Sutra Navigation: Sthanang ( स्थानांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1002592 | ||
Scripture Name( English ): | Sthanang | Translated Scripture Name : | स्थानांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
स्थान-७ |
Translated Chapter : |
स्थान-७ |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 592 | Category : | Ang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] सत्तविहे गणावक्कमणे पन्नत्ते, तं जहा– ‘सव्वधम्मा रोएमि’। एगइया रोएमि एगइया नो रोएमि। सव्वधम्मा वितिगिच्छामि। एगइया वितिगिच्छामि एगइया नो वितिगिच्छामि। सव्वधम्मा जुहुणामि। एगइया जुहुणामि एगइया नो जुहुणामि। इच्छामि णं भंते! एगल्लविहारपडिमं उवसंपिज्जत्ता णं विहरित्तए। | ||
Sutra Meaning : | गण छोड़ने के सात कारण हैं, यथा – मैं सब धर्मों (ज्ञान, दर्शन और चारित्र की साधनाओं) को प्राप्त करना (साधना) चाहता हूँ और उन धर्मों (साधनाओं) को मैं अन्य गणमें जाकर ही प्राप्त कर (साध) सकूँगा। अतः मैं गण छोड़कर अन्य गणमें जाना चाहता हूँ मुझे अमुक धर्म (साधना) प्रिय है और अमुक धर्म (साधना) प्रिय नहीं है। अतः मैं गण छोड़कर अन्य गण में जाना चाहता हूँ। सभी धर्मों (ज्ञान, दर्शन और चारित्र) में मुझे सन्देह है, अतः संशय निवारणार्थ मैं अन्य गण में जाना चाहता हूँ कुछ धर्मों (साधनाओं) में मुझे संशय है और कुछ धर्मों (साधनाओं) में संशय नहीं है। अतः मैं संशय निवारणार्थ अन्य गण में जाना चाहता हूँ। सभी धर्मों (ज्ञान, दर्शन और चारित्र सम्बन्धी) की विशिष्ट धारणाओं को मैं देना (सिखाना) चाहता हूँ। इस गण में ऐसा कोई योग्य पात्र नहीं है अतः मैं अन्य गण में जाना चाहता हूँ। कुछ धर्मों (पूर्वोक्त धारणाओं) को देना चाहता हूँ और कुछ धर्मों (पूर्वोक्त धारणाओं) को नहीं देना चाहता हूँ अतः मैं अन्य गण में जाना चाहता हूँ। एकल विहार की प्रतिमा धारण करके विचरना चाहता हूँ। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] sattavihe ganavakkamane pannatte, tam jaha– ‘savvadhamma roemi’. Egaiya roemi egaiya no roemi. Savvadhamma vitigichchhami. Egaiya vitigichchhami egaiya no vitigichchhami. Savvadhamma juhunami. Egaiya juhunami egaiya no juhunami. Ichchhami nam bhamte! Egallaviharapadimam uvasampijjatta nam viharittae. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Gana chhorane ke sata karana haim, yatha – Maim saba dharmom (jnyana, darshana aura charitra ki sadhanaom) ko prapta karana (sadhana) chahata hum aura una dharmom (sadhanaom) ko maim anya ganamem jakara hi prapta kara (sadha) sakumga. Atah maim gana chhorakara anya ganamem jana chahata hum Mujhe amuka dharma (sadhana) priya hai aura amuka dharma (sadhana) priya nahim hai. Atah maim gana chhorakara anya gana mem jana chahata hum. Sabhi dharmom (jnyana, darshana aura charitra) mem mujhe sandeha hai, atah samshaya nivaranartha maim anya gana mem jana chahata hum Kuchha dharmom (sadhanaom) mem mujhe samshaya hai aura kuchha dharmom (sadhanaom) mem samshaya nahim hai. Atah maim samshaya nivaranartha anya gana mem jana chahata hum. Sabhi dharmom (jnyana, darshana aura charitra sambandhi) ki vishishta dharanaom ko maim dena (sikhana) chahata hum. Isa gana mem aisa koi yogya patra nahim hai atah maim anya gana mem jana chahata hum. Kuchha dharmom (purvokta dharanaom) ko dena chahata hum aura kuchha dharmom (purvokta dharanaom) ko nahim dena chahata hum atah maim anya gana mem jana chahata hum. Ekala vihara ki pratima dharana karake vicharana chahata hum. |