakara se kaha to usane unaki bata ka adara nahim kiya, svikara bhi nahim kiya, kintu mauna raha. Tadanantara balichamcha – rajadhani – nivasi una bahuta – se devom aura deviyom ne usa tamali balatapasvi ki phira dahini ora se tina bara pradakshina karake dusari bara, tisari bara purvokta bata kahi ki he devanupriya ! Hamari balichamcha rajadhani indra – vihina aura purohitarahita hai, yavat apa usake svami banakara vaham sthiti karane ka samkalpa karie. Una asura – kumara deva – deviyom dvara purvokta bata do – tina bara yavat doharai jane para bhi tapasi mauryaputra ne kuchha bhi javaba na diya yavat vaha mauna dharana karake baitha raha. Tatpashchat anta mem jaba tamali balatapasvi ke dvara balichamcha rajadhani – nivasi una bahuta – se asurakumara devom aura deviyom ka anadara hua, aura unaki bata nahim mani gai, taba ve (deva – devivrinda) jisa disha se ae the, usi disha mem vapasa chale gae. |