Sutra Navigation: Samavayang ( समवयांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003143 | ||
Scripture Name( English ): | Samavayang | Translated Scripture Name : | समवयांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
समवाय-१८ |
Translated Chapter : |
समवाय-१८ |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 43 | Category : | Ang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अट्ठारसविहे बंभे पन्नत्ते, तं जहा–ओरालिए कामभोगे नेव सयं मणेणं सेवइ, नोवि अन्नं मणेणं सेवावेइ, मणेणं सेवंतं पि अन्नं न समणुजाणाइ। ओरालिए कामभोगे नेव सयं वायाए सेवइ, नोवि अन्नं वायाए सेवावेइ, वायाए सेवंतं पि अन्नं न समणुजाणाइ। ओरालिए कामभोगे नेव सयं कायेणं सेवइ, नोवि अन्नं काएणं सेवावेइ, काएणं सेवंतं पि अन्नं न समणुजाणाइ। दिव्वे कामभोगे नेव सयं मणेणं सेवइ, नोवि अन्नं मणेणं सेवावेइ, मणेणं सेवंतं पि अन्नं न समणुजाणाइ। दिव्वे कामभोगे नेव सयं वायाए सेवइ, नोवि अन्नं वायाए सेवावेइ, वायाए सेवंतं पि अन्नं न समणुजाणाइ। दिव्वे कामभोगे नेव सयं काएणं सेवइ, नोवि अन्नं काएणं सेवावेइ, काएणं सेवंतं पि अन्नं न समणुजाणाइ। अरहतो णं अरिट्ठनेमिस्स अट्ठारस समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपया होत्था। समणेणं भगवया महावीरेणं समणाणं निग्गंथाणं सखुड्डयविअत्ताणं अट्ठारस ठाणा पन्नत्ता, तं जहा– | ||
Sutra Meaning : | ब्रह्मचर्य अठारह प्रकार का है। औदारिक (शरीर वाले मनुष्य – तिर्यंचों के) कामभोगों को नहीं मन से स्वयं सेवन करता है, नहीं अन्य को मन से सेवन कराता है और न मन से सेवन करते हुए अन्य की अनुमोदना करता है। औदारिक – कामभोगों को नहीं वचन से स्वयं सेवन करता है, नहीं अन्य को वचन से सेवन कराता है और नहीं सेवन करते हुए अन्य की वचन से अनुमोदना करता है। औदारिक – कामभोगों को नहीं स्वयं काय से सेवन करता है, नहीं अन्य को काय से सेवन कराता है और नहीं काय से सेवन करते हुए अन्य की अनुमोदना करता है। दिव्य काम – भोगों को नहीं स्वयं मन से सेवन करता है, नहीं अन्य को मन से सेवन कराता है और नहीं मन से सेवन करते हुए अन्य की अनुमोदना करता है। दिव्य कामभोगों को नहीं स्वयं वचन से सेवन करता है, नहीं अन्य को वचन से सेवन कराता है और नहीं सेवन करते हुए अन्य की वचन से अनुमोदना करता है। दिव्य कामभोगों को नहीं स्वयं काय से सेवन करता है, नहीं अन्य को काय से सेवन कराता है और नहीं काय से सेवन करते हुए अन्य की अनुमोदना करता है। अरिष्टनेमि अर्हन्त की उत्कृष्ट श्रमण – सम्पदा अठारह हजार साधुओं की थी। श्रमण भगवान महावीर ने सक्षुद्रक – व्यक्त – सभी श्रमण निर्ग्रन्थों के लिए अठारह स्थान कहे हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] attharasavihe bambhe pannatte, tam jaha–oralie kamabhoge neva sayam manenam sevai, novi annam manenam sevavei, manenam sevamtam pi annam na samanujanai. Oralie kamabhoge neva sayam vayae sevai, novi annam vayae sevavei, vayae sevamtam pi annam na samanujanai. Oralie kamabhoge neva sayam kayenam sevai, novi annam kaenam sevavei, kaenam sevamtam pi annam na samanujanai. Divve kamabhoge neva sayam manenam sevai, novi annam manenam sevavei, manenam sevamtam pi annam na samanujanai. Divve kamabhoge neva sayam vayae sevai, novi annam vayae sevavei, vayae sevamtam pi annam na samanujanai. Divve kamabhoge neva sayam kaenam sevai, novi annam kaenam sevavei, kaenam sevamtam pi annam na samanujanai. Arahato nam aritthanemissa attharasa samanasahassio ukkosiya samanasampaya hottha. Samanenam bhagavaya mahavirenam samananam niggamthanam sakhuddayaviattanam attharasa thana pannatta, tam jaha– | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Brahmacharya atharaha prakara ka hai. Audarika (sharira vale manushya – tiryamchom ke) kamabhogom ko nahim mana se svayam sevana karata hai, nahim anya ko mana se sevana karata hai aura na mana se sevana karate hue anya ki anumodana karata hai. Audarika – kamabhogom ko nahim vachana se svayam sevana karata hai, nahim anya ko vachana se sevana karata hai aura nahim sevana karate hue anya ki vachana se anumodana karata hai. Audarika – kamabhogom ko nahim svayam kaya se sevana karata hai, nahim anya ko kaya se sevana karata hai aura nahim kaya se sevana karate hue anya ki anumodana karata hai. Divya kama – bhogom ko nahim svayam mana se sevana karata hai, nahim anya ko mana se sevana karata hai aura nahim mana se sevana karate hue anya ki anumodana karata hai. Divya kamabhogom ko nahim svayam vachana se sevana karata hai, nahim anya ko vachana se sevana karata hai aura nahim sevana karate hue anya ki vachana se anumodana karata hai. Divya kamabhogom ko nahim svayam kaya se sevana karata hai, nahim anya ko kaya se sevana karata hai aura nahim kaya se sevana karate hue anya ki anumodana karata hai. Arishtanemi arhanta ki utkrishta shramana – sampada atharaha hajara sadhuom ki thi. Shramana bhagavana mahavira ne sakshudraka – vyakta – sabhi shramana nirgranthom ke lie atharaha sthana kahe haim. |