Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1003614
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-२

Translated Chapter :

शतक-२

Section : उद्देशक-१ उच्छवास अने स्कंदक Translated Section : उद्देशक-१ उच्छवास अने स्कंदक
Sutra Number : 114 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तए णं समणे भगवं महावीरे कयंगलाओ नयरीओ छत्तपलासाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जनवयविहारं विहरइ। तए णं से खंदए अनगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एक्कारस अंगाइं अहिज्जइ, अहिज्जित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी–इच्छामि णं भंते! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। अहासुहं देवानुप्पिया! मा पडिबंधं। तए णं से खंदए अनगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे हट्ठे जाव नमंसित्ता मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ। तए णं से खंदए अनगारे मासियं भिक्खुपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं अहासम्मं सम्मं काएण फासेइ पालेइ सोभेइ तीरेइ पूरेइ किट्टेइ अणुपालेइ आणाए आराहेइ, सम्मं काएण फासेत्ता पालेत्ता सोभेत्ता तीरेत्ता पूरेत्ता किट्टेत्ता अणुपालेत्ता आणाए आराहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी– इच्छामि णं भंते! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे दोमासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। अहासुहं देवानुप्पिया! मा पडिबंधं। तं चेव। एवं तमासियं, चउम्मासियं, पंचमासियं, छम्मासियं, सत्तमासियं, पढमसत्तरातिंदियं, दोच्चसत्तरातिंदियं, तच्चसत्तरातिंदियं, रातिंदियं, एगरातियं। तए णं से खंदए अनगारे एगरातियं भिक्खुपडिमं अहासुत्तं जाव आराहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी– इच्छामि णं भंते! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्म उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। अहासुहं देवानुप्पिया! मा पडिबंधं। तए णं से खंदए अनगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे हट्ठतुट्ठे जाव नमंसित्ता गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ता णं विहरति, तं जहा– पढमं मासं चउत्थं चउत्थेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दिया ठाणुक्कुडुए सुराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्तिं वीरा-सणेणं अवाउडेण य। दोच्चं मासं छट्ठंछट्ठेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्तिं वीरासणेणं अवाउडेण य। एवं तच्चं मासं अट्ठमंअट्ठमेणं। चउत्थं मासं दसमंदसमेणं। पंचमं मासं बारसमंबारसमेणं। छट्ठं मासं चउद्दसमंचउद्दसमेणं। सत्तमं मासं सोलसमंसोलसमेणं। अट्ठमं मासं अट्ठारसमंअट्ठारसमेणं। नवमं मासं वीसइमंवीसइमेणं। दसमं मासं बावीसइमंबावीसइमेणं। एक्कारसमं मासं चउवीसइमं-चउवीसइमेणं। बारसमं मासं छव्वीसइमंछव्वीसइमेणं। तेरसमं मासं अट्ठावीसइमंअट्ठावीसइमेणं। चउद्दसमं मासं तिसइमंतिसइमेणं। पन्नरसमं मासं बत्तीसइमंबत्तीसइमेणं। सोलसं मासं चोत्तीसइमं-चोत्तीसइमेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्तिं वीरासणेणं अवाउडेण य। तए णं से खंदए अनगारे गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मं अहासुत्तं अहाकप्पं जाव आराहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता बहूहिं चउत्थ-छट्ठट्ठम-दसम-दुवालसेहिं, मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवो-कम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तए णं से खंदए अनगारे तेणं ओरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं कल्लाणेणं सिवेणं धन्नेणं मंगल्लेणं सस्सिरीएणं उदग्गेणं उदत्तेणं उत्तमेणं उदारेणं महानुभागेणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे निम्मंसे अट्ठिचम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए किसे धमणिसंतए जाए यावि होत्था। जीवंजीवेणं गच्छइ, जीवंजीवेणं चिट्ठइ, भासं भासित्ता वि गिलाइ, भासं भासमाणे गिलाइ, भासं भासिस्सामीति गिलाइ। से जहानामए कट्ठसगडिया इ वा, पत्तसगडिया इ वा, पत्त-तिल-भंडग-सगडिया इ वा, एरंडकट्ठसगडिया इ वा, इंगालसगडिया इ वा– उण्हे दिण्णा सुक्का समाणी ससद्दं गच्छइ, ससद्दं चिट्ठइ, एवामेव खंदए अनगारे ससद्दं गच्छइ, ससद्दं चिट्ठइ, उवचिए तवेणं अवचिए मंससोणिएणं, हुयासणे विव भासरासिपडिच्छण्णे तवेणं, तेएणं, तव-तेयसिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणे-उवसोभेमाणे चिट्ठइ।
Sutra Meaning : तत्पश्चात्‌ श्रमण भगवान महावीर स्वामी कृतंगला नगरी के छत्रपलाशक उद्यान से नीकले और बाहर (अन्य) जनपदों में विचरण करने लगे। इसके बाद स्कन्दक अनगार ने श्रमण भगवान महावीर के तथारूप स्थविरों से सामायिक आदि ग्यारह अंगों का अध्ययन किया। शास्त्र – अध्ययन करने के बाद श्रमण भगवान महावीर के पास आकर वन्दना – नमस्कार करके इस प्रकार बोले – भगवन्‌ ! आपकी आज्ञा हो तो मैं मासिकी भिक्षुप्रतिमा अंगीकार करके विचरना चाहता हूँ। (भगवान – ) हे देवानुप्रिय ! जैसे तुम्हें सुख हो, वैसा करो। शुभ कार्य में प्रतिबन्ध न करो। तत्पश्चात्‌ स्कन्दक अनगार श्रमण भगवान महावीर की आज्ञा प्राप्त करके अतीव हर्षित हुए और यावत्‌ भगवान महावीर को नमस्कार करके मासिक भिक्षुप्रतिमा अंगीकार करके विचरण करने लगे। तदनन्तर स्कन्दक अनगार ने सूत्र के अनुसार, यथातत्त्व, सम्यक्‌ प्रकार से स्वीकृत मासिक भिक्षुप्रतिमा का काया से स्पर्श किया, पालन किया, उसे शोभित किया, पार लगाया, पूर्ण किया, उसका कीर्तन किया, अनुपालन किया, और आज्ञापूर्वक आराधन किया। उक्त प्रतिमा का काया से सम्यक्‌ स्पर्श करके यावत्‌ उसका आज्ञापूर्वक आराधन करके श्रमण भगवान महावीर विराजमान थे, वहाँ आए यावत्‌ वन्दन – नमस्कार करके यों बोले – भगवन्‌ ! आपकी आज्ञा हो तो मैं द्विमासिकी भिक्षुप्रतिमा स्वीकार करके विचरण करना चाहता हूँ। इस पर भगवान ने कहा – हे देवानुप्रिय ! तुम्हें जैसा सुख हो वैसा करो, शुभकार्य में विलम्ब न करो। तत्पश्चात्‌ स्कन्दक अनगार ने द्विमासिकी भिक्षुप्रतिमा को स्वीकार किया। यावत्‌ सम्यक्‌ प्रकार से आज्ञापूर्वक आराधन किया। इसी प्रकार त्रैमासिकी, चातुर्मासिकी, पंच – मासिकी, षाण्मासिकी एवं सप्तमासिकी भिक्षुप्रतिमा की यथावत्‌ आराधना की। तत्पश्चात्‌ प्रथम सप्तरात्रि – दिवस की, द्वीतिय सप्तरात्रि – दिवस की एवं तृतीय सप्तरात्रि – दिवस की फिर एक अहोरात्रि की, तथा एकरात्रि की, इस तरह बारह भिक्षुप्रतिमाओं का सूत्रानुसार यावत्‌ आज्ञापूर्वक सम्यक्‌ आराधन किया। फिर स्कन्दक अनगार अन्तिम एकरात्रि की भिक्षुप्रतिमा का यथासूत्र यावत्‌ आज्ञापूर्वक सम्यक्‌ आराधन करके जहाँ श्रमण भगवान महावीर विराजमान थे, वहाँ आकर उन्हें वन्दना – नमस्कार करके यावत्‌ इस प्रकार बोले – ‘भगवन्‌ ! आपकी आज्ञा हो तो मैं ‘गुणरत्नसंवत्सर’ नामक तपश्चरण अंगीकार करके विचरण करना चाहता हूँ।’ भगवान ने फरमाया – ‘तुम्हें जैसा सुख हो, वैसा करो; धर्मकार्य में विलम्ब न करो।’ स्कन्दक अनगार श्रमण भगवान महावीर की आज्ञा प्राप्त करके यावत्‌ उन्हें वन्दना – नमस्कार करके गुणरत्नसंवत्सर नामक तपश्चरण स्वीकार करके विचरण करने लगे। जैसे कि – पहले महीने में निरन्तर उपवास करना, दिन में सूर्य के सम्मुख दृष्टि रखकर आतापनाभूमि में उत्कटुक आसन से बैठकर सूर्य की आतापना लेना और रात्रि में अपावृत (निर्वस्त्र) होकर वीरासन से बैठना एवं शीत सहन करना। इसी तरह निरन्तर बेले – बेले पारणा करना। दिन में उत्कटुक आसन से बैठकर सूर्य के सम्मुख मुख रखकर आतापनाभूमि में सूर्य की आतापना लेना, रात्रि में अपावृत होकर वीरासन से बैठकर शीत सहन करना। इसी प्रकार तीसरे मास में उपर्युक्त विधि के अनुसार निरन्तर तेले – तेले पारणा करना। इसी विधि के अनुसार चौथे मास में निरन्तर चौले – चौले पारणा करना। पाँचवे मास में पचौले – पचौले पारणा करना। छठे मास में निरन्तर छह – छह उपवास करना। सातवे मास में निरन्तर सात – सात उपवास करना। आठवे मास में निरन्तर आठ – आठ उपवास करना। नौवें मास में निरन्तर नौ – नौ उपवास करना। दसवे मास में निरन्तर दस – दस उपवास करना। ग्यारहवे मास में निरन्तर ग्यारह – ग्यारह उपवास करना। बारहवे मास में निरन्तर बारह – बारह उपवास करना। तेरहवे मास में निरन्तर तेरह – तेरह उपवास करना। निरन्तर चौदहवे मास में चौदह – चौदह उपवास करना। पन्द्रहवें मास में निरन्तर पन्द्रह – पन्द्रह उपवास करना और सोलहवें मास में निरन्तर सोलह – सोलह उपवास करना। इन सभी में दिन में उत्कटुक आसन से बैठकर सूर्य के सम्मुख मुख करके आतापनाभूमि में आतापना लेना, रात्रि के समय अपावृत होकर वीरासन से बैठकर शीत सहन करना। तदनन्तर स्कन्दक अनगार ने गुणरत्नसंवत्सर नामक तपश्चरण की सूत्रानुसार, कल्पानुसार यावत्‌ आराधना की। इसके पश्चात्‌ जहाँ श्रमण भगवान महावीर विराजमान थे, वहाँ वे आए और उन्हें वन्दना – नमस्कार किया। और फिर अनेक उपवास, बेला, तेला, चौला, पचौला, मासखमण, अर्द्ध मासखमण इत्यादि विविध प्रकार के तप से आत्मा को भावित करते हुए विचरण करने लगे। इसके पश्चात्‌ वे स्कन्दक अनगार उस उदार, विपुल, प्रदत्त, प्रगृहीत, कल्याणरूप, शिवरूप, धन्यरूप, मंगलरूप, श्रीयुक्त, उत्तम, उदग्र, उदात्त, सुन्दर, उदार और महा – प्रभावशाली तपःकर्म से शुष्क हो गए, रूक्ष हो गए, मांसरहित हो गए, वह केवल हड्डी और चमड़ी से ढका हुआ रह गया। चलते समय हड्डियाँ खड़ – खड़ करने लगीं, वे कृश – दुर्बल हो गए, उनकी नाड़ियाँ सामने दिखाई देने लगीं, अब वे केवल जीव के बल से चलते थे, जीव के बल से खड़े रहते थे, तथा वे इतने दुर्बल हो गए थे कि भाषा बोलने के बाद, भाषा बोलते – बोलते भी और भाषा बोलूँगा, इस विचार से भी ग्लानि को प्राप्त होते थे, जैसे कोई सूखी लकड़ियों से भरी हुई गाड़ी हो, पत्तों से भरी हुई गाड़ी हो, पत्ते, तिल और अन्य सूखे सामान से भरी हुई गाड़ी हो, एरण्ड की लकड़ियों से भरी हुई गाड़ी हो, या कोयले से भरी हुई गाड़ी हो, सभी गाड़ियाँ धूप में अच्छी तरह सूखाई हुई हों और फिर चलाई जाएं तो खड़ – खड़ आवाज करती हुई चलती हैं और आवाज करती हुई खड़ी रहती है, इसी प्रकार जब स्कन्दक अनगार चलते थे, खड़े रहते थे, तब खड़ – खड़ आवाज होती थी। यद्यपि वे शरीर से दुर्बल हो गए थे, तथापि वे तप से पुष्ट थे। उनका मांस और रक्त क्षीण हो गए थे, किन्तु राख के ढेर में दबी हुई अग्नि की तरह वे तप और तेज से तथा तप – तेज की शोभा से अतीव – अतीव सुशोभित हो रहे थे।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tae nam samane bhagavam mahavire kayamgalao nayario chhattapalasao cheiyao padinikkhamai, padinikkhamitta bahiya janavayaviharam viharai. Tae nam se khamdae anagare samanassa bhagavao mahavirassa taharuvanam theranam amtie samaiyamaiyaim ekkarasa amgaim ahijjai, ahijjitta jeneva samane bhagavam mahavire teneva uvagachchhai, uvagachchhitta samanam bhagavam mahaviram vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vadasi–ichchhami nam bhamte! Tubbhehim abbhanunnae samane masiyam bhikkhupadimam uvasampajjitta nam viharittae. Ahasuham devanuppiya! Ma padibamdham. Tae nam se khamdae anagare samanenam bhagavaya mahavirenam abbhanunnae samane hatthe java namamsitta masiyam bhikkhupadimam uvasampajjitta nam viharai. Tae nam se khamdae anagare masiyam bhikkhupadimam ahasuttam ahakappam ahamaggam ahatachcham ahasammam sammam kaena phasei palei sobhei tirei purei kittei anupalei anae arahei, sammam kaena phasetta paletta sobhetta tiretta puretta kittetta anupaletta anae arahetta jeneva samane bhagavam mahavire teneva uvagachchhai, uvagachchhitta samanam bhagavam mahaviram vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi– Ichchhami nam bhamte! Tubbhehim abbhanunnae samane domasiyam bhikkhupadimam uvasampajjitta nam viharittae. Ahasuham devanuppiya! Ma padibamdham. Tam cheva. Evam tamasiyam, chaummasiyam, pamchamasiyam, chhammasiyam, sattamasiyam, padhamasattaratimdiyam, dochchasattaratimdiyam, tachchasattaratimdiyam, ratimdiyam, egaratiyam. Tae nam se khamdae anagare egaratiyam bhikkhupadimam ahasuttam java arahetta jeneva samane bhagavam mahavire teneva uvagachchhai, uvagachchhitta samanam bhagavam mahaviram vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi– ichchhami nam bhamte! Tubbhehim abbhanunnae samane gunarayanasamvachchharam tavokamma uvasampajjitta nam viharittae. Ahasuham devanuppiya! Ma padibamdham. Tae nam se khamdae anagare samanenam bhagavaya mahavirenam abbhanunnae samane hatthatutthe java namamsitta gunarayanasamvachchharam tavokammam uvasampajjitta nam viharati, tam jaha– Padhamam masam chauttham chautthenam anikkhittenam tavokammenam diya thanukkudue surabhimuhe ayavanabhumie ayavemane, rattim vira-sanenam avaudena ya. Dochcham masam chhatthamchhatthenam anikkhittenam tavokammenam diya thanukkudue surabhimuhe ayavanabhumie ayavemane, rattim virasanenam avaudena ya. Evam tachcham masam atthamamatthamenam. Chauttham masam dasamamdasamenam. Pamchamam masam barasamambarasamenam. Chhattham masam chauddasamamchauddasamenam. Sattamam masam solasamamsolasamenam. Atthamam masam attharasamamattharasamenam. Navamam masam visaimamvisaimenam. Dasamam masam bavisaimambavisaimenam. Ekkarasamam masam chauvisaimam-chauvisaimenam. Barasamam masam chhavvisaimamchhavvisaimenam. Terasamam masam atthavisaimamatthavisaimenam. Chauddasamam masam tisaimamtisaimenam. Pannarasamam masam battisaimambattisaimenam. Solasam masam chottisaimam-chottisaimenam anikkhittenam tavokammenam diya thanukkudue surabhimuhe ayavanabhumie ayavemane, rattim virasanenam avaudena ya. Tae nam se khamdae anagare gunarayanasamvachchharam tavokammam ahasuttam ahakappam java arahetta jeneva samane bhagavam mahavire teneva uvagachchhai, uvagachchhitta samanam bhagavam mahaviram vamdai namamsai, vamditta namamsitta bahuhim chauttha-chhatthatthama-dasama-duvalasehim, masaddhamasakhamanehim vichittehim tavo-kammehim appanam bhavemane viharai. Tae nam se khamdae anagare tenam oralenam viulenam payattenam paggahienam kallanenam sivenam dhannenam mamgallenam sassirienam udaggenam udattenam uttamenam udarenam mahanubhagenam tavokammenam sukke lukkhe nimmamse atthichammavanaddhe kidikidiyabhue kise dhamanisamtae jae yavi hottha. Jivamjivenam gachchhai, jivamjivenam chitthai, bhasam bhasitta vi gilai, bhasam bhasamane gilai, bhasam bhasissamiti gilai. Se jahanamae katthasagadiya i va, pattasagadiya i va, patta-tila-bhamdaga-sagadiya i va, eramdakatthasagadiya i va, imgalasagadiya i va– unhe dinna sukka samani sasaddam gachchhai, sasaddam chitthai, evameva khamdae anagare sasaddam gachchhai, sasaddam chitthai, uvachie tavenam avachie mamsasonienam, huyasane viva bhasarasipadichchhanne tavenam, teenam, tava-teyasirie ativa-ativa uvasobhemane-uvasobhemane chitthai.
Sutra Meaning Transliteration : Tatpashchat shramana bhagavana mahavira svami kritamgala nagari ke chhatrapalashaka udyana se nikale aura bahara (anya) janapadom mem vicharana karane lage. Isake bada skandaka anagara ne shramana bhagavana mahavira ke tatharupa sthavirom se samayika adi gyaraha amgom ka adhyayana kiya. Shastra – adhyayana karane ke bada shramana bhagavana mahavira ke pasa akara vandana – namaskara karake isa prakara bole – bhagavan ! Apaki ajnya ho to maim masiki bhikshupratima amgikara karake vicharana chahata hum. (bhagavana – ) he devanupriya ! Jaise tumhem sukha ho, vaisa karo. Shubha karya mem pratibandha na karo. Tatpashchat skandaka anagara shramana bhagavana mahavira ki ajnya prapta karake ativa harshita hue aura yavat bhagavana mahavira ko namaskara karake masika bhikshupratima amgikara karake vicharana karane lage. Tadanantara skandaka anagara ne sutra ke anusara, yathatattva, samyak prakara se svikrita masika bhikshupratima ka kaya se sparsha kiya, palana kiya, use shobhita kiya, para lagaya, purna kiya, usaka kirtana kiya, anupalana kiya, aura ajnyapurvaka aradhana kiya. Ukta pratima ka kaya se samyak sparsha karake yavat usaka ajnyapurvaka aradhana karake shramana bhagavana mahavira virajamana the, vaham ae yavat vandana – namaskara karake yom bole – bhagavan ! Apaki ajnya ho to maim dvimasiki bhikshupratima svikara karake vicharana karana chahata hum. Isa para bhagavana ne kaha – he devanupriya ! Tumhem jaisa sukha ho vaisa karo, shubhakarya mem vilamba na karo. Tatpashchat skandaka anagara ne dvimasiki bhikshupratima ko svikara kiya. Yavat samyak prakara se ajnyapurvaka aradhana kiya. Isi prakara traimasiki, chaturmasiki, pamcha – masiki, shanmasiki evam saptamasiki bhikshupratima ki yathavat aradhana ki. Tatpashchat prathama saptaratri – divasa ki, dvitiya saptaratri – divasa ki evam tritiya saptaratri – divasa ki phira eka ahoratri ki, tatha ekaratri ki, isa taraha baraha bhikshupratimaom ka sutranusara yavat ajnyapurvaka samyak aradhana kiya. Phira skandaka anagara antima ekaratri ki bhikshupratima ka yathasutra yavat ajnyapurvaka samyak aradhana karake jaham shramana bhagavana mahavira virajamana the, vaham akara unhem vandana – namaskara karake yavat isa prakara bole – ‘bhagavan ! Apaki ajnya ho to maim ‘gunaratnasamvatsara’ namaka tapashcharana amgikara karake vicharana karana chahata hum.’ bhagavana ne pharamaya – ‘tumhem jaisa sukha ho, vaisa karo; dharmakarya mem vilamba na karo.’ skandaka anagara shramana bhagavana mahavira ki ajnya prapta karake yavat unhem vandana – namaskara karake gunaratnasamvatsara namaka tapashcharana svikara karake vicharana karane lage. Jaise ki – pahale mahine mem nirantara upavasa karana, dina mem surya ke sammukha drishti rakhakara atapanabhumi mem utkatuka asana se baithakara surya ki atapana lena aura ratri mem apavrita (nirvastra) hokara virasana se baithana evam shita sahana karana. Isi taraha nirantara bele – bele parana karana. Dina mem utkatuka asana se baithakara surya ke sammukha mukha rakhakara atapanabhumi mem surya ki atapana lena, ratri mem apavrita hokara virasana se baithakara shita sahana karana. Isi prakara tisare masa mem uparyukta vidhi ke anusara nirantara tele – tele parana karana. Isi vidhi ke anusara chauthe masa mem nirantara chaule – chaule parana karana. Pamchave masa mem pachaule – pachaule parana karana. Chhathe masa mem nirantara chhaha – chhaha upavasa karana. Satave masa mem nirantara sata – sata upavasa karana. Athave masa mem nirantara atha – atha upavasa karana. Nauvem masa mem nirantara nau – nau upavasa karana. Dasave masa mem nirantara dasa – dasa upavasa karana. Gyarahave masa mem nirantara gyaraha – gyaraha upavasa karana. Barahave masa mem nirantara baraha – baraha upavasa karana. Terahave masa mem nirantara teraha – teraha upavasa karana. Nirantara chaudahave masa mem chaudaha – chaudaha upavasa karana. Pandrahavem masa mem nirantara pandraha – pandraha upavasa karana aura solahavem masa mem nirantara solaha – solaha upavasa karana. Ina sabhi mem dina mem utkatuka asana se baithakara surya ke sammukha mukha karake atapanabhumi mem atapana lena, ratri ke samaya apavrita hokara virasana se baithakara shita sahana karana. Tadanantara skandaka anagara ne gunaratnasamvatsara namaka tapashcharana ki sutranusara, kalpanusara yavat aradhana ki. Isake pashchat jaham shramana bhagavana mahavira virajamana the, vaham ve ae aura unhem vandana – namaskara kiya. Aura phira aneka upavasa, bela, tela, chaula, pachaula, masakhamana, arddha masakhamana ityadi vividha prakara ke tapa se atma ko bhavita karate hue vicharana karane lage. Isake pashchat ve skandaka anagara usa udara, vipula, pradatta, pragrihita, kalyanarupa, shivarupa, dhanyarupa, mamgalarupa, shriyukta, uttama, udagra, udatta, sundara, udara aura maha – prabhavashali tapahkarma se shushka ho gae, ruksha ho gae, mamsarahita ho gae, vaha kevala haddi aura chamari se dhaka hua raha gaya. Chalate samaya haddiyam khara – khara karane lagim, ve krisha – durbala ho gae, unaki nariyam samane dikhai dene lagim, aba ve kevala jiva ke bala se chalate the, jiva ke bala se khare rahate the, tatha ve itane durbala ho gae the ki bhasha bolane ke bada, bhasha bolate – bolate bhi aura bhasha bolumga, isa vichara se bhi glani ko prapta hote the, jaise koi sukhi lakariyom se bhari hui gari ho, pattom se bhari hui gari ho, patte, tila aura anya sukhe samana se bhari hui gari ho, eranda ki lakariyom se bhari hui gari ho, ya koyale se bhari hui gari ho, sabhi gariyam dhupa mem achchhi taraha sukhai hui hom aura phira chalai jaem to khara – khara avaja karati hui chalati haim aura avaja karati hui khari rahati hai, isi prakara jaba skandaka anagara chalate the, khare rahate the, taba khara – khara avaja hoti thi. Yadyapi ve sharira se durbala ho gae the, tathapi ve tapa se pushta the. Unaka mamsa aura rakta kshina ho gae the, kintu rakha ke dhera mem dabi hui agni ki taraha ve tapa aura teja se tatha tapa – teja ki shobha se ativa – ativa sushobhita ho rahe the.